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पटना14 घंटे पहलेलेखक: श्रेया नाकाड़े
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1990 का दशक। एक रोज BJP सांसद उमा भारती ने युवा मोर्चा के सैयद शाहनवाज हुसैन की चुटकी लेते हुए कहा कि शाहनवाज, दिल्ली में लड़कियों से संभलकर रहना।
शाहनवाज ने शर्माते हुए जवाब दिया, ‘दीदी, मैं तो नहीं बच पाया। मेरे जीवन में कोई है।’ इसके बाद शाहनवाज ने अपनी प्रेमिका का नाम बताया। ये सुनते ही उमा बोल पड़ीं- ‘तुम्हारी शादी धूमधाम से तो नहीं हो पाएगी।’
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साल 1986 में शाहनवाज हुसैन ने दिल्ली के पूसा पॉलिटेक्निक कॉलेज में एडमिशन लिया था। एक दिन वो दिल्ली की सड़कों पर घूम रहे थे, तो उनकी नजरें काजल लगी बड़ी-बड़ी आंखों वाली एक लड़की पर पड़ीं। लड़की अपने घर के बाहर खड़ी थी। शाहनवाज काफी देर तक उसे निहारते रह गए।
शाहनवाज उन दिनों रोज दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन यानी DTC की 740 नंबर बस से कॉलेज जाते थे।
एक इंटरव्यू में शाहनवाज बताते हैं, ‘एक दिन आंखों में मोटा चश्मा और कंधों पर भारी स्कूल बैग टांगे वही लड़की बस में चढ़ी। बस में बैठने की जगह नहीं थी तो मैंने उन्हें अपनी सीट दे दी। अगले दिन भी कोई सीट खाली नहीं थी। मैंने फिर उन्हें सीट दे दी। यह सिलसिला कुछ दिन चलता रहा।’
शाहनवाज का हर बार एक ही लड़की को सीट देना उनके दोस्तों को समझ आ रहा था। एक दिन लड़की के आने से पहले ही शाहनवाज के बाजू में बैठे दोस्त ने कहा, ‘आज तुम बैठे रहना। मैं उसे अपनी सीट दे दूंगा।’
इस बार लड़की आई, तो दोस्त ने सीट दे दी। लड़की पहली बार शाहनवाज के बगल में बैठी। यह पहला मौका था जब दोनों में बातचीत हुई। इसमें पता चला लड़की का नाम रेणु शर्मा है। शाहनवाज कहते हैं, ‘मुझे रेणु जी से पहली नजर में ही प्यार हो गया था।’
बस में मुलाकातों और बातचीत का सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। बाद में शाहनवाज ने रेणु के घर के पास किराए पर एक कमरा ले लिया।

रेणु शर्मा की उन दिनों की तस्वीर, जब शाहनवाज ने उनसे कहा था- विल यू मैरी मी?
पहली चिट्ठी में ही शाहनवाज ने शादी के लिए प्रपोज किया
रेणु जब कॉलेज में आ गईं, तो एक बार शाहनवाज ने उन्हें जन्मदिन पर ग्रीटिंग कार्ड दिया।
दैनिक भास्कर से बातचीत में रेणु ने बताया, ‘कार्ड की पहली लाइन में उन्होंने शादी के बारे में पूछते हुए लिखा था- विल यू मैरी मी’?
मैं एकदम चौंक गई। तब तो शाहनवाज को ठीक से जानती भी नहीं थीं। मैंने शादी का प्रपोजल ठुकरा दिया। शाहनवाज से कहा कि तुम चाहो तो दोस्ती कर सकते हैं।’
रेणु बताती हैं- बाद में शाहनवाज ने बताया, ‘आपको पहली बार देखकर ही मैंने सोच लिया था कि यह लड़की मेरी वाइफ होनी चाहिए। आप पहले दोस्ती चाहती थीं, इसलिए हमने दोस्ती कर ली।’
रेणु अपने प्रेम के दिनों को याद करके बताती हैं, ‘एक बार हम बस स्टॉप पर खड़े होकर बात कर रहे थे तो कोई आंटी बोली- देखो तोता-मैना, लेकिन हमें कभी इन बातों से फर्क नहीं पड़ा। हम तो अपने में मस्त रहते थे।’
‘एक दिन मैं तुम्हें लाल किले के ऊपर बिठाऊंगा’
शाहनवाज पहली डेट पर रेणु को दिल्ली के लोधी गार्डन ले गए थे। वो बताते हैं, ‘मुझे रेणु की आंखें बहुत पसंद हैं। उनकी आवाज भी बहुत अच्छी है। वह बहुत अच्छा गाती और कविताएं करती हैं।’
लोधी गार्डन में रेणु ने एक फिल्मी गाना गाकर अपनी फीलिंग्स का इजहार किया। रेणु ने अनपढ़ फिल्म का मशहूर गाना गाया- ‘आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल हमें…।’
एक बार शाहनवाज रेणु को लाल किला घुमाने ले गए। तब उन्होंने कहा, ‘एक दिन मैं तुम्हें लाल किले की VIP पर बिठाऊंगा।’
शादी के बाद एक इंटरव्यू में रेणु ने बताया, ‘जब ये अटल जी की सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर बने और हम लाल किले के ऊपर गए तो इन्होंने मुझसे कहा, आज मैंने वादा पूरा किया।’

