जैसे को तैसा… ये फॉर्मूला अपनाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अब बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। 2 अप्रैल को करीब 100 देशों पर टैरिफ लगाने के 7 दिन बाद ही उन्होंने इस फैसले पर 90 दिनों की रोक लगा दी है। जबकि 11 अप्रैल को चीन पर 145% टैरिफ लगाकर तग
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आखिर ट्रम्प ने 7 दिनों के अंदर ही टैरिफ वापस क्यों लिया, अमेरिका के फैसले से भारत पर क्या असर पड़ेगा और 90 दिन बाद कैसे टैरिफ को दोबारा शुरू किया जाएगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…
सवाल-1: ट्रम्प ने रेसिप्रोकल टैरिफ से जुड़ा क्या फैसला लिया है? जवाब: 9 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 75 से ज्यादा देशों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिनों की रोक लगा दी। साथ ही इन देशों पर 10% का बेसलाइन टैरिफ लगा दिया। इन 75 देशों में भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, ताइवान, वियतनाम जैसे देश शामिल हैं, लेकिन ट्रम्प ने इस फैसले से चीन को बाहर रखा है।
ट्रम्प ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ’75 देशों ने अमेरिका कॉमर्स डिपार्टमेंट, ट्रेजरी और US ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव यानी USTR से व्यापार और करेंसी हेरफेर जैसे मुद्दों पर बातचीत शुरू की है। टैरिफ पर कई देशों ने सहयोग किया। इन देशों ने जवाबी कार्रवाई नहीं की। मैंने इन देशों को 90 दिनों की राहत दी है। इस दौरान इन पर सिर्फ 10% टैरिफ लगेगा।’

ट्रम्प के ऐलान के कुछ समय बाद US ट्रेजरी डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने कहा, ‘यह रोक हमारी स्ट्रैटजी में शुरू से ही शामिल थी। हमने दूसरे देशों को ये मैसेज देने की कोशिश की है कि आप बदला न लें, आपको इनाम मिलेगा।’ यानी ट्रम्प टैरिफ के ऐलान के बाद देखना चाहते थे कि कितने देश उनके फैसले का समर्थन करते हैं और कितने देश विरोध।
स्कॉट बेसेन्ट ने आगे कहा कि अमेरिका के साथ बातचीत करने के इच्छुक देशों के लिए टैरिफ घटकर 10% हो जाएगा। कनाडा और मेक्सिको के कुछ सामानों पर 25% टैरिफ लागू रहेगा, जब तक वह समझौते नहीं करते।
सवाल-2: ट्रम्प ने टैरिफ पर 90 दिनों के लिए ही क्यों रोक लगाई? जवाब: कई दिनों से अमेरिकी बिजनेसमैन, CEO और रिपब्लिकन पार्टी के लीडर्स ट्रम्प से टैरिफ रोकने की बात कह रहे थे। उन्हें इस बात की आशंका थी कि ट्रम्प दुनिया के तमाम देशों पर टैरिफ लगाकर अमेरिका में मंदी का दौर ला सकते हैं, जो वैश्विक मंदी में तब्दील हो सकती है।
‘द टेलिग्राफ’ की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प ने 90 दिनों की रोक लगाने का फैसला अमेरिकी हेज फंड मैनेजर और ट्रम्प के समर्थक रहे बिल एक्मन की सलाह पर लिया है। हाल ही में एक्मन ने कहा था कि ट्रम्प के टैरिफ लगाने से दुनिया में इकोनॉमिक न्यूक्लियर वॉर शुरू हो सकती है। इसे टालने के लिए टैरिफ पर रोक लगा देनी चाहिए। 9 अप्रैल को उन्होंने सोशल मीडिया X पर पोस्ट लिखते हुए टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोकने की बात कही।
