रामनगर बाराबंकी।रिसीवर हरिप्रसाद द्विवेदी एडवोकेट मठ लोधेश्वर महादेव ने जिला अधिकारी सत्येंद्र कुमार को प्रार्थना पत्र देकर संस्कृत विद्यालय व छात्रावास के विक्रय के संबंध में पूर्ण मूल्यांकन कराए जाने के संबंध में मांग की है। हरिप्रसाद द्विवेदी को लोधेश्वर महादेव में उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ द्वारा मठ रिसीवर नियुक्त किया गया है।उन्होंने शिकायती प्रार्थना पत्र में बताया ब्रह्मलीन महंत चंद्रचूड़ ने 1959 में एक रजिस्टर्ड वसीयत लिखी थी उन्होंने उसमें लिखा था मेरे मरने के बाद मेरी सम्पति ठाकुर जी के नाम होंगी।चंद्रचूड़ ने एक संस्कृत पाठशाला व छात्रावास खोला था।वह वर्तमान समय में मौजूद है और वह मठ की संपत्ति है।वह शिक्षण चलाने के लिए है न की प्रबंधक उसके मालिक हो सकते हैं। इस विद्यालय का मूल्यांकन करते समय पाठशाला से सटे हुए वाल्दा जिसमें एक दुकान भी है उसे साथ जोड़कर मूल्यांकन किया गया है।जो गलत व अवैधानिक है। मठ के विद्यालय को किसी विद्यालय के प्रबंधक को विक्रय किए जाने का अधिकार नहीं है।मठ के बाहर लिखे गए नाम से पता चलता है कि यह मठ का है। साथ ही इस विद्यालय से सम्बंधित एक छात्रावास भी है छात्रों के लिए रहने के लिए था उसमें एक भी छात्र नहीं है। रिसीवर ने जिला अधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर गुहार लगाई है की प्रबंधक द्वारा दिया गया विक्रय शून्य होना चाहिए ऐसी स्थिति में मठ की संपत्ति का फर्जी तौर पर विक्रय पत्र ना लिखा जाए।