मसूरी की मॉल रोड। कश्मीर के कुपवाड़ा के रहने वाले इकबाल अहमद यहां पिछले 20 साल से कश्मीरी शॉल और गर्म कपड़े बेच रहे थे। मसूरी में उनके शॉल और गर्म कपड़ों को ढेरों पसंद करने वाले भी हैं, लेकिन 24 अप्रैल को उन्हें अचानक मसूरी छोड़कर जाना पड़ा। इकबाल जै
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वजह है 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला। इस घटना के बाद इकबाल और यहां रह रहे बाकी कश्मीरी व्यापारियों के लिए सब कुछ बदल गया। हमले के अगले दिन यानी 23 अप्रैल को जब इकबाल रोज की तरह सामान लेकर दुकान लगाने पहुंचे तो कुछ युवकों के ग्रुप ने उन्हें दुकान हटाने के लिए धमकाया और आगे भी यहां दुकान न लगाने की धमकी दी।
वे रोजी-रोटी के वास्ते शाम तक दुकान लगाए रहे। उन्हें लगा था कि मामला शांत हो जाएगा, तो सब पहले की तरह हो जाएगा। हालांकि, ऐसा कुछ नहीं हुआ। शाम को युवकों का ग्रुप दोबारा आया। वो गाली-गलौज और मारपीट करने लगे। वे दुकान न हटाने पर जान से मारने की धमकी देने लगे और कहा- अगर आगे दिखा तो यहीं काट दूंगा।
इकबाल का कसूर सिर्फ इतना था कि वो कश्मीर से हैं और मुसलमान हैं। वे कहते हैं- हम अपने देश में भी अनसेफ हैं। 29 अप्रैल को इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और केस पुलिस तक पहुंचा। पुलिस ने धमकी देने वाले युवकों को अरेस्ट किया, लेकिन फाइन लगाकर छोड़ दिया। पुलिस इसे गंभीर मामला नहीं मान रही। लिहाजा उसने FIR तक दर्ज नहीं की।

सबसे पहले इकबाल की आपबीती… ‘कश्मीर का रहने वाला है ये, अगर दोबारा दिख गया तो यहीं काट दूंगा मसूरी के सबसे पॉश इलाके मॉल रोड पर इकबाल अहमद सड़क किनारे फुटपाथ पर कपड़े की दुकान लगाते आ रहे थे। 23 अप्रैल की सुबह इकबाल के लिए आम सुबह जैसी नहीं रही। वे बताते हैं, ‘जब मैं सामान लेकर दुकान पहुंचा तो 4-5 लोग स्कूटी पर आए और धमकाने लगे। बोले- तू कश्मीर से है ना, फिर तुम लोग यहां क्यों आए हो। अपनी दुकान बंद करो और शाम तक यहां से निकल लो। तुम शाम तक यहां दिखने नहीं चाहिए।’
26 साल के इकबाल के मन में डर तो था, लेकिन वो दुकान लगाए रहे। वे बताते हैं, ‘शाम होते ही वो लोग दोबारा दुकान पर आ पहुंचे। वो गाली-गलौज, मारपीट और जान से मारने की धमकी देने लगे। वे चिल्लाने लगे- फिर से तेरी दुकान लग गई। तुमको कितनी बार समझाऊं। इतना बोलते ही उनमें से एक ने इकबाल को तमाचा मारा और बोला- मेन तू है न। तुझे समझ नहीं आ रहा क्या। पुलिस वाले ने भी तुम्हें दुकान बंद करने के लिए बोला था। फिर भी बंद नहीं की।’
इकबाल बताते हैं कि लड़कों ने मार पिटाई करने के बाद मेरा आधार कार्ड मांगकर देखा। उनके ग्रुप का एक लड़का गाली देते हुए बोला-

