वाराणसी में 98 सरकारी जमीनों पर मस्जिद-इमामबाड़ा बना लिए गए। सर्किट हाउस, कलेक्ट्रेट और कैंट की सरकारी जमीन को शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने एक्ट 37 के रजिस्टर में अपनी संपत्ति घोषित कर रखा है। इसका खुलासा तब हुआ जब वाराणसी में उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड
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सर्किट हाउस की जमीन को भी वक्फ ने अपनी संपत्ति बता रखा है।
पहले जानिए क्यों पड़ी सर्वे की जरूरत उच्च न्यायालय लखनऊ में 11 दिसंबर 2023 को याचिका दाखिल की गई। तस्लीम हसन खान बनाम राजस्व परिषद व अन्य की याचिका उत्तर प्रदेश में वक्फ की संपत्तियों के सर्वे को लेकर थी। हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में सरकार ने एक जांच समिति का 27 दिसंबर 2023 को गठन किया।
समिति का अध्यक्ष राजस्व विभाग के सचिव जीएस नवीन कुमार को बनाया गया। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक व अपर सर्वे आयुक्त मुस्लिम वक्फ उत्तर प्रदेश, उप भूमि व्यवस्था आयुक्त राजस्व परिषद को सदस्य तथा पीलीभीत के जिलाधिकारी को कमेटी का विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया। जेपीसी ने उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के जिलाधिकारियों से वक्फ की संपत्ति के सर्वे के बाबत रिपोर्ट मांगी थी। इन 8 प्वाइंट पर शुरू हुई जांच
- धारा 37 में क्रमांक
- धारा 37 में दर्ज विवरण
- रजिस्टर में संपत्ति उल्लिखित नहीं है तो उसका विवरण
- सरकारी विभाग जिसकी संपत्ति धारा 37 में दर्ज है।
- संपत्ति किस तहसील, गांव में है।
- खतौनी में विवरण संख्या, गाटा संख्या।
- किस विभाग की जमीन है
- किस बोर्ड के दफा 37 रजिस्टर में दर्ज है।
अब पढ़िए शहर के उन प्रमुख स्थानों के बारे में जिन्हें वक्फ ने अपनी संपत्ति बताया
सर्किट हाउस में राजस्व विभाग की जमीन पर बनी मजार
जिला मुख्यालय और मंडल आयुक्त कार्यालय के बीच में मौजूद सर्किट हाउस की जमीन राजस्व परिषद विभाग की है। सर्किट हाउस में विकास भवन के सामने मौजूद मजार से लेकर स्मार्ट सिटी के तहत जिस स्थान पर बेसमेंट पार्किंग बनी है, उस जमीन को भी वक्फ बोर्ड ने अपने रजिस्टर में दाखिल कर रखा है।
सर्किट हाउस परिसर में मौजूद मजार के आसपास हो रहे निर्माण को लेकर पहले से भी लोक निर्माण कई नोटिस थमा चुका था। नोटिस के बावजूद वहां मजार के आसपास पक्का निर्माण होता रहा। सुरक्षा एजेंसियां यहां होने वाली गतिविधियों को लेकर पहले ही अपनी रिपोर्ट स्टेट और सेंट्रल गवर्मेंट को दे चुकी है।
कैंट क्षेत्र में मजार, मस्जिद, कब्रिस्तान सैन्य क्षेत्र पर भी वक्फ बोर्ड ने अपना दावा कर रखा है। तहसील की रिपोर्ट के अनुसार राजस्व विभाग की आबादी, बंजर भूमि पर मस्जिद, मजार से लेकर कब्रिस्तान तक की जमीन वक्फ बोर्ड ने अपने नाम कर रखी है। तहसील प्रशासन के अनुसार कलेक्ट्रेट में जो मजार है, वह भी राजस्व परिषद की भूमि पर है। जिसे वक्फ बोर्ड ने अपनी सूची में डाल रखा है।
नदेसर जामा मस्जिद
नदेसर की जामा मस्जिद तालाब की जमीन पर वाराणसी के नदेसर इलाके में सऊदी पैटर्न पर बनी जामा मस्जिद की 90 फीट ऊंची मीनारें लोगों के आकर्षण का केंद्र है। यह यहां की सबसे चर्चित मस्जिद है। तहसील की जांच रिपोर्ट के अनुसार जामा मस्जिद तालाब की जमीन पर खड़ी की गई है।
