‘हर बात में BJP के लोगों का तकिया कलाम हो गया कि मुसलमानों में बाबर का DNA है। हिंदुस्तान का मुसलमान तो बाबर को आदर्श नहीं मानता। वे तो मोहम्मद साहब और सूफी संतों की परंपरा को आदर्श मानते हैं। मैं जानना चाहूंगा कि बाबर को लाया कौन। बाबर को इब्राहिम ल
.
21 मार्च को राज्यसभा में दिए इस बयान के बाद समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन क्षत्रिय करणी सेना के टारगेट पर हैं। राज्यसभा की कार्यवाही से तो उनका बयान हटा दिया गया, लेकिन करणी सेना का गुस्सा इससे शांत नहीं हुआ।
रामजीलाल सुमन भी अपनी बात पर अड़े हैं। इसके बाद आगरा में उनके घर पर हमला हुआ, अलीगढ़ में काफिले पर हमला हुआ। काफिले पर हमले के 5 लोग अरेस्ट किए गए, लेकिन घर में तोड़फोड़ करने वालों में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

आखिर ये विवाद खत्म क्यों नहीं हो रहा, यूपी पुलिस ने सांसद के घर और काफिले पर हमला करने वालों पर अब तक क्या कार्रवाई की और करणी सेना आखिर क्या चाहती है, इस पर हमने रामजीलाल सुमन, पुलिस अफसर, एक्सपर्ट के अलावा क्षत्रिय करणी सेना के फाउंडर राज शेखावत से बात की।
शेखावत की बातों से लगा कि ये मामला जल्द खत्म नहीं होने वाला। वे कहते हैं, ‘माफी वाला सिस्टम खत्म। अब तो सजा दी जाएगी। हड्डी तोड़ कुटाई करेंगे, चाहे फांसी हो जाए। ’
राणा सांगा, हर मंदिर के नीचे बौद्ध मठ, बयानों से विवादों में रामजी लाल 16वीं सदी में मेवाड़ के शासक रहे राणा सांगा पर दिए बयान के बाद रामजीलाल सुमन पर हमले शुरू हो गए। 26 मार्च को आगरा में उनके घर में तोड़फोड़ की गई। एक महीने बाद 27 अप्रैल को अलीगढ़ में उनके काफिले पर हमला किया गया।
इस हमले के लिए रामजी लाल सुमन ने योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि लोगों ने हमारी गाड़ी पर हमला किया, तेल डाला, साथ की गाड़ियों के शीशे तोड़े गए। वे साजिश के तहत हम पर हमला करने आए थे। हमारी हत्या करने आए थे।’
14 अप्रैल को उन्होंने एक और बयान दिया। बोले- ‘तुम ये कहोगे कि हर मस्जिद के नीचे मंदिर है, तो फिर हमें कहना पड़ेगा कि हर मंदिर के नीचे एक बौद्ध मठ है। गड़े मुर्दे मत उखाड़ो, वरना भारी पड़ जाएगा।’

रामजी लाल बोले-मुझे सिर काटने, गोली मारने की धमकियां मिल रहीं 26 मार्च को रामजी लाल सुमन के घर पर करणी सेना से जुड़े करीब 1000 लोगों ने हमला कर दिया। ये लोग बुलडोजर लेकर पहुंचे थे। पुलिस की मौजूदगी में घर पर तोड़फोड़ की गई। 10 से ज्यादा गाड़ियों के शीशे तोड़े गए। इस झड़प में 14 पुलिसवाले घायल हो गए। क्षत्रिय करणी सेना ने इसकी जिम्मेदारी ली। इसके बावजूद अब तक संगठन के लोगों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। हमले के वक्त रामजी लाल सुमन दिल्ली में थे।
दैनिक भास्कर से बातचीत में रामजी लाल सुमन कहते हैं, ‘घर पर हमले के बाद पुलिस ने कुछ लोगों को पकड़ा था, लेकिन उन्हें छोड़ दिया। पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। मुझे धमकियां मिल रही हैं। 12 अप्रैल को करणी सेना की सभा हुई थी। प्रशासन ने परमिशन के लिए शर्त लगाई थी कि हिंसक भाषा का इस्तेमाल नहीं करेंगे और हथियार नहीं लाएंगे। इसके बावजूद तलवारें लहराई गईं। मुझे जान से मारने की धमकियां दी गईं। कोई सिर काटने, जीभ काटने की, तो कोई गोली मारने की धमकी दे रहा है।’
सुमन कहते हैं-

