10 मई की शाम को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का बयान सामने आया। उन्होंने कहा,
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मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि अमेरिका की तरफ से पूरी रात की बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान तत्काल पूरी तरह से सीजफायर के लिए तैयार हो गए हैं।
इसके बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भी अपनी X पोस्ट पर इसकी पुष्टि की।
हालांकि देर रात भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से सीजफायर का उल्लंघन किया गया। लेकिन पाकिस्तान की ओर से ऐसी कोई बात सामने नहीं आई।
7 मई को पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भारत के हमले के बाद चौथे दिन दोनों देश सीजफायर पर कैसे राजी हुए, भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे इसके पीछे की 6 बड़ी वजहें…
1. भारत का मकसद पूरा, कॉस्ट ऑफ टेररिज्म बढ़ाया
जानकारों का कहना है कि भारत का इरादा आतंकी हमले का कड़ा जवाब देना था, न कि जंग छेड़ना।
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में सीनियर फैलो और विदेशी मामलों के जानकार कबीर तनेजा कहते हैं, ‘7 मई को पाकिस्तान और PoK के 9 आतंकी ठिकानों पर हमले के बाद अगली सुबह भारत ने साफ कहा था कि उसने भारत में आतंकी हमलों के जिम्मेदार आतंकी संगठनों के कैंपों पर हमला किया है। इसमें कई बड़े आतंकी कमांडर्स सहित करीब 100 आतंकियों की मौत हुई। उसकी कार्रवाई नॉन-एस्केलेटरी (संघर्ष को बढ़ावा न देने वाली) है। भारत ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को भी निशाना नहीं बनाया था।’
कबीर के मुताबिक,

बीते सालों में हुए पुलवामा और उरी में हुए आतंकी हमलों के बाद भी भारत ने करारा जवाब दिया था। भारत ने ये साफ कर दिया है कि आगे अगर पाकिस्तान से कोई आतंकी हमला होता है तो भारत उसे जंग की कार्रवाई की तरह लेगा। ये पाकिस्तान के लिए साफ संदेश है कि आतंकी के बदले उसे भारी आर्थिक और सामरिक कीमत चुकानी होगी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सीजफायर की घोषणा करते हुए ये भी कहा कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ हमेशा बिना किसी समझौते के अपना रुख सख्त रखा है, वह आगे भी यही रुख रखेगा।
2. एस्केलेशन लैडर में अगला पड़ाव था रैम्प ऑफ या पूर्ण युद्ध
किन्हीं दो देशों में संघर्ष की शुरुआत किसी घटना या बयानबाजी से होती है, फिर हल्के सैन्य कदम और बढ़ते-बढ़ते ये सर्वनाश तक पहुंच जाता है। देशों के बीच इस तनाव को अलग-अलग स्तर पर मापा और सुलझाया जाता है। डिफेंस और इंटरनेशनल रिलेशंस की भाषा में इसके लिए ‘एस्केलेशन लैडर’ यानी तनाव की सीढ़ी शब्द इस्तेमाल होता है।
भारत और पाकिस्तान इस वक्त एस्केलेशन लैडर की चौथी सीढ़ी पर थे। इसके बाद या तो रैम्प ऑफ होता या पूर्ण युद्ध। दोनों देशों ने रैम्प ऑफ चुना यानी टकराव को रोकना।

3. ट्रम्प भारत को जंग में नहीं उलझाना चाहते थे
ट्रम्प ने सोशल मीडिया साइट ट्रुथ पर अपने बयान में कहा, अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी रात की बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान पूरी तरह और तत्काल सीजफायर पर राजी हो गए हैं। दोनों देशों को बुद्धिमानी का इस्तेमाल करने के लिए बधाई।
पहलगाम हमले के बाद जब भारत और पाकिस्तान में तनाव बढ़ा तो ट्रम्प ने इस पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया था, बल्कि यह कहा था कि दोनों देश खुद ये मामला देख लेंगे। हालांकि अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो लगातार स्थितियों पर नजर बनाए हुए थे और दोनों देशों के नेताओं के संपर्क में थे।
कबीर तनेजा कहते हैं,

ट्रम्प के लिए पर्सनैलिटी फर्स्ट और पॉलिसी सेकेंड का फॉर्मूला लागू होता है। इजराइल का हमास से युद्ध हो या ईरान से तनाव, वह खुद को युद्ध में मध्यस्थता करने की पोजिशन में रखते हैं।
JNU के इंटरनेशनल स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर राजन कुमार भी कहते हैं,