165 जमीनों पर कब्रिस्तान तहसील और नगर निगम की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, सरकार के विभिन्न विभागों से जुड़ीं 165 सरकारी जमीनों पर कब्रिस्तान बना लिए गए हैं। इन कब्रिस्तानों की जमीन को भी सुन्नी और शिया बोर्ड ने अपनी संपत्ति घोषित कर रखी है।
छावनी में मजार की जमीन पर भी वक्फ बोर्ड का दावा
98 सरकारी भूमि पर बनी है मस्जिद और इमामबाड़ा सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, वाराणसी में 93 मस्जिद/ इमामबाड़ा यूपी सरकार की जमीन पर खड़ी हैं। इनमें सबसे अधिक सुन्नी समुदाय की मस्जिदें हैं। अधिकतर मस्जिद के साथ कब्रिस्तान भी जुड़े हैं। ये सभी मस्जिद, इमामबाड़ा वक्फ बोर्ड की दफा 37 के रजिस्टर में दर्ज है।
दिखाया मस्जिद, मौके पर मिले खेत वाराणसी के भरथरा में चार ऐसी भूमिधरी की जमीन सर्वे में सामने आई है, जिसे वक्फ बोर्ड ने अपनी बताई है, लेकिन वहां पर खेती होती है। वक्फ बोर्ड के रजिस्टर में सिर्फ क्रमांक नंबर दर्शाया गया है। भूमि के उपयोग के बाबत कोई विवरण दर्ज नहीं है।
छावनी में चार भूमि को वक्फ बोर्ड ने कब्रिस्तान और दो आबादी की जमीन को अपनी संपत्ति घोषित किया है। मौके पर कब्रिस्तान और एक मकान मिले। छावनी में मौजूद मजार को भी वक्फ ने अपनी संपत्ति बताई है जबकि तहसील के अनुसार मजार राज्य सरकार की बंजर भूमि पर बना है।
लोक निर्माण की सड़क पर बनी दरगाह
लोक निर्माण की सड़क पर मजार, कब्रिस्तान पर बन गए मकान लोक निर्माण विभाग कार्यालय मार्ग पर पड़ने वाली अलाउद्दीन की मजार सड़क पर बनी है। मौजूदा समय में जहां मजार है, राजस्व अभिलेख में वह लोक निर्माण की सड़क के रूप में दर्ज है। शिवपुर, सिकरौल, हबीबपुरा समेत कई इलाकों में ऐसी जमीनों पर रिहायशी मकान बन गए।
जिस संपत्ति को वक्फ ने अपनी बताते हुए कब्रिस्तान के रूप में विवरण दर्ज कर रखा है। इसका खुलासा सर्वे के दौरान हुआ। खजूरी में अलरसीद मस्जिद के नाम पर दर्ज संपत्ति पर मस्जिद के साथ पूरी कॉलोनी बसी है। हबीबपुरा में जिस जमीन पर मस्जिद, कब्रिस्तान बताया गया, वहां आबादी बस गई है।
जैतपुरा में रेलवे, सड़क वक्फ के नाम जैतपुरा में रेलवे, सड़क और आबादी की जमीन को वक्फ बोर्ड ने अपने दफा 37 रजिस्टर में कब्रिस्तान घोषित कर रखा है। सर्वे के अनुसार रेलवे ट्रैक का बड़ा हिस्सा वक्फ बोर्ड के रजिस्टर में दर्ज है। काशीपुरा और कमलगढ़हा में वक्फ के रिकॉर्ड में जो संपत्ति दर्ज है, वो राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में सड़क और आबादी की जमीन पर मौजूद है।
एडीएम वित्त एवं राजस्व वंदिता श्रीवास्तव ने बताया कि शासन से आदेश मिलते ही कार्रवाई की जाएगी।
नाला, चक रोड पर कब्रिस्तान भट्टी गांव में सिंचाई विभाग के नाला, चकरोड की भूमि पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा करते हुए कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज कर रखा है। एडीएम वित्त एवं राजस्व वंदिता श्रीवास्तव ने बताया कि 406 जमीन सरकार की हैं, जिन्हें वक्फ बोर्ड ने अपना बता रखा है।
रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। आदेश मिलते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। बताया कि अक्टूबर में सर्वे शुरू हुआ था। जो दिसंबर तक चला। इसमें तहसील प्रशासन, राजस्व कर्मी शामिल थे।
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