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UP Meerut Baraat Controversy; Dalit Family Vs Rajput | Bhim Army | ‘बारात रुकवाई-डीजे बंद करवाया, दूल्हे पर तानी बंदूक’: आगरा-बुलंदशहर में दलित दूल्हों को घोड़ी से उतारा, पीड़ित बोले- पुलिस ने नहीं दी सुरक्षा


‘मेरे बेटे विशाल की बारात निकल रही थी। तभी कुछ लोग आ गए। उन्होंने बैंड-बाजे बंद करवा दिए। फिर वीडियोग्राफी बंद करवा दी। बेटे पर बंदूक तान दी। कहने लगे कि यहां से बारात नहीं निकलने देंगे।’

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आगरा के धनौली गांव में रहने वाले मुकेश के बेटे की शादी 6 मार्च को थी। गांव के एक रसूखदार परिवार ने बारात रुकवा दी। मुकेश कहते हैं, ‘हम दलित हैं, इसीलिए हमारे साथ ऐसा हुआ। हमारे साथ मारपीट की।’

इसका आरोप गांव के ही विष्णु शर्मा पर है। उस दिन उनके बेटे की भी बारात निकल रही थी। 7 मार्च को मुकेश ने पुलिस से शिकायत की। आरोप है कि पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया। तीन दिन बाद 10 मार्च को केस दर्ज किया गया।

जाति के नाम पर ये बर्ताव झेलने वाले मुकेश अकेले नहीं हैं। UP के ही बुलंदशहर में फरवरी में एक गांव से ऐसी दो घटनाएं सामने आईं। यहां भी दलित परिवार के लड़कों को बैंड-बाजे के साथ बारात नहीं निकालने दी गई। इसकी वजह क्या थी, विक्टिम परिवारों का क्या कहना है, आरोपी क्या कह रहे हैं। ये जानने दैनिक भास्कर ग्राउंड पर पहुंचा।

आगरा के धनौली गांव में मुकेश कुमार के बेटे विशाल की बारात की तस्वीर है। इसमें शादी के दौरान ही दूल्हे को घोड़ी से उतार दिया गया।

आगरा के धनौली गांव में मुकेश कुमार के बेटे विशाल की बारात की तस्वीर है। इसमें शादी के दौरान ही दूल्हे को घोड़ी से उतार दिया गया।

पहले आगरा की घटना… बैंड-बाजा और वीडियोग्राफी बंद कराई, बाबा साहेब की तस्वीर तोड़ी सबसे पहले हम धनौली गांव पहुंचे। यहां मुकेश कुमार मिले। 6 मार्च को मुकेश के बेटे विशाल की शादी थी। गांव से 2 किलोमीटर दूर अजीजपुर के मैरिज हॉल में कार्यक्रम होना था। मैरिज हॉल पहुंचने से पहले ही बारातियों की गांव में रहने वाले कुछ लोगों से झड़प हो गई। बारात को रास्ता देने को लेकर विवाद शुरू हुआ और बात मारपीट तक पहुंच गई।

मुकेश आरोप लगाते हैं, ‘बारात में बाबा साहेब और गौतम बुद्ध की फोटो देखकर लोग भड़क गए। उन्होंने बैंड-बाजा, वीडियोग्राफी बंद करा दी। ये सभी अजीजपुर के ही रहने वाले हैं। उन्होंने बंदूक मंगवाई और मेरे बेटे पर तान दी। कहने लगे कि दलितों की बारात यहां से नहीं निकलेगी। उन्होंने बाबा साहेब की फोटो भी तोड़ दी।’

मुकेश धनौली में ही जूतों की मरम्मत का काम करते हैं। शादी में डॉ. आंबेडकर की फोटो ले जाने पर वे कहते हैं, ‘बाबा साहेब हमारे लिए भगवान हैं। हमारे पास जो भी है, सब उन्हीं की वजह से है। ये लड़ाई हमारी जाति की वजह से हुई। आरोपियों से पुरानी जान-पहचान नहीं थी।‘

मुकेश के बेटे विशाल भी यही मानते हैं। कहते हैं, ‘रास्ते में मिट्टी पड़ी थी। हम निकलने की जगह बना रहे थे, लेकिन वे लोग मारपीट करने पहुंच गए। वे कह रहे थे कि यहां दलितों की बारात घोड़ी नहीं चढ़ेगी। इसे नीचे उतारो।’

