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जायसवाल ब्रदर्स का गांजा साम्राज्य, पुलिस और आबकारी विभाग की मिलीभगत से फल-फूल रहा अवैध धंधा!

पूर्व एसपी दिनेश सिंह ने ध्वस्त किया था जायसवाल गैंग का नशीला बिजनेस-आरोपियों ने फिर से फैलाये पैर…

वायरल वीडियो में इनका करिंदा ही अपनी दुकानें बता रहा है-सत्ता का मिल रहा भरपूर संरक्षण -तभी तो बेंच रहे खुलेआम गांजा

पत्रकार राघवेन्द्र मिश्रा
शाहजहांपुर।उत्तर प्रदेश में नशे का जहर फैलाने वाला बाराबंकी का मशहूर जायसवाल ब्रदर्स गैंग इन दिनों फिर चर्चा में है। दिनेश जायसवाल और रितेश जायसवाल सहित मुकेश जायसवाल नने भांग की दुकानों की आड़ में चिप्पड़ वाले गांजा का अवैध कारोबार पूरे प्रदेश में फैला रखा है। ट्रेनों के जरिए गांजा की तस्करी,नवयुवकों अजर अनपढ़ों को इस काम की कमान सौंपी है पुलिस और आबकारी अधिकारियों की कथित मिलीभगत, और सत्ता के कुछ नेताओं का संरक्षण – ये सब इस गैंग को बुलंदियों पर ले जा रहा है। सवाल ये है कि सैकड़ों मुकदमों के बाद भी क्यों नहीं लग रहा गैंगस्टर एक्ट? क्यों नहीं चला बुलडोजर? तत्कालीन पुलिस अधीक्षक दिनेश सिंह ने एक बार जोरदार कार्यवाही कर इन माफियाओं पर कानून का डंडा चलाया था लेकिन उनके जाने के बाद इन नशा माफियाओं ने पुलिस और आबकारी से साठ गांठ कर गाँजा का अवैध व्यापार जिले में फिर शुरू कर दिया है।

**20-22 दुकानों का जाल, सिर्फ 5 से 7 का ठेका!**
जिले में भांग की सिर्फ 5 से 7 दुकानों का ठेका है, लेकिन जायसवाल ब्रदर्स की आड़ में 20-22 दुकानें धड़ल्ले से चल रही हैं। शहर में 10 दुकानें, , रामनगर, रामसनेही घाट बॉर्डर, जिला अस्पताल और हैदरगढ़ सहित जिले के – हर कोने में ये गैंग गांजा बेच रहा है। झारखंड और नेपाल से 4000 से 5,000 रुपये प्रति किलो की दर से गांजा लाकर, एक किलो से 400 पुड़िया बनाकर 150-500 रुपये में बेचा जा रहा है। ये करोड़ों का खेल है, जिसमें सत्ता और अधिकारियों का संरक्षण शामिल है।

**पुलिस की मेहरबानी, गैंगस्टर एक्ट का इंतजार!**
पिछले एसपी दिनेश सिंह ने जायसवाल ब्रदर्स का नेटवर्क ध्वस्त कर उन्हें जेल भेजा था। लेकिन रसूख और पैसे की ताकत से ये भाई फिर बाहर आए और सत्ता के युवा नेताओं, एक पुलिस और आबकारी विभाग को सेट कर नया नेटवर्क बनाया। सूत्रों के मुताबिक, आला अधिकारियों को भांग की दुकानों का बहाना बनाकर गुमराह किया जा रहा है, और स्थानीय पुलिस को सेट कर लिया गया है। जायसवाल ब्रदर्स का गैंग बाराबंकी के साथ साथ प्रदेश के कई जनपदों जैसे रायबरेली, बरेली,गोंडा, सीतापुर सहित शाहजहांपुर में संचालित हैं इस गैंग के कई सदस्यों पर दर्जनों से अधिकांश NDPS सहित 302 जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज होने के बावजूद गैंगस्टर एक्ट नहीं लगा, और तो और इनकी नशें की दुकानें बेरोकटोक चल रही हैं।

**गैंग का संचालन: अमरपाल और मनीष कुमार का खेल**
शाहजहांपुर में गैंग का काम रौजा का अमरपाल संभाल रहा है, जबकि बाराबंकी का मनीष कुमार मुनीम है। शाहजहांपुर इनका ऑफिस गोकुल शाम कॉलोनी में है। पहले मनोज शुक्ला इस धंधे को देखता था, लेकिन जेल जाने के बाद गैंग ने उसकी मदद तक नहीं की, जबकि सिर्फ 2 लाख रुपये में उसकी सजा बच सकती थी। और बाराबंकी में इनका काम फैज़ाबाद बार्डर के भेलसर और जनपद की तहसील रामनगर से संचालित किया जा रहा है ये गैंग बाराबंकी, लखन-ऊ, सीतापुर, हरदोई,फैज़ाबाद बरेली समेत कई जिलों में सक्रिय है, और ट्रेन रूट्स को टारगेट कर गांजा सप्लाई करता है।

*2020 में बेनकाब, फिर भी बेल!*
सन 2020 में शाहजहांपुर पुलिस ने रितेश जायसवाल को सरगना बताते हुए उसके दर्जनों साथियों को डेढ़ कुंतल गांजा और 15 कुंतल भांग के साथ पकड़ा था। तभी तत्कालीन एसपी रहे दिनेश सिंह ने भी अपना हंटर इन माफियाओं पर चलाया और ताबड़तोड़ छापा मारी कर मुकेश जायसवाल सहित कइयों को जेल भेजा था लेकिन रसूख और चांदी के जूते की दम पर ये बाहर आए और कारोबार को और फैलाया।

 

**क्या युवाओं का भविष्य बर्बाद करेगा ये गैंग?*
जायसवाल ब्रदर्स का ये काला कारोबार सिर्फ पैसा कमाने का जरिया नहीं, बल्कि युवाओं को नशे की गर्त में धकेलने की साजिश है। सवाल उठता है – क्या पुलिस और सरकार अब सख्ती दिखाएगी? क्या गैंगस्टर एक्ट और बुलडोजर का इंतजार खत्म होगा?
फिलहाल वायरल वीडियो में इनका करिंदा ही अपनी दुकानें बता रहा है।अब देखना यह होगा कि पुलिस क्या कार्यवाही करेगी।

 

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