मेरा नाम राहुल राजपूत है। मैं मेरठ में रहता हूं। मैं उसी सौरभ का भाई हूं, जिसकी लाश एक नीले ड्रम के अंदर 4 टुकड़ों में मिली थी। उसकी बीवी मुस्कान ने उसे मार दिया। सौरभ जब आखिरी बार लंदन जा रहा था, शायद तभी उसे अंदाजा हो गया था। उसने जाने से पहले पूछा
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भाई की ये बातें सुनकर मैं कुछ देर सोचता रहा कि आखिर ऐसा क्यों कह रहा है। फिर मैंने उसे जवाब दिया कि चिंता मत कर, मैं हूं ना। मैं पीहू का ध्यान रखूंगा। काश मैं उस वक्त कुछ समझ पाता, तो शायद आज भाई जिंदा होता। भाई के जाने के बाद से घर में सबकी हालत इतनी खराब है कि सभी नींद की गोली खाकर सोते हैं। आंखें बंद करो तो भाई का हंसता-मुस्कुराता चेहरा नजर आ जाता है। वो लड़की मेरे भाई को खा गई। उसने बेरहमी से भाई के टुकड़े कर दिए।

सौरभ की पत्नी मुस्कान ने 3 मार्च को साहिल के साथ मिलकर सौरभ का मर्डर कर दिया था।
हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि सौरभ की बेटी पीहू हमारे साथ रहे। अब हम उसकी देखभाल करेंगे। हमें डर है कि अगर पीहू वहां रही तो अपनी मां मुस्कान जैसी हो जाएगी। इसलिए हम उसे अपने साथ ही रखना चाहते हैं। हमें समझ में नहीं आ रहा है कि मुस्कान ने ये सब क्यों किया, सौरभ तो एक साल पहले तलाक की अर्जी दे चुका था। कोर्ट में दूसरी सुनवाई पेंडिंग थी।
सौरभ जब लंदन से लौटा उसके दो दिन पहले ही उसने हम सबको वीडियो कॉल किया था। बहुत खुश था। मेरे बच्चों के लिए भी गिफ्ट लेकर आया। एक बेटे के लिए कपड़े लाया और दूसरे के लिए इलेक्ट्रॉनिक कार और जूते लाया। इंडिया आया तो सबसे पहले मुस्कान के पास ही गया था। हमसे मिलने दो दिन बाद आया। हमने उसे मुस्कान के पास जाने से मना किया था, लेकिन वह नहीं माना।

राहुल कहते हैं कि सौरभ अपनी पत्नी मुस्कान से तलाक लेने वाला था।
सौरभ केवल दिन में हमारे पास रहता था, रात में चला जाता था। फोन करके पूछ लेता था कि खाने में क्या बना है। अपना खाना खाकर मुस्कान के लिए खाना पैक करवा लेता था। जिस रात ये सब हुआ, घर में लौकी के कोफ्ते बने थे। उसने मां से कहा मुस्कान को बहुत पसंद हैं, उसके लिए पैक करके दे दो। हमें क्या पता था कि आखिरी बार अपने भाई को देख रहे हैं। इसी खाने में मुस्कान ने नींद की दवा मिलाकर सौरभ को दी थी।
हम तीन भाई-बहन थे, बहुत प्यार था हमारे बीच। बचपन में सौरभ जब भी नाराज होता तो मैं ही उसे मनाता। आज तक सौरभ ने हमारी मर्जी के खिलाफ कभी कोई काम नहीं किया था, लेकिन 2016 में मुस्कान से शादी उसने हमारी मर्जी के खिलाफ जाकर की थी। फिर भी हमने यही सोचा कि छोटा भाई है, अब तो शादी हो गई, क्या कर सकते हैं।
शादी के बाद ही वो लंदन गया था। उसके लंदन जाने से हम लोग बहुत खुश थे, लेकिन मुस्कान ने हमारा भाई छीन लिया। हम नहीं चाहते थे कि वह मुस्कान से शादी करे। मुस्कान से बहुत अच्छी लड़की मिल जाती। मुस्कान का घर हमारे घर के पास ही था।
हमने भाई को समझाया था कि वह ठीक लड़की नहीं है। उससे शादी मत करो, लेकिन उसकी मति पर पत्थर पड़ गए थे। वो किसी की बात सुनने को तैयार नहीं था। जिस तरफ मुस्कान का घर था, सौरभ के दोस्त भी उधर ही रहते थे। वहीं से दोनों के बीच दोस्ती हुई थी। आखिर एक दिन उसने मंदिर में मुस्कान से शादी कर ली। शादी करके घर आई। तीन महीने ठीक से रही। मां ने उसे खाना बनाना सिखाया।