ये कश्मीर का रहने वाला है। अगली बार यहां दिख मत जाना। अगर दिख गया तो यहीं काट दूंगा।
इकबाल कहते हैं, ‘मैं इन्हें नहीं जानता था। मॉल रोड पर उस दिन कई दूसरे लोगों ने भी दुकान लगाई थी, लेकिन उन्हें कुछ नहीं कहा गया, सिर्फ हमें ही धमकी दी गई।’
‘मैंने उनसे कहा भी कि हम तो सिर्फ अपना बिजनेस कर रहे हैं। हमें क्यों गालियां दे रहे हैं। फिर उन्होंने मार-पिटाई शुरू कर दी।’ इकबाल बताते हैं कि जिन दो लोगों से मारपीट का वीडियो वायरल हुआ, उसमें मेरे अलावा जो दूसरा व्यक्ति दिख रहा है, वो मेरा दोस्त शब्बीर अहमद है।

ये तस्वीर 23 अप्रैल की है, जब मसूरी में कश्मीरी शॉल बेचने वालों से मारपीट की गई।
पुलिस से क्या शिकायत करें, वो पहले ही दुकान लगाने से मना कर चुकी मसूरी में रहकर कपड़े का कारोबार कर रहे इकबाल अहमद अकेले कश्मीरी मुसलमान नहीं हैं। सिर्फ मसूरी में ही करीब 18 कश्मीरी व्यापारियों की परमानेंट दुकानें हैं। वहीं 10-12 व्यापारी सीजन में आकर यहां कारोबार करते रहे हैं। देहरादून और पूरे उत्तराखंड की बात करें तो बहुत से कश्मीरी बिजनेस कर रहे हैं।
घटना का दिन याद कर इकबाल कहते हैं, ‘23 अप्रैल को जब ये हादसा हुआ तो हम सब डर गए। हम अपने कमरे पर चले गए। हम पुलिस के पास भी नहीं गए क्योंकि पुलिस खुद हमें दुकान लगाने से मना कर चुकी थी। अगले पूरे दिन हम कमरे से बाहर नहीं निकले। मैं नमाज पढ़कर जब लौटा तो पुलिस वालों से मिलने मसूरी की लाइब्रेरी चौक गया। पुलिस वालों ने कुछ सुनने के बजाय कहा- ‘तुम लोग यहां से चले जाओ।’
इकबाल बताते हैं, ‘मैं और मेरे कश्मीरी साथी इतना डरे हुए थे कि हम सबने रातों-रात मसूरी छोड़ दिया। किराए के कमरे में रखा अपना लाखों का माल भी नहीं उठाया। हम रात में 11 बजे अपने कमरे से निकले थे, लेकिन मसूरी से देहरादून जाने के लिए कोई बस या पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं था। डर की वजह से हम वापस कमरे पर नहीं लौटे।’

क्या हम कश्मीरी देश के दूसरे हिस्सों में काम नहीं कर सकते इकबाल कहते हैं, ‘मसूरी में सिर्फ मेरा ही कमरे पर 2-3 लाख रुपए का माल रखा हुआ है। हम कश्मीर से कपड़े लाकर देश में अलग-अलग जगहों पर बेचते हैं। मसूरी में हम हमेशा भाईचारे के साथ रहते थे। कभी ये महसूस नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है कि बात मार-पिटाई और मरने-मारने तक पहुंच जाएगी।‘
‘मेरा पूरा बचपन कश्मीर से बाहर काम करते हुए बीता है। हम देश के अलग-अलग शहरों में घूमते आए हैं।’

