Naradsamvad

ब्रेकिंग न्यूज़
Iran Vs US; Uranium Nuclear Facility Attack | RDD Dirty Bomb | स्पॉटलाइट- क्या अमेरिका के खिलाफ डर्टी बम इस्तेमाल करेगा ईरान: ये कितना खतरनाक, हमले से पहले ईरान ने ट्रांसपोर्ट कर दिया था यूरेनियम 11,000 वॉल्ट करंट की चपेट में आया युवक, मौत से मचा कोहराम A woman’s luggage went missing in a bus going to Banaras | बनारस जाने वाली बस में महिला का सामान गायब: प्रयागराज में बस के सामने किया प्रदर्शन, हिंदी न बोल पाने से पुलिस को नहीं समझा पाई बात – Prayagraj (Allahabad) News “गुरु-शिष्य परंपरा से फ्यूजन तक—कहां खड़ा है आज भारतीय संगीत?” ऑडियो रिले से बताए जाएंगे स्मार्ट मीटर के फायदे, कैनओपी पर मिलेगा हर सवाल का जवाब Doomsday Fish; Tamil Nadu Oarfish Interesting Facts | Disasters | स्पॉटलाइट- भारत में दिखी विनाश लाने वाली OAR मछली: जापान में सुनामी से पहले दिखी थी, मारे गए थे 19 हजार लोग, देखें वीडियो
[post-views]

Newborns got a new path from Jhansi District Hospital, Jhansi District Hospital, jila aspatal, jhansi news, | झांसी जिला अस्पताल से नवजातों को मिली नई राह: टेढ़े पैर सही करने के लिए चलाया जा रहा क्लिनिक, 60 बच्चे हो चुके ठीक – Jhansi News



जन्मजात दिव्यांग बच्चे को प्लास्टर लगाते डॉ. गोकुल प्रसाद

झांसी के जिला अस्पताल में नवजात बच्चों को विकलांगता से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर क्लिनिक चलाया जा रहा है। यहां के ऑर्थोपेडिक विभाग में अब तक 60 बच्चों का सफल इलाज किया जा चुका है। इसमें बड़ा योगदान एक समाजसेवी संस्था भी दे रही है, जो इलाज में इस्तेमा

.

बता दें कि झांसी जिला अस्पताल में झांसी जिले के अलावा जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट, दतिया, टीकमगढ़ और छतरपुर जिले के मरीज इलाज कराने आते हैं। इनमें अभी तक उन मरीजों की संख्या ही ज़्यादा थी, जिन्हें मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराना होता था।

लेकिन जब से यहां जन्मजात बच्चों के टेढ़े पैरों का इलाज शुरू हुआ तब से ऑर्थोपेडिक विभाग में भी मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है। बच्चों को विकलांगता से निजात दिलाने का काम यहां के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. गोकुल प्रसाद कर रहे हैं।

अबतक 186 बच्चों का हो चुका रजिस्ट्रेशन जिला अस्पताल के मंडलीय प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर प्रमोद कटियार ने बताया कि अनुष्का एनजीओ के सहयोग से यहां बच्चों की जन्मजात विकलांगता के लिए क्लिनिक चलाया जा रहा है। उनका दावा है कि झांसी जिला अस्पताल का सक्सेस रेसो 90 प्रतिशत है। यह भी दावा है कि पूरे प्रदेश में झांसी में बच्चों को सबसे अधिक लाभ पहुंचाया जा रहा है।

जन्म के सातवें दिन से शुरू हो जाता है इलाज वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक चिकित्सक डॉ. गोकुल प्रसाद ने बताया कि मां के गर्भ से ही बच्चे के पैर टेढ़े हैं या नहीं यह पता चल जाता है। ऐसे में मां-बाप को चाहिए कि बच्चे के जन्म के सातवें दिन ही उसे इलाज के लिए ले आएं। बताया कि इस इलाज में तीन माह से लेकर चार साल तक का समय लगता है।

कई स्टेप में होता है इलाज डॉ. गोकुल प्रसाद बताते हैं कि पूरे विश्व में इस बीमारी के 6 प्रतिशत बच्चे मरीज होते हैं। क्योंकि इस बीमारी को जन्म से पहले रोकने का कोई इलाज नहीं है तो ऐसे में उनके पैदा होने के बाद ही ट्रीटमेंट दिया जाता है। बच्चों को बैंडेज से लेकर प्लास्टर तक बांधा जाता है। इसके साथ ही बच्चों को इलाज के दौरान स्पेशल शूज भी पहनाए जाते हैं।



Source link

Loading

अन्य खबरे

गोल्ड एंड सिल्वर

Our Visitors

1958940
Total Visitors
error: Content is protected !!