‘गाजा और कश्मीर का एक ही मसला है और दोनों मसलों का एक ही हल है। वो है जिहाद। हमें भीख नहीं, आजादी चाहिए। फिलिस्तीन और कश्मीर के जो दुश्मन हैं, वो हमारे दुश्मन हैं।’
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लश्कर कमांडर अबू मूसा का पहलगाम हमले से 4 दिन पहले का एक वीडियो सामने आया है। इसमें वो गाजा-फिलिस्तीन मसले की तुलना कश्मीर से कर रहा है। वो कहता है- ‘गाजा भी हमारे मीरपुर जैसा है। जब इजराइल को घुटने पर ले आए, तो कश्मीर में भी करेंगे।‘ इस वीडियो में अबू मूसा जिस मंच से बोल रहा है, वहां लगे पोस्टर में कश्मीरी आतंकी बुरहान वानी की भी फोटो लगी है।
पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में ट्रेनिंग देकर भारत भेजे जाने वाले आतंकियों के पीछे गाजा और फिलिस्तीन का क्या लिंक है, इस वीडियो से सामने आया है। पहलगाम आतंकी हमले में हमास की मॉडस ऑपरेंडी यानी हमले के तरीके के सबूत भी मिल रहे हैं।
पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड सैफुल्लाह खालिद के साथ रह चुके और PoK में ट्रेनिंग ले चुके दैनिक भास्कर के सोर्स ने सैफुल्लाह, लश्कर कमांडर अबू मूसा और हमास ट्रेनिंग को लेकर पहली बार कई बड़े खुलासे किए हैं।
खुफिया एजेंसियों से जुड़े हमारे सोर्सेज से ये भी पता चला है कि पिछले दो महीने में PoK में हमास और लश्कर कमांडर अबू मूसा समेत कई लोगों की आपस में कई दौर की मीटिंग हो चुकी है। सैफुल्लाह खालिद उर्फ कसूरी के साथ भी रावलकोट में मीटिंग हुई है।

अबू मूसा कथित तौर पर ‘जम्मू-कश्मीर यूनाइटेड मूवमेंट’ (JKUM) का नेतृत्व करता है। ये तस्वीर 18 अप्रैल को हुए उसी आयोजन की है, जिसमें उसने कश्मीर की तुलना गाजा-फिलिस्तीन से की थी।
सबसे पहले 3 अहम पॉइंट्स, जिस वजह से पहलगाम आतंकी हमले में हमास जैसी ट्रेनिंग होने की बात सामने आ रही…
1. पहलगाम अटैक में मारे गए सूरत के शैलेश कलाथिया के 5 साल के बेटे नक्ष घटना के चश्मदीद हैं। उन्होंने मीडिया से कहा था कि आतंकियों ने सिर पर कैमरा बांध रखा था। जांच में भी पता चला है कि ये GoPro कैमरे होते हैं। हमास भी इससे अटैक के दौरान वीडियो शूट करता है।
2. बायसरन घाटी में जिप लाइन करते टूरिस्ट का एक वीडियो सामने आया। इसमें आतंकी टूरिस्ट्स को घुटनों के बल बैठाकर पॉइंट ब्लैंक पर गोली मार रहे हैं। ये तरीका हमास का ही होता है। सोर्स ने हमें बताया है कि PoK के ट्रेनिंग कैंप में 7-8 महीने से हमास के कुछ कमांडर भी मौजूद हैं।
3. लश्कर कमांडर अबू मूसा के एक वीडियो से भी हमास कनेक्शन सामने आता है। जिसमें उसने कहा है कि गाजा-फिलिस्तीन और कश्मीर का मसला एक ही है। जैसे- गाजा जैसा एक छोटा सा टुकड़ा इजराइल को घुटने टेकने पर मजबूर कर देता है, वैसे ही कश्मीरी मुजाहिद ये काम करेंगे।

