Naradsamvad

ब्रेकिंग न्यूज़
बाराबंकी के थाना रामनगर के लहड़रा मोड़ पास जंगल में यूपी एसटीएफ बदमाशों के बीच मुठभेड़ के दौरान एक लाख का इनामी बदमाश ढेर हैदरगढ़ राजकीय विद्यालय में अहिल्याबाई होलकर जयंती पर प्रतियोगिता में विजयी छात्राओं को दिया गया पुरुस्कार “रानी अहिल्याबाई की 300वीं जयंती पर राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में मेधावी छात्राओं का सम्मान” बाराबंकी के रामनगर पी जी कॉलेज में समाज कल्याण राज्य मंत्री की सख्ती, दो अधिकारी निलंबित, एफआईआर व रिकवरी के आदेश लखनऊ काम पर गए युवक का अपहरण, अपहरणकर्ताओं ने 10 लाख की फिरौती मांगी बाराबंकी के रामनगर में रेलवे पुल के नीचे अज्ञात युवक का शव मिलने से फैली सनसनी
[post-views]

शून्य से शिखर तक: एक रंगकर्मी की अमर यात्रा 

 

 

प्रयागराज के प्रत्यूष वर्सने (रिशु) की फाइल फोटो 

एडिटर के के शुक्ल,नारद संवाद न्यूज़ एजेंसी

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के प्रत्यूष वर्सने (रिशु)जब पहली बार मंच पर कदम रखा, तो दिल की धड़कनें तेज़ थीं। रोशनी मुझ पर पड़ी, दर्शकों की नज़रें मुझ पर टिकीं, और पहले संवाद के साथ ही जैसे पूरी दुनिया थम गई। उसी क्षण मुझे एहसास हुआ कि रंगमंच ही मेरा जीवन है।

 

आरंभ: सपनों की पहली दस्तक

 

इलाहाबाद के एक साधारण लड़के के असाधारण सपने—किताबों और कहानियों में खोया मैं थिएटर के प्रति खिंचता चला गया। समाज ने बार-बार कहा, “थिएटर से कोई भविष्य नहीं,” लेकिन मेरे भीतर की आग ने इन संदेहों को जलाकर राख कर दिया।

 

संघर्ष: अंधेरे में जलते दीप

 

2017 में पेशेवर थिएटर की राह चुनी, तो संघर्षों की एक नई दुनिया सामने थी। दिन-रात रिहर्सल, संवादों की साधना और खुद को इस कला के अनुरूप ढालना—हर चुनौती ने मुझे निखारा। दिल्ली के अस्मिता थिएटर ग्रुप, पुणे के FTII और कोलकाता के नेशनल माइम इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण ने सिखाया कि अभिनय केवल संवाद नहीं, बल्कि तन-मन-प्राण की साधना है।एक बार, इलाहाबाद में अचानक एक नाटक में मुख्य भूमिका निभाने का अवसर मिला। बिना तैयारी के मंच पर उतरा, लेकिन आत्मा ने संवाद खुद गढ़ लिए। तालियों की गूँज में मेरा हर संशय मिट गया। उसी दिन ठान लिया—थिएटर केवल जुनून नहीं, मेरी पहचान बनेगा।

 

पहचान: जब सपने हकीकत बनने लगे

 

100 से अधिक नुक्कड़ नाटकों में भाग लिया, जहाँ महिला सशक्तिकरण, मानव तस्करी और सामाजिक बदलाव के मुद्दों को उठाया। मंच मेरे लिए अभिव्यक्ति का साधन ही नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति का माध्यम बन गया।

धीरे-धीरे मेरी मेहनत रंग लाने लगी। भारत रंग महोत्सव, जश्न-ए-बचपन, नंदिकार थिएटर फेस्टिवल, संगीत नाट्य अकादमी युवा उत्सव, उज्जैन थिएटर फेस्टिवल, संभागी नाट्य महोत्सव, ब्लू थिएटर फेस्टिवल, पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव और अलवररंगम जैसे प्रतिष्ठित मंचों पर मेरे नाटकों ने पहचान बनाई।

 

भारत सरकार की ‘युवा कलाकार छात्रवृत्ति’ से सम्मानित होना केवल पुरस्कार नहीं, बल्कि उन अनगिनत रात्रियों की गवाही थी, जो मैंने इस कला को समर्पित की थीं।

 

अंत नहीं, एक नई शुरुआत…

 

रंगमंच हर दिन मुझे खुद से मिलवाता है। हर किरदार, हर संवाद मेरे भीतर की अनकही कहानियों को उभारता है। यह सफर कठिन था, लेकिन मैंने सीखा—सपनों की उड़ान तब तक जारी रहती है, जब तक हौसले की आग जलती रहती है।मैं आज भी वही हूँ—एक रंगकर्मी, जो मंच पर साँस लेता है, जो संवादों में जीता है, और जिसने जीवन को थिएटर की रोशनी में तलाश लिया है।

“क्योंकि थिएटर केवल कला नहीं, आत्मा की अनंत साधना है!”

Loading

अन्य खबरे

गोल्ड एंड सिल्वर

Our Visitors

1804383
Total Visitors
error: Content is protected !!