आरोपी परिवार बोला- बेटे की बारात निकल रही थी, रास्ता न देने पर विवाद हुआ इस मामले में अजीजपुर के रहने वाले विष्णु शर्मा मुख्य आरोपी हैं। 6 मार्च को उनके बेटे की भी शादी थी। हम उनके घर पहुंचे। उनसे हमारी मुलाकात नहीं हो पाई। घर पर उनकी पत्नी मधु शर्मा मिलीं।

वे बताती हैं, ‘उस दिन मेरे बेटे यश की बारात निकल रही थी। मैं गाड़ी में बैठी थी। ड्राइवर ने रास्ता मांगने के लिए काफी देर तक हॉर्न बजाया, लेकिन वे लोग रास्ता नहीं दे रहे थे। कार में मेरी बेटियां भी थीं। उनकी बारात में शामिल लड़कों ने हमारी गाड़ी में घूंसा मारने की कोशिश की। हमारे ड्राइवर को भी मारना चाहा।‘

मधु दावा करती हैं कि वहां कोई मारपीट नहीं हुई। हालांकि, कई वीडियो में दिख रहा है कि एक लड़का भीड़ में बंदूक लेकर घूम रहा है। मधु मानती हैं कि वीडियो में दिख रही बंदूक उनके परिवार की है।

वे कहती हैं, ‘बारात को रास्ता न मिलने पर एक लड़के ने मेरे पति को फोन कर दिया। बेटे की शादी थी, तो सेफ्टी के लिहाज से वो मैरिज हॉल में राइफल लेकर गए थे। विवाद हुआ तो उन्होंने बेटे के हाथ में राइफल थमाई थी। बस यही बात है। बाकी जो भी आरोप लग रहे हैं, वे सभी झूठे हैं।‘

आरोपी पक्ष का कहना है कि वहां सिर्फ विवाद हुआ, लेकिन कोई मारपीट नहीं हुई।

आरोपी पक्ष का कहना है कि वहां सिर्फ विवाद हुआ, लेकिन कोई मारपीट नहीं हुई।

पुलिस पर आरोप- देर से केस दर्ज किया मुकेश कहते हैं, ‘हमने बहुत मुश्किल से केस दर्ज करवाया। केस दर्ज नहीं होने पर भीम आर्मी के लोग आए। हम 10 मार्च को 50-60 लोगों को लेकर थाने गए। तब जाकर पुलिस ने शाम को केस दर्ज किया। पुलिस को आरोपियों के हथियार जब्त करने चाहिए।‘

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आज की सरकार में हमारी कौन सुनता है। दलितों को लोग कीड़ा समझते हैं। जब जैसा चाहो, कर लो।

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पुलिस का जवाब- आवेदन देर से दिया, इसलिए FIR लेट हुई FIR में देरी पर हमने पुलिस से पूछा, तो जवाब मिला कि केस दर्ज करने में देरी नहीं हुई। आगरा के सैंया एरिया के ACP देवेश सिंह इस मामले में जांच अधिकारी हैं। वे कहते हैं, ‘आप आवेदक से पूछिए कि आवेदन देने में देरी क्यों की। घटना 6 मार्च को हुई थी, तो आवेदन 7 मार्च को क्यों दिया। उन्होंने आवेदन देने में देरी की, इसलिए FIR देरी से दर्ज हुई। जांच करने के बाद हमने केस दर्ज किया है।‘

ACP ने बताया कि अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। उन्होंने ये भी कहा कि किसी की बारात रोकी नहीं गई थी, ना ही किसी को घोड़ी चढ़ने से रोका गया।

अब बात बुलंदशहर की… पुलिस पर डीजे बंद कराने का आरोप आगरा के बाद हम बुलंदशहर पहुंचे। यहां के धमरावली गांव में फरवरी में दो ऐसी ही घटनाएं हुई थीं। गांव में घुसते ही सड़क पर एक बोर्ड लगा है। इस पर लिखा है- ‘राजपूताना गढ़ धमरावली, जय राजपूताना, राजपूत एकता जिंदाबाद, जय मां भवानी, क्षत्रिय धर्म सर्वोपरि, क्षत्रिय धर्म युगे युगे।‘ आगे बढ़े तो इसी तरह का एक और बोर्ड गांव में लगा है, जिस पर लिखा है- राजपूताना क्षेत्र।