अब बात सैफुल्लाह खालिद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हमास के तरीके से होने वाली ट्रेनिंग की…
साउथ कश्मीर का रहने वाला अब कराची में, पाक आर्मी के साथ करता है मीटिंग सैफुल्लाह खालिद के साथ रह चुके और PoK में ट्रेनिंग ले चुके हमारे सोर्स ने हमें कई अहम जानकारियां दीं। उसने बताया कि पहलगाम हमले में जिस सैफुल्लाह खालिद को मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। वो मेरे साथ जेल में रह चुका है। ये बात साल 1991 की है। उस वक्त वो डिविजनल कमांडर हुआ करता था। अभी सैफुल्लाह लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ है। उसे लश्कर के संस्थापक आतंकी हाफिज सईद का बेहद करीबी माना जाता है।
सोर्स के मुताबिक, ‘सैफुल्लाह साउथ कश्मीर के अनंतनाग का ही रहने वाला है। इस वक्त वो पाकिस्तान के कराची के बहरिया टाउन में रह रहा है। ये मोस्ट वांटेड सैयद सलाउद्दीन का सबसे खास है। एक तरह से राइट हैंड। इस समय वो यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का डिप्टी चीफ है। अभी पाकिस्तानी आर्मी के साथ वो आता-जाता है। इसके कई वीडियो भी हैं।‘

पाकिस्तानी रेंजर के साथ सैफुल्लाह खालिद के मुलाकात की तस्वीर।
खुफिया एजेंसियों से जुड़े हमारे सोर्सेज ने ये भी बताया कि PoK के मुजफ्फराबाद में पिछले 7-8 महीने से ट्रेनिंग में हमास कमांडर भी मौजूद हैं। कश्मीरी मुजाहिद और पाकिस्तानी आतंकियों के साथ उनकी ट्रेनिंग हुई है।
पहलगाम से 4 दिन पहले बोला अबू मूसा… गाजा और कश्मीर की एक समस्या, गोलियों की बौछार से मुजाहिद करेंगे फैसला पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले से पहले PoK में क्या हुआ था? कैसे आतंकियों को टूरिस्ट्स पर अटैक के लिए तैयार किया गया? इसकी जानकारी जुटाते हुए हमें सोर्स के जरिए कुछ वीडियो मिले। ये वीडियो 15 मार्च से लेकर 18 अप्रैल के बीच के हैं। इसमें सैफुल्लाह खालिद के कुछ पोस्टर भी हैं। इनसे 26 मार्च को PoK के मीरपुर में हुई एक मीटिंग का पता चला।

सैफुल्लाह खालिद की PoK के मीरपुर में लगे पोस्टर की तस्वीर है। इसमें 26 मार्च 2025 की तारीख लिखी हुई है।
लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अबू मूसा का भड़काऊ भाषण वाला वीडियो भी मिला, जिसमें वो हमास अटैक का जिक्र कर रहा है। पहले अबू मूसा अपने साथी की मौत का जिक्र करते हुए कहता है- ‘हमारा एक साथी और उसका भाई हाल में शहीद हुए। इनमें से एक ने अपने वसीयतनामे में लिखा है कि हमारा भाई कश्मीर में लड़कर शहीद हुआ है। हम हथियार नहीं भूलेंगे। ये जंग जारी रखनी है।‘
इसके थोड़ी देर बाद अबू मूसा ने गाजा का जिक्र करते हुए कहा- ‘गाजा भी हमारे मीरपुर जितना ही बड़ा है। करीब साढ़े 22 किमी चौड़ा और करीब 40 किमी लंबा है। उसने इजराइल को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। अगर हम भी आजाद कश्मीर के लोग एकजुट हो जाएं। सियासी पार्टी के पीछे चलना छोड़ दें। हम जिहाद के राह पर चलें तो जैसे मिस्र में मुजाहिद की हुकूमत है। बांग्लादेश में हिंदुओं को मारा गया है, उसी तरह हम कश्मीर में भी करेंगे।‘
इसके बाद वो जम्मू कश्मीर से हटाए गए आर्टिकल 370 का जिक्र करता है। वो आगे कहता है- ‘इंडिया ने आर्टिकल-370 और आर्टिकल-35ए को इसलिए हटाया ताकि इससे जम्मू कश्मीर में मुस्लिमों की पहचान कम हो जाए। डेमोग्राफिक बदलाव आ जाए। हमारे खौफ की वजह से अब तक ऐसा नहीं हो पा रहा है।‘

