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Rajasthan Bhilwara Bhatti Gangrape; 14-Year-Old Minor Girl | True Crime | मैंने दो बार रेप किया, छोटे भाई ने एक बार: लड़की बेहोश हुई तो बीवी बोली- इसे भट्ठी में डाल दो; भीलवाड़ा भट्ठी केस, पार्ट-2


राजस्थान के भीलवाड़ा जिले का नरसिंहपुरा गांव। शाम के 4 बज रहे थे। सुनसान खेत में 2 लड़के एक लड़की को टांगों से घसीटते हुए ले जा रहे थे। उसके शरीर के निचले हिस्से में कोई कपड़ा नहीं था। शरीर से खून रिस रहा था। खेत के किनारे पर लकड़ी से कोयला बनाने वाल

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इन लड़कों साथ एक औरत भी थी। 3 घंटे बाद भट्ठी से लाश निकाली और फावड़े से 20 टुकड़े कर डाले। लाश के टुकड़ों को बोरी में भरा और नहर में ले जाकर बहा दिया। रात एक बजे लड़की की मां और चचेरा भाई भट्ठी के पास पहुंचे, उन्हें चांदी का कड़ा और अधजला हाथ मिला।

दैनिक भास्कर की सीरीज ‘मृत्युदंड’ में भीलवाड़ा भट्ठी केस के पार्ट-1 में इतनी कहानी तो आप जान ही चुके हैं। आज पार्ट-2 में आगे की कहानी…

2 अगस्त 2023, रात 2 बजे, बदहवासी में चीखती हुई लड़की की मां, अपने भतीजे के साथ प्रधान के घर पहुंची। उसकी आवाज सुनते ही हड़बड़ाकर प्रधान ने जैसे ही दरवाजा खोला, महिला बोली पड़ी- ‘प्रधानजी, किसी ने मेरी बेटी को भट्ठी में जला दिया।

प्रधान ने कहा- ‘मैं अभी पुलिस को फोन करता हूं।’

प्रधान ने मोबाइल निकाला और कुछ नंबर डायल किया। सर… ‘नरसिंहपुरा गांव में एक लड़की को भट्ठी में जला दिया है। हाथ का टुकड़ा मिला है। उसकी मां दहाड़ मारकर रो रही है। जल्दी आइए।’

अगले दिन सुबह पुलिस भट्ठी के पास पहुंची। पीछे-पीछे गांव वालों की भीड़ भी पहुंच गई। कुल 5 भट्ठियां थीं, जिनमें से 4 बंद। एक का दरवाजा खुला था। भट्टी में पानी डाला हुआ था, लेकिन उसकी दीवारें अब भी गर्म थीं।

सामने खाली पड़े खेतों में कुछ तंबू गड़े थे। DSP श्याम सुंदर इस केस की जांच कर रहे थे।

इसी भट्ठी में लड़की को जलाया गया था। पुलिस ने भट्ठी सील की और राख निकालकर जांच शुरू कर दी। राख को छानने में करीब 6 घंटे लगे थे।

इसी भट्ठी में लड़की को जलाया गया था। पुलिस ने भट्ठी सील की और राख निकालकर जांच शुरू कर दी। राख को छानने में करीब 6 घंटे लगे थे।

DSP श्याम सुंदर ने कड़क आवाज में पूछा, ‘ये तंबू किसके हैं?’

‘कालबेलियों का। 9 लोगों का परिवार रहता है।’ भीड़ से जवाब आया।

‘ये जल रही भट्ठी किसकी है?’ संजय की है साहब, तंबू के पास खड़े कालू ने कहा।

DSP श्याम सुंदर- ‘कल रात में किसी ने भट्ठी में जलती हुई लाश देखी क्या?’

‘जी सरकार’, भीड़ में खड़ा महावीर बोला।

दरअसल, महावीर उस लड़की का चचेरा भाई था, जिसे दो लड़कों ने भट्ठी में जला दिया था। वह महाराष्ट्र के नासिक में केटरिंग का काम करता था। कुछ महीने पहले गांव आया था।

DSP- ‘तुमने भट्ठी में क्या देखा?’

