Naradsamvad

ब्रेकिंग न्यूज़
Aligarh terror of stray dog Aligarh 3 year old innocent brutally bitten died Uttar Pradesh video | अलीगढ़ में 11 बच्चों को कुत्ते ने काटा: 45 दिन बाद 3 साल के मासूम की तड़प-तड़प कर मौत – Aligarh News Nepal Protest; KP Sharma Oli Monarchy | Durga Prasai Bishnu Rijal – CPN-UML | राजा के लिए मरेंगे या मार डालेंगे: राजशाही सपोर्टर बोले- हिंदू राष्ट्र चाहिए; हथियारों की तस्करी करने वाला कैसे बना आंदोलन का लीडर In Lakhimpur, the husband beat his wife with sticks | लखीमपुर में पति ने पत्नी को लाठी-डंडों से पीटा: पीड़िता ने एसपी कार्यालय पर धरना प्रदर्शन कर लगाई न्याय की गुहार – Lakhimpur-Kheri News Haryana Bride Shortage; Jind Looteri Dulhan Victim Family Story | ब्लैकबोर्ड- लड़कियों की कमी का फायदा उठा रहे दलाल: खरीद कर लाया दुल्हन, शादी के अगले दिन गहने लेकर भागी; निकली 3 बच्चों की मां LDA’s bulldozer ran in Lucknow’s Mohanlalganj | लखनऊ मोहनलालगंज में चला LDA का बुलडोजर: 97 बीघा अवैध प्लाटिंग पर हुई कार्रवाई , प्राधिकरण से नहीं पास था नक्शा – Lucknow News Aadhaar App Benefits Explained; Face ID, QR Code Feature Details | Beta Version | आज का एक्सप्लेनर: नया आधार एप लॉन्च, सिर्फ चेहरे से होगा वेरिफिकेशन, फर्जीवाड़े पर लगेगी रोक; क्या फोटोकॉपी और कार्ड से मिलेगा छुटकारा
[post-views]

Marathi vs Kannada Language War; Belagavi Bus Conductor Assault Controversy | बस कंडक्टर की पिटाई से भड़का भाषा विवाद: बेलगावी में फ्री टिकट से शुरू हुआ झगड़ा, मराठी और कन्नड़ भाषियों के बीच तनाव


कर्नाटक के बेलगावी की सीमा में दाखिल होने के करीब 8 किमी बाद तुरमुरी गांव है। गांव में घुसते ही छत्रपति शिवाजी महाराज का स्टैच्यू दिखता है। यहीं सड़क किनारे ‘महाराष्ट्र एकीकरण समिति का बोर्ड लगा है। इस पर मराठी भाषा के गर्व पर कविता लिखी है। इसी के बग

.

बेलगावी जिला महाराष्ट्र और कर्नाटक की इसी लड़ाई में बीते 6 दशकों से उलझा है। विवाद की सबसे बड़ी वजह कन्नड़ Vs मराठी भाषा है। इसी में हिंदी भी शामिल है। मराठी भाषियों की मांग है कि कन्नड़ के साथ हिंदी और मराठी में काम होना चाहिए।

21 फरवरी, 2025 को कर्नाटक के 51 साल के बस कंडक्टर महादेव हुक्केरी की पिटाई से ये विवाद फिर उभर आया। कर्नाटक ने महाराष्ट्र बॉर्डर में बसें भेजना बंद कर दिया। जवाब में महाराष्ट्र ने अपनी बसें रोक दीं। दोनों तरफ ड्राइवरों पर हमले किए गए। ये सब करीब एक हफ्ते चला।

घटना के विरोध में 22 मार्च को कर्नाटक बंद बुलाया गया है। ये बंद कन्नड़ चलावली वातल पक्ष के फाउंडर और पूर्व विधायक वातल नागराज ने बुलाया है। अभी का माहौल जानने दैनिक भास्कर बेलगावी पहुंचा। यहां मराठी और कन्नड़ बोलने वालों से बात की।

