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UP Gangster Mukhtar Ansari Death Mystery; Banda Jail | Ghazipur | मुख्तार की मौत के बाद से बैरक नंबर-16 बंद: हार्ट अटैक या जहर से मौत, एक साल बाद भी सवाल; वकील बोले- केस फिर खुलेगा


28 मार्च 2024, UP की बांदा जेल की बैरक नंबर-16 में कैद मुख्तार अंसारी की तबीयत लगातार बिगड़ रही थी। मुख्तार को पेट में तेज दर्द था, बार-बार बेहोशी छा रही थी। एक हफ्ते पहले भी उसे यही दिक्कत हुई थी। 20 मार्च को मुख्तार ने कोर्ट को बताया था उसे खाने मे

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तबीयत बिगड़ती देख जेल स्टाफ ने दोपहर करीब 3:15 बजे फोन पर मुख्तार की बात बेटे उमर अंसारी से कराई।

उमर: हैलो। मुख्‍तार: हां, बाबू बोल।

उमर: पापा, सलाम वालेकुम, आप ठीक हैं? मुख्‍तार: हां बाबू, ठीक हैं।

उमर: बस अल्‍लाह ने बचा लिया पापा। रमजान का पाक महीना चल रहा है। हमें पूरी उम्‍मीद है सब सही होगा। मुख्‍तार: 18 तारीख के बाद से रोजा ही नहीं है, न एक वक्‍त की नमाज है।

उमर: जी। मुख्‍तार: बेहोशी टाइप हो जा रही है।

उमर: हां पापा, बहुत कमजोर हो गए हैं आप। कल हम और भाभी मिलने आएंगे आपसे। मुख्‍तार: हां, दो दिन, चार दिन, पांच दिन आओ ताकि हम फिर उठ सकें। हम बैठ नहीं पा रहे हैं बाबू।

उमर: हम समझ रहे हैं पापा। वो तो दिख ही रहा है। जहर का सब असर है पापा, लेकिन अल्‍लाह बहुत बड़ा है।

इस फोन कॉल के 6 घंटे बाद मुख्तार अंसारी की मौत हो गई। बेटे से मुख्तार की आखिरी बातचीत आज भी उनका केस लड़ रहे वकीलों के फोन में सेव है। मुख्तार के वकील रणधीर सिंह सुमन दावा करते हैं कि मुख्तार को जेल के खाने में जहर दिया जा रहा था। ये बात उसने मौत से पहले घरवालों को बताई थी।

मुख्तार के बड़े भाई और गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी पहले ही कह चुके हैं कि भले मुख्तार की मौत की वजह हार्ट अटैक बताई गई हो, लेकिन सच यही है कि उन्हें जहर देकर मारा गया।

पूर्व विधायक और बाहुबली मुख्तार अंसारी की मौत को आज यानी 28 मार्च, 2025 को एक साल पूरा हो गया। बांदा जेल की बैरक नंबर 16 मुख्तार की मौत के बाद से सील है। सिर्फ मुख्तार के वकील और जांच अधिकारियों को ही अंदर जाने की परमिशन है।

बांदा जेल में मुख्तार के आखिरी दिन कैसे बीते, उसकी मौत को लेकर उठे सवाल कितने जायज हैं, जेल प्रशासन इस पर क्या कहता है और क्या आने वाले समय में मुख्तार की मौत का केस फिर खुल सकता है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर ने मुख्तार से जुड़े लोगों, वकीलों और बांदा जेल के अफसरों से बात की।

मौत से 9 दिन पहले मुख्तार ने बताया था- मुझे खाने में जहर दिया 28 मार्च, 2024 की शाम 6 बजकर 40 मिनट पर मुख्तार को उल्टियां होनी शुरू हो गईं। वो बैरक में बेहोश होकर गिर पड़ा। जेल के अफसरों ने तुरंत जिला हॉस्पिटल के डॉक्टरों को बुलाया। मुख्तार की गंभीर हालत देखकर डॉक्टरों ने उसे फौरन बांदा मेडिकल कॉलेज ले जाने की सलाह दी।

मुख्तार की तबीयत 19 मार्च से लगातार खराब चल रही थी। उसे पेट में तेज दर्द शुरू हुआ, फिर बदन अकड़ने लगा। तब जेल के डॉक्टरों ने ही उसका इलाज किया था। अगले दिन यानी 20 मार्च को मुख्तार की पेशी थी। उसे मऊ की MP-MLA कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया। पेशी के दौरान मुख्तार ने पहली बार इल्जाम लगाया कि उसे खाने में जहर दिया गया है।

मुख्तार अंसारी ने कोर्ट को बताया कि 19 मार्च की रात खाने में जहर दिया गया। इससे उसके शरीर में दर्द हो रहा है।

