‘मैं लंच करने घर आया था। तभी मेरा सिर घूमने लगा। मुझे लगा चक्कर आ रहा है। कुछ ही सेकेंड में समझ आ गया कि ये चक्कर नहीं, भूकंप है। बिल्डिंग हिल रही थी। मैं थर्ड फ्लोर से तुरंत नीचे भागा। मैं जहां रहता हूं, वहां रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 5 थी।
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सुखनिदान सिंह थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक से करीब 800 किमी नॉर्थ में चियानमई सिटी में रहते हैं। ये शहर म्यांमार बॉर्डर से सटा है। सुखनिदान डॉक्टर हैं और थाईलैंड में रिसर्च का काम करते हैं। भूकंप आने के कुछ ही मिनट बाद दैनिक भास्कर ने सुखनिदान से बात की।
सुखनिदान हमसे बात करते वक्त तक घर के पास एक पार्क में बैठे थे। यहीं बिल्डिंग के बाकी लोगों को भी रुकने के लिए कहा गया था। म्यांमार में 28 मार्च की सुबह 11:50 बजे 7.7 तीव्रता का भूकंप आया। इसके झटके भारत, थाईलैंड, बांग्लादेश और चीन समेत 5 देशों में महसूस किए गए। सबसे ज्यादा असर म्यांमार और थाईलैंड में हुआ है।

हमने थाईलैंड में रह रहे कुछ भारतीयों और इंडियन टूरिस्ट से बात की और वहां के हालात समझने की कोशिश की।
म्यांमार के बॉर्डर पर बसे थाईलैंड के शहर का हाल… बिल्डिंग क्रैक होने और टूटने-फूटने की आवाजें आई, लोग पार्क में बैठे सुखनिदान सिंह आगे बताते हैं, ‘मैं ही नहीं, बिल्डिंग में मौजूद हर किसी के चेहरे पर भूकंप के बाद का डर देखा जा सकता था। नीचे से भागते हुए बिल्डिंग क्रैक होने और टूटने-फूटने की आवाजें आ रही थीं। ऐसा लग रहा था कि बिल्डिंग क्रैक हो चुकी है। मैं इतना डर गया था कि नीचे भागते हुए सीढ़ियों पर ही गिर गया।‘
‘लोकल प्रशासन ने बताया कि बिल्डिंग के अंदर वापस नहीं जाना है। अभी ऑफ्टर शॉक आ सकते हैं।‘

‘इमारतें हिल रही थीं, एक तो आंखों के सामने धराशायी हो गई’ आयमान नासिर पिछले 28 साल से बैंकॉक में रह रहे हैं। वो ज्वैलरी के कारोबार से जुड़े हैं। नासिर कहते हैं, ‘मैं मस्जिद में था। अचानक लगा कि कुछ हिल रहा है। अभी रोजे चल रहे हैं, तो मुझे लगा कि ये कमजोरी की वजह से है। झटके तेज हुए तो समझ आया कि ये भूकंप के झटके हैं।‘
‘मस्जिद के बाहर निकला तो देखा ऊंची-ऊंची इमारतें हिल रही थीं। एक बिल्डिंग मेरी आंखों के सामने गिर गई। पास ही मौजूद एक बिल्डिंग के टॉप फ्लोर से पूल का पानी छलक रहा था। ये सब करीब 5 मिनट तक चलता रहा।’

बैंकॉक में भूकंप के बाद बिल्डिंग के टॉप फ्लोर से पूल का पानी छलकने लगा।
आयमान ने बैंकॉक में भूकंप के बाद की कुछ तस्वीरें भी शेयर की हैं। आयमान यहां से बैंकॉक के लटसन और सेंट लुईस हॉस्पिटल पहुंचे। यहां भूकंप के डर की वजह से हॉस्पिटल में एडमिट सभी मरीजों को बाहर निकाला जा रहा था। हॉस्पिटल के बाहर की सड़क स्ट्रेचर लगाए गए और उस पर मरीजों को लिटाया गया। हॉस्पिटल स्टाफ से लेकर पेशेंट तक सभी डरे हुए थे।