इन धमकियों का असर मेरे परिवार पर भी पड़ा है। मुझे आगरा से बाहर नहीं निकलने नहीं दिया जा रहा। मुझे कई कार्यक्रमों में जाना था, लेकिन पुलिस हाथ खड़े कर देती है कि यहां मत आइए वरना तनाव हो जाएगा।
‘मैंने राज्यसभा के सभापति (उपराष्ट्रपति) से कहा, केंद्रीय गृह मंत्री और गृह सचिव को बोला, दिल्ली के पुलिस कमिश्नर, उत्तर प्रदेश के DGP और बाकी लोगों से भी कहा, लेकिन कहीं से सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था नहीं हुई। कोई ऐसी चीज नहीं है, जो प्रशासन की जानकारी में नहीं है। हमारे साथ जो हो रहा है, उसमें मुख्यमंत्री कार्यालय शामिल है।’
क्या आप अपने बयान पर कायम हैं? सुमन कहते हैं, ‘मेरा बयान संसद की कार्यवाही से हटा दिया गया था। ये मामला वहीं खत्म हो जाना चाहिए था। मैंने जो इतिहास की किताब में पढ़ा, वो बोल दिया। कार्यवाही से बयान हटाने के बाद ये मुद्दा बचा ही नहीं था। जानबूझकर इसे हवा देने और तनाव पैदा करने की कोशिश की जा रही है।’

क्षत्रिय करणी सेना के फाउंडर बोले- हड्डी तोड़ कुटाई करेंगे अलीगढ़ में रामजी लाल सुमन के काफिले पर हमले की जिम्मेदारी क्षत्रिय करणी सेना ने ली है। संगठन के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष ओकेंद्र सिंह राणा ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर कहा कि क्षत्रिय करणी सेना परिवार के लोगों ने ये हमला किया है। दुख इस बात है कि वह फिर बच गया। सिर्फ कुछ गाड़ियां ही टूट पाई हैं। प्रशासन बार-बार उसे बचा लेता है।’
क्षत्रिय करणी सेना दो साल पहले बना संगठन है। इसके फाउंडर राज शेखावत हैं। पहले वे राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना से जुड़े थे। मतभेदों के बाद उन्होंने अपना संगठन बना लिया।
हमने रामजी लाल सुमन को टारगेट किए जाने पर राज शेखावत से बात की। वे कहते हैं, ‘जिस व्यक्ति ने ये बयान दिया, उसे कानून का डर नहीं है। नहीं तो वो संसद में ऐसा नहीं बोलता। उसे कानून की भाषा में समझाने की जरूरत नहीं है। उसे कानून हाथ में लेकर, उस पर प्रहार करके ही समझाया जा सकता है। हमारे महापुरुषों को अपमानित किया गया। ये हम बर्दाश्त नहीं कर सकते। इसलिए हमने कानून अपने हाथ में लिया।’

वे आगे कहते हैं, ‘माफी वाला सिस्टम खत्म, अब तो सजा दी जाएगी। घर में घुसकर मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। हड्डी तोड़ कुटाई की जाएगी। इसके लिए किसी भी हद तक जाना होगा, तो हम जाएंगे। उसने सुरक्षा बढ़वा रखी है। जिस दिन सुरक्षा हटी, उस दिन दुर्घटना घटेगी। हमारे पास यही इकलौता विकल्प है।’
राज शेखावत कहते हैं, ‘संविधान अपना काम करे, हमने नहीं रोका है। आप हमें जेल में डाल दें, फांसी चढ़ा दें, एनकाउंटर में मार दें, हमें कोई आपत्ति नहीं है। इस देश में उन महान पूर्वजों का अपमान बर्दाश्त नहीं होगा, जिनके बलिदानों के कारण हम आजादी से सरकार चला पा रहे हैं।’
अलीगढ़ के हमले में 5 आरोपी अरेस्ट, जमानत भी मिली अलीगढ़ में हमले के बाद 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें SDM कोर्ट से जमानत भी मिल गई। आरोपियों में क्षत्रिय करणी सेना के कार्यकर्ता भी शामिल हैं। हालांकि पुलिस ने FIR में किसी का नाम नहीं लिखा है। 10-15 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया हे।
ये घटना गभाना थाना एरिया में हुई। यहां तैनात एक पुलिस स्टाफ बताते हैं, ‘घटना से पहले पुलिस ने वहां गश्त भी लगाई थी। लोगों की भीड़ अचानक आई, वे शायद आसपास के होटलों में बैठे थे।’
इस घटना पर हमने अलीगढ़ के सिटी एसपी मृगांक शेखर से बात की। वे बताते हैं, ‘वीडियो के आधार पर 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। कुछ और लोगों की पहचान कराई जा रही है। सभी लोग अलग-अलग संगठन से हैं। कुछ लोग करणी सेना के भी हैं। हमले में इस्तेमाल टायर अलग से इकट्ठा नहीं किए गए थे। वहीं मैकेनिक की दुकान थी, उसी दुकान से लोगों ने फेंके थे। लोगों का प्लान काले झंडे दिखाने का था। पुलिस भी अलर्ट थी।’
क्या सड़क पर भीड़ इकट्ठा होने के बारे में पुलिस को जानकारी नहीं थी? एसपी सिटी कहते हैं, ‘तीन-चार जिलों का कोऑर्डिनेशन था। हो सकता है कि इसमें थोड़ी दिक्कत हुई हो। वहां के चौकी इंचार्ज आलोक शर्मा और एक सिपाही को सस्पेंड किया गया है। गभाना थाने के SHO के खिलाफ विभागीय जांच की जा रही है।’
क्या पुलिस ने क्षत्रिय करणी सेना को नोटिस भेजा है? सिटी एसपी कहते हैं-

