Naradsamvad

[post-views]

Lucknow Acid Attack Survivor Story; Meena Soni Husband | NGO | संडे जज्बात-पति ने मेरे चेहरे पर एसिड डालकर सुसाइड किया: सुंदर होने से लोग मुझे देखते थे; ब्लाउज, साड़ी फेंक पेटीकोट में भागते हुए तमाशा बनी

[ad_1]

मेरा नाम मीना सोनी है। लखनऊ के गोसाईंगंज में मायका है। कई सालों से यहीं रहती हूं। ऐसी अभागी हूं कि मेरी कोख से पैदा बच्चे मेरे ही चेहरा देखकर रोने लगते हैं। उनकी भी क्या गलती! मेरा चेहरा है ही इतना डरावना। तेजाब से पूरी तरह झुलसा हुआ। न आंखें दिखती ह

.

मेरा यह हाल किसी और नहीं, पति ने किया है। बहुत सुंदर थी मैं और पति शकी। जब भी बाहर निकलती तो उन्हें लगता कि लोग मुझे देखते हैं। एक दिन दोपहर में सो रही थी, वो आए और चेहरे पर तेजाब उड़ेल दिया। मेरे चेहरे की खाल उधड़ गई। ब्लाउज जल गया। छाती भी झुलस गई।

मैंने अधजला ब्लाउज और साड़ी को उतार फेंका। जान बचाने के लिए सिर्फ पेटीकोट में सड़क पर दौड़ रही थी। लोग तमाशा देख रहे थे। कोई बचाने नहीं आया। नंगे तन को ढंकने के लिए एक आदमी से गमछा मांगा, लेकिन उसने देने से इनकार कर दिया।

भागते हुए एक प्राइवेट अस्पताल पहुंची तो वहां डॉक्टर ने एडमिट करने से मना कर दिया। फिर वहां से भागकर सरकारी अस्पताल पहुंची थी।

मीना बताती हैं- मेरे पति को लगता था कि मैं बहुत सुंदर हूं और जब सड़क पर चलती हूं तो लोग मुझे देखते हैं। उन्होंने एक दिन दोपहर में सोते वक्त मेरे चेहरे पर तेजाब डाल दिया।

मीना बताती हैं- मेरे पति को लगता था कि मैं बहुत सुंदर हूं और जब सड़क पर चलती हूं तो लोग मुझे देखते हैं। उन्होंने एक दिन दोपहर में सोते वक्त मेरे चेहरे पर तेजाब डाल दिया।

दरअसल, यह घटना 30 जून 2004 की है। उस दिन रविवार था। मैं यूपी के बांदा अपने ससुराल में थी। उस दिन सभी को दोपहर का खाना खिलाया और अपने कमरे में आराम करने चली गई। चेहरे पर हाथ रखकर सो रही थी। अचानक लगा कि कोई जलने वाली चीज ऊपर गिर गई है। उठी तो देखा कि पति ने मुझ पर तेजाब डाल दिया था।

उठकर घर से बाहर भागी तो पति ने मेरा ब्लाउज पकड़ लिया। तेजाब गिरने से ब्लाउज जल चुका था। वह मेरे शरीर से निकल गया। फिर उन्होंने मेरी साड़ी खींची। मैंने साड़ी उतारकर फेंक दिया। शरीर पर बस पेटीकोट बचा था। सड़क पर नंगे तन दौड़ने लगी। नौ साल की मेरी बेटी भी साथ भाग रही थी। लोग ऐसे देख रहे थे जैसे कोई तमाशा हो। लोगों से मदद की गुहार लगा रही थी, लेकिन कोई पास नहीं आया।

बहुत दर्द में थी। बेटी से रिक्शे वाले को बुलाने को कहा। वह तुरंत बुलाकर ले आई। हम एक प्राइवेट अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां डॉक्टर ने इलाज से मना कर दिया। मेरा शरीर खुला हुआ था। ढकने के लिए अस्पताल के पास बैठे एक आदमी से गमछा मांगा, लेकिन उसने देने से मना कर दिया। कहा- ‘नहीं दे पाऊंगा, मैं फंस जाऊंगा।’