भूकंप के झटके के बाद बैंकॉक के लटसन और सेंट लुईस हॉस्पिटल से मरीजों और स्टाफ को बाहर निकालना पड़ा। सड़क पर ही स्ट्रेचर लगाकर मरीजों को लिटाया गया।
आयमान बताते हैं, ‘मेरे घर पास एक अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग धराशायी हो गई। भूकंप की वजह से कुछ और इमारतों को भी नुकसान हुआ है। इसमें जानमाल के भी काफी नुकसान की आशंका है, लेकिन अब तक आंकड़ा साफ नहीं है। भूकंप के बाद से दफ्तर और दुकानें बंद हैं।’
‘बैंकॉक शहर भूकंप के लिए तैयार नहीं, ये हमारा पहला अनुभव’ दिल्ली की पत्रलेखा पेशे से जर्नलिस्ट हैं। अभी अपने पार्टनर के साथ बैंकॉक में रह रही हैं। वे शहर के ठीक बीचों-बीच रहती हैं। पत्रलेखा बताती हैं, ‘भूकंप आया, तब मैं घर पर अकेली थी। मैं देर से सोकर उठी। नाश्ता करके बैठी ही थी कि दोपहर करीब 1 बजे कुछ हिलने जैसा महसूस हुआ। मुझे वर्टिगो (चक्कर आना, डिजिनेस) की दिक्कत है। इसलिए लगा कि ये उसी की वजह से है। झटके तेज होते गए, तो मुझे यकीन हो गया कि ये भूकंप ही है।’
’पिछले कई साल से यहां कभी भूकंप नहीं आया। न ही ये सीस्मिक जोन में है, जहां भूकंप आने की आशंका हो। इसलिए मुझे यकीन नहीं हो रहा था। शायद इसीलिए थाईलैंड में भूकंप की स्थिति से निपटने के लिए कोई इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। भूकंप के झटके तेज हो गए, तो मैं चल भी नहीं पा रही थी। मैं दीवार का सहारा लेते हुए ग्राउंड फ्लोर की तरफ आगे बढ़ी।’

बैंकॉक में भूकंप के झटके लगते ही लोग घरों और दफ्तरों से भागकर सड़कों और गार्डन में आ गए।
पत्रलेखा की तरह ही उनकी बिल्डिंग में रहने वाले सभी लोग नीचे गार्डन में इकट्ठे हो गए। वो कहती हैं, ’पार्क में जाने के बाद पता चला कि ये म्यामांर में आए भूकंप का असर है। यहां सरकार ने इमरजेंसी घोषित कर दी है। स्कूल और दफ्तर बंद कर दिए गए हैं। तभी फोन पर अचानक से इसके मैसेज, वीडियो और फोटोज आने लगे।’
’देखते ही देखते पास में एक बड़ा पब्लिक पार्क लोगों से भर गया। जो जहां था, वो वहीं रुक गया। पूरा ट्रैफिक डेढ़ घंटे के लिए रुक गया। मेरे घर के आस-पास कुछ इमारतों को नुकसान हुआ है, लेकिन किसी की मौत की खबर नहीं है। मैसेज और फोन से ही पता चला है कि बैंकॉक में एक अंडर कंस्ट्रक्शन इमारत गिर गई है, जिसमें 30 से ज्यादा मजदूर फंसे हुए हैं।’

बैंकॉक वर्टिकल शहर, यहां भूकंप का असर होना तय पत्रलेखा बताती हैं, ’बैंकॉक एक वर्टिकल शहर है। यहां ऊंची-ऊंची इमारतें हैं। बहुत कम इलाके में बहुत ज्यादा आबादी रहती है। अगर इतनी ऊंची इमारतें होंगी, तो भूकंप के झटकों का असर ज्यादा होना तय है। हालांकि, यहां लोग अनुशासन में रहते हैं। भूकंप जैसे हालात में भी लोगों ने संजीदगी से बर्ताव किया। लोग इमारतों से निकलकर पार्क में आ गए और एक दूसरे का हिम्मत देते रहे।’

बुजुर्गों को व्हीलचेयर की मदद से बाहर निकाला गया। छोटे बच्चों को उनके पेरेंट्स लेकर आए। हमें करीब 2 घंटे तक पार्क में ही रुके रहने की सलाह दी गई। हर किसी की सबसे बड़ी चिंता थी कि कहीं भूकंप के बाद आफ्टर शॉक ना आएं, इसलिए कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था।
’मैंने दिल्ली में भी भूकंप देखे हैं। हमें भूकंप के झटके महसूस करने की आदत है। इस बार बैंकॉक में जैसे झटके महसूस किए, वो काफी तेज और डरावने थे। दिल्ली में हम भूकंप के लिए मेंटली तैयार भी होते हैं, क्योंकि वहां हल्के झटके लगते रहते हैं। थाईलैंड में कई साल से भूकंप नहीं आया, इसलिए ये ज्यादा खौफनाफ था।