अभी सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं। क्षत्रिय करणी सेना के लोकल हेड से भी पूछताछ की जा रही है।
घर पर हमले में एक महीने बाद भी गिरफ्तारी नहीं 26 मार्च को आगरा में रामजी लाल सुमन के घर पर हमले के बाद पुलिस ने दो केस दर्ज किए थे। एक केस उनके बेटे ने दर्ज करवाया था। दूसरा केस पुलिस पर हमले का है। दोनों केस आगरा के हरि पर्वत थाने में दर्ज हैं।
DCP वेस्ट सोनम कुमार से इस पर बात करने से इनकार कर दिया। सोनम कुमार ने ही 12 अप्रैल को क्षत्रिय करणी सेना को ‘रक्त स्वाभिमान सम्मेलन’ आयोजित करने की परमिशन दी थी। सम्मेलन में हथियार लाने की परमिशन नहीं दी गई थी। इसके बावजूद लोग हथियार लाए और लहराए भी।
हमने हरिपर्वत थाने के SHO इंस्पेक्टर आलोक सिंह से बात की। उन्होंने बताया कि इस केस में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। CCTV फुटेज के आधार पर लोगों की पहचान की जा रही है। संगठन (क्षत्रिय करणी सेना) के लोगों को हम प्राथमिकता पर रखकर जांच कर रहे हैं।’
रामजीलाल ने हाईकोर्ट से सुरक्षा मांगी हमले के बाद सांसद रामजीलाल सुमन ने परिवार और अपनी सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। उन्होंने हाईकोर्ट से सेंट्रल फोर्स की सुरक्षा देने और हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कोर्ट की निगरानी में हमले की जांच कराने की मांग की थी।
30 अप्रैल को उनकी याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस हरबीर सिंह की बेंच ने केंद्र और राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है कि रामजी लाल सुमन को पर्याप्त सुरक्षा क्यों नहीं दी गई। अब इस मामले पर 28 मई को सुनवाई होगी।
इधर रामजीलाल सुमन का विरोध भी जारी है। 2 मई, शुक्रवार को आगरा के खेरागढ़ में करणी सेना के सदस्यों ने उनका काफिला रोक लिया और नारे लगाए। पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया।
क्या राणा सांगा को गद्दार कहना सही हमने ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी, कनाडा में इतिहास के PhD स्कॉलर मणिमुग्धा शर्मा से बात की। उन्होंने ‘अल्लाह-हू-अकबर: अंडरस्टैंडिंग द ग्रेट मुगल इन टुडेज इंडिया’ नाम की किताब लिखी है। वे कहते हैं, ‘बाबर खुद लिखते हैं कि राणा सांगा का एक दूत आया था उनसे कहा है कि आप आइए और दिल्ली पर फतह करिए।’
‘बाबर ये भी लिखते हैं कि उन्होंने (राणा सांगा) न्योता तो दिया, लेकिन हम गए तो वे खुद मौजूद नहीं थे। हम आगरा गए, तब भी कोई नहीं था। बाबर ने ये बात नाराजगी में लिखी है।’
राणा सांगा को ‘गद्दार’ कहे जाने पर मणिमुग्धा शर्मा कहते हैं, ‘ये बोलना गलत है। राणा सांगा ने जो किया, वो अपने दौर में किया। आप उन पर गद्दारी का इल्जाम नहीं लगा सकते। तब सारी सीमाएं खुली थीं। तुर्क, अफगान और एक के बाद एक लोग आए। इसलिए राणा सांगा या उस दौर के किसी भी हुक्मरान को आप गद्दार नहीं बोल सकते। देश होगा, तभी तो गद्दारी होगी।’
मणिमुग्धा शर्मा के मुताबिक, राणा सांगा अपने राज्य को बढ़ाना चाहते थे। उन्हें लगा कि बाबर की मदद ली जा सकती है तो उन्होंने मांगी। उस दौर में हर कोई इस तरह का गठबंधन कर रहा था। अगर आप इतिहास को नहीं मानते हैं, तो वो आपका चुनाव है, लेकिन ये बात बाबर ने अपनी जीवनी में लिखी है।’

समाजवादी पार्टी रामजी लाल के साथ खड़ी रामजी लाल सुमन के बयान पर समाजवादी पार्टी उनके साथ खड़ी है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 28 अप्रैल को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘इस घटना से सरकार और यूपी की कानून-व्यवस्था को चुनौती दी गई है। कुछ लोगों को खुली छूट मिली हुई है। ये छूट इसलिए मिली है क्योंकि उन्हीं के स्वजातीय लोग ऊपर से लेकर नीचे तक बैठे हुए हैं।’