रिपोर्ट/रिशु गुप्ता
रामसनेहीघाट (बाराबंकी)। नगर पंचायत रामसनेही घाट के सुमेरगंज में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथा वाचिका आचार्या शांति श्रेया जी ने भगवान श्रीराम के राजतिलक प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन करते हुए बताया कि अयोध्या नगरी उस समय आनंदमय वातावरण में डूबी हुई थी। हर ओर उल्लास का माहौल था, क्योंकि प्रभु श्रीराम के राजतिलक की तैयारियाँ चल रही थीं।
उन्होंने आगे कहा कि उसी समय कैकेई और महाराज दशरथ के बीच हुए संवाद ने अयोध्या के सुख को शोक में बदल दिया। कैकेई ने अपने दो वरदानों की मांग कर भगवान श्रीराम को वनवास और भरत को राज्य सौंपने का आदेश दिलाया। यह प्रसंग बताता है कि मोह और माया कैसे मनुष्य की बुद्धि को विचलित कर देती है।
आचार्या जी ने कहा कि श्रीराम ने बिना किसी विरोध के पिता के वचन को सर्वोपरि मानकर वनवास स्वीकार किया, जिससे आज भी पूरी मानवता को कर्तव्य और मर्यादा का संदेश मिलता है।कथा के दौरान भक्त ‘जय श्रीराम’ के जयघोष से भावविभोर हो उठे। आचार्या जी के भक्ति रस से ओतप्रोत वचनों ने वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया।कार्यक्रम के आयोजक प्रमोद कुमार गुप्ता ‘मुन्ना’ ने बताया कि श्रीराम कथा का उद्देश्य समाज में धर्म, संस्कार और आदर्शों की पुनर्स्थापना करना है। कथा प्रतिदिन सायंकाल आयोजित की जा रही है।
जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हो रहे हैं।































