राