रिपोर्ट/रिशु गुप्ता

रामसनेहीघाट बाराबंकी।स्थानीय तहसील परिसर में शुक्रवार को उस समय भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा जब धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया के लिए पहुंचे एक दंपती ने अचानक स्वयं ही पुनः हिंदू धर्म अपनाने का निर्णय लिया। पति-पत्नी ने न केवल हिंदू रीति-रिवाज से दोबारा विवाह किया, बल्कि “जय श्रीराम” के नारों के बीच समाज में एकता, प्रेम और सांस्कृतिक आस्था की मिसाल भी पेश कर दी।जानकारी के अनुसार, टिकैतनगर थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी रिंकू का चार वर्ष पूर्व मवई थाना क्षेत्र की एक युवती से टेलीफोनिक परिचय हुआ था। धीरे-धीरे यह पहचान प्रेम में बदली और दोनों ने घर छोड़कर दिल्ली जाकर विवाह कर लिया। करीब एक वर्ष दिल्ली में रहने के बाद दोनों अपने गांव लौट आए, जहां उनके दो पुत्र भी हुए। इस बीच युवती के आग्रह पर रिंकू ने मुस्लिम धर्म अपनाकर अपना नाम अब्दुल्ला रख लिया था।कुछ समय पूर्व आधार कार्ड में नाम संशोधन के लिए दंपती तहसील के एक अधिवक्ता से संपर्क में आए। अधिवक्ता ने शुक्रवार को उन्हें बुलाया और इस जानकारी से हिंदू संगठनों को भी अवगत कराया। तहसील पहुंचने पर विश्व हिंदू परिषद, हिंदू वाहिनी और भवनियापुर मठ के महंत गिरी मुकुंद समेत कई पदाधिकारी वहां मौजूद थे।संगठन के पदाधिकारियों ने दोनों को समझाया और धर्म की मूल भावना, आस्था और संस्कृति के महत्व से अवगत कराया। भावनाओं से भरे माहौल में दोनों ने पुनः हिंदू धर्म अपनाने का निर्णय लिया उस समय लडक़ी के पिता भी मौजूद रहे । तत्पश्चात दंपती ने मंदिर में वरमाला डालकर विवाह किया, फेरे लिए और जय श्रीराम के नारे लगाए।
यह दृश्य देख उपस्थित लोगों की आंखें नम हो गईं। तहसील परिसर में घटित यह घटना प्रेम, विश्वास और धार्मिक एकता का जीवंत उदाहरण बन गई।
 
 
								 
															 
				































 
															 
															