महादेव हुक्केरी के साथ क्या हुआ

बस की फ्री टिकट का झगड़ा, भाषा के विवाद में बदला महादेव हुक्केरी कर्नाटक स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस में कंडक्टर हैं। 21 फरवरी की दोपहर वे रोज की तरह टिकट काट रहे थे। बस बेलगावी से महाराष्ट्र के सुलमान के लिए निकली ही थी। आगे की कहानी महादेव सुनाते हैं, ‘बस में ज्यादातर महिलाएं बैठी थीं। एक सीट पर एक लड़का और एक लड़की बैठे थे। कर्नाटक में महिलाओं का बस में आना-जाना फ्री है। लड़की ने फ्री में दो टिकट मांगे। मैंने कहा कि मेल पेसेंजर के लिए बस टिकट फ्री नहीं है।’

‘दोनों ने मुझसे मराठी में बात करने के लए कहा। मैंने जवाब दिया कि मुझे मराठी नहीं आती, इसलिए कन्नड़ में बात करो। थोड़ी देर में चिक्का बालेकुंदरी गांव के पास बस रुकी। यहां 6-7 लोग बस में घुस गए और मुझे पीटने लगे। नीचे भी करीब 50 लोग खड़े थे। मुझे सिर और पैरों पर मारा।’

बस कंडक्टर की पिटाई के आरोप में पुलिस ने 5 लड़कों को हिरासत में लिया। वहीं बस में बैठी लड़की ने कंडक्टर के खिलाफ सेक्शुअल हैरेसमेंट की शिकायत दर्ज करवाई। लड़की नाबालिग है, इसलिए पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया।

महाराष्ट्र-कर्नाटक ने बसें रोकीं, ड्राइवरों की पिटाई इस घटना के बाद कर्नाटक ने बेलगावी से महाराष्ट्र को जाने वाली बसें बंद कर दीं। बसें बॉर्डर से लौटने लगीं। महाराष्ट्र ने भी राज्य परिवहन निगम की बसों को कर्नाटक जाने से रोक दिया। महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव गुट) के समर्थकों ने कोल्हापुर में कर्नाटक की बस पर कालिख पोत दी और पार्टी के झंडे लगा दिए।

विवाद बढ़ा तो महाराष्ट्र के एक बस ड्राइवर पर कर्नाटक के चित्रदुर्ग में हमला किया गया। उसके मुंह पर कालिख पोत दी।

विवाद बढ़ा तो महाराष्ट्र के एक बस ड्राइवर पर कर्नाटक के चित्रदुर्ग में हमला किया गया। उसके मुंह पर कालिख पोत दी।

बेलगावी के पुलिस कमिश्नर इआदा मार्टिन दैनिक भास्कर को बताते हैं, ‘कंडक्टर की पिटाई के मामले में पुलिस ने जांच शुरू की और 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पॉक्सो केस में शिकायत करने वाली लड़की ने केस वापस ले लिया है। उसकी फैमिली ने वीडियो जारी कर कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ था और हम केस वापस लेना चाहते हैं।’

‘भाषा पर लोग बहुत भावुक, मारपीट पर उतर आते हैं’ हम बेलगावी से करीब 15 किमी दूर एयरपोर्ट के पास बालेकुंदरी गांव पहुंचे। बस स्टैंड के आसपास के लोगों से बात करने की कोशिश की, लेकिन वे कैमरे पर महादेव की पिटाई के बारे में कुछ नहीं बोले।

कर्नाटक के बस ड्राइवर को बालेकुंदरी बस स्टॉप पर पीटा गया था। ये एरिया भाषा के लिहाज से काफी सेंसिटिव है।

कर्नाटक के बस ड्राइवर को बालेकुंदरी बस स्टॉप पर पीटा गया था। ये एरिया भाषा के लिहाज से काफी सेंसिटिव है।

