रिपोर्ट/विवेक शुक्ला
रामनगर बाराबंकी जब-जब इस पृथ्वी पर पाप बढ़ते है धर्म का नाश होता है अधर्म का बोलबाला होता है तब तक ईश्वरीय शक्तियां धर्म की रक्षा के लिए इस पृथ्वी पर अवतरित होती हैं जो आतताई शक्तियों का विनाश करके धर्म की स्थापना करती है । कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने इस पृथ्वी पर अवतार लिया था जिनका जीवन दर्शन आज भी लोगों के मध्य में प्रसांगिक बना हुआ है।यह बात रामनगर कस्बे के धमेडी़ मोहल्ले में स्थित लक्ष्मी नारायण शुक्ला के आवास पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन वैष्णवाचार्य स्वामी श्री प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने कृष्ण जन्म कथा प्रसंग के दौरान कही उन्होंने कहा कि द्वापर युग में मथुरा नरेश कंश का अत्याचार जब अपनी चरम सीमा पर बढ गया चारों ओर उथल-पुथल मच गई तब सारे देवता भगवान विष्णु की शरण में गए देवताओं ने कंश के अत्याचारों की सारी कहानी सुनाई तो भगवान विष्णु ने मथुरा के कारागार में कंस की बहन देवकी के समक्ष भादो महीने की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को अवतार लिया भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय आकाश में काली-काली घटाएं घिरी हुई थी मेघ मूसलाधार वर्षा कर रहे थे भगवान श्री कृष्ण के चतुर्भुज रूप को देखकर माता देवकी और वासुदेव की खुशी का ठिकाना न रहा भगवान श्रीकृष्ण ने शिशु रूप को धारण कर लिया आकाशवाणी हुई कि हमें नंद के घर में भेज दो उसी समय वसुदेव नवजात शिशु-रूप श्रीकृष्ण को सूप में रखकर कारागृह से निकल पड़े और अथाह यमुना को पार कर नंदजी के घर पहुंचे। वहां उन्होंने नवजात शिशु को यशोदा के साथ सुला दिया और कन्या को लेकर मथुरा आ गए। कारागृह के फाटक पूर्ववत बंद हो गए।
अब कंस को सूचना मिली कि वसुदेव-देवकी को बच्चा पैदा हुआ है।उसने बंदीगृह में जाकर देवकी के हाथ से नवजात कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटक देना चाहा, परंतु वह कन्या आकाश में उड़ गई और वहां से कहा- ‘अरे मूर्ख, मुझे मारने से क्या होगा? तुझे मारनेवाला ब्रज मंडल में पैदा हो गया है तत्पश्चात कंश ने श्रीकृष्ण का वध करने के लिए पूतना अघासुर बकासुर जैसे तमाम राक्षसों को भेजा जिनका भगवान श्री कृष्ण ने वध कर दिया अंत में उन्होंने आतताई कंश का वध करके लोगों को अमन चैन की जिंदगी देने का भर्षक प्रयास किया महाभारत काल में आपने सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया अर्जुन को मोह उत्पन्न होने पर उन्हें गीता का उपदेश दिया और आप योगेश्वर कहलाए आपके द्वारा बताए गए श्लोकों का एक-एक मंत्र प्राणी मात्र के लिए विधि ग्राह्य है जिनका अनुसरण करके मानव परम पद को प्राप्त हो सकता है इस प्रकार से भगवान श्री कृष्ण का संपूर्ण जीवन दर्शन आज भी लोगों के मध्य प्रासंगिक बना हुआ है। इसी क्रम में महाराज ने ध्रुव चरित्र भक्त प्रहलाद समुद्र मंथन और रामचरित्र के कथा प्रसंगों पर प्रकाश डाला ।इस अवसर पर आयोजक लक्ष्मी नारायण शुक्ला, आचार्य श्री शिवानंद महाराज अयोध्याधाम अनिल अवस्थी मधुबन मिश्रा आशीष पांडे बृजेश शुक्ला दुर्गेश शुक्ला गोपाल जी महाराज उमेश पांडे शुभम जायसवाल लवकेश शुक्ला शिवम शुक्ला आदि मौजूद रहे।
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