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मनरेगा में फर्जीवाड़े की फैक्ट्री! हैदरगढ़ ब्लॉक में खुलेआम गरीबों का हक लूटा जा रहा है?! BDO संजीव गुप्ता की चुप्पी संदेह के घेरे में, क्या भ्रष्टाचार में भी साझेदारी करते हैं BDO हैं?

राघवेन्द्र मिश्रा (एडिटर)नारद संवाद न्यूज़

बाराबंकी | हैदरगढ़
हैदरगढ़ ब्लॉक की ग्राम पंचायत अंसारी में मनरेगा योजना को मजाक बना दिया गया है। सरकारी रिकॉर्ड में हाजिरी, लेकिन मैदान में मजदूर नहीं! यह कहानी अब आम होती जा रही है, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि खंड विकास अधिकारी संजीव गुप्ता सबकुछ जानते हुए भी “शवासन” की मुद्रा में हैं। आखिर क्यों नहीं हो रही कार्रवाई? क्या भ्रष्टाचार की मलाई ऊपर तक जा रही है? मास्टर रोल में जमकर खेल – फोटो और हाजिरी में जबरदस्त फर्क!ग्राम पंचायत अंसारी में मास्टर रोल 2294 में (8 जुलाई)को 10 मजदूरों की हाजिरी, 5 अनुपस्थित, बाक़ी में 2 पुरुष, 3 महिलाएं। लेकिन NMMS फोटो में 1 पुरुष, 4 महिलाएं! किसकी उपस्थिति दर्ज? किसकी तस्वीर? क्या मेट रंजना सब खुद कर रही है या किसी के इशारे पर?


मास्टर रोल 2296 और 2297 में भी लेबर और फोटो का मेल नहीं। कभी महिलाओं के नाम पर पुरुष काम करते दिखते हैं, तो कभी पुरुषों की जगह महिलाओं की तस्वीरें डाल दी जाती हैं। NMMS पोर्टल पर ये फर्जीवाड़ा बिना मिलीभगत के संभव नहीं! इतना ही नही बल्कि मनरेगा में कमीशन खोरी के चलते कार्यवाही के नाम पर सब शून्य ही बचता है।

 

10% कमीशन दो, वर्ना पेमेंट रोको – यही है हैदरगढ़ का नया नियम!

गुप्त सूत्र बताते हैं कि मनरेगा में काम कराने के बाद खंड विकास अधिकारी प्रधानों से 10% कमीशन की मांग की जाती है यह जानकारी सूत्रों से मिली है अब आप खुद सोचिए कि काम करने के बावजूद मजदूरों को पेमेंट के रोंक दिए जाते हैं ऐसी क्या कमी रह जाती है, बो है सिर्फ कमीशन खोरी , क्योंकि उनसे खुलेआम 10% कमीशन मांगा जाता है। जो देने से इंकार करता है, उसका हक “फाइल में फंसा दिया जाता है”। यही बो बजह है कि हैदरगढ़ के खंड विकास अधिकारी संजीव कुमार गुप्ता कार्यवाही करने से नकार जाते हैं और मनरेगा भुगतान रोक कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। ये पूरा खेल मेट, ग्राम प्रधान, टेक्निकल असिस्टेंट, एपीओ और खुद बीडीओ तक फैला हुआ लगता है। दरअसल BDO की खामोशी और कार्यवाही न होने की सहमति से अब भ्रस्टाचार करने वालों के रौब अलग ही दिखते हैं फिलहाल समाचार प्रकाशित होने के बाद मनरेगा की हाजिरी में 50% से अधिक गिरावट देखने को मिली है।
समाचारों में कई बार इन फर्जीवाड़ों का भंडाफोड़ हुआ, लेकिन B.D.O. संजीव गुप्ता टस से मस नहीं हुए।
क्या इतनी मोटी चमड़ी हो चुकी है कि शिकायत, फोटो, रिपोर्ट – कुछ भी असर नहीं करता? या फिर अधिकारी स्वयं इस भ्रष्ट व्यवस्था की रीढ़ बन चुके हैं?
अब जनता पूछ रही है: क्या जिले के उच्चाधिकारियों को भी सच्चाई नहीं दिखती?डीसी मनरेगा को शिकायतें भेजी गई हैं।अब जनता जानना चाहती है –
“क्या कार्रवाई होगी या फिर भ्रष्टाचार का यह नाला यूं ही बहता रहेगा?”
अगर अब भी चुप्पी रही, तो यह साफ संदेश जाएगा कि – गरीबों के खून और पसीने से सना हुआ मनरेगा अब ‘मुनाफे का मंच’ बन गया है
फिलहाल जनता और जनप्रतिनिधियों की मांग है कि भ्रस्टाचार को संरक्षण देने वाले “BDO को हटाओ, जांच बिठाओ – गरीबों का हक दिलाओ!”

 

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