बैंकॉक में भूकंप के झटके के चलते एक निर्माणाधीन इमारत धराशायी हो गई।
इंडियन टूरिस्ट बोले- पूरी लाइफ जिंदगी में भूकंप के इतने तेज झटके नहीं देखे उत्तराखंड के देहरादून में रहने वाले अभिषेक फैमिली के साथ थाईलैंड घूमने आए हैं। वे कहते हैं, ‘मैंने पूरी जिंदगी में ऐसे झटके महसूस नहीं किए। मैं अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कमरे में बैठा था। तभी कमरे में रखे सामान हिलने लगे। हम सीढ़ी से उतरकर नीचे भागे। करीब एक घंटे तक आपाधापी का स्थिति रही। उसके बाद हालात काबू में आने शुरू हुए।’
‘हमारी आज शाम की फ्लाइट थी। हमने टैक्सी भी बुक कर रखी थी, वो भी नहीं आई। यहां पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट मेट्रो और बस बंद हैं। हमें बताया गया कि रात तक हालात बेहतर हो सकते हैं। पिछले 6 घंटे से हम अपने कमरे में ही बैठे हुए हैं और डर की वजह से बाहर नहीं निकल रहे।’

बैंकॉक में भूकंप के बाद मेट्रो स्टेशन पर अफरातफरी का माहौल हो गया। मेट्रो हिलती-डुलती नजर आई।
म्यांमार के मांडले शहर की इमारतें तबाह थाईलैंड भूकंप जोन नहीं है। यहां महसूस किए गए सभी झटके पड़ोसी देश म्यांमार में आए भूकंप का असर है। म्यांमार में भूकंप की वजह से ऐतिहासिक शाही महल मांडले पैलेस के कुछ हिस्सों को नुकसान हुआ है। वहीं, सागाइंग क्षेत्र के सागाइंग टाउनशिप में एक पुल भूकंप में पूरी तरह तबाह हो गया।
राजधानी नेपीता के अलावा क्यौकसे, प्यिन ऊ ल्विन और श्वेबो में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। इन शहरों की आबादी 50 हजार से ज्यादा है। अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, इस भूकंप से होने वाली मौतों की आशंका को रेड कैटेगरी में रखा गया है। इस कैटेगरी में 10 हजार से 1 लाख मौतें तक हो सकती हैं।

म्यांमार में भूकंप के बाद कई शहरों में तबाही हुई है। मलबे में दबे लोगों के निकालने के लिए राहत और बचाव का काम जारी है।
सागाइंग फॉल्ट की वजह से म्यांमार में आया भूकंप म्यांमार में धरती की सतह के नीचे की चट्टानों में मौजूद एक बहुत बड़ी दरार है, जो देश के कई हिस्सों से होकर गुजरती है। ये दरार म्यांमार के सागाइंग शहर के पास से गुजरती है इसलिए इसका नाम सागाइंग फॉल्ट पड़ा। यह म्यांमार में उत्तर से दक्षिण की तरफ 1200 किमी तक फैली हुई है।
इसे ‘स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट’ कहते हैं, जिसका मतलब है कि इसके दोनों तरफ की चट्टानें एक-दूसरे के बगल से हॉरिजॉन्टल दिशा में खिसकती हैं, ऊपर-नीचे नहीं। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं जैसे दो किताबें टेबल पर रखी हों और उन्हें एक-दूसरे के खिलाफ स्लाइड किया जाए।

यह दरार अंडमान सागर से लेकर हिमालय की तलहटी तक जाती है और पृथ्वी की टेक्टॉनिक प्लेट्स के हिलने-डुलने से बनी है। भारतीय प्लेट उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ रही है, जिससे सागाइंग फॉल्ट पर दबाव पड़ता है और चट्टानें बगल में सरकती हैं।
म्यांमार में कई बड़े भूकंप इसी सागाइंग फॉल्ट की वजह से आए हैं। इससे पहले 2012 में 6.8 तीव्रता का भूकंप आ चुका है। सागाइंग फॉल्ट के पास 1930 से 1956 के बीच 7 तीव्रता वाले 6 से ज्यादा भूकंप आए थे।
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म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भूकंप, भारत समेत 5 देशों में झटके

म्यांमार में शुक्रवार सुबह 11:50 बजे 7.7 तीव्रता का भूकंप आया। इसके झटके भारत, थाईलैंड, बांग्लादेश और चीन समेत 5 पांच देशों में महसूस किए गए। इन 5 देशों के अलग-अलग इलाकों में सैकड़ों लोग घबराकर घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए। भारी तबाही के चलते थाईलैंड की प्रधानमंत्री पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा ने इमरजेंसी घोषित कर दी है। पढ़िए पूरी खबर…