एक्मन ने पोस्ट में लिखा, ‘टैरिफ के लगते ही मुझे छोटे कारोबारियों और निवेशकों के मैसेज और ईमेल आए, जो टैरिफ के नुकसान के बारे में थे। यह सफल नीति के रूप में दिखाई नहीं देता। अगर टैरिफ के असर को फौरन नहीं रोका गया तो छोटे व्यवसायी दिवालिया हो जाएंगे।’
9 अप्रैल को ही अमेरिकी फाइनेंशियल फर्म जेपी मॉर्गन चेज एंड कंपनी के CEO जेमी डिमन ने फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि टैरिफ को लेकर आर्थिक उथल-पुथल की वजह से मंदी आना लगभग तय है। जेमी के इस बयान को भी ट्रम्प के फैसले से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने कहा, ‘पीछे हटने का कदम ट्रम्प की किसी बड़ी स्ट्रैटजी का हिस्सा था।’
विदेश मामलों के जानकार और JNU के प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं, ‘90 दिनों के लिए टैरिफ रोकना ट्रम्प का शुरुआती फैसला है। इसके पीछे कोई तर्क नहीं दिखता। वे अपने अरबपति दोस्तों से चर्चा करते हैं, न कि अर्थशास्त्रियों और जानकारों से। दोस्तों की राय से ट्रम्प कोई भी फैसला ले लेते हैं। फिर भी उनके इस फैसले का लॉजिक हो सकता है कि वह इस दौरान कई देशों से समझौते की बात करें।’
सवाल-3: टैरिफ लगाने के 7 दिन के भीतर ही ट्रम्प बैकफुट पर कैसे आए? जवाब: 2 अप्रैल को डोनाल्ड ट्रम्प ने करीब 100 देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया। इसके बाद से ही टैरिफ का विरोध शुरू हो गया और कई देशों ने वक्त मांगा। हालांकि, ज्यादातर देश चुप रहे और गिने-चुने देशों ने टैरिफ के बदले टैरिफ का फॉर्मूला अपनाया। इससे अमेरिका के इकोनॉमिक्स और बिजनेस एक्सपर्ट्स को मंदी का डर सताने लगा और ट्रम्प पर टैरिफ वापस लेने का प्रेशर बढ़ने लगा। ट्रम्प के टैरिफ पर रोक लगाने की 4 बड़ी वजहें हैं…
1. अमेरिकी अर्थव्यवस्था काे नुकसान: ट्रम्प के टैरिफ के कारण अमेरिका, भारत, जापान समेत दुनियाभर के स्टॉक मार्केट में 10 लाख करोड़ डॉलर की गिरावट आई थी। अमेरिकी शेयर बाजार का डाउ जोन्स इंडेक्स 1,200 अंक गिरा। US ट्रेजरी बॉन्ड की कीमतें घटीं और ब्याज दरें बढ़ गईं।
8 अप्रैल को अमेरिकी शेयर मार्केट का नैस्डैक 5% और गिर गया। इससे अमेरिका समेत कई देशों की अर्थव्यवस्था हिल गई। अचानक से अमेरिकी बॉन्ड्स की बिकवाली शुरू हो गई। कच्चे तेल की कीमतों में भी भारी गिरावट हुई।
2. अमेरिका में ही विरोध: अमेरिकियों में डर बैठ गया था कि टैरिफ बढ़ने से देश में सामान महंगा हो जाएगा। जेपी मॉर्गन के CEO जेमी डिमन ने इसे ‘आर्थिक संकट’ बताया। वॉलमार्ट और टेस्ला जैसी बड़ी कंपनियों ने कहा कि टैरिफ से उनकी लागत बढ़ेगी, जिससे सामान महंगा होगा और सीधा असर ग्राहकों पर पड़ेगा।
वॉलमार्ट के CEO डग मैकमिलन ने कहा कि प्रोडक्ट्स की कीमतें 15% से 20% तक बढ़ सकती हैं। वॉल स्ट्रीट के बैंकों ने टैरिफ के चलते अमेरिका में महंगाई, बेरोजगारी बढ़ने और मंदी आने की चेतावनी दी थी।