फिर वहां से भागकर जिला अस्पताल पहुंची। संयोग से वहां एक डॉक्टर मुझे पहले से जानते थे। उन्होंने फौरन मुझे भर्ती किया और इलाज शुरू किया।

अपने किचन के कमरे में मीना सोनी। वह बताती हैं कि पति ने जब उन पर तेजाब डाला तो वह ब्लाउज और साड़ी फेंककर सिर्फ पेटीकोट में अस्पताल पहुंची थीं।

अपने किचन के कमरे में मीना सोनी। वह बताती हैं कि पति ने जब उन पर तेजाब डाला तो वह ब्लाउज और साड़ी फेंककर सिर्फ पेटीकोट में अस्पताल पहुंची थीं।

तीन दिन बाद मुझे इलाहाबाद के एक अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। वहां पहुंची तो पता चला कि मेरे पति भी वहीं एडमिट हैं। उन्होंने वही तेजाब पी कर अपना गला काट लिया था। वहां ससुराल के लोग उसे देखने पहुंचे थे। लेकिन उन्हें बस मेरे पति की फिक्र थी, मेरे पास नहीं आए। इलाज के लिए एक पैसा भी नहीं दिया। उस दौरान मेरे साथ बस मेरे मम्मी-पापा थे और एनजीओ लोग, जिनके साथ मैं काम करती थी।

पांचवें दिन बाद मेरे ही वार्ड में मेरे पति की मौत हो गई। कसम से उस दिन मेरी आंख में एक बूंद आंसू नहीं आया। ये सोचकर घिन आ रही थी कि उन्होंने पति होने का फर्ज नहीं निभाया। मुझे मौत के मुंह तक पहुंचा दिया। हां, बस यही सोच रही थी कि अब अकेले हो गई हूं। उनके अंतिम संस्कार में भी नहीं जा पाई।

जब थोड़ी ठीक हुई तो एक दिन मेरे वॉर्ड में एक औरत तैयार हो रही थीं। उनके हाथ में शीशा था। मैंने उनसे शीशा मांगकर अपना चेहरा देखा तो होश उड़ गए। मेरा चेहरा काला हो गया था और चमड़े चिपक गए थे। यह हमेशा के लिए बर्बाद कर दिया गया था। उस दिन डॉक्टर से कहा- मुझे जहर दे दो। अब जी कर क्या करूंगी। मेरे बच्चे अब मुझे नहीं पहचानेंगे। डॉक्टर ने कहा नहीं ऐसा नहीं है। आप घर जाइए। मां का चेहरा जैसे भी बच्चे अपनी मां से प्यार करते हैं।

वहां तीन महीने तक इलाज चला था। ठीक हुई तो ससुराल फोन किया और ससुर से ले चलने को कहा। लेकिन उन्होंने साफ कह दिया- अब हमारा तुमसे कोई रिश्ता नहीं है। तब फिर एक बड़ा झटका लगा। सोचा कि वे ऐसा कैसे कह सकते हैं। कहां जाऊंगी। उसके बाद इलाहाबाद के ही एक ईसाई अनाथालय में गई। वहां तीन महीने रही, लेकिन नहीं अच्छा नहीं लग रहा था। फिर लखनऊ अपने मायके आ गई।

यहां एक अखबार खबर लहरिया के लिए काम करने लगी। कुछ महीने काम किया। थोड़े पैसे जमा हुए तो लगा कि अब बच्चों को अपने साथ रख सकती हूं। उस समय मेरे बच्चे ससुराल में थे। एक दिन उन्हें लेने पहुंच गई। उस दिन जब बच्चों ने पहली बार मेरा चेहरा देखा तो सन्न रह गए। तब मेरी एक बेटी नौ साल की थी, दूसरी आठ साल की और बेटा तीन साल का था। फिलहाल, उन्हें लेकर लखनऊ आ गई।