बुलंदशहर के धमरावली गांव के एंट्री पॉइंट पर लगे बोर्ड की तस्वीर।

बुलंदशहर के धमरावली गांव के एंट्री पॉइंट पर लगे बोर्ड की तस्वीर।

गांव में 16 और 20 फरवरी को दलित युवकों की बारात निकलने के दौरान विवाद हुआ। 16 फरवरी को जाटव कम्युनिटी से आने वाले भगवंत के बेटे छोटू की शादी थी। छोटू प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं। बारात में हुए विवाद को लेकर वे बताते हैं, ‘ठाकुरों के मोहल्ले में मेरी बारात पहुंची, तो कुछ लोगों ने डीजे बंद करवा दिया।‘

‘वे कहने लगे कि दलित हमारे रास्ते से घोड़ी पर चढ़कर नहीं जाएगा। ये सब प्रधान कविता सोलंकी के घर के सामने हुआ। हम बिना डीजे के ही आगे गए। विरोध करने पर पुलिस पहुंची। पुलिसवालों ने भी कहा कि बिना डीजे के चले जाओ।‘

आरोप- रसूखदारों ने बारात में गाना न बजाने की धमकी दी इसी गांव में 20 फरवरी को सुरेंद्र के बेटे अरुण भारती की शादी थी। सुरेंद्र जाटव समुदाय से आते हैं। अरुण की बारात में खूब हंगामा हुआ। लाठी-डंडे चलने और मारपीट का वीडियो भी वायरल हुआ।

सुरेंद्र बताते हैं, ‘16 फरवरी को गांव में हमारे समाज की शादी में बहुत हंगामा हुआ था। इसे देखते हुए मैंने अपने बेटे की शादी के लिए थाने में आवेदन दिया था। पुलिस से सुरक्षा मांगी थी।‘

सुरेंद्र ने आवेदन में आरोप लगाया था कि धमरावली गांव के ठाकुर बारात नहीं निकलने देने की धमकी दे रहे हैं। सुरेंद्र आगे कहते हैं-

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मेरे बेटे की शादी से एक दिन पहले एक ठाकुर लड़का हमारे घर आया। बोला कि बारात में गाने मत बजाना, तो कोई लड़ाई नहीं होगी।

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‘20 फरवरी को हमारी बारात जैसे ही ठाकुरों के दरवाजे की तरफ पहुंची, तो उन्होंने हंगामा कर दिया। वे कहने लगे कि तुम्हारी बारात नहीं निकलने देंगे। हमारे मंदिर में भी ताला लगवा दिया। लाइट कटवा दी।‘

‘हमने विरोध किया तो कई लोग प्रधान के घर से लाठी-डंडे लेकर निकल आए। वे चाहते हैं कि हम उनके इलाके से न निकलें। लड़के का सेहरा उतार दिया। मारपीट करने लगे।‘

बुलंदशहर के धमरावली गांव में 20 फरवरी को सुरेंद्र के बेटे अरुण भारती की शादी थी। इस दौरान बारात में गाना बजाने और दूल्हे के घोड़ी पर चढ़ने को लेकर विवाद हुआ।

बुलंदशहर के धमरावली गांव में 20 फरवरी को सुरेंद्र के बेटे अरुण भारती की शादी थी। इस दौरान बारात में गाना बजाने और दूल्हे के घोड़ी पर चढ़ने को लेकर विवाद हुआ।

‘प्रधान के घर से शुरू हुआ हंगामा, पहले से जमा थे लोग’ सुरेंद्र आरोप लगाते हैं, ‘प्रधान के घर से ही सब शुरू हुआ। उन्होंने पहले से लोगों को इकट्ठा कर रखा था। हम शिकायत करने थाने जा रहे थे, तब पुलिस ने गाड़ी का पीछा कर हमें रोकने की कोशिश की।‘

सुरेंद्र ने हमसे वो वीडियो भी शेयर किया, जिसमें पुलिसवाले उनकी गाड़ियों के पीछे आ रहे हैं। आरोप है कि पुलिस ने ट्रैक्टर की चाबी निकाल ली। वे नहीं चाहते थे कि केस दर्ज हो।‘

इस झगड़े में धमरावली के रोहित कुमार घायल हुए थे। एक वीडियो में उनके सिर से खून बहता दिख रहा है। उनके सिर और शरीर के दूसरे हिस्सों पर अब भी चोट के निशान हैं। रोहित बताते हैं, ‘आवेदन देने के बाद गांव में पुलिसवाले आए थे, लेकिन फिर बातचीत करके चले गए। जब बारात निकल रही थी, तब पुलिस वाले नहीं थे।’

सुरेंद्र और उनके परिवार का आरोप है कि विवाद गांव के प्रधान के घर के सामने हुआ। वहां पहले से लोग जमा थे।

सुरेंद्र और उनके परिवार का आरोप है कि विवाद गांव के प्रधान के घर के सामने हुआ। वहां पहले से लोग जमा थे।

