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धान परिवहन टेंडर घोटाला: टेंडर की शर्तें तोड़ने से भ्रष्टाचार का काला कारनामा, किसानों और सरकार पर करोड़ों का बोझ!

अनुराग राजू मिश्रा(यूपी हेड-नारद संवाद)Narad Samvad News Up/Uk

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत चल रही धान खरीद प्रक्रिया में एक गंभीर अनियमितता का खुलासा हुआ है। सरकारी धान क्रय केंद्रों से मिलों तक परिवहन के टेंडर में निर्दिष्ट वाहनों की बजाय अन्य अनधिकृत गाड़ियां भेजी जाती है, जिससे भ्रष्टाचार और धांधली की आशंका बढ़ रही है। यह उल्लंघन न केवल टेंडर शर्तों का पालन न करने का मामला है, बल्कि किसानों के हितों को चोट पहुंचाने वाला भी है। इससे सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हो सकता है,
#टेंडर शर्तों का खुला उल्लंघन
उत्तर प्रदेश खाद्य एवं रसद विभाग (FCS UP) द्वारा जारी टेंडर दिशा-निर्देशों के अनुसार, परिवहन ठेकेदारों को टेंडर फॉर्म में ही प्रदूषण फिटनेस प्रमाण पत्र सहित वाहनों की संख्या और उनके रजिस्ट्रेशन नंबर स्पष्ट रूप से दर्ज करने होते हैं। यह प्रावधान पारदर्शिता, जीपीएस ट्रैकिंग और क्षमता सत्यापन के लिए अनिवार्य है। लेकिन हालिया सूत्रों के अनुसार, कई ठेकेदार निर्दिष्ट वाहनों की जगह पुरानी, अनबीमित या किराए की अन्य गाड़ियां भेजते हैं। इससे न केवल परिवहन में देरी हो रही है, बल्कि धान की गुणवत्ता (जैसे नमी स्तर) भी प्रभावित हो रही है।यह लोग डिजिटल धान को बाइक या कार में जीपीएस लगाकर मिल तक परिवहन करते है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “टेंडर में वाहन नंबर अनिवार्य होने के बावजूद, कई मामलों में ई-वे बिल और गेट पास में फर्जी डिटेल्स भरी जा रही हैं। इससे चोरी या डायवर्जन का खतरा बढ़ जाता है।” 2025-26 खरीफ विपणन सीजन में UP में कुल 60 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य है, जिसमें परिवहन लागत अकेले करोड़ों में है। अनियमित वाहनों से यह लागत अनियंत्रित हो जाती है।
#भ्रष्टाचार की जड़ें: धांधली की पूरी श्रृंखला
यह अनियमितता भ्रष्टाचार का एक कड़ी हिस्सा लगती है। सूत्रों के मुताबिक, ठेकेदार और कुछ स्थानीय अधिकारी मिलकर कम लागत वाले अनधिकृत वाहनों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।और सरकार को भी आर्थिक चोट पहुंच रही है—परिवहन दरें (8 किमी तक ₹15/क्विंटल) निर्धारित हैं, लेकिन अनियमितताओं से अतिरिक्त खर्च बढ़ रहा है।
यह अनियमितता MSP योजना की आत्मा पर प्रहार है। GPS ट्रैकिंग और ई-टेंडरिंग को और मजबूत करने की जरूरत है।

#संभावित कार्रवाई: टेंडर रद्द, जुर्माना और ब्लैकलिस्टिंग
FCS UP के दिशा-निर्देशों के तहत, ऐसी अनियमितताओं पर टेंडर रद्द, जुर्माना (परिवहन लागत का दोगुना) और भविष्य की बोलियों से वंचित करने का प्रावधान है। विभाग ने कहा कि शिकायतों पर जांच शुरू हो चुकी है।
धान खरीद सीजन के बीच यह घोटाला सरकार के लिए चुनौती है। यदि समय रहते कार्रवाई न हुई, तो किसानों का विश्वास डगमगा सकता है। विभाग को डिजिटल मॉनिटरिंग बढ़ानी चाहिए, ताकि हर वाहन का रीयल-टाइम ट्रैक हो।

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