बेटियां बड़ी थीं, इसलिए वे मुझे देखकर ज्यादा परेशान नहीं हुईं, लेकिन बेटा अक्सर डर जाता था और रोने लगता था। वही बेटा, जिसे अपनी कोख से जना था। लेकिन उसकी भी क्या गलती। मेरा चेहरा जलने दिखता ही भयानक था! चमड़े चिपके हुए, होंठ जला हुआ और आंखें धंसी हुई। एक दिन मेरा बेटा पास आया और मेरे चेहरे पर हाथ फेरते हुए पूछा- मम्मी ये क्या हो गया? उस वक्त मैं रोने लगी और वो भी।

मीना बताती हैं कि तेजाब से जला उनका चेहरा जब उनका बेटा देखता, तो डर जाता था। उसकी भला क्या गलती, मेरा चेहरा दिख ही भयानक रहा था।

मीना बताती हैं कि तेजाब से जला उनका चेहरा जब उनका बेटा देखता, तो डर जाता था। उसकी भला क्या गलती, मेरा चेहरा दिख ही भयानक रहा था।

अब जब भी कहीं जाती हूं तो लोग मेरा चेहरा मुड़-मुड़ कर देखते हैं। पहले इसे ढककर चलती थी, लेकिन लोग टोकते थे कि चेहरा क्यों ढककर चलती हो। तंग आकर फिर ढकना बंद कर दिया।

जिस एनजीओ के साथ काम करती थी, उसने मेरी तीन सर्जरी करवाई। तब जाकर ये कुछ ठीक हुआ है। लेकिन सोचती हूं जब तक मरूंगी नहीं ये दर्द हमेशा साथ रहेगा। शीशे में देखती हूं तो लगता है कि आखिर मेरा पति किस हद तक पागल हो गया था, ये हाल कर दिया!

मुझे याद है कि एक बार काले रंग की साड़ी पहनकर उनके साथ बाहर गई थी। जब घर वापस आई तो वो मुझसे खूब झगड़ा किए। मेरा गला दबाने दौड़े थे। जोर-जोर से चिल्ला रहे थे- ‘आखिर तुम काले रंग की साड़ी पहनकर क्यों बाहर निकली? आज से तू काले रंग की साड़ी नहीं पहनेगी।’ उस दिन वो साड़ी मैंने एक गरीब महिला को दे आई थी।

उन्हें लगता था कि इतनी सुंदर हूं तो मेरा जरूर किसी से अफेयर होगा। वह इन्हीं बातों को लेकर हमेशा झगड़ा करते थे। शादी के एक साल बाद ही उन्होंने नौकरी करनी बंद कर दी। पूरे दिन घर में पड़े रहते थे। जब मेरी बेटी पैदा हुई तो मैंने उनसे नौकरी करने को कहा, लेकिन कहीं नहीं गए।

फिर सोचा कि मैं ही कुछ कर लेती हूं, लेकिन सुंदर होने के नाते वो मुझ पर शक करते थे। कहीं जाने नहीं देते। उस समय सास-ससुर भी उनसे तंग आ गए थे। एक दिन तो मेरी सास घर छोड़कर अपने मायके चली गईं। कहा- तब तक वापस नहीं लौटूंगी जब तक तुम लोग कोई काम नहीं करते।

उसके बाद पति को टीबी हो गई। उनका इलाज कराने और घर चलाने के लिए पैसे नहीं थे। फिर तय किया अब चाहे जो हो जाए, नौकरी करके रहूंगी। तैयार होकर घर से निकल रही थी, तो पति बोले- ‘अगर तूने नौकरी के लिए घर से बाहर कदम रखा तो मेरी लाश देखेगी’, लेकिन मैं नहीं मानी। एक एनजीओ में जाकर बात किया और वहां नौकरी मिल गई। उसके बाद पति रोज मुझसे लड़ने लगे। लेकिन वो चेहरे पर तेजाब डाल देंगे, ये कभी नहीं सोचा था। पहले पता होता तो उनका इलाज ही न कराती और गंगाजी में ले जाकर धक्का दे देती।