चाय की दुकान पर खड़े एक शख्स ने बस इतना कहा, ‘लैंग्वेज यहां के लोगों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है। वे इस पर भावुक हो जाते हैं, इतने भावुक कि मारपीट पर उतर आते हैं।’

बेलगांव या बेलगावी, नाम से शुरू हो गया भाषा का विवाद बेलगावी कर्नाटक के उत्तर में महाराष्ट्र की सीमा से लगा जिला है। पहले इसका नाम बेलगांव था। मराठी में जगह के नाम के आगे गांव लगाया जाता है यानी बेलगांव मराठी नाम है। 1 नवंबर, 2014 को कर्नाटक सरकार ने बेलगांव का नाम बदलकर बेलगावी कर दिया। ये कन्नड़ नाम है। केंद्र सरकार ने भी इसकी परमिशन दे दी।

तब केंद्र में BJP और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार थी। अभी मराठी बोलने वाले इस जिले को बेलगांव और कन्नड़ बोलने वाले बेलगावी कहते हैं।

बेलगावी कर्नाटक का दूसरा सबसे बड़ा जिला, तीन भाषाएं बोलते हैं लोग बेंगलुरु के बाद बेलगावी कर्नाटक का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। यही वजह है कि कर्नाटक और महाराष्ट्र दोनों ही इस शहर को छोड़ना या बांटना नहीं चाहते। पश्चिमी घाट पर बसा बेलगावी बेहद खूबसूरत और साफ शहर है। कर्नाटक सरकार ने इसे दूसरी राजधानी बनाया है।

बेलगावी में लोग तीन भाषाएं कन्नड़, मराठी, हिंदी बोल और समझ लेते हैं। मराठी बहुल टाउन निप्पानी के देवचंद कॉलेज की मेन बिल्डिंग महाराष्ट्र में है, लेकिन इसी कॉलेज का गार्डन कर्नाटक में आता है।

ये चेकपॉइंट महाराष्ट्र के कोल्हापुर का आखिरी छोर है। यहां से कर्नाटक के बेलगावी में एंट्री होती है। यहां से बेलगावी शहर सिर्फ 12 किमी दूर है।

ये चेकपॉइंट महाराष्ट्र के कोल्हापुर का आखिरी छोर है। यहां से कर्नाटक के बेलगावी में एंट्री होती है। यहां से बेलगावी शहर सिर्फ 12 किमी दूर है।

कर्नाटक-महाराष्ट्र बॉर्डर पर बने चेकपॉइंट के आसपास दिखने वाली सारी दुकानों, होटल, घरों पर मराठी भाषा में बोर्ड लगे हैं। बेलगावी जिले में दाखिल होने के बाद भी मराठी में लिखे पोस्टर दिखते हैं। मराठी बोलते हुए लोग मिल जाते हैं। यहां तक कि स्कूल भी मराठी भाषा के हैं।

बेलगावी में 8 किमी आगे आने के बाद तुरमुरी गांव है। गांव में घुसते ही सामने छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति दिखाई देती है।

बेलगावी में 8 किमी आगे आने के बाद तुरमुरी गांव है। गांव में घुसते ही सामने छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति दिखाई देती है।

यहीं महाराष्ट्र एकीकरण समिति का बोर्ड लगा है। बोर्ड पर बेलगावी को बेलगाव ही लिखा है। महाराष्ट्र एकीकरण समिति सोशल और पॉलिटिकल ऑर्गनाइजेशन है, जो बेलगावी के महाराष्ट्र में विलय की मांग करता रहा है। ये संगठन चुनावों में कैंडिडेट उतारता है और कई बार उसके सपोर्ट वाले कैंडिडेट चुनाव जीतकर विधायक बने हैं। पिछली बार 2013 में संभाजी पाटिल बेलगाम साउथ सीट से चुनाव जीते थे।