मुख्तार अंसारी ने कोर्ट को बताया कि 19 मार्च की रात खाने में जहर दिया गया। इससे उसके शरीर में दर्द हो रहा है।

तारीख: 20 से 26 मार्च, 2024 पेट में दर्द की शिकायत, वॉशरूम में बेहोश हुआ मुख्तार 20 से 25 मार्च की रात तक मुख्तार की तबीयत ठीक थी, लेकिन पेट में दर्द बना रहा। 26 मार्च की सुबह 3 बजे मुख्तार बैरक के वॉशरूम में बेहोश होकर गिर पड़ा। उसकी हालत देख जेल का स्टाफ भी घबरा गया।

मुख्तार को तुरंत बांदा मेडिकल कॉलेज भेजा गया। 17 घंटे तक उसका इलाज चला। रात 8 बजे मुख्तार के नॉर्मल होते ही डॉक्टरों ने उसे डिस्चार्ज कर दिया। हॉस्पिटल से जेल लौटने से पहले मुख्तार ने फोन पर परिवार से बात की थी। उसने घरवालों को अपनी हालत के बारे में बताया था।

28 मार्च, 2024 रह-रहकर बेहोशी आती रही, हालत बिगड़ने पर हॉस्पिटल भेजा हॉस्पिटल से लौटने के बाद 27 मार्च तक मुख्तार की हालत ठीक थी। हालांकि, कमजोरी और पेट में दर्द बना हुआ था। 28 मार्च की दोपहर 3:15 बजे उसकी बेटे उमर से बात करवाई गई। इसी दौरान मुख्तार ने बताया कि उसे रह-रहकर बेहोशी आ रही है। उससे चला भी नहीं जा रहा है। उसने बेटे से मिलने की इच्छा जताई।

शाम 6 बजकर 40 मिनट पर अचानक मुख्तार की तबीयत फिर बिगड़ी और वो बैरक में बेसुध होकर गिर पड़ा। जेल के डॉक्टरों को बुलाया गया। उन्होंने उसे बांदा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। ये दूसरा मौका था, जब मुख्तार को 48 घंटे के अंदर दूसरी बार मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। उसे बेहोशी की हालत में हॉस्पिटल पहुंचाया गया। उसकी हालत नाजुक थी।

ढाई घंटे चले इलाज के बाद रात 9:40 बजे डॉक्टरों ने कह दिया कि मुख्तार अब जिंदा नहीं है।

28 मार्च, रात 10:30 बजे मुख्तार की बॉडी मॉर्चुरी लाई गई। अगले दिन 5 डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमॉर्टम किया। डॉक्टरों ने मुख्तार की मौत की वजह कार्डियक अरेस्ट बताई।

28 मार्च, रात 10:30 बजे मुख्तार की बॉडी मॉर्चुरी लाई गई। अगले दिन 5 डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमॉर्टम किया। डॉक्टरों ने मुख्तार की मौत की वजह कार्डियक अरेस्ट बताई।

जहर से मौत या हार्ट अटैक, एक साल बाद भी सवाल बरकरार जेल में बंद मुख्तार की मौत जहर से हुई या फिर हार्ट अटैक से, ये सवाल एक साल बाद भी वहीं का वहीं है। मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी उसकी मौत को सरकार और जेल प्रशासन की मिलीभगत मानते हैं।

भाई की मौत के बाद उन्होंने कहा था, ‘मुख्तार ने मरने से पहले कोर्ट में बताया था कि उन्हें जहर दिया जा रहा है। कोर्ट ने इस पर रिपोर्ट भी मांगी थी। 20 मार्च की रात भाई से मेरी बात हुई थी। 26 मार्च को सुबह हमें बताया गया कि मुख्तार मेडिकल कॉलेज में भर्ती है। यह साधारण बात नहीं थी क्योंकि उन्होंने खाने में जहर दिए जाने की आशंका जताई थी।’

‘20 मार्च को हॉस्पिटल में हमें 5 मिनट के लिए मुख्तार से मिलने दिया गया। तब भी उन्होंने हमसे कहा था कि 19 तारीख की रात मुझे जहर दिया गया। हमने डॉक्टरों से इलाज के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि एक्सरे और अल्ट्रासाउंड कराया गया है। आप बताइए कि अगर किसी को जहर दिया गया है, तो उसके लिवर, पित्त और अमाशय की जांच होगी या उसका एक्सरे और अल्ट्रासाउंड होगा।’

‘26 मार्च के दिन मुख्तार को ICU में एडमिट कराया गया। शाम में उसे फिट बताकर व्हीलचेयर पर बैठाकर जेल भेज दिया। ये कैसा इलाज था। 24 घंटे तक उसे जेल में रखा गया। फिर 28 मार्च को जब मौत हुई तो डॉक्टरों ने कहा कि ये कार्डियक अरेस्ट का केस है। ये सब मिलीभगत है। अगर हार्ट अटैक भी आया, तो उसकी वजह है कि मुख्तार को जहर दिया गया था।’

