राघवेन्द्र मिश्रा@संपादक
अधीक्षक ओपी कुरील करप्शन पर रोक लगाने में नाकाम – सुबेहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्राइवेट लोगों द्वारा किया जा रहा इलाज
CHC सुबेहा पर इलाज के नाम पर होती है अवैध बसूली-मेडिकल स्टोर स्वामी करते है CHC पर उपचार
हैदरगढ़/बाराबंकी में तैनात सीएमओ डॉ0 अवदेश यादव के नेतृत्व में करप्शन पर रोक लगाने में उनके अधिकारी कर्मचारी नदारद हैं दरअसल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात सरकारी डॉक्टर लगातार प्राइवेट तौर पर खुद का क्लिनिक/हॉस्पिटल संचालित कर धन उगाही में लगे हैं। ये सीएमओ महोदय को बिल्कुल शिकायत के बाद भी दिखाई नही देता है फिर भी सरकार के आदेशों का पालन न करते हुए बाहर की दवाएं लिखी जा रही हैं। और तो और जिन अधीक्षक महोदय को सुबेहा की जिम्मेदारी दी गयी है बो भी महीनों आते नही है। जब उन अधीक्षक महोदय से पूंछों कि आप क्यो नही आये तो इमरजेंसी डयूटी बता कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। इन सभी चीजों पर रोक लगाने के लिए अधीक्षक ओपी कुरील को लिखित में चाहिए। बिना लिखे औचक निरीक्षण कर कार्यवाही करने से डरते हैं कहीं ऐसा तो नही करप्शन को होता देख ओपी कुरील को आई फ्लू की बीमारी हो गयी हैं, इतना ही नही प्राइवेट व्यक्ति आकर हॉस्पिटल में मरीजों का उपचार करता है साथ मे फार्मासिस्ट के जरिये प्रति ग्लूकोज की बोतल 100रुपये बसूलने का काम जारी है। भ्रस्टाचार की खोख में पल रहे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सीधे मुंह बात करने को भी तैयार नही। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात BCPM और ANM-आशा बहुओं के संबधित अधिकारी इतना गिर गए कि आशाओं की साड़ी में भी 500 रुपये की कटौती की गई। जीरो टालरेंस की सरकार के आदेशानुसार अगर कार्यवाही हो तो ऐसे कई जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी न्यायालय के कटघरे में खड़े होंगे। सुबेहा से लेकर हैदरगढ़ तक करप्शन की स्पीड बहुत तेज है फिर भी अगर कोई स्वतन्त्र आदमी इन अधिकारियों की शिकायत करना चाहे तो सीएमओ जैसे अधिकारी ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाने में कतई नही चूकते हैं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चाहे बो आशा चयन का मामला हो,चाहे बो कोरोना काल मे की गई डयूटी का पैसा हो, चाहे बो उपकेंद्रों का पैसा हो हर मामले में हैदरगढ़ में करप्शन होता जा रहा है। सही कर्मचारी को छुट्टी न देना और दूसरे कर्मचारी को पूरा संरक्षण देना करप्शन की पहली परिभाषा है। योगी सरकार इन सभी चीजों को लेकर सख्त कार्यवाही करती है लेकिन जब सिस्टम के उच्च अधिकारियों को शिकायत के बाबजूद भी कार्यवाही करने का समय न मिले तो समझ लेना चाहिए जीरो टॉलरेंस की नीति खत्म हो चुकी है। सूबे के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक लगातार अस्पतालो का निरीक्षण कर सख्त हिदायत देते हैं कि किसी भी मरीज को समश्या न हो लेकिन हैदरगढ़ और सुबेहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर धड़ल्ले से प्राइवेट दवाओं का लिखना और मंगाना फार्मासिस्ट/डॉक्टरों द्वारा निरन्तर किया जा रहा है यूपी के स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक और उनकी सरकार ने बहुत पहले ये निर्देश जारी किए थे ,लेकिन नियमों की अनदेखी कर सिस्टम अपनी हनक में चूर जनता का शोषण करने में लगा है इससे सरकार की छवि को काफी नुकसान पहुंच रहा है फिलहाल ये सब जानकारी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक और नेताओं को लिखित में रूप में दी गयी है जिससे स्वास्थ्य विभाग में हो रहे भ्रस्टाचार पर रोक लग सके साथ ही विभागीय जांच की मांग सरकार से की जाएगी।ताकि दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी और कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जा सके।