तुरमुरी में एक ही जगह पर महाराष्ट्र एकीकरण समिति और कर्नाटक दलित संघर्ष समिति के बोर्ड लगे हैं। महाराष्ट्र एकीकरण समिति मराठी भाषी गांवों को महाराष्ट्र में मिलाने के लिए आंदोलन करती रही है।

तुरमुरी में एक ही जगह पर महाराष्ट्र एकीकरण समिति और कर्नाटक दलित संघर्ष समिति के बोर्ड लगे हैं। महाराष्ट्र एकीकरण समिति मराठी भाषी गांवों को महाराष्ट्र में मिलाने के लिए आंदोलन करती रही है।

लोग बोले- कर्नाटक पाकिस्तान में नहीं, सबको हिंदी आनी चाहिए तुरमुरी के रहने वाले मल्लापा डोंबले कारोबारी हैं। वे कहते हैं, ‘मराठी और कन्नड़ का विवाद बहुत पहले से है। मैं दोनों भाषाएं बोलता हूं। कर्नाटक पाकिस्तान में नहीं है, भारत में है। भारत की भाषा हिंदी है, तो हिंदी सबको आनी चाहिए। हम कर्नाटक में हैं, तो थोड़ी कन्नड़ भी आनी चाहिए। हमारा गांव पूरा मराठी है, तो दूसरों को भी मराठी आनी चाहिए।’

सोमनाथ तुकाराम बेलगांवकर भी तुरमुरी के रहने वाले हैं। वे फोटोग्राफी करते हैं। सोमनाथ कहते हैं,

QuoteImage

हमारे गांव में 90% लोग मराठी बोलने वाले हैं। यहां मराठी में ही काम होना चाहिए। शासन को जैसा चलाना है , चलता रहे, उसमें कोई दिक्कत नहीं है।

QuoteImage

‘जमीन के कागज कन्नड़ भाषा में होते है। हमें कुछ समझ नहीं आता। बिजली बिल कन्नड़ में आते हैं। किसानों को समझ नहीं आता कि कन्नड़ में क्या लिखा है। हम हमेशा से मराठी पढ़ते-बोलते आए हैं, हमें यही समझ आती है। जब तक इस समस्या का समाधान नहीं होता, कन्नड़ के साथ मराठी में भी लिखना चाहिए।’

‘कई साल से ये विवाद चल रहा है। हम चाहते हैं कि अब ये सुलझ जाए। कोर्ट से फैसला हो। चाहे इसे केंद शासित प्रदेश बनाएं, चाहे कर्नाटक में ही रखें। ये साफ होना चाहिए ताकि हम अपनी जिंदगी पर फोकस कर पाएं।

आरोप- अधिकारी मराठी में लिखा बोर्ड उखाड़ देते हैं बेलगावी में महाराष्ट्र एकीकरण समिति के नेता शुभम शेलके कहते हैं, ‘भाषा के आधार पर राज्य बनाए गए, तो जिन इलाकों में मराठी बोली जाती है, उन्हें महाराष्ट्र में होना चाहिए। हम इसी की लड़ाई लड़ रहे हैं। 2004 से केस सुप्रीम कोर्ट में है।’

‘कोर्ट ने कहा है कि फैसला आने तक स्थिति जस की तस रखी जाए। इसलिए हमारी मांग है कि बेलगावी में साइन बोर्ड और एजुकेशन मराठी में होना चाहिए। हमारे साइन बोर्ड सरकारी अधिकारी उखाड़कर फेंक देते हैं। मेरे खुद के होटल में घुसकर यहां के संगठनों ने मराठी में लिखे बोर्ड उखाड़कर फेंक दिए।’

शुभम भले मराठी भाषा की हिमायत करते हैं, लेकिन वे कन्नड़ भाषा भी समझ और बोल लेते हैं। वे बताते हैं कि बेलगावी में 865 गांव हैं, जहां विवाद है।