मुख्तार के वकील बोले- केस की फाइलें फिर खुलेंगी मुख्तार के वकील रणधीर सिंह सुमन उसकी मौत को प्लांड मर्डर बताते हैं। वे कहते हैं, ‘मुख्तार पूर्वी UP के सबसे बड़े नेता थे। कई सरकारें उनके रुतबे के आगे दबती रहीं। यही वजह है कि उन्हें रास्ते से हटाने के लिए जेल में उनकी हत्या कर दी गई।’

‘मुख्तार अंसारी को हाथ-पैर और नसों में दर्द की वजह से बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया था। डॉक्टरों ने उनकी मौत की वजह हार्ट अटैक को बताया। दूसरी तरफ, बांदा जेल प्रशासन अब तक कहता रहा है कि मुख्तार को जेल में हार्ट अटैक आया। इसके बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। वहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। दोनों बयानों में फर्क है। यही फर्क मुख्तार की मौत को संदिग्ध बनाता है।’

क्या ये केस फिर खुल सकता है? वकील रणधीर सिंह सुमन जवाब देते हैं, ‘मुख्तार की मौत पर जो सवाल एक साल पहले उठाए गए, वे आज भी जिंदा हैं। सरकार बदलने के बाद निश्चित है कि ये केस दोबारा खुलेगा। इसमें शामिल सभी अफसर और जेल अधिकारी जेल जाएंगे।ट

5 महीने चली मुख्तार की मौत की जांच मुख्तार की मौत के बाद से अब तक बांदा जेल में क्या हुआ, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में क्या आया, जेल में रखा उसका सामान किसे मिलेगा, जेल में इलाज करने वाले डॉक्टर उसकी मौत पर क्या कहते हैं। इन सवालों के जवाब जानने हम बांदा जेल पहुंचे।

सबसे पहले बांदा जेल के सुपरिटेंडेंट अनिल कुमार गौतम से बात की। वे कैमरे पर बात करने के लिए तैयार नहीं हुए। अनिल कुमार मुख्तार की मौत के बाद हुई मजिस्ट्रियल जांच और इससे जुड़ी इन्वेस्टिगेशन के बारे में बताते हैं-

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मुख्तार के पोस्टमॉर्टम के बाद विसरा को जांच के लिए लखनऊ भेजा गया था। इसकी रिपोर्ट 20 अप्रैल को आ गई थी। इसमें जहर की पुष्टि नहीं हुई।

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‘मुख्तार के घरवालों ने जेल प्रशासन पर स्लो पॉइजन देने का आरोप लगाया था। शासन के आदेश पर मौत की वजह जानने के लिए मजिस्ट्रियल जांच बैठाई गई थी। अप्रैल से अगस्त 2024 तक चली इस जांच में जेल अधिकारियों, मुख्तार का इलाज करने वाले जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर, PM करने वाले डॉक्टरों समेत 100 लोगों के बयान लिए गए।’

अनिल कुमार गौतम कहते हैं, ‘मुख्तार दो साल तक बांदा जेल में रहा। उसकी मौत के बाद उसका सामान, कपड़े और किताबें हमारी कस्टडी में हैं। कोर्ट ने इन चीजों को उनके परिवार को हैंडओवर करने का ऑर्डर दिया है। जल्द ही उनके वकील ये सामान ले जाएंगे।’

डॉक्टर बोले- आखिरी दिनों में मुख्तार को ज्यादा खाने से दिक्कत बढ़ी मुख्तार का पोस्टमॉर्टम करने वाली 5 डॉक्टरों की टीम के सहायक रहे हरिलाल से हमने बात की। वे कहते हैं, ‘28 मार्च को हमें मुख्तार की डेडबॉडी मिली थी। पूरी रात बॉडी पुलिस की निगरानी में यहीं रखी रही। अगले दिन 29 मार्च की दोपहर 2:30 बजे से शाम 4 बजे तक वीडियोग्राफी कराकर पोस्टमॉर्टम हुआ। इसके बाद विसरा को जांच के लिए लखनऊ भेज दिया गया।’

बांदा जिला अस्पताल के डॉक्टर मुख्तार के ट्रीटमेंट के लिए जेल आते थे। डॉक्टरों की टीम से जुड़े सोर्स ने बताया, ‘मुख्तार का बर्ताव डॉक्टरों से काफी अच्छा था। वे ट्रीटमेंट के लिए जेल जाते, तो मुख्तार बहुत हंसी-मजाक करते थे। जेल में रहते हुए मुख्तार को पेट की दिक्कत रहती थी। एक बार उन्हें बदहजमी और गैस की शिकायत हो गई थी। पूछने पर पता चला कि उन्होंने 15 पूड़ियां खा ली थीं। वे एक साथ 10-10 संतरे खा लेते थे।’

