
सात दिवसीय उत्सव में संस्कृति, श्रद्धा और सुरक्षा का अनूठा संगम डीएम ने फीता काट कर किया महोत्सव का उद्घाटन
ब्यूरो रिपोर्ट/चंद्रोदय अवस्थी
रामनगर (बाराबंकी):भगवान लोधेश्वर महादेव की पावन धरती पर आयोजित सात दिवसीय महादेवा महोत्सव का शुभारंभ सोमवार को जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने अभिजीत मुहूर्त में फीता काटकर किया। ऐतिहासिक लोधेश्वर महादेव मंदिर के भव्य प्रवेश द्वार पर शंखनाद और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच डीएम ने परंपरागत ढंग से लाल फीता काटकर महोत्सव एवं अगहनी मेले का उद्घाटन किया। इस दौरान शास्त्री अनिल कुमार तिवारी ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना कराई। तत्पश्चात जिलाधिकारी सहित सभी अधिकारियों ने मंदिर के गर्भगृह में पहुँचकर भगवान लोधेश्वर महादेव का पूजन-अर्चन किया और विश्व कल्याण की कामना की।
इसके बाद जिलाधिकारी महोत्सव मंच पर पहुँचे, जहाँ उन्होंने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रमों की औपचारिक शुरुआत की। इसके उपरांत सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला आरंभ हुई, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और दर्शक पहुँचे।
उद्घाटन के साथ ही महोत्सव स्थल पर रौनक बढ़ गई। “श्रद्धा का पर्व, संस्कृति का उत्सव” थीम पर आयोजित इस वर्ष का महोत्सव कई विशेषताओं से भरपूर है। भव्य मंच, आकर्षक सजावट और सुगठित व्यवस्थाएँ इसकी शोभा को और बढ़ा रही हैं।
जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने कहा कि “परंपरागत तरीके से महादेवा महोत्सव का शुभारंभ किया गया है। भगवान लोधेश्वर महादेव का जलाभिषेक कर उनकी कृपा का आशीर्वाद प्राप्त किया गया है। इस बार महोत्सव अधिक भव्य और प्रभावशाली स्वरूप में आयोजित किया जा रहा है।”
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी अन्ना सुदन, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रामनगर गुंजिता अग्रवाल , तहसीलदार विपुल सिंह, नायब तहसीलदार विजय प्रकाश तिवारी,भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष शशांक कुसुमेश, एडिशनल विकास अधिकारी चंद्र त्रिपाठी, पूर्व विधायक शरद कुमार अवस्थी, रामनगर चेयरमैन रामशरण पाठक, भाजपा नेता शेखर हरायण, हैदरगढ़ चेयरमैन आलोक तिवारी, रामनगर पीजी कॉलेज के प्राचार्य कौशलेंद्र विक्रम मिश्रा यूनियन इंटर कालेज प्रधानाचार्य कमलेश सिंह सहित अनेक जनप्रतिनिधि तथा सैकड़ों संभ्रांत लोग उपस्थित रहे। प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की गरिमामयी मौजूदगी में महादेवा महोत्सव का शुभारंभ अत्यंत भव्य रहा, जिससे पूरे क्षेत्र में उत्साह और श्रद्धा का माहौल व्याप्त हो गया।






























