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Chardham Yatra 2025 Crowd Prediction; Kedarnath | Badrinath Temple | गंगोत्री-यमुनोत्री के पट खुले, श्रद्धालु बोले- आने में डर लगा: लोगों में पहलगाम हमले का गुस्सा, साधु बोले- मोदीजी पाकिस्तान पर हमला करें


‘मोदी जी के नाम एक संदेश है कि वो गंगा मैया का नाम लेकर पाकिस्तान पर हमला कर दें। हिंदुस्तान जिंदाबाद, मेरा भारत महान।’

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हरिद्वार से पैदल चलकर गंगोत्री धाम पहुंचे यमराज गिरि आगे के सफर को लेकर उत्साह से भरे हैं। वो अपनी ढाई-तीन महीने की पैदल यात्रा की तैयारी के बारे में बताते हैं, लेकिन पहलगाम हमले को लेकर नाराजगी जाहिर करने से भी खुद को रोक नहीं पाते।

30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा शुरू हो गई है। यमुनोत्री धाम में पहले दिन शाम 5 बजे तक 7 हजार लोगों ने दर्शन किए। गंगोत्री धाम में मां गंगा के जयकारों के साथ यात्रा की शुरुआत हुई। यहां पहले दिन करीब 6 हजार तीर्थ यात्री पहुंचे।

उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी भी पहले दिन यमुनोत्री धाम पहुंचे। यमुना धाम के कपाट खुलने के बाद CM धामी ने तीर्थ पुरोहितों के साथ पूजा की। उन्होंने कहा- ‘चारधाम यात्रा पर आने वाले सभी तीर्थयात्रियों के लिए हमारी कोशिश है कि उन्हें कोई परेशानी न हो। उनकी यात्रा सुरक्षित हो। हम लगातार निगरानी कर रहे हैं।‘

अब 2 मई को सुबह 7 बजे केदारनाथ और 4 मई को 6 बजे बद्रीनाथ धाम के कपाट भी खुलेंगे। चारधाम यात्रा की शुरुआत कैसी रही। पहले दिन कितने श्रद्धालु पहुंचे और आने वाले दिनों में श्रद्धालु कैसे यहां तक पहुंच सकते हैं, पढ़िए पूरी खबर…

ये तस्वीर गंगोत्री धाम मंदिर की है। यहां पट खुलने से पहले ही श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो गई थी।

ये तस्वीर गंगोत्री धाम मंदिर की है। यहां पट खुलने से पहले ही श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो गई थी।

गंगोत्री-यमुनोत्री पहुंचे श्रद्धालुओं की बात… पहलगाम हमले से थोड़ा डरे थे, यहां आकर वो भी दूर हो गया सुबह 10:30 बजे मां यमुना के मायके खरसाली गांव से उनकी उत्सव डोली यमुनोत्री धाम पहुंची। ढोल-नगाड़ों की धुन के बीच मां की डोली के साथ उनके भाई शनिदेव समेश्वर देवता की डोली भी धाम पहुंची। भाई शनिदेव और यमुना जी के मायकेवालों ने उन्हें भावुक होकर विदा किया।

इस दौरान यमुनोत्री में हमारी मुलाकात हरियाणा के अंबाला से आए मयंक शर्मा से हुई। वो यात्रा को लेकर काफी उत्साहित हैं। मयंक बताते हैं, ‘उत्तराखंड में अब तक मुझे कोई परेशानी नहीं हुई।’

‘पहलगाम हमले के बाद एक बार तो मन में डर लगा था। हालांकि, मैंने यहां आकर व्यवस्था और सुरक्षा इंतजाम देखे, तब मैं निश्चिंत हो गया।’

यहां करीब 7 हजार घोड़े और खच्चर चलाने वाले श्रद्धालुओं को यात्रा करा रहे हैं। सुनील कुमार उन्हीं में से एक हैं। पहलगाम हमले के बाद यहां के माहौल के बारे में पूछने पर वे कहते हैं, ‘यहां पर कभी कुछ ऐसा होने की आशंका तो नहीं है। अगर कुछ होता भी है तो प्रशासन हमारे साथ है। यहां जगह-जगह फोर्स तैनात है।‘