भारत सरकार ने जो आर्टिकल-370 हटाने का फैसला किया था, वो गलत था। कानून भी उन्हीं का, कोर्ट भी उन्हीं की और जज भी उनका, लेकिन अब इसका फैसला मुजाहिद करेंगे। गोलियों की बौछार से करेंगे।
आखिर में अबू मूसा कहता है- ‘अब आर्टिकल- 370 हटे हुए 5 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। फिलिस्तीन और कश्मीर का एक ही मसला है और दोनों मसलों का हल एक ही है। वो हल है जिहाद का। हमें भीख नहीं, आजादी चाहिए। फिलिस्तीन और कश्मीर के जो दुश्मन हैं, वो हमारे दुश्मन हैं। इंडिया का जो यार है, वो गद्दार है।‘
लश्कर के मंच पर बुरहान वानी की फोटो दिखी अबू मूसा के साथ उसी मंच से अब्दुल्लाह खालिद ने भी भाषण था। ये भी लश्कर से जुड़ा है। मंच पर लगे पोस्टर में कश्मीरी आतंकी बुरहान वानी की फोटो लगी दिखी।
बुरहान वानी वही आतंकी है, जो एक समय कश्मीर में पोस्टर बॉय के तौर पर सोशल मीडिया पर चर्चा में आया था। वो सोशल मीडिया पर हथियार के साथ फोटो डालता था। उसी दौर में कश्मीर के काफी युवा आतंकी संगठनों से जुड़े थे।

लश्कर कमांडर अबू मूसा और अब्दुल्लाह खादिल के मंच पर लगे पोस्टर में बुरहान वानी की फोटो लगी दिखी।
पहलगाम से पहले सैफुल्लाह ने कहा था… कश्मीर में जुल्म हो रहा, हम उनके लिए सब कुर्बान करने को तैयार इंटेलिजेंस सोर्सेज के मुताबिक, TRF आतंकी सैफुल्लाह खालिद पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड है। वो सैफुल्लाह कसूरी के नाम से भी जाना जाता है। हमें उसका एक वीडियो भी मिला है, जो मार्च का ही बताया जा रहा है।
इसमें सैफुल्लाह ने जम्मू-कश्मीर से 2019 में आर्टिकल 370 हटाने पर भारत का विरोध किया है। उसने पाकिस्तान सरकार और तत्कालीन विदेश सचिव शहरयार खान से कहा-

आपने कश्मीरियों के लिए कुछ नहीं किया। हम उनके लिए सब कुर्बान करने के लिए तैयार हैं। भारत कश्मीर के लोगों पर जुल्म कर रहा है।
सैफुल्लाह ने आगे कहा- ‘पाकिस्तान सरकार अपने लालच के लिए कश्मीर मुद्दे पर कमजोर पड़ गई है। भारत सरकार ने 6 साल पहले आर्टिकल-370 हटाया था, लेकिन आपने (पाकिस्तान सरकार) इंटरनेशनल फोरम पर कश्मीर की बात नहीं की। हमारा पाकिस्तान दुनिया के सामने झुक गया। आप कश्मीर को ठंडा करोगे और वो बलूचिस्तान को गर्म करेंगे।‘

सैफुल्लाह की ये तस्वीर मार्च की बताई जा रही है, जिसमें वो जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने पर भारत का विरोध कर रहा है।
कश्मीरी आतंकियों को पाकिस्तान आर्मी देती है ट्रेनिंग और बाकी सुविधाएं लश्कर कमांडर जिस कश्मीरी मुजाहिद की बात कर रहा है। जब हमने सोर्स से उसके बारे में पूछा कि आखिर वो कौन होते हैं। हमारे सोर्स ने बताया कि कश्मीरी मुजाहिद का मतलब वो शख्स है, जो भारत के कश्मीर का रहने वाला होता है। वो आतंकी बनने के लिए PoK में चला जाता है। उसे ही कश्मीरी मुजाहिद का नाम दिया जाता है।
सोर्स के मुताबिक, जैसे ही कोई कश्मीरी PoK में एंट्री करता है, तभी पाकिस्तानी आर्मी के वायरलेस पर इसकी जानकारी दी जाती है। फिर वहां से उसे आगे ले जाने के लिए पाकिस्तान आर्मी की गाड़ी आती है। यहां से उसे माचिस फैक्ट्री ले जाया जाता है। यहां 4-5 दिन पैदल और जंगलों के रास्ते ले जाया जाता है।
इस रास्ते में घास-फूस खाने की ट्रेनिंग भी दी जाती है। तबीयत बिगड़ने के बाद माचिस फैक्ट्री में पहुंचने पर उसे एक दवा देते हैं, जिससे उसे उल्टी हो जाती है। फिर पहली बार खाने के लिए उसे देसी घी के साथ खिचड़ी दी जाती है। एक-दो दिन आराम करने को मिलता है।
इसके बाद उसका आईडी कार्ड बनाया जाता है। उस पर लिखते हैं- कश्मीरी मुजाहिद। इसके बाद उसे कुछ दिन घूमने के लिए भेजा जाता है। गले में आईडी कार्ड और हाथ में राइफल दे दी जाती है। कुछ पैसे भी दिए जाते हैं। ये पैसे 10 से 20 हजार रुपए तक होते हैं। इसके बाद कश्मीरी मुजाहिद पूरे पाकिस्तान में कहीं भी जा सकता है। उसे आईडी कार्ड दिखाकर कहीं भी खाना और रहना फ्री मिल जाता है।
इसके बाद उन्हें एके-47 समेत बाकी हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के बाद उसे लॉन्चिंग पैड पर बुलाते हैं। वहां भी 4-5 दिन रुकवाते हैं।