अमेरिका में ट्रम्प की नीतियों का विरोध करते अमेरिकी लोग।
3. कुछ देशों ने विरोध, कुछ ने मोहलत मांगी: बीते 7 दिनों में अमेरिका और चीन ने एक-दूसरे पर टैरिफ बढ़ाए। 11 अप्रैल को ट्रम्प ने चीन पर 145% टैरिफ लगाया। चीन ने भी अमेरिका पर 125% टैरिफ लगा दिया। यूरोपीय यूनियन ने भी अमेरिका पर नए टैरिफ को मंजूरी दे दी। वहीं वियतनाम ने अमेरिका से 45 दिनों की और बांग्लादेश ने 3 महीनों की मोहलत मांगी। कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इसे अमेरिकी नौकरियों के लिए खतरा बताया।
4. ट्रम्प के करीबियों की सलाह: ट्रम्प के कई करीबी सलाहकारों और खुद इलॉन मस्क भी टैरिफ वॉर रोकने की सलाह दे चुके थे। ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के कई नेता भी टैरिफ के खिलाफ थे। मिच मैककोनल, रैंड पॉल, सुसन कोलिन्स व लिसा मुर्कोव्स्की ने टैरिफ को ‘असंवैधानिक, अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक और कूटनीतिक रूप से खतरनाक’ बताया था।
सवाल-4: आखिर अमेरिका को टैरिफ से कितना नुकसान होने वाला था कि ट्रम्प को बैकफुट पर आना पड़ा?
जवाब: दुनियाभर के एक्सपर्ट्स और इकोनॉमिस्ट्स ने ट्रम्प के टैरिफ से होने वाले नुकसान का कैलकुलेशन किया है। ट्रम्प के टैरिफ से 4 बड़े नुकसान सिलसिलेवार पढ़िए…
1. मंदी की संभावना 40% से 60% हुई: फाइनेंशियल सर्विस कंपनी जेपी मॉर्गन के सीनियर इकोनॉमिस्ट्स ने अमेरिका में मंदी आने की संभावना 40% से बढ़ाकर 60% कर दी है। 2025 के आखिर तक अमेरिका में मंदी आने की आशंका है।
2. GDP में 8% की गिरावट का अनुमान: पेन व्हार्टन बजट मॉडल यानी PWBM के मुताबिक, ट्रम्प के टैरिफ के कारण अमेरिका की GDP में 8% की गिरावट आने का अनुमान है।
3. परिवारों को 50 लाख के नुकसान का डर: PWBM के मुताबिक, अमेरिका में नौकरीपेशा वाले लोगों की सैलरी 7% तक कम हो सकती है। वहीं एक मिडिल क्लास फैमिली को 58 हजार डॉलर, यानी 50 लाख रुपए का नुकसान हो सकता है।
4. खर्च-निवेश में कटौती: मिशिगन यूनिवर्सिटी के कंज्यूमर सेंटिमेंट इंडेक्स 3 सालों के सबसे निचले स्तर पर है। मार्च 2025 में ये आंकड़ा 57 रहा। इसके जरिए खर्च और निवेश का अनुमान लगाया जाता है। PWBM के मुताबिक, इन्वेस्टमेंट में 4.4% की कटौती हो सकती है।
सवाल-5: ट्रम्प के फैसले से भारत और दुनिया पर क्या असर पड़ेगा? जवाब: ट्रम्प के टैरिफ वापस लेने का सबसे बड़ा असर अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिला। अमेरिकी बाजार 9 अप्रैल को 12% तक चढ़कर बंद हुए। अमेरिका के नैस्डैक में 2001 के बाद सबसे बड़ी बढ़त हुई, जबकि डॉउ जोन्स में मार्च 2020 के बाद सबसे बड़ी बढ़त दर्ज की गई। अमेरिकी बाजार में लगभग 30 बिलियन शेयरों का कारोबार हुआ, जिससे यह वॉल स्ट्रीट के इतिहास में सबसे अधिक कारोबार वाला दिन बन गया।
इसके अलावा एशियाई बाजारों में भी 9% से ज्यादा की तेजी रही। हालांकि, महावीर जंयती के कारण भारतीय शेयर बाजार बंद रहे। कई एशियाई देशों के बाजार तेजी के साथ बंद हुए…
- जापान का निक्केई इंडेक्स 9.13% चढ़कर बंद हुआ।