महावीर- ‘रात एक बजे मैं काकी के साथ यहां आया था। भट्ठी जल रही थी। जब मैंने डंडे से आग को टटोला तो, कड़ा और जला हुआ हाथ मिला।’

महावीर ने DSP को कड़ा और अधजला हाथ भी दिखाया।

DSP श्याम सुंदर ने पूछा- ‘तुम कैसे कह सकते हो कि ये हाथ और कड़ा तेरी बहन का ही है।’

महावीर बोला- ‘महीने भर पहले ये कड़ा मैंने बहन को दिया था।’

भट्ठी से पुलिस को लड़की का कड़ा, हाथ का टुकड़ा और कुछ हड्डियां मिली थीं।

भट्ठी से पुलिस को लड़की का कड़ा, हाथ का टुकड़ा और कुछ हड्डियां मिली थीं।

इसके बाद DSP श्याम सुंदर, महावीर के घर पहुंचे। महावीर की काकी ने पुलिस को बताना शुरू किया- ‘मेरी बेटी नेहा 17 साल की थी। एकदम गोरी। साढ़े पांच फीट की थी वो। लोग कहते थे कि तुम्हारी बिटिया हीरोइन जैसी लगती है।

कल दोपहर की बात है। उसके पापा को रिश्तेदारी में जाना था। मैंने बेटी से कहा कि आज वो बकरियां लेकर खेत में चली जाए। उसके पापा उसे खेत तक छोड़कर लौट आए और खुद रिश्तेदारी में चले गए।

शाम के 6 बजे तक बेटी नहीं लौटी तो हमें चिंता होने लगी। फिर सोचा कि आ जाएगी थोड़ी देर में। 6 बजने के बाद भी वो नहीं लौटी, तो मैं महावीर के साथ उसे ढूंढने निकल गई। हम लोग खेत की तरफ जा रहे थे। रास्ते में तंबू में रहने वाला कालू मिला। उसके साथ एक और लड़का था। दोनों बकरियां लेकर आ रहे थे।

मैं पहचान गई कि ये बकरियां तो हमारी हैं। मैंने उन लड़कों से पूछा- ‘नेहा कहां है? ये बकरियां कहां मिलीं?’ कालू ने बताया- नेहा कहां है, मुझे नहीं पता। तंबू के पास बकरियां भटक रही थीं। मुझे लगा कि गांव वालों की हैं, तो उन्हें देने जा रहा था।

काफी देर तक हम खेत में और भट्ठियों के आसपास नेहा को तलाशते रहे, आवाज लगाते रहे, फिर थक हारकर घर आ गए। मैंने नेहा के पापा से कहा कि थाने में जाकर रिपोर्ट लिखवा दो। कुछ देर बाद वे थाने जाने के लिए घर से निकलने ही वाले थे, लेकिन मैंने उन्हें रोक दिया। मैंने कहा- एक बार फिर से खेत चलकर देख लेते हैं। हो सकता है नेहा रास्ता भटककर किसी दूसरे गांव चली गई हो।

रात के एक बज चुके थे। हम खेत पहुंचे तो देखा कि सभी भट्ठियां बंद थीं, लेकिन एक दरवाजा खुला हुआ था। आग जल रही थी। करीब पहुंची, तो मांस जलने जैसी बदबू आ रही थी।

महावीर ने डंडे से भट्ठी की राख को टटोलना शुरू किया, तो उसमें चांदी का कड़ा और अधजला हाथ मिला। कड़ा देखते ही मैं पहचान गई कि ये तो मेरी बेटी का ही है।’

DSP श्याम सुंदर के सामने बयान देती हुईं लड़की मां। स्केच-संदीप पाल

DSP श्याम सुंदर के सामने बयान देती हुईं लड़की मां। स्केच-संदीप पाल

लड़की की मां का बयान दर्ज करने के बाद DSP फिर से भट्ठी के लिए निकल पड़े। एक तंबू के बाहर खड़ा कालू ने जैसे ही DSP को अपनी तरफ आते देखा, घबरा सा गया। भागना चाहा, लेकिन DSP श्याम सुंदर ने उसे दबोच लिया। इसी बीच पुलिस की टीम ने खेत को चारों तरफ से घेर लिया।

कालू, उसका भाई कान्हा, उसकी पत्नी लाड देवी और संजय समेत 9 लोग हिरासत में लिए गए। पुलिस इन्हें लेकर थाने के लिए निकल पड़ी। पीछे-पीछे गांव वाले भी थाने पहुंच गए। नरसिंहपुरा गांव में करीब 700 गुर्जर परिवार रहते थे।

थाने में DSP श्याम सुंदर ने संजय से पूछा- ‘लड़की कहां है? तेरी भट्ठी में मिला अधजला हाथ और कड़ा किसका है?

