कोतवाल अभिमन्यु मल्ल और SDM पर गंभीर आरोप, योगी राज में भाजपा कार्यकर्ता भी नहीं सुरक्षित!
✍️ राघवेन्द्र मिश्रा (एडिटर),हैदरगढ़, बाराबंकी। “माफिया मुक्त उत्तर प्रदेश” के सरकारी दावे एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। बाराबंकी जिले के हैदरगढ़ कोतवाली क्षेत्र के रनापुर गांव से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ भाजपा के जिला संयोजक,कार सेवक रहे और 35 साल पुराने बूथ अध्यक्ष रमापति तिवारी की जमीन पर दबंगों ने जबरन कब्जा कर लिया।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि — पीड़ित रमापति तिवारी ने कोतवाल अभिमन्यु मल्ल और उप जिलाधिकारी हैदरगढ़ पर मिलीभगत से जमीन कब्जा कराने का गंभीर आरोप लगाया है!
पढ़िए क्या है पूरा मामला-रमापति तिवारी के अनुसार, यह जमीन उनको ननिहाल से मिली थी। पंजीकृत वसीयत नामे के तहत गाटा संख्या 210 औषानेश्वर रोड स्थित भूमि उनकी पत्नी शांति देवी और उनके नाम पर वैध रूप से दर्ज है।उन्होंने यह भी बताया कि यह विवाद पहले कमिश्नरी कोर्ट में भी पहुंचा था, जहाँ फैसला उनके पक्ष में आया।
लेकिन बावजूद इसके, दांदूपुर निवासी पूर्व प्रधान पंकज सिंह, नीरज सिंह और दो अन्य लोगों ने कथित रूप से पुलिस और राजस्व अधिकारियों की मौजूदगी में कब्जा कर लिया।
रमापति का कहना है कि “कोतवाल और SDM की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा कब्जा संभव नहीं।” और मैं चीख चीख के न्याय की गुहार लगाता रहा लेकिन मेरी किसी ने नही सुनी,प्रशासन मुझे कोई बड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर कर रहा है। पीड़ित भाजपा के बरिष्ठ कार्यकर्ता की व्यथा बहुत ही गंभीर है। रमापति तिवारी बोले-
> “मैं 35 वर्षों से भाजपा का बूथ अध्यक्ष और जिला संयोजक हूँ।
पार्टी के लिए दिन-रात मेहनत की, लेकिन आज अपनी ही सरकार में न्याय नहीं मिल रहा।
अगर हमें न्याय नहीं मिला तो हम आत्महत्या करने को मजबूर होंगे।हम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगा रहे हैं कि हमें न्याय दिलाया जाए।”
जब इस प्रकरण में दूसरे पक्ष से बात की गई तो मामला बिल्कुल पूरी तरह पलट गया,आप भी पढ़िए क्या कहा है।जब इस प्रकरण पर पूर्व प्रधान पंकज सिंह से बात की गई तो उन्होंने आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया। “खतौनी हमारे नाम दर्ज है, ये लोग झूठा प्रचार कर जनता को गुमराह कर रहे हैं,” यह बात पंकज सिंह ने कही साथ ही प्रशासन और पत्रकारों को भी गुमराह किया जा रहा है अपने बयानों में उन्होंने बताया।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर मामला किसी न्यायालय में विचाराधीन है तो फिर उसमें पुलिस का कोई हस्तक्षेप करना उचित नही होता और अगर मुकदमा फाइनल हुआ है तो आपत्ति क्यों नही सुनी जा रही है।? जब एक भाजपा के जिला संयोजक और बूथ अध्यक्ष की जमीन पर कोतवाल और SDM की निगरानी में कब्जा हो सकता है,
तो आम जनता की जमीन कौन बचाएगा?क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पर कड़ा संज्ञान लेकर जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई करेंगे या फिर जमीनों के मामलों में माफिया राज इसी तरह चलता रहेगा? आये दिन करोड़ों की जमीन पर खेला देखने को मिल रहा है, फिलहाल देखना यह होगा कि क्या पीड़ित रमापति तिवारी को न्याय मिलेगा या नही।