2001 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में शाहनवाज हुसैन ने कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली थी।
पैर में चोट लगी तो, रेणु ने अपना दुपट्टा फाड़ कर पट्टी बांधी
घर आस-पास होने के बाद दोनों का मिलना-जुलना और बढ़ गया। ऐसे ही एक दिन गली में बैडमिंटन खेलते हुए शाहनवाज के अंगूठे में चोट लग गई। शाहनवाज बताते हैं, चोट देखकर रेणु तुरंत अपने घर बैंडेज लेने गईं। बैंडेज नहीं मिला तो उन्होंने अपना दुपट्टा फाड़कर पट्टी बांध दी। यह बात मेरे दिल में घर कर गई।
एक बार रेणु के जन्मदिन पर शाहनवाज ने उन्हें एक पेन और ग्रीटिंग कार्ड में मैसेज लिखकर दिया। रेणु ने भी इसका जवाब भेजा। इस तरह दोनों चिट्ठियां लिखकर बात करने लगे।
शाहनवाज बताते हैं, ‘कुछ दिनों बाद रेणु अंग्रेजी में पत्र लिखने लगीं। मेरी अंग्रेजी कमजोर थी। हमारे कुछ दोस्तों की अंग्रेजी अच्छी थी तो हम उनके साथ बैठकर रेणु के पत्र का जवाब अंग्रेजी में लिखकर भेजने लगे।
रेणु और शाहनवाज के जन्मदिन हमेशा उनकी प्रेम कहानी में बहुत खास रहे। शाहनवाज बताते हैं, ‘मेरे एक जन्मदिन पर रेणु ने पूछा कि आपको तोहफे में क्या चाहिए। मैंने तुरंत कहा- आप चाहिए।’
रेस्टोरेंट में पैसे कम पड़े, तो शाहनवाज बोले- आज मेरा रोजा
एक बार शाहनवाज रेणु को रेस्टोरेंट ले जाना चाहते थे, लेकिन पूरे पैसे नहीं थे। शाहनवाज ने कुछ दिनों तक पैसे बचाए और रेणु को कॉलेज के करीब एक रेस्टोरेंट में बुलाया। उन्होंने मेन्यू देखा और हिसाब लगाया कि इतने पैसों में दो डोसे और जूस मंगवाए जा सकते हैं। लेकिन शाहनवाज का हिसाब बिगड़ गया जब रेणु के साथ एक सहेली भी आ गई। अपने ऑर्डर के बाद रेणु ने जब शाहनवाज से पूछा तो उन्होंने कह दिया, ‘मेरा रोजा है।’ रेणु की सहेली ने पूछ लिया, ‘यह रमजान का महीना तो नहीं है।’ इस पर शाहनवाज ने कह दिया कि रमजान में एक रोजा छूट गया था, इसलिए अब कर रहा हूं।
शाहनवाज और रेणु का प्यार हर बीतते दिन के साथ बढ़ता ही जा रहा था, लेकिन दोनों के धर्म अलग थे। वह दौर भी राम मंदिर आंदोलन का था। ऐसे में एक मुस्लिम लड़के और हिंदू ब्राह्मण लड़की की शादी होना आसान नहीं था। यही वजह थी कि शाहनवाज और रेणु को शादी के लिए करीब 9 साल इंतजार करना पड़ा।
रेणु बताती हैं, ‘जब हम बाहर घूमने जाते और मुझे कुछ खाने को मन करता, तो ये मेरे लिए कुछ दिला देते थे, लेकिन खुद नहीं खाते थे। कहते थे कि मैं तो अभी खाकर आया हूं। बाद में मुझे पता चलता कि इन्होंने तो सुबह से कुछ नहीं खाया था।’
परिवार और दोस्तों से छिपकर उमा भारती ने शादी कराई
राजनीति के शुरुआती दौर से ही शाहनवाज के उमा भारती से अच्छे संबंध थे। शाहनवाज उन्हें बड़ी बहन मानते थे। वे बताते हैं, ‘एक दिन उमा जी ने कहा- शाहनवाज थोड़ा ध्यान से रहना। दिल्ली की लड़कियों से संभलना।’
जब शाहनवाज ने उमा भारती को रेणु के बारे में बताया, तो वो समझ गईं कि ये शादी आसान नहीं होगी। रेणु और शाहनवाज दोनों के घरवाले शादी के लिए नहीं माने, तो उमा भारती ने ही दोनों की शादी कराई। 12 दिसंबर, 1994 को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत दोनों ने शादी कर ली।
शादी के बाद उमा भारती ने एक दिन युवा मोर्चा के साथियों को अपने ऑफिस में बुलाकर शाहनवाज और रेणु की शादी के बारे में बताया। सभी के लिए चाय-नाश्ते का इंतजाम कराया और एक छोटी सी पार्टी भी दी।