ट्रम्प अब इस बात को सब जगह बताएंगे। वो अमेरिका में अपनी राजनीति को भी चमकाएंगे। इससे उनकी पर्सनैलिटी को बूस्ट मिलेगा।
4. दुनिया तीन युद्ध एक साथ नहीं झेल सकती
अमेरिकी थिंकटैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के ग्लोबल कॉन्फ्लिक्ट ट्रैकर के मुताबिक, ‘मौजूदा वक्त में दुनियाभर में 32 छोटे-बड़े सैन्य टकराव चल रहे हैं, जिसमें 2 बड़े युद्ध शामिल हैं। पहला इजराइल-गाजा में और दूसरा रूस-यूक्रेन में।’
इनकी वजह से दुनियाभर की सप्लाई चेन और ट्रेड पर असर हुआ है। ऐसे में अगर भारत और पाकिस्तान के बीच जंग शुरू होती तो दुनियाभर में इसका असर होता। साथ ही ट्रेड और सप्लाई चेन पर निगेटिव असर पड़ता।
दरअसल, भारत दुनियाभर में स्टील, फार्मास्युटिकल्स, अनाज, कच्चे समान, मेटल्स आदि का एक्सपोर्ट करता है। ब्रिटेन, अमेरिका, जैसे देशों के फार्मा और हेल्थ सेक्टर को इससे नुकसान होता।
JNU के इंटरनेशनल स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर राजन कुमार बताते हैं,

यूरोपीय देशों समेत पूरी दुनिया ये नहीं चाहती है कि भारत किसी जंग में उलझे क्योंकि भारत का कई देशों के साथ ट्रेड और समझौते हैं। ऐसे में भारत अगर जंग में फंसता है तो दुनियाभर में असर होता।
इसके अलावा भारत-पाकिस्तान के बीच जंग होती तो ये मौजूदा वक्त की पहली ऐसी जंग होती, जिसमें दो न्यूक्लियर पावर आमने-सामने होतीं। ऐसे में कोई भी देश भारत-पाकिस्तान के बीच टकराव नहीं चाहता है।
5. पाकिस्तान के हालात बेहद खराब, मिलिट्री पावर में भी पीछे
पाकिस्तान बेहद खराब हालत के चलते सीजफायर पर सहमत हुआ। इसके 3 बड़े कारण हैं…
1. पाकिस्तान पर 21.6 लाख करोड़ रुपए का सार्वजनिक कर्ज
पाकिस्तान सरकार की जून 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय देश पर कुल 256 बिलियन डॉलर यानी करीब 21.6 लाख करोड़ रुपए का सार्वजनिक कर्ज है। ये पाकिस्तान की कुल GDP का 67% है। हाल ही में पाकिस्तान ने IMF से 20 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है।

2. भारत की सेना पाकिस्तान के मुकाबले ज्यादा ताकतवर
ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक 145 देशों की लिस्ट में अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथे नंबर पर है, जबकि पाकिस्तान 12वें नंबर पर है। यानी भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है, जबकि पाकिस्तान 8 नंबर पीछे है।
3. पाकिस्तान पर अन्य देशों का कूटनीतिक दबाव
पाकिस्तान पर अमेरिका, सऊदी अरब और यूके समेत कई देशों का दबाव था कि वह तनाव कम करे। इसके अलावा पाकिस्तान के सबसे बड़े समर्थक देश चीन और रूस ने भी भारत के हक में बात की और पाकिस्तान से युद्ध न करने की अपील की। इस तरह पाकिस्तान पर हर तरह से दबाव बन गया। न तो पाकिस्तान के हथियारों ने साथ दिया, न ही जेब ने और न ही अन्य देशों ने।
6. भारत-पाक टकराव का इतिहास, मध्यस्थता से बनी बात
भारत-पाकिस्तान के बीच हुई जंग और टकराव अक्सर विदेशी मध्यस्थता से ही रुके हैं।
सीनियर जर्नलिस्ट शेखर गुप्ता के मुताबिक, ‘भारत और पाकिस्तान के मामले में रैम्प से उतरने की कार्रवाई अमूमन या तो विदेशी मध्यस्थता के कारण होती है। जैसे- कारगिल में महीनों की लड़ाई के बाद या ऑपरेशन पराक्रम के दौरान दोनों सेनाओं की आमने-सामने की लंबी तैनाती के बाद हुआ था। या फिर तब होती है, जब ऐसी स्थिति बन जाए कि दोनों पक्ष अपनी-अपनी जीत का दावा कर सकें।’
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7 मई की रात भारत ने पाकिस्तान और PoK में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक स्ट्राइक की। इसके बाद पाकिस्तान लगातार भारत पर ड्रोन और मिसाइल अटैक कर रहा है, लेकिन टारगेट तक पहुंचने से पहले ही ज्यादातर नष्ट हो जा रहे हैं। पूरी खबर पढ़िए…