हम मसूरी और देश के दूसरे हिस्सों को भी अपना देश मानते हैं। क्या हम अपने देश में काम नहीं कर सकते? हम सब इंसान हैं, अगर किसी दूसरे ने गलत काम किया तो हमें क्यों निशाना बनाया जा रहा है।
‘हम अपने हिंदुस्तान में काम नहीं करेंगे तो कहां जाएंगे’ हमने इकबाल से पूछा कि अब जब वीडियो वायरल हो गया है और सबको घटना के बारे में पता चल गया है तो आप पुलिस से क्या कहना चाहते हैं। इस पर इकबाल कहते हैं, ‘हम चाहते हैं कि इस मामले में एक्शन हो, ताकि किसी दूसरे के साथ ऐसा दोबारा ना हो।‘
‘हमारा रोजगार है तो हम रोजी-रोटी के लिए वापस मसूरी लौटेंगे। हमारे साथ ये सब दोबारा नहीं होना चाहिए। हम अपने हिंदुस्तान में ही काम नहीं करेंगे तो कहां जाएंगे। आप खुद बताओ कमाने के लिए तो काम करना ही होता है ना। अगर हम अपने ही देश में सेफ नहीं हैं, तो कहां होंगे।’
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बारे में आप क्या सोचते हैं? इकबाल बोले- ‘वो भी परिवार वाले थे। हमें उनके लिए भी दुख है। मैं आपको क्या बताऊं कि हम भी दुखी हैं। जिन्होंने ये काम किया, वो दरिंदे हैं। कोई सामान्य इंसान ये सब करे, इसका सवाल ही पैदा नहीं होता। हम चाहते हैं कि पूरे हिंदुस्तान में हर कोई अमन-चैन से रहे, सुरक्षित रहे।’
‘हम उत्तराखंड के CM से कहना चाहते हैं कि हम रोजी-रोटी कमाने के लिए आते हैं। हमें सताया नहीं जाना चाहिए। हमने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा है। हमारे कश्मीर में भी बाकी देश के लोग काम करते हैं, हम बाहर काम करने के लिए जाते हैं। क्या कश्मीरी लोग इंसान नहीं है, हमें हर जगह क्यों मारा जा रहा है।’

कश्मीरियों को टारगेट करने का डर, जावेद ने भी छोड़ा शहर जावेद भी कश्मीरी हैं और कुपवाड़ा के रहने वाले हैं। वे देहरादून में रहकर पिछले 15 साल से कश्मीरी हैंडीक्राफ्ट का बिजनेस कर रहे हैं। मसूरी की इस घटना के बाद वो कहते हैं, ‘हमें कभी नहीं लगा कि ऐसा कुछ होगा। पहलगाम आतंकी हमले के बाद से हमें डर था कि कहीं कश्मीरियों को टारगेट ना किया जाए और यही हुआ भी।‘
जावेद भी कश्मीर वापस लौट गए। वे कहते हैं कि कश्मीरी व्यापारियों के साथ पिटाई की जानकारी उन्हें तब मिली, जब पिटाई का वीडियो वायरल हुआ। हालांकि, देहरादून के SSP अजय सिंह ने उन्हें कॉल किया था और सुरक्षा का भरोसा भी दिलाया। अब सुरक्षा का भरोसा मिलने के बाद जावेद आश्वस्त हैं और फिर से अपने काम पर लौटना चाहते हैं।
पुलिस ने 3 युवकों को फाइन लगाकर छोड़ा, FIR दर्ज नहीं की कश्मीरी व्यापारियों के साथ हुई इस मारपीट और जान से मारने की धमकी के मामले में उत्तराखंड पुलिस ने अब तक FIR दर्ज नहीं की है। पुलिस ने उत्तराखंड पुलिस एक्ट के सेक्शन-81 के तहत 3 युवकों को अरेस्ट किया था। इनमें देहरादून कैम्पटी का रहने वाला सूरज सिंह, हाथीपांव एस्टेट का प्रदीप सिंह और कंपनी गार्डन का रहने वाला अभिषेक उनियाल शामिल है। पुलिस ने इनसे माफीनामा लिखवाकर और फाइन लगाकर छोड़ दिया।