वहीं खच्चर चलाने वाले धर्मेश सिंह रावत कहते हैं, ‘पहलगाम की घटना के बाद से डर तो है, लेकिन यहां सिक्योरिटी अच्छी है।’

यशपाल सिंह रावत भी खच्चर चलाते हैं। वे भी सुरक्षा इंतजामों को लेकर कहते हैं, ‘हमारी पुलिस और प्रशासन अलर्ट है। बहुत सख्ती बरती जा रही है।’

वेरिफिकेशन के बारे में पूछने पर यशपाल कहते हैं,

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इसका काम भी चल रहा है। आज ही यात्रा शुरू हुई है। जब यात्री चढ़ाई करेंगे, तब घोड़े-खच्चरों की जरूरत लगेगी।

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इधर, गंगोत्री में मिले कैलाश चंद्र मारू मध्य प्रदेश के धार जिले से आए हैं। वे कहते हैं, ‘कई अफवाहें चल रही हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच जंग हो जाएगी। चारधाम आने वाले किसी मुश्किल में न फंस जाएं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। जो भी यहां आएंगे, उन्हें एक नया अनुभव मिलेगा।’

मंदिर में QRT अलर्ट, बाहरी लोगों का वेरिफिकेशन जारी ड्यूटी पर तैनात यमुनोत्री CO सुशील रावत बताते हैं, ‘चारधाम यात्रा को लेकर यहां सुरक्षा इंतजाम चाक-चौबंद हैं। बाहरी लोगों का लगातार वेरिफिकेशन किया जा रहा है। मंदिर में QRT (क्विक रिएक्शन टीम) लगी हुई है। यहां जगह-जगह फोर्स तैनात की गई है। सभी को अलर्ट कर दिया गया है। किसी भी तरह की आशंका पर हमें तुरंत सूचना मिलेगी और एक्शन होगा।‘

चारधाम यात्रा की पहली सीढ़ी माना जाता है यमुनोत्री धाम यमुना धाम पर मंदिर को फूलों और लाइट से सजाया गया। श्रद्धालुओं ने सूर्य कुंड के गर्म पानी में स्नान कर मां यमुना की पूजा की। बीते 50 साल से यमुनोत्री धाम में पूजा-पाठ करवा रहे मुख्य पुजारी बताते हैं, ‘6 महीने तक मां यमुना अपने मायके खरसाली गांव में शीतकालीन प्रवास करती हैं।’

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इसके बाद अक्षय तृतीया के दिन वो उत्तरकाशी में अपने धाम पहुंचती हैं। जैसे ही पट खुलते हैं, चारधाम यात्रा की औपचारिक शुरुआत हो जाती है।

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‘यमुनोत्री धाम को चारधाम यात्रा की पहली सीढ़ी माना जाता है। मान्यता है कि यमराज ने अपनी बहन यमुना को 22 वचन दिए थे। उनमें से एक वचन ये भी है कि जो मनुष्य यमुनोत्री धाम आकर दर्शन करेगा, उसे यमलोक से छुटकारा मिल जाता है। उसे सूर्यलोक मिलता है।‘

यमुनोत्री तक कैसे पहुंचें… देहरादून से यमुनोत्री तक का सफर 6 घंटे का हम देहरादून से मसूरी होते हुए यमुनोत्री के लिए सुबह 10 बजे निकले। रास्ते में अच्छी सड़कें और खूबसूरत वादियों ने हमारे सफर को यादगार बना दिया। करीब 4 घंटे में हम बरकोट पहुंचे। यमुनोत्री आने वाले यात्री बरकोट में ही रात में रुकते हैं। फिर अगले दिन सुबह धाम के लिए निकलते हैं। बरकोट से यमुनोत्री की दूरी 50 किमी है।

उत्तराखंड सरकार ने चारों धामों को पक्की सड़क से जोड़ने के लिए ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसके जरिए अब श्रद्धालुओं को यमुनोत्री सहित चारों धामों तक पहुंचने में मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता। पहाड़ों के घुमावदार रास्तों से होते हुए हम 6 घंटे में देहरादून से जानकी चट्टी पहुंचे।