डॉक्टर बोले- सिर्फ बेहोशी आना स्लो पॉइजनिंग के लक्षण नहीं मुख्तार की बेटे उमर से आखिरी बातचीत में उसने बेहोशी और जहर के असर की बातें कही थीं। इस पर हमने लखनऊ के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल के CMS डॉ. राजेश श्रीवास्तव से बात की। पढ़िए पूरी बातचीत।

सवाल: किसी को लगातार बेहोशी आना या चलने में तकलीफ का मतलब क्या ये हो सकता है कि उसे स्लो पॉइजन दिया जा रहा हो? जवाब: जेल में रहने वाले कैदियों में आमतौर पर प्रॉपर डाइट न मिलने से भी बेहोशी जैसी दिक्कतें आती हैं। इसे धीमा जहर दिए जाने से जोड़ना गलत है।

सवाल: अगर किसी को खाने में धीमा जहर दिया जाए तो कितनी देर में असर दिखना शुरू होता है? जवाब: स्लो पॉइजन का असर ह्यूमन बॉडी पर कुछ मिनटों में ही दिखने लगता है। ऐसा नहीं है कि कई दिनों तक रुक-रुककर महसूस हो। कई बार ऑर्गनोफॉस्फोरस जैसी चीजें खाने में मिलकर लंबे समय तक असर दिखा सकती हैं, लेकिन ये बहुत रेयर है।

मुख्तार को UP की जेलों में पंजाब जैसा ट्रीटमेंट नहीं मिला हम UP के पूर्व IPS अधिकारी राजेश कुमार पांडे से भी मिले। पांडे ने 2016 में मुख्तार पर पत्रकार को पीटने का केस दर्ज करवाया था। वे मुख्तार गैंग के खिलाफ चले ऑपरेशन के साथ-साथ 70 एनकाउंटर में भी शामिल रहे हैं।

राजेश कहते हैं, ‘मुख्तार की मौत का मामला पूरी तरह से खुल चुका है। इसमें अब तक जहर दिए जाने जैसी कोई बात सामने नहीं आई है। हालांकि, उसके भाई अफजाल कानून के हर पहलू पर जा रहे हैं। वे कई बार कह चुके हैं कि मुख्तार को जेल में जहर दिया गया। सच यही है कि उसकी मौत बीमारी की वजह से हुई।’

‘मुख्तार के खिलाफ मुकदमों का ट्रायल नहीं हुआ। उसे कभी सजा नहीं होती थी। उसके खिलाफ जो गवाही देने जाता, वो या तो किडनैप हो जाता या फिर कोर्ट आने के काबिल नहीं बचता था। मुख्तार ने UP और पंजाब की जेलों में रहते हुए अपना साम्राज्य खड़ा किया, जो उसकी मौत के बाद ढह चुका है।’

बेटे अब्बास के पास मुख्तार की विरासत इसके जवाब में लखनऊ हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट मनोज कुमार सिंह कहते हैं, ‘मुख्तार की मौत के बाद उसका IS-191 गैंग बिखर गया है। पत्नी फरारी काट रही है, उस पर इनाम घोषित है। कभी गैंग में 20 से ज्यादा शूटर्स थे, अब मुश्किल से दो-तीन बचे हैं। वे भी फरार चल रहे हैं। STF उनकी तलाश कर रही है।’

‘मुख्तार का बड़ा बेटा अब्बास सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर मऊ सीट से विधायक है। उसे भी हाल में जमानत मिली है। छोटा बेटा उमर लाइमलाइट में नहीं रहता। ऐसे में मुख्तार की लीगेसी संभालने के लिए अंसारी परिवार अब्बास को ही आगे करेगा।’

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2017 से ही अंसारी परिवार के रियल एस्टेट, पेट्रोल पंप, होटल और ट्रांसपोर्ट बिजनेस पर राज्य सरकार कार्रवाई करती रही है। अब उनके पास जितना भी लीगल बिजनेस बचा है, मुख्तार के दोनों बेटों के साथ भाई सिबकतुल्लाह और अफजाल देखेंगे।

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‘एक बार मान लिया जाए कि अब्बास परिवार की राजनीति बढ़ा सकते हैं, लेकिन उनकी पार्टी योगी सरकार में सहयोगी है। ऐसे में पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर चाहकर भी अब्बास को बड़ा पद नहीं दे सकते। इसलिए मुख्तार की पॉलिटिकल लीगेसी को आगे कौन ले जा सकता है, इस पर कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी।’

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