- कोरिया का कोस्पी इंडेक्स में 6.60% की बढ़त हुई।
- ताइवान का TAIEX इंडेक्स 9.25% बढ़ा।
- चीन का शंघाई कंपोजिट इंडेक्स 1.16% चढ़कर बंद हुआ।
9 अप्रैल को भारत के केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने निर्यातकों से न घबराने की अपील की। उन्होंने कहा,

भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में सही मिश्रण और सही संतुलन यानी बराबरी की दिशा में काम कर रहा है।
प्रोफेसर राजन कुमार मानते है कि ट्रम्प के इस फैसले से ज्यादा फायदा होना मुश्किल है। वे कहते हैं, ‘ट्रम्प के इस 90 दिन की रोक को लम्बे समय के लिए फायदे के रूप में नहीं देखा जा सकता। इससे कुछ समय के लिए कई देशों की अर्थव्यवस्था सुधर सकती है, लेकिन भविष्य में फायदा होना मुश्किल है। ट्रम्प की टैरिफ पॉलिसी को वो खुद बेहतर समझते हैं। इसलिए इसके आगे मजबूर बड़े-बड़े इकोनॉमिस्ट हैं।’
सवाल-6: ट्रम्प ने चीन के लिए टैरिफ पर रोक लगाने के बजाय बढ़ाकर 125% क्यों कर दिया? जवाब: 2 अप्रैल को ट्रम्प के जैसे को तैसा टैरिफ के ऐलान के बाद से चीन और अमेरिका एक-दूसरे पर टैरिफ बढ़ा रहे हैं। चीन ने इसके विरोध में अमेरिका पर टैरिफ बढ़ाते-बढ़ाते 84% कर दिया।
वहीं ट्रम्प ने 75 देशों के लिए टैरिफ घटाकर 10% कर दिया, लेकिन सिर्फ चीन के लिए बढ़ाकर 125% कर दिया। ट्रम्प ने सोशल मीडिया ट्रूथ पर लिखा- ‘चीन ने दुनिया के बाजारों की बेइज्जती की है। मैं अमेरिका की तरफ से चीन पर लगने वाले टैरिफ को 125% कर रहा हूं। यह टैरिफ तत्काल प्रभाव से लागू होगा।’
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा,

मीडिया का कहना है कि बाकी दुनिया चीन के करीब आ जाएगी, जबकि हमने इसका उल्टा असर देखा है। पूरी दुनिया चीन को नहीं, बल्कि अमेरिका को बुला रही है, क्योंकि उन्हें हमारे बाजारों की जरूरत है।
11 अप्रैल को ट्रम्प ने चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 145% कर दिया, जबकि चीन ने भी अमेरिका पर 125% टैरिफ लगा दिया।

इंस्टीट्यूट ऑफ पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट स्टडीज में सीनियर फेलो अभिजीत अय्यर मित्रा के मुताबिक, ‘ट्रम्प इनडायरेक्ट अटैक के बड़े उस्ताद हैं। वो असली हमले को गलत फैसलों से छिपा देते हैं। ट्रम्प न केवल चीन के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को खत्म कर रहे हैं, बल्कि उसकी वित्तीय गहराई में भी पलीता लगा रहे हैं।’
सवाल-7: क्या अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर चल रहा है? जवाब: प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं, ‘ट्रेड वॉर का फॉर्मूला या डेफिनिशन तय नहीं है। ट्रेड वॉर को ऐसे समझ सकते हैं कि दो देशों के बीच ट्रेड होता है, लेकिन कुछ कारणों से टैरिफ लगा दें और ट्रेड रोकने की कोशिश करें। मौजूदा ट्रेड वॉर की बात करें तो हो सकता है कि कई देश एक-दूसरे के खिलाफ टैरिफ बढ़ाने की बात करें। लेकिन दो देशों के बीच जो जंग होती है, वो नहीं होगी।’
चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री ने कहा,

