नितेश मिश्रा शांडिल्य “स्वतंत्र पत्रकार”
वृद्धाश्रम जाकर सेवा करने की तमाम तस्वीर आती है, बाराबंकी के भुहेरा स्थित मातृ पितृ सदन ने सता के मंत्री जी हों पूर्व मंत्री या समाजसेवी, सबके हाथों में कैमरा और दिल में करुणा लिए वृद्धजनों के चरण स्पर्श करते दिखाई देते हैं। निस्संदेह, यह बहुत नेक काम है मैं भी इसकी दिल से सराहना करता हूँ। लेकिन विडंबना देखिए, उसी मातृ-पितृ सदन तक पहुँचने वाला रास्ता आज भी कीचड़ और बदबू से भरा पड़ा है।
शायद ये वही रास्ता है जो समाज की असल तस्वीर दिखाता है ,जहां संवेदनाएँ तो चमकती हैं, मगर सड़कों पर कीचड़ जमी रहती है। तमाम मंत्रियों का काफिला इसी रास्ते से निकलता है, अधिकारी अपनी चमचमाती गाड़ियों में आते हैं, समाजसेवी भावनाओं की टोकरी लेकर लौट जाते हैं पर किसी की नजर उस रास्ते पर नहीं जाती जो रोज़ उन 100 से अधिक वृद्धजनों के जीवन की डगर है।

कहने को प्रधान जी “गांव के राजा” हैं, लेकिन लगता है उनका राजमहल इस मार्ग से होकर नहीं जाता! 🤔 खैर… डीएम साहब शशांक त्रिपाठी जी से टेलिफोनिक बातचीत हुई, उन्होंने वादा किया है, “नितेश जी, जल्द ही यह रास्ता चमचमाता नजर आएगा।” अवगत करा दे कि दीपावली पर डीएम साहब जब इस सदन गए थे तो वहां पर लाइट की व्यवस्था डीएम साहब ने तत्काल करवाई थी।

आशा है कि यह सिर्फ आश्वासन नहीं, अमल भी होगा, क्योंकि जिनके लिए हम सेवा का प्रदर्शन करते हैं, उनके लिए एक सुगम रास्ता बनाना ही असली सेवा होगी।
जनसमस्या है यह, जिसका समाधान बहुत पहले हो जाना चाहिए था, पर देर आए, दुरुस्त आए… उम्मीद है अगली बार जब समाजसेवी सेवा करने जाएं, तो कैमरे में सिर्फ मुस्कान नहीं, रास्ते की चमक भी दिखेगी…