यमुनोत्री धाम आने वाली गाड़ियां सीधे जानकी चट्टी तक आती हैं। यहां से 5 किमी पैदल चढ़ाई कर धाम तक पहुंचा जाता है।

जानकी चट्टी से लेकर यमुनोत्री धाम का ट्रैक छोटा, लेकिन कठिन है। कुछ जगहों पर सीधी चढ़ाई है, जो यात्रियों को थका देती है। रास्ते पर जगह-जगह पानी और खाने के सामान की दुकानें हैं। यहां हर चीज महंगी है, जो ऊंचाई को देखते हुए जायज लगती है।

यमुनोत्री ट्रैक चारों तरफ से बंदरपुंछ पर्वतमाला से घिरा हुआ है। यहां धाम की तरफ पैदल चलते वक्त हिमालय की बर्फीली चोटियां और रास्ते में कई झरने हैं। यमुनोत्री का उद्गम स्थल कालिंदी पर्वत है।

यमुनोत्री के रास्ते में धधकते पहाड़ दिखे सफर में उत्तरकाशी की ओर बढ़ने पर जंगलों में आग देखने को मिली। पहाड़ों पर चलती तेज हवाओं और बढ़ती गर्मी के कारण जंगलों में आग लगने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। चारधाम यात्रा रूट पर कैंम्पटी, बरकोट और नौगांव के पास जंगलों में आग लगने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।

उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रियों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, जिसमें वो यात्रा करते वक्त अगर जंगलों में आग लगी हुई देखते हैं, तो तुरंत वन विभाग को फोन कर सकते हैं।

उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रियों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, जिसमें वो यात्रा करते वक्त अगर जंगलों में आग लगी हुई देखते हैं, तो तुरंत वन विभाग को फोन कर सकते हैं।

गंगोत्री धाम में मुखबा गांव से पहुंची उत्सव डोली गंगोत्री धाम में पट खुलने से पहले मां गंगा के शीतकालीन प्रवास भैरो घाटी में मुखबा गांव से उनकी उत्सव डोली निकली। डोली सुबह 10 बजे विधि विधान के साथ गंगोत्री धाम पहुंची। फिर पूजा-पाठ के बाद मंदिर के पट खोले गए। इसके बाद बाकी देवी-देवताओं की पालकी मंदिर परिसर में घुमाई गई। पट खुलने से पहले से मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी रही।

हम प्राइवेट टैक्सी के जरिए गंगोत्री तक पहुंचे। यहां आने के 2 रूट हैं। एक, हरिद्वार से उत्तरकाशी होते हुए गंगोत्री तक पहुंचता है। दूसरा, देहरादून, मसूरी के रास्ते गंगोत्री तक पहुंचता है।

देहरादून से गंगोत्री वाला रूट लेना ज्यादा बेहतर है। इसके जरिए 240 किमी की यात्रा में धाम तक पहुंचने में करीब 8 घंटे लगे। गाड़ी सीधे मंदिर के पास तक पहुंचाती है।

चारधाम यात्रा के पहले दिन यमुनोत्री और गंगोत्री धाम पहुंचे 13 हजार श्रद्धालु चारधाम यात्रा के पहले दिन यमुनोत्री और गंगोत्री धाम पर तकरीबन 13 हजार लोग दर्शन करने पहुंचे। उत्तराखंड सरकार के रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के कारण दोनों धामों पर सीमित संख्या में लोग पहुंचे। इससे दर्शन करने में किसी को ज्यादा परेशानी नहीं हुई।

चारधाम यात्रा शुरू करने से पहले आपको registrationandtouristcare.uk.gov.in पर रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। जो यात्री ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करा पा रहे हैं, उनके लिए उत्तराखंड सरकार ने ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू भी कर दिया है। हरिद्वार, देहरादून, ऋषिकेश, चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में 50 से ज्यादा रजिस्ट्रेशन सेंटर बनाए गए हैं। यहां यात्रा शुरू करने से पहले रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।

ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद आपका मोबाइल नंबर यात्री ट्रैकिंग सिस्टम में दर्ज हो जाएगा। इससे इमरजेंसी के वक्त तीर्थयात्रियों की ट्रैकिंग हो सकेगी। रजिस्ट्रेशन के वक्त आपको अपनी मेडिकल हिस्ट्री की डिटेल भी देनी होगी।

2 मई को केदारनाथ, 4 मई को बद्रीनाथ धाम के खुलेंगे कपाट भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को सुबह 7 बजे खुलेंगे। केदारनाथ आने के लिए चारधाम यात्री हरिद्वार और ऋषिकेश से सीधे बस ले सकते हैं। बसें सिर्फ सोनप्रयाग तक ही जाती हैं। किराया 600 से 700 रुपए है। यहां से आपको 8 किलोमीटर दूर गौरीकुंड तक आना होगा। गौरीकुंड में ठहरने और खाने की सुविधा है। यहीं से केदारनाथ धाम के लिए 20 किमी का मुश्किल ट्रैक शुरू होता है।

केदार-बद्री मंदिर समिति के अनुसार, केदारनाथ मंदिर के कपाट 2 मई को खुलेंगे, लेकिन भगवान की पंचमुखी डोली यात्रा 28 अप्रैल से ही शुरू हो जाएगी। डोली यात्रा की शुरुआत उखीमठ में ओंकारेश्वर मंदिर से होगी। यात्रा उसी दिन गुप्तकाशी में विश्वनाथ मंदिर पहुंचेगी और रात वहीं रुकेगी। अगली सुबह 29 अप्रैल को डोली यात्रा गुप्तकाशी से फाटा और 30 अप्रैल को फाटा से गौरीकुंड पहुंचेगी।

1 मई को यात्रा गौरीकुंड से जंगलछत्ती, भीमबाली, रामबाड़ा और रुद्र पॉइंट से होकर केदारनाथ धाम पहुंचेगी। 2 मई की सुबह 7 बजे केदारनाथ धाम के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे। जून से अगस्त के बीच अगर मौसम सही रहता है, तो इस बार 25 लाख से ज्यादा लोगों के केदारनाथ धाम पहुंचने का अनुमान है।

चारधाम यात्रा का आखिरी धाम बद्रीनाथ यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद आखिरी में बद्रीनाथ धाम की बारी आती है। बद्रीनाथ का रास्ता जोशीमठ से होकर गुजरता है और केदारनाथ से लौटकर जोशीमठ में रुक भी सकते हैं। बद्रीनाथ धाम चीन बॉर्डर से सिर्फ 3-4 किमी की दूरी पर है। यहां से भारत का आखिरी गांव माणा पास में ही है। आप चारधाम यात्रा पूरी करके माणा गांव भी घूमने जा सकते हैं।

बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई की सुबह 6 बजे खुलेंगे। यहां आने के लिए चारधाम यात्री हरिद्वार से सीधे जोशीमठ तक बस से सफर कर सकते हैं। किराया 800 से 900 रुपए है। जोशीमठ से 40 किलोमीटर की दूरी पर बद्रीनाथ धाम पड़ता है। बद्रीनाथ धाम के लिए हेलिकॉप्टर सुविधा भी है। ये केदार-बद्री टूर पैकेज में शामिल है, जिसका रेट 1 लाख 31 हजार रुपए है।

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चारधाम यात्रा पर ये खबर भी पढ़ें…

गंगोत्री-यमुनोत्री से केदारनाथ-बद्रीनाथ तक के बारे में सब कुछ

30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा शुरू हो गई। इस बार 50 लाख से ज्यादा यात्रियों के चारधाम पहुंचने की उम्मीद है। 2024 में हुई चारधाम यात्रा में करीब 48,11,279 लाख लोग आए थे। हमने यात्रा शुरू होने के पहले उत्तराखंड पहुंचकर चारों धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के रूट देखे और आपके लिए एक टूरिस्ट फ्रेंडली चारधाम यात्रा गाइड और रूट मैप बनाया है। पढ़िए पूरी खबर…



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