प्रधान बोलीं- जातिसूचक गाने पर हंगामा हुआ, ये बच्चों के बीच की बात इस विवाद पर हमने गांव की प्रधान कविता सोलंकी से भी बात की। वे जाति की वजह से भेदभाव के आरोपों को गलत बताती हैं। वे इसे बच्चों के बीच का झगड़ा बताती हैं। इस मामले में उनके पति कृपाल सिंह के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ है। प्रधान लाठी चलने और पथराव की बात से भी इनकार करती हैं।

कविता कहती हैं, ‘उन लोगों से कहा गया था कि ज्यादा भीड़ मत लगाओ और थोड़ा-थोड़ा करके निकल जाओ। छोटे-छोटे बच्चों की आपस में लड़ाई हो गई थी।‘

धमकी के आरोप पर वे कहती हैं, ‘उनसे सिर्फ कहा गया था कि जातिवाद के गाने नहीं चलाओगे। 16 तारीख को उन्होंने हमारे घर के सामने कपड़े उतारकर जातिसूचक गाने बजाए।‘

गांव के बाहर लगे ‘राजपूताना गढ़ धमरावली’ बोर्ड को लेकर हमने सवाल किया तो जवाब मिला, ‘ऐसा कुछ नहीं है। उन लोगों की भी आंबेडकर की मूर्ति लगी है। महाराणा प्रताप का बोर्ड है, किसी का निजी नहीं है। बच्चों के मन की इच्छा थी, उन्होंने लगवा दिया। इसका उस घटना से कोई लेना-देना नहीं है।’

बुलंदशहर सिटी ASP ऋजुल मामले की जांच कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मामले में 7 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। अब उन्हें जमानत मिल गई है। दोनों पक्षों के साथ शांति कमेटी की बैठक हुई। अब मामला शांत है। घटना के एक महीने बाद भी गांव में पुलिस तैनात है।

एक्सपर्ट बोले- पुलिस बिना पक्षपात और दबाव के जांच करे, तभी न्याय मिलेगा ऐसे मामले क्यों हो रहे हैं, इसे समझने के लिए हमने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की पूर्व प्रोफेसर सुधा पाई से बात की। वे कहती हैं, ‘पश्चिमी UP में ऐसा काफी पहले से हो रहा है क्योंकि वहां दलित समुदाय खासकर जाटव ज्यादा एग्रेसिव हैं। दलित पॉलिटिक्स एक्टिव होने के कारण यहां टकराव भी काफी देखने को मिला है।’

सुधा पाई के मुताबिक, ‘दलित पिछले कुछ सालों में समृद्ध हुए हैं। इसलिए वे सारी चीजें कर रहे हैं।’

दलितों के खिलाफ भेदभाव और हिंसा पर काम करने वाले और जयपुर में ‘दलित अधिकार केंद्र’ के अध्यक्ष सतीश कुमार कहते हैं, ‘इस तरह के मामलों में सजा जरूरी है, लेकिन उससे भी पहले जरूरी है कि ऐसे मामलों में निष्पक्ष जांच हो। दलितों के घोड़ी चढ़ने का विवाद राजस्थान से ही शुरू हुआ था। धीरे-धीरे UP, मध्य प्रदेश में ऐसे मामले आने लगे। इस पर सही तरीके से कार्रवाई नहीं हुई।’

सतीश कहते हैं, ‘जब तक पुलिस बिना पक्षपात और दबाव के जांच नहीं करेगी, तब तक न्याय नहीं मिलेगा। कई मामलों में सही धाराएं ही नहीं लग रही हैं। जांच एजेंसियों को मजबूत करने की जरूरत है। सरकार अगर सोच ले तो ऐसी घटनाओं का ग्राफ काफी नीचे आ जाएगा। देखना होगा कि कानूनों का कितना इस्तेमाल हो रहा है।’

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हमारे पास 15 साल में कम से कम 10 केस ऐसे आए, जिसमें डेड बॉडी को भी आम रास्तों से नहीं निकलने दिया गया। ये सीधे-सीधे छुआछूत से जुड़ा है।

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इस पूरे मामले पर हमने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष किशोर मकवाना से भी संपर्क करने की कोशिश की। जवाब न मिलने पर ई-मेल भेजकर उनसे पूछा कि इस तरह के मामलों में आयोग ने अब तक क्या कार्रवाई की है। रिपोर्ट लिखे जाने तक आयोग की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। जवाब आते ही अपडेट करेंगे।

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