LoC पर पाकिस्तानी सेना फायरिंग कर कश्मीरी मुजाहिद को पार कराती है बॉर्डर PoK में ट्रेनिंग के बाद कश्मीरी मुजाहिद को जम्मू-कश्मीर भेजा जाता है। ये सब कैसे होता है, ये पूछने पर हमारे सोर्स ने बताया- ‘एक बार में अब ज्यादा से ज्यादा 2 या 3 लोग ही घुसपैठ करते हैं। इससे ज्यादा कभी भी घुसपैठ नहीं करते। ये सब उस समय होता है, जब LoC पर पाकिस्तानी सेना फायरिंग करती है। उसी फायरिंग की आड़ में कश्मीरी मुजाहिद और पाकिस्तानी आतंकी जम्मू-कश्मीर सीमा में घुसपैठ करते हैं।‘
‘इस घुसपैठ में पाकिस्तानी सेना की BAT यानी बॉर्डर एक्शन टीम काफी मदद करती है। पाकिस्तान आर्मी की ये यूनिट बेहद खतरनाक है।‘
अब पहलगाम हमले की जांच से जुड़ी अपडेट… 75 संदिग्ध पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) में अरेस्ट पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के 12 दिन बाद जम्मू कश्मीर पुलिस अब तक 75 लोगों को अरेस्ट कर चुकी है। इन सभी पर PSA यानी पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाया गया है। सोर्सेज से पता चला है कि पहलगाम अटैक के बाद बायसरन घाटी के दुकानदारों, घोड़े वालों, जिप लाइन ऑपरेटर समेत सैकड़ों लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। इनके बयान भी दर्ज किए गए।
इन सभी से 22 अप्रैल और उसके आसपास वाले दिन के घटनाक्रम के बारे में सवाल-जवाब किए गए। ऐसी आशंका है कि जिन लोगों के जवाब से शक पैदा हुआ। उन्हें हिरासत में लिया गया। इन्हीं पर PSA लगाया गया है। इन पर ओवर ग्राउंड वर्कर यानी OGW होने का भी शक है।

हमले के दिन ही बायसरन घाटी का दुकानदार गायब, पूछताछ जारी हमले की जांच के दौरान एक ऐसा शख्स भी मिला, जिसने बायसरन घाटी में आतंकी हमले से 15 दिन पहले ही दुकान शुरू की थी। 22 अप्रैल को उसने अचानक दुकान बंद कर दी। उससे भी पूछताछ की जा रही है। हालांकि, उसका अब तक आतंकियों से जुड़ा कोई लिंक नहीं मिला है। उसे अब तक संदिग्ध ही माना जा रहा है। इसके अलावा इंटरनेट और मोबाइल फोन एक्सेस की भी जांच हो रही है।
इसके अलावा NIA ने बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले की जांच का दायरा पहले से ज्यादा बढ़ा दिया है। अब सर्च ऑपरेशन साउथ कश्मीर के इलाकों के साथ जम्मू की चिनाब और पीर पंजाल रेंज में किया जा रहा है। इसमें पुंछ और राजौरी के इलाके भी शामिल किए गए हैं।
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दिखने में आम कश्मीरी, लेकिन आतंकियों के मददगार ओवरग्राउंड वर्कर

39 साल सेना में रहे रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी साउथ कश्मीर में पोस्टेड रहे हैं। वो उन ओवर ग्राउंड वर्कर्स के बारे में बता रहे हैं, वे जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की आंख और कान हैं। वो बताते हैं, ‘वे दुकानदार हो सकते हैं, खच्चर चराने वाले हो सकते हैं, पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर हो सकते हैं, पुलिसवाले भी हो सकते हैं। आपको पता भी नहीं चलेगा कि आम कश्मीरियों की तरह दिखने वाला कोई शख्स आतंकियों का मददगार हो सकता है।’ पढ़िए पूरी खबर…