संजय रोते हुए बोला, ‘मुझे लड़की के बारे में कुछ नहीं पता साहब। मैं तो रिश्तेदारी में गया था।’

तेरी भट्टी में लाश के टुकड़े कैसे मिले? इंस्पेक्टर ने सख्ती से पूछा।

संजय बोला- ‘मुझे नहीं पता साहब।’

DSP श्याम सुंदर ने थोड़ी और सख्ती दिखाई। संजय टूट गया। बोला- ‘2 अगस्त की शाम मुझे कालू ने फोन किया। मैं भागा-भागा गांव आया। सीधे भट्ठी के पास पहुंचा। देखा कि उसमें लाश जल रही है। कालू कहने लगा कि ये जलकर राख नहीं बन पा रही, अब इसे ठिकाने लगाना पड़ेगा।’

इसके बाद श्याम सुंदर ने कालू और कान्हा से पूछताछ करनी शुरू की। करीब 24 घंटे की कड़ी पूछताछ के बाद कालू ने बताया- ‘साहेब लड़की मर गई थी। तो हमने उसकी लाश भट्ठी में डाल दी।’

थाने में कालू से पूछताछ करते हुए DSP श्याम सुंदर। स्केच-संदीप पाल

थाने में कालू से पूछताछ करते हुए DSP श्याम सुंदर। स्केच-संदीप पाल

लड़की मरी कैसे?

कालू बोला, ‘कान्हा ने उसके सिर जोर से डंडा मार दिया। वह मर गई।’

क्यों मारा लड़की को?

लगभग कांपते हुए कालू बोला- ‘रोज बकरी चराने नेहा के पापा आते थे। उस रोज नेहा भी उनके साथ थी। उन्होंने मुझसे कहा- ‘मैं रिश्तेदारी में जा रहा। तुम नेहा का ध्यान रखना।’

उनके जाने के बाद नेहा को देखकर मेरी नीयत खराब होने लगी। मैंने अपने भाई कान्हा से कहा कि छाछ लाने गांव में जा रहा हूं। मैं सीधे नेहा के घर चला गया। आवाज लगाई तो उसकी मां बाहर आईं। मैंने कहा काकी छाछ दे दो। फिर पूछा कि काका रिश्तेदारी में चले गए क्या। काकी ने बताया कि हां वो चले गए। मैं छाछ लेकर खेत लौट आया।

मुझे पता चल गया था कि नेहा अकेली है। मैंने दौड़कर उसे पकड़ना चाहा, तो वो भागने लगी। फिर लड़-खड़ाकर गिर गई। मैंने दुपट्टे से उसका मुंह बांध दिया और खेत के किनारे ले गया। वहां मैंने उसके साथ रेप करने लगा। कुछ ही देर में कान्हा वहां आ गया। उसने मुझे हटाया और खुद नेहा के साथ रेप करने लगा। मैं खड़े होकर देखता रहा कि कोई आ तो नहीं रहा। लड़की बेहोश सी हो गई थी। इसके बाद मैंने फिर उसका रेप किया।

मैंने लड़की को धमकाते हुए कहा- ‘चुपचाप घर चली जा, किसी से कुछ कहा तो जान से मार देंगे। लेकिन वो मान ही नहीं रही थी। वो एक ही बात रट रही थी कि पापा से बताएगी। समझ नहीं आ रहा था क्या करूं। वह जैसे भी भागने लगी, कान्हा ने उसके सिर पर डंडा मार दिया। वह गिर पड़ी। हम उसे घसीटकर तंबू में ले गए। मेरी बीवी लड़की देखते ही डर गई। कहने लगी कि ये तो मर गई है। क्यों मारा इसे।