ट्रेड वॉर में कोई विनर नहीं होता। चीन ट्रेड वॉर नहीं चाहता है, लेकिन सरकार अपने लोगों के अधिकारों और हितों को नुकसान पहुंचाने या छीनने नहीं देगी।
चीन के वित्त मंत्री लैन फोआन ने रेसिप्रोकल टैरिफ को व्यापार नियमों का उल्लंघन और वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा बताया। चीन ने अमेरिका के खिलाफ वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन यानी WTO में मुकदमा दायर किया। चीन का कहना है कि वह अमेरिका के आगे नहीं झुकेगा और आखिर तक लड़ेगा।
सवाल-8: इस ट्रेड वॉर का भारत समेत अन्य देशों पर क्या असर पड़ सकता है? जवाब: अमेरिका और चीन दुनिया के दो सबसे बड़ी इकोनॉमी वाले देश हैं। दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर होने से ग्रोथ रेट धीमी हो जाएगी और मंदी भी आ सकती है। इससे भारत सहित अन्य देशों पर असर पड़ सकता है।
भारत चीन से स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामानों की बैटरी, डिसप्ले पैनल जैसे कई सामान इम्पोर्ट करता है। साथ ही फार्मा सेक्टर में काम आने वाले कच्चे माल की 70% जरूरतों के लिए भी भारत चीन पर निर्भर है। ट्रेड वॉर के चलते इन चीजों की सप्लाई प्रभावित हो सकती है या दाम बढ़ सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो भारत में इलेक्ट्रॉनिक सामानों और दवाओं के दाम बढ़ेंगे।
ट्रेड वॉर शुरू होने से चीन अमेरिका को बेचने वाले प्रोडक्ट खत्म करने के लिए कम दामों पर भारत को बेच सकता है। इसका एक उदाहरण स्टील है। अगर चीन कम दाम में भारत को स्टील एक्सपोर्ट करता है तो इससे भारतीय कंज्यूमर्स को फायदा होगा, लेकिन स्टील प्रोड्यूस कर रही भारतीय कंपनियों को नुकसान हो सकता है।
हालांकि, इस ट्रेड वॉर से भारत को सिर्फ नुकसान ही नहीं होगा, बल्कि IT, टेक और एग्रीकल्चर सेक्टर में फायदा भी हो सकता है। चीन के साथ ट्रे़ड वॉर के चलते इस सेक्टर में अमेरिका भारत की ओर रुख कर सकता है।
इससे पहले जब 2018-20 में अमेरिका और चीन ट्रेड वॉर की स्थिति में थे, तब भी भारत को नुकसान हुआ था। इस समय भारत की GDP ग्रोथ 8.3% (2017-18) से घटकर 4.2% (2019-20) हो गई थी।
सवाल-9: क्या 90 दिन बाद टैरिफ ज्यों का त्यों शुरू होगा या कुछ बदलाव संभव है?
जवाब: प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं, ‘डोनाल्ड ट्रम्प ने टैरिफ को लेकर कोई रणनीतिक फैसला नहीं किया। पहले अपनी मर्जी से टैरिफ लगा दिया और अब अपनी मर्जी से हटा दिया। ट्रम्प कोई इकोनॉमिस्ट नहीं हैं, इसलिए वे समझ नहीं पा रहे कि उनके फैसलों से दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर कितना बुरा असर पड़ सकता है। अब वे 90 दिनों तक कई देशों से बात करेंगे, समझौते होंगे। अगर मन-मुटाव दूर होते हैं, तो उम्मीद है कि टैरिफ में राहत मिले, लेकिन फिर भी कुछ कहना मुश्किल है कि ट्रम्प 90 दिन बाद क्या करेंगे।’
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रिसर्च सहयोग- श्रेया नकाड़े
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