देहरादून के SSP अजय सिंह कहते हैं, ‘मार-पिटाई या धक्का-मुक्की जैसा कुछ हुआ था। इस तरह के मामलों के लिए हमारे पुलिस एक्ट में प्रावधान है। हमने FIR नहीं की। अब उन आरोपियों ने माफी भी मांग ली। इसमें कोई सख्त मामला नहीं बनता था।’
हमने SSP से पूछा कि वीडियो में जान से मारने की धमकी साफ सुनाई दे रही है? इस पर SSP अजय सिंह कहते हैं, ‘देशभर में ऐसे छोटे-मोटे करीब 10 हजार केस होते होंगे। हर जगह पुलिस आकर क्या करेगी। पुलिस हर मामले का संज्ञान नहीं ले सकती। इस केस में हमें कोई शिकायत भी नहीं मिली है।’
वायरल वीडियो में युवकों ने जिस तरह की बातें कही हैं, उसके बाद क्या आपने स्वतः संज्ञान लेकर मामला दर्ज नहीं किया? इसके जवाब में SSP अजय कहते हैं, ‘या तो पीड़ित व्यक्ति आकर शिकायत दर्ज कराए या फिर हेट स्पीच का मामला हो, तभी हमने खुद संज्ञान लेकर मामला दर्ज किया है।’

SSP अजय के मुताबिक, उत्तराखंड पुलिस कश्मीरी छात्र-छात्रों, व्यापारियों और रहवासियों की सुरक्षा के लिए लोगों से बातचीत कर रही है।
कश्मीरी अपने ही देश में अनसेफ और परायापन झेल रहे, पाकिस्तान यही चाहता है इसके बाद हमने इस पूरे मामले को उठाने वाले जेके स्टूडेंट एसोसिएशन के नेशनल कन्वीनर नासिर खुएहमी से बात की। वे कहते हैं, ‘इस घटना के बाद काफी शॉल सेलर्स को मसूरी छोड़ना पड़ा। उत्तराखंड में हिंदू रक्षा दल के लोगों ने धमकी दी थी कि 24 घंटे में कश्मीरी राज्य छोड़कर जाएं। ऐसा ही कई और राज्यों में हुआ।‘

‘कश्मीरी लोगों को उग्रवादी और आतंकी बताया जा रहा है। उन्हें अलगाववाद का समर्थक बताया जा रहा है। उनके साथ जिस पर तरह का व्यवहार देश के फ्रिंज एलिमेंट्स ने किया। जिस तरह उन्हें मारा-पीटा गया, हैरेसमेंट की घटनाएं सामने आईं। असल में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान यही चाहता है। वो जम्मू-कश्मीर और देश के दूसरे हिस्सों के बीच ऐसी ही दूरी बनाना चाहता है।
नासिर कहते हैं, ‘पहलगाम हमले के बाद हमने गृह मंत्रालय से बात की। हमने उनसे गुजारिश की है कि वो कश्मीरियों के साथ देशभर में हो रही ज्यादतियों को लेकर राज्यों की पुलिस को अवेयर करें। साथ ही कश्मीरी स्टूडेंट्स और व्यापारियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें।‘
‘गृह मंत्रालय ने अलग-अलग राज्यों के पुलिस चीफ से बात करके कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। जम्मू कश्मीर से लेकर पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में पुलिस ने कश्मीरी लोगों से बात की और उनको भरोसे में लिया।‘
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49 साल के सीताराम (बदला हुआ नाम) दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज के नीचे अस्थायी तौर पर बनी शरणार्थी बस्ती में रह रहे हैं। उनके पास 45 दिन का वीजा था, जो पहलगाम हमले के बाद रद्द कर दिया गया है। हालांकि सीताराम ने लॉन्ग टर्म वीजा के लिए अप्लाई किया है। इसके बाद भी वे पाकिस्तान वापस भेजे जाने की आशंका से डरे हुए हैं। सीताराम अकेले नहीं हैं। पढ़िए पूरी खबर…