
बाराबंकी।जेब्रा पार्क, पल्हरी चौराहा परिसर में चल रहे शक्ति संवर्धन 251 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का तृतीय दिवस आध्यात्मिक साधना, संस्कारों और प्रेरक चिंतन का अनोखा संगम बना। शांतिकुंज हरिद्वार से आई टोली के टोली नायक परमानंद द्विवेदी के मार्गदर्शन में प्रातःकाल यज्ञोपवीत, विवाह तथा दीक्षा संस्कार विधिवत संपन्न कराए गए। उन्होंने कहा कि संस्कार मात्र धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन को उत्कृष्टता की दिशा में ले जाने वाले महामंत्र हैं। यज्ञ की सुगंध, मंत्रोच्चार और भक्ति से भरे वातावरण ने श्रद्धालुओं को अलौकिक अनुभूति कराई।
सायंकालीन सत्र में जब 5000 वेदीय दीप एक साथ प्रज्वलित हुए तो पूरा परिसर दिव्य आभा से नहा उठा। महिलाओं की व्यापक सहभागिता ने इस दृश्य को और भी मनोहारी बना दिया। दीपों की लंबी पंक्तियों ने ऐसा अद्भुत वातावरण रचा कि उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति श्रद्धा और आनंद से अभिभूत हो उठा।
इसके बाद श्री दुबे ने “राज समर्थ तुम सशक्त संस्कार हुआ कैसे बनें” विषय पर उद्बोधन देते हुए सप्त आंदोलन और नशा निवारण पर विस्तार से प्रकाश डाला। उनके विचारों ने युवाओं व परिवारों को समाज निर्माण हेतु प्रेरित किया। कार्यक्रम का विशेष आकर्षण शांतिकुंज हरिद्वार के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पांड्या का वक्तव्य रहा। उन्होंने कहा कि गायत्री मिशन का उद्देश्य धार्मिक आयोजनों तक सीमित नहीं, बल्कि मानव चेतना के उत्थान, नैतिक जागरण और जीवन में दिव्यता के विस्तार का व्यापक अभियान है। उन्होंने युवाओं को विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय के साथ प्रगति करने की प्रेरणा दी।
तीसरे दिवस का आयोजन उपस्थित लोगों के हृदयों में नई ऊर्जा और प्रेरणा की ज्योति प्रज्वलित कर गया। इस अवसर पर देशबंधु तिवारी, संजय चतुर्वेदी, एपी शर्मा, सत्य प्रकाश श्रीवास्तव, दिनेश दीक्षित, डॉ. ओ.पी. सिंह, डॉ. नीरज बाजपेई सहित बड़ी संख्या में महिलाएं एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे।