सौरभ के साथ मुस्कान की पुरानी तस्वीर।
तीन महीने के बाद वो अपने घरवालों से मिलने मायके चली गई। जब मायके से लौटकर आई तो उसने हमारे साथ रहने से साफ इनकार कर दिया। दरअसल, यहां बंदिशें थीं। पाबंदियां थीं। अपनी मर्जी से आ-जा नहीं सकती थी। दूसरे मर्दों से मिल नहीं सकती थी। हम कहते थे कि जैसे घर में बहुएं रहती हैं वैसे रहो, लेकिन मुस्कान भाई को लेकर अलग रहने लगी। दोनों ने किराए का मकान ले लिया था।
जाते हुए भी मुस्कान ने यही कहा था कि अब तुम लोगों को सौरभ की शक्ल तक देखना नसीब नहीं होगा। यही किया भी उसने, भाई को मार डाला।
हम यही सोचते थे कि परिवार से अलग रहकर दोनों खुश हैं, तो ठीक है। तब ये नहीं पता था कि चीजें इस हद तक बिगड़ जाएंगी। इतनी खराब हो जाएंगी। जब से मुस्कान अपने मां-बाप से मिलकर लौटी थी, तभी से चीजें खराब होने लगी थीं। मुस्कान गली में खड़े होकर हमें गालियां भी देती थी।
मेरा भाई मर्चेंट नेवी का एग्जाम देने के लिए शहर से बाहर गया था। हमारी बहन के घर पर ही रुका था। तब सौरभ के मकान मालिक का फोन आया कि मुस्कान दस दिन से घर नहीं लौटी है। जब वो घर पर थी तो आए दिन लड़कों का आना-जाना लगा रहता था।

सौरभ और मुस्कान के साथ उनकी बेटी पीहू।
जब भाई घर लौटा तो मुस्कान सच में घर पर नहीं थी। भाई ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई तो पुलिस ने मुस्कान को ढूंढा। तब पता चला कि वह अपनी छोटी-सी बच्ची को मायके में मां के पास छोड़कर, दूसरे मर्दों के साथ कहीं गई थी। इसके बाद भाई ने तलाक की अर्जी दे दी। पहली सुनवाई भी हो चुकी थी। फिर उन लोगों ने यहां से घर बदल लिया। फिर, साल 2019 में भाई की लंदन में नौकरी लग गई। तबसे वो वहीं काम कर रहा था।
सौरभ, बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज था। हमेशा अच्छे नंबर से पास होता था। पढ़-लिखकर मर्चेंट नेवी में चला गया। फिर विदेश में जाने वाले कोर्स करने लगा। मैंने उसे गोद में खिलाया है। हम दोनों भाइयों में 6-7 साल का फर्क है। बचपन में उसकी सारी डिमांड मैं ही पूरी करता था।
मेरे सामने जिंदगी कभी-कभी एक फिल्म की तरह चलती है। मैंने उसे साइकिल चलाना सिखाया। वो मेरी पतंग चोरी कर लेता था और अकेले ही पतंग उड़ाने भाग जाता था। स्कूल जाते वक्त मुझसे पैसे लेकर जाता था। वो अगर 10 रुपए मांगता था तो मैं 100 रुपए देता था। हम भाई कम दोस्त ज्यादा थे।

सौरभ की फोटो पर फूल चढ़ाती उनकी मां।
कुछ भी होता था तो वो घर आकर सारी बातें मुझसे बताता था। चाहे उसमें उसकी गलती हो या न हो। मेरी हर बात मानता था, लेकिन जब से मुस्कान मिली थी, वो बदल गया था। मुझसे सब कुछ छिपाने लगा था।
3 मार्च की रात मुस्कान ने सौरभ के खाने में नींद की दवा मिलाई थी। कुछ देर बाद वह बेहोश हो गया, फिर उसे कमरे में सुला दिया। आधी रात को फोन करके उसने अपने बॉयफ्रेंड साहिल शुक्ला को घर बुला लिया। उसके साथ मिलकर मेरे भाई के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। नीले ड्रम में बॉडी के टुकड़े रखकर सीमेंट से भर दिया। 15 दिन बाद 18 मार्च को पुलिस सौरभ के घर पहुंची तो ड्रम में डेड बॉडी मिली।
ये जज्बात राहुल राजपूत ने भास्कर रिपोर्टर मनीषा भल्ला से साझा किए।
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