राघवेन्द्र मिश्रा-एडिटर
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सीतापुर एसपी चक्रेश मिश्रा द्वारा किए गए खुलासे में दी गई जानकारी के मुताबिक महोली के पास एक कारेदेव का मंदिर है जहां मन्दिर पर रहने वाले पुजारी विकास राठौर उर्फ शिवानंद बाबा जोकि अपना नाम बदलकर विकास मिश्रा उर्फ शिवानंद बाबा के नाम से वहां रह रहा मंदिर पर पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई का आना-जाना था, इसी दौरान घटना से पूर्व फरवरी माह में एक दिन पत्रकार राघवेन्द्र वाजपेई ने विकास राठौड़ उर्फ शिवानंद बाबा को एक नाबालिग बच्चे का कुकर्म करते हुए देख लिया था.पत्रकार ने जब उपरोक्त विकास राठौड़ उर्फ शिवानंद बाबा की कारगुजारियां सबके सामने लाने की बात कही तो पुजारी ने अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखने के लिए मर्डर की प्लानिंग बनाई। और उसने भाड़े के शूटरों को 4 लाख रुपए देकर पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की हत्या करा दी.इस केस में विकास राठौर उर्फ शिवानंद बाबा,निर्मल सिंह और असलम गाजी को गिरफ्तार किया गया है, जबकि दो अन्य शूटर अभी भी पुलिस की पहुंच से दूर बताए जा रहे हैं।पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई द्वारा जो खबरें छापी जा रही थी,उनके मुताबिक बहुत बड़े घोटाले का पर्दाफाश होने वाला था. इसी दौरान दिनदहाड़े गोलियों से भून कर उनकी हत्या कर दी गई. सवाल यह उठता है कि खुलासे में जो कहानी रची गई है क्या वह सही है? या फिर घोटाले में फंस रहे खद्दर धारी और अधिकारियों को बचाने के लिए यह कहानी रची गई है। फिलहाल तो पुलिस ने हत्या का खुलासा करते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया है.वही छोटी छोटी घटनाओं पर भारी भर का मुआवजा देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई के परिवार के आंसू पहुंचना भी उचित नहीं समझा आज तक पत्रकार की विधवा पत्नी और बच्चों के लिए मुआवजा राशि का ऐलान नहीं किया गया है. अब पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई के नहीं रहने पर उनकी विधवा पत्नी और बच्चे दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर होंगे, क्या यह सरकार और उनके संस्थान को दिखाई नहीं देता।
कुकर्म की खबर न छपे,इसलिए पुजारी ने दैनिक जागरण के पत्रकार की कराई थी हत्या..
यूपी के जनपद सीतापुर में 8 मार्च को हुई पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की हत्या का पुलिस ने लगभग एक माह बाद आज खुलासा किया है,
सीतापुर एसपी चक्रेश मिश्रा द्वारा किए गए खुलासे में दी गई जानकारी के मुताबिक महोली के पास एक कारेदेव का मंदिर है जहां मन्दिर पर रहने वाले पुजारी विकास राठौर उर्फ शिवानंद बाबा जोकि अपना नाम बदलकर विकास मिश्रा उर्फ शिवानंद बाबा के नाम से वहां रह रहा मंदिर पर पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई का आना-जाना था, इसी दौरान घटना से पूर्व फरवरी माह में एक दिन पत्रकार राघवेन्द्र वाजपेई ने विकास राठौड़ उर्फ शिवानंद बाबा को एक नाबालिग बच्चे का कुकर्म करते हुए देख लिया था.
पत्रकार ने जब उपरोक्त विकास राठौड़ उर्फ शिवानंद बाबा की कारगुजारियां सबके सामने लाने की बात कही तो पुजारी ने अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखने के लिए मर्डर की प्लानिंग बनाई। और उसने भाड़े के शूटरों को 4 लाख रुपए देकर पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की हत्या करा दी.इस केस में विकास राठौर उर्फ शिवानंद बाबा,निर्मल सिंह और असलम गाजी को गिरफ्तार किया गया है, जबकि दो अन्य शूटर अभी भी पुलिस की पहुंच से दूर बताए जा रहे हैं।
पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई द्वारा जो खबरें छापी जा रही थी,उनके मुताबिक बहुत बड़े घोटाले का पर्दाफाश होने वाला था. इसी दौरान दिनदहाड़े गोलियों से भून कर उनकी हत्या कर दी गई. सवाल यह उठता है कि खुलासे में जो कहानी रची गई है क्या वह सही है? या फिर घोटाले में फंस रहे खद्दर धारी और अधिकारियों को बचाने के लिए यह कहानी रची गई है। फिलहाल तो पुलिस ने हत्या का खुलासा करते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया है.
वही छोटी छोटी घटनाओं पर भारी भर का मुआवजा देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई के परिवार के आंसू पहुंचना भी उचित नहीं समझा आज तक पत्रकार की विधवा पत्नी और बच्चों के लिए मुआवजा राशि का ऐलान नहीं किया गया है. अब पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई के नहीं रहने पर उनकी विधवा पत्नी और बच्चे दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर होंगे, क्या यह सरकार और उनके संस्थान को दिखाई नहीं देता।