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पीलीभीत: सहकारिता विभाग में अनियमितता प्राइवेट सहयोगियों/ चौकीदारों कर्मचारियों को क्रय केंद्र सौंपे!

अनुराग राजू मिश्रा(यूपी हेड-नारद संवाद)

AR कोआपरेटिव की जिम्मेदारी है सहकारिता के क्रय केंद्रों का संचालन

जिलाधिकारी पीलीभीत के स्पष्ट आदेश है किसी प्राइवेट कर्मी को न सौंपे जाए क्रय केंद्र

पीलीभीत।उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में धान खरीद प्रक्रिया को लेकर सहकारिता विभाग में बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। जिला प्रशासन के स्पष्ट निर्देशों का उल्लंघन करते हुए (AR) पर अधिकारियों को गुमराह कर निजी और अशिक्षित प्राइवेट (चपरासी) कर्मचारियों को क्रय केंद्रों की जिम्मेदारी सौंपने का गंभीर आरोप लगा है। यह मामला पूरनपुर सहकारी संघ लिमिटेड से जुड़ा है, जहां बी-पैक्स या संघ के नाम पर तीन क्रय केंद्र UPCU संस्था द्वारा खोले गए, लेकिन वास्तव में इन्हें निजी चतुर्थ श्रेणी के प्राइवेट कर्मचारियों को सौंप दिया गया। शासन के जारी दिशा-निर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि यथा संभव एक केंद्र पर केवल एक प्रभारी नियुक्त किया जाए और निजी व्यक्तियों को कोई जिम्मेदारी न दी जाए।

घटना का विवरण: निर्देशों की अवहेलना और निजीकरण का खेल

जानकारी के अनुसार, पीलीभीत जिले में धान खरीद केंद्रों की सूची जिलाधिकारी द्वारा जारी की गई थी, जिसमें सख्ती से नियमों के पालन करने के निर्देश दिए गए थे। इन निर्देशों के मुताबिक, क्रय केंद्रों का संचालन केवल प्रशिक्षित और विभागीय कर्मचारियों द्वारा किया जाना था, ताकि किसानों को पारदर्शी और निष्पक्ष खरीद सुनिश्चित हो सके। हालांकि, AR कोआपरेटिव ने कथित तौर पर जिला स्तरीय अधिकारियों को भ्रमित कर पूरनपुर पीलीभीत: सहकारिता विभाग में अनियमितता प्राइवेट सहयोगियों/ चौकीदारों कर्मचारियों को क्रय केंद्र सौंपेसहकारी संघ के नाम पर तीन केंद्रों का संचालन शुरू करवा दिया।
पूरनपुर सहकारी संघ लि. एट पूरनपुर मंडी 2 और 3: इन दोनों केंद्रों पर प्राइवेट कर्मी आनंद पाल को प्रभारी बनाया गया। आनंद पाल को कोई विभागीय योग्यता या प्रशिक्षण न होने के बावजूद केंद्रों की कमान सौंपी गई।
पूरनपुर सहकारी संघ हरिहरपुर कलां: यहां भी प्राइवेट चौकी दार बिल्लू सिंह को प्रभारी नियुक्त किया गया, जो शासन के आदेशों के सीधे उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है।
ये केंद्र बी-पैक्स या सहकारी संघ के नाम पर खुले, लेकिन वास्तविक संचालन निजी हाथों में चला गया। आरोप है कि इससे किसानों के हितों पर कुठाराघात हो रहा है, क्योंकि अनपढ़ और अप्रशिक्षित व्यक्ति केंद्रों का प्रबंधन करने में सक्षम नहीं होते। एक स्थानीय किसान संगठन के प्रतिनिधि ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “यह केंद्र किसानों की मेहनत का शोषण करने का माध्यम बन सकते हैं। निजी लोग कमीशन के लालच में धान की गुणवत्ता जांचने या भुगतान में लापरवाही बरत सकते हैं।”तथा सरकार के साथ धोखाधड़ी कर धान गायब भी कर सकते है।

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