मैंने उसे डांटते हुए कहा- ये सब पूछने का टाइम नहीं है। जल्द ठिकाने लगाना है। बता क्या करें।’ बीवी बोली- इसे भट्ठी में डाल दो। इसके बाद मैंने, कान्हा और मेरी बीवी के साथ मिलकर लड़की को भट्ठी में डाल दिया। पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी।’

DSP श्याम सुंदर ने सख्ती अपनाई तो कालू टूट गया। कालू ने कबूल कर लिया कि उसने लड़की से रेप किया था। स्केच-संदीप पाल

DSP श्याम सुंदर ने सख्ती अपनाई तो कालू टूट गया। कालू ने कबूल कर लिया कि उसने लड़की से रेप किया था। स्केच-संदीप पाल

लाश को जलाने के बाद क्या किया?

कालू बोला- ‘पूरी बॉडी तो भट्ठी में ही जल गई।’

इधर, फोरेंसिक टीम ने जब भट्ठी वाली राख की जांच की, तो पता चला कि खोपड़ी, आंख, दांत सब गायब है। भट्ठी के बाहर मिले फावड़े पर लगे खून और मांस के टुकड़े का सैंपल, राख में मिलीं हड्डियों के सैंपल से मैच कर गया।

इंस्पेक्टर श्याम सुंदर सोचने लगे कि कहीं इन लोगों ने लाश के टुकड़े-टुकड़े तो नहीं किए। वे कालू और कान्हा को लेकर भट्ठी के पास पहुंचे। इस बार इंस्पेक्टर ने कान्हा से पूछताछ शुरू की।

‘लड़की की लाश कहां गई?’

कान्हा- ‘भट्ठी में जल गई।’

DSP श्याम सुंदर ने कान्हा को पीछे से दो हंटर मारे।

कान्हा बोल पड़ा- ‘साहब…लड़की मर चुकी थी। तीन घंटे बाद हमने देखा कि लाश पूरी तरह जली नहीं है। हम सोचने लगे कि कोई आ गया तो जलती हुई लड़की को देख लेगा। हमने फावड़े से लाश के टुकड़े-टुकड़े किए और बोरी में भरकर नहर में बहा दिया।’

DSP ने दोनों को जीप में बिठाया और थोड़ी ही देर में नहर के पास पहुंच गए। थोड़ा ढूंढने पर बोरी मिल गई। उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा दिया गया।

अगले दिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पता चला कि यह लाश तो अधूरी है। कई अंग गायब हैं। DSP सोच में पड़ गए कि बाकी टुकड़े कहां गए?

पोस्टमार्टम टीम ने जब बोरी खोली तो उसे लाश के टुकड़े मिले।

पोस्टमार्टम टीम ने जब बोरी खोली तो उसे लाश के टुकड़े मिले।

क्या वाकई में दोनों भाइयों ने बारी-बारी रेप किया था, या ये पुलिस की गढ़ी हुई कहानी थी। अब न तो लड़की जिंदा बची थी और ना ही उसकी पूरी लाश मिली थी। कोई चश्मदीद गवाह भी नहीं था। पुलिस कोर्ट में कैसे साबित करेगी कि लड़की का रेप हुआ है…कल यानी रविवार को भीलवाड़ा भट्ठी कांड के पार्ट-3 में पढ़िए…

कालू और कान्हा ने भले ही जुर्म कबूल लिया था, पर बिना चश्मदीद गवाह के पुलिस साबित कैसे करेगी

आरोपियों के जुर्म कबूल करने के बाद भी पुलिस के सामने 4 चुनौतियां थीं: पहली- लाश के पूरे टुकड़े जुटाना और साबित करना कि लाश इंसान की ही है। दूसरी- लड़की के साथ गैंगरेप किया गया है। तीसरी- कालू और कान्हा ने ही लड़की साथ गैंगरेप किया है। चौथी- भट्ठी में जलने से पहले लड़की जिंदा थी। पुलिस ने आखिर कैसे दिलाई दोषियों को सजा… पूरी कहानी भीलवाड़ा भट्ठी कांड के पार्ट-3 में…



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