शादी के बाद पहाड़ों पर घूमने गए शाहनवाज और रेणु की तस्वीर।
दोस्त ने रहने को घर दिया, पर परिवार मिलने नहीं आया
शादी के बाद शाहनवाज के एक दोस्त सैयद इस्माइल ने सावित्री नगर में उन्हें अपना कमरे का फ्लैट किराए पर दे दिया, लेकिन इस घर में गृहस्थी बसाने का कोई सामान नहीं था। कोई दोस्त कभी मिलने आता तो उसे बिठाने के लिए कोई सोफा या कुर्सी भी नहीं थी।
शाहनवाज बताते हैं, ‘घर मिलने के बाद हमने सबसे पहले 842 रुपए में बर्तन खरीदे। हमारी शादी से घर वाले खुश नहीं थे, इसलिए कई सालों तक वे हमसे मिलने नहीं आए।’
शादी के समय शाहनवाज, माइक्रो मिशन कंट्रोल नाम की कंपनी में सेल्स इंजीनियर की नौकरी करते थे। उन्हें दो घंटे के लिए काम पर जाना होता था। पैसे भी थोड़े ही मिलते थे। जल्द ही रेणु सरकारी स्कूल में टीचर हो गईं। उनकी कमाई से धीरे-धीरे शाहनवाज और रेणु ने गृहस्थी बसा ली।
शाहनवाज बताते हैं, ‘एक दिन ऐसी स्थिति आई कि मैं और रेणु सोच रहे थे कि पहले टीवी खरीदें या फ्रिज। हमने सोचा ठंडा पानी तो पड़ोसी से ले लेंगे। पहले टीवी ले लेते हैं।’

किराए के घर में शाहनवाज और रेणु। शाहनवाज की गोद में मकान मालिक की बेटी बैठी है।
उमा के घर बेटे का जन्मदिन मनाया, आडवाणी और खुराना पहुंचे
1996 में शाहनवाज और रेणु के घर बेटे अरबाज का जन्म हुआ। रेणु का परिवार इस समय भी मिलने नहीं आया। अरबाज के पहले जन्मदिन पर उमा भारती ने घर पर पार्टी रखी। इस पार्टी में BJP के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी, मदन लाल खुराना, साहिब सिंह सहित कई नेता पहुंचे। इस वजह से उन पर निशाना भी साधा गया।
1999 में जब शाहनवाज हुसैन ने किशनगंज से लोकसभा का चुनाव लड़ा, तो उनके विपक्षी RJD के मोहम्मद तस्लीमुद्दीन ने कह दिया, ‘शाहनवाज आडवाणी-जोशी के दामाद हैं, इसलिए उन्हें टिकट मिला है।’
शाहनवाज यह चुनाव जीते और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज के राज्य मंत्री बने। 2001 में उन्हें बतौर केंद्रीय मंत्री सिविल एविएशन की जिम्मेदारी सौंपी गई।
अभी भी सोशल मीडिया पर कई बार यह अफवाह उड़ा दी जाती है कि शाहनवाज आडवाणी और जोशी के संबंधी हैं। हालांकि, शाहनवाज ने कई मौकों पर साफ किया है कि उनकी पत्नी रेणु को दोनों वरिष्ठ नेता अपनी बेटी की तरह मानते हैं, लेकिन रेणु के पिता एयरफोर्स ऑफिसर हीरानंद शर्मा थे।

लालकृष्ण आडवाणी की शादी की 50वीं सालगिरह पर उन्हें बधाई देते शाहनवाज और रेणु।
परिवार ने अपनाया, घर के चहेते बने शाहनवाज-रेणु
समय के साथ शाहनवाज और रेणु के रिश्ते को परिवार वालों की भी मंजूरी मिल गई। शाहनवाज बताते हैं कि मेरी मां को रेणु का स्वभाव बहुत पसंद आया। रेणु भी कहती हैं, ‘मेरी सास कहती थीं कि यह दूसरे घर से आई है। इसे हमारे घर में अलग महसूस नहीं होना चाहिए।’
शाहनवाज हुसैन आज BJP के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। रेणु दिल्ली के सरकारी स्कूल में टीचर हैं। रेणु एक कवयित्री भी हैं, जिनके देश भर में कई कार्यक्रम होते हैं। शाहनवाज और रेणु के दो बेटे और एक बेटी हैं।

दोनों बेटों अरबाज, अदीब और बेटी अदीरा के साथ शाहनवाज हुसैन।
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद शाहनवाज ने बिहार की राजनीति का रुख किया। 2021 में बिहार विधान परिषद के सदस्य चुने गए और नीतीश सरकार में करीब डेढ़ साल तक मंत्री भी रहे। विधानसभा चुनाव के लिए अभी तक पार्टी ने उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी है।
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दैनिक भास्कर की इलेक्शन सीरीज ‘लव स्टोरी’ के दूसरे एपिसोड में कल यानी 6 सितंबर को पढ़िए कहानी बिहार के सीएम नीतीश कुमार और उनकी पत्नी मंजू सिन्हा की…
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