अब सोचती हूं कि अच्छा ही हुआ। उन्होंने भले ही मेरा चेहरा जला दिया, पर जिंदगी सुकून में तो है। अपने पैर पर खड़ी हूं। जो मन करता है पहनती हूं, खाती हूं। वो होते तो सारी जिंदगी झगड़े करते। आज मेरे तीनों बच्चे पोस्ट ग्रेजुएट हैं। एक बेटी तो मॉडलिंग कर रही है।

तेजाब हमले से पहले की मीना सोनी की तस्वीर। उस समय वह काफी सुंदर दिखती थीं और उनकी इसी सुंदरता को देखकर पति शक करता था।

तेजाब हमले से पहले की मीना सोनी की तस्वीर। उस समय वह काफी सुंदर दिखती थीं और उनकी इसी सुंदरता को देखकर पति शक करता था।

(तेजाब से जलाई गईं मीना सोनी ने अपने ये जज्बात भास्कर रिपोर्टर मनीषा भल्ला से साझा किए हैं।)

———————————————

1- संडे जज्बात- दाई से प्राइवेट पार्ट कटवाकर मैं औरत बनी:फिर भी शादी नहीं हुई; भाई ने पीटकर घर से निकाला; मेरे पढ़ाए बच्चे वकील, डॉक्टर्स

मेरा नाम काजल मंगलमुखी है। मैं किन्नर हूं और कर्नाटक के मैसूर की रहने वाली हूं, लेकिन लंबे अरसे से चंडीगढ़ के मनीमाजरा में रह रही हूंं। नदी में मौसी की लड़की के साथ नहाते वक्त पहली बार पता चला कि मैं ना लड़का हूं और ना लड़की। मेरे मां-बाप मुझे मेकअप नहीं करने देते थे, तब मेकअप पाउडर अंडरवियर में चुराकर स्कूल ले जाती थी।

मेरी प्राइवेट पार्ट कटाने की कहानी रोंगटे खड़ा कर देने वाली है। मैं एक लड़के मोहन को प्यार करती थी। उसे पाने के लिए मैंने अपने प्राइवेट पार्ट कटवा लिए। इसे आधी रात को दाई ने चाकू से काटा था। उस दिन मैं मौत से जूझी थी। सुंदर दिखने के लिए जो खून निकला था, उसे पूरे शरीर पर लीपा था, लेकिन मेरे सपनों पर तब पानी फिर गया, जब मेरी गुरू ने साफ कहा—‘तू अब भी हिजड़ा ही रहेगा, शादी-ब्याह का सपना मत देख।’ पूरी खबर यहां पढ़ें

2- संडे जज्बात-‘हमारे अंधेपन का मजाक उड़ाने पर हमने रास्ते बदले’:लोग बहाने से हाथ छूते हैं, ससुर की बेइज्जती से तंग आकर घर छोड़ा

मेरा नाम समता है। मैं 75 फीसदी विजुअली इम्पेयर्ड यानी दृष्टिबाधित हूं। मेरी बहन सुमन भी ठीक से देख नहीं पाती और पापा तो 100 फीसदी दृष्टिबाधित हैं। लोग कुछ भी लेते-देते समय हाथ छूते हैं। मेरी अंधेपन का फायदा उठाकर ऑटो वाले कई बार मुझे गलत रास्ते से लेकर गए।

शादी होने के बाद ससुराल में बहुत जलालत झेली। मेहमान घर पर आते, तो मैं डर जाती थी क्योंकि मेरे ससुर उन्हीं के सामने बेइज्जती करना शुरू कर देते थे। कहते थे- देखो मैंने कितना बड़ा उपकार किया है, ब्लाइंड बहू लाया हूं। आखिरकार तंग आकर मैंने घर ही छोड़ दिया।

दरअसल, मेरे परिवार में सभी लोग दृष्टिबाधित हैं। बस मां हैं, जिन्हें दिखाई देता है, लेकिन उनका एक पैर पूरी तरह पोलियोग्रस्त है। पूरी खबर यहां पढ़ें

[ad_2]

Source link

Loading

अन्य खबरे

गोल्ड एंड सिल्वर

Our Visitors

175202
Total Visitors
error: Content is protected !!