कन्नड़ भाषियों की मांग- महाराष्ट्र एकीकरण समिति पर बैन लगे बेलगावी के रहने वाले महंतेश कंडक्टर की पिटाई से नाराज हैं। वे कहते हैं, ‘कन्नड़ भाषी कंडक्टर के साथ बहुत गलत हुआ। कर्नाटक में हम इस तरह की घटनाओं को स्वीकार नहीं करेंगे। कर्नाटक में महाराष्ट्र एकीकरण समिति और शिवसेना पर बैन लगना चाहिए।’

बेलगावी के ही रहने वाले वजिदा एक्टिविस्ट हैं। वे कहते हैं, ‘कर्नाटक में रहते हुए कोई कैसे कह सकता है कि वो कन्नड़ में काम नहीं करेगा। हम चाहते हैं कि महाराष्ट्र एकीकरण समिति को बंद किया जाए।’

QuoteImage

हमने कन्नड़ भाषियों से वादा किया है कि हम इस संगठन को बंद करवाकर रहेंगे। हमने कर्नाटक सरकार से मांग की है। हम इसे लेकर केंद्र सरकार को भी लिख रहे हैं।

QuoteImage

एक्सपर्ट बोले- 40 साल से यही विवाद देख रहे सीनियर जर्नलिस्ट और कन्नड़ कम्युनिटी से आने वाले अशोक चंदारगी बेलगावी के रहने वाले हैं। वे महाराष्ट्र एकीकरण समिति की एक्टिविटी के विरोध में रहे हैं। अशोक कन्नड़ भाषा के मुद्दे को मजबूती से उठाते हैं और उनका मानना है कि बेलगावी को कर्नाटक का हिस्सा होना चाहिए। अशोक कन्नड़ के साथ-साथ मराठी भी बोल लेते हैं।

वे कहते हैं, ‘बेलगावी में दशकों से भाषा विवादित विषय रहा है। मैं 40 साल से देख रहा हूं। ये कोई नया विवाद नहीं है। अब लोगों को इससे खास फर्क नहीं पड़ता। मुझे लगता है कि भाषा के विवाद की वजह से विकास पर बुरा असर पड़ रहा है। कोई भी उद्योगपति यहां निवेश नहीं करना चाहता है क्योंकि बेलगावी गलत वजहों से सुर्खियों में रहता है।’

बेलगावी के मराठी और कन्नड़ बोलने वालों के लिए क्या किया जाना चाहिए? अशोक जवाब देते हैं कि सीमा विवाद को किनारे रखकर इतना तो कर सकते हैं कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के अधिकारी बात करें। अगर महाराष्ट्र में कर्नाटक के साथ गलत होता है और यहां भी ऐसा ही होता है, तो प्रशासन को साथ आकर इसे सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए।’

‘14 दिसंबर 2022 को गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई मुख्यमंत्रियों की बैठक में फैसला हुआ था कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के 3-3 मंत्रियों की एक कमेटी बनाई जाए। कोई विवाद हो, तो ये कमेटी उसका हल निकाले। तीन साल गुजर गए और अब तक कमेटी नहीं बन पाई।

…………………………………

महाराष्ट्र से ये ग्राउंड रिपोर्ट भी पढ़िए

औरंगजेब की कब्र तोड़ने की मांग, लोग बोले- सरकार हमारी रोजी-रोटी का सोचे

कभी औरंगाबाद रहे छत्रपति संभाजीनगर में मुगल बादशाह रहे औरंगजेब की कब्र को लेकर बवाल मचा हुआ है। विश्व हिंदू परिषद ने बाबरी जैसी ‘कारसेवा’ करने का ऐलान किया है। औरंगजेब की कब्र खुल्दाबाद में है। इस मांग से लोग डरे हुए हैं। उनका कहना है कि हमारी रोजी-रोटी इसी से चलती है। कब्र टूट जाएगी तो हम खाएंगे क्या। पढ़िए पूरी खबर...



Source link

Loading

अन्य खबरे

गोल्ड एंड सिल्वर

Our Visitors

1558630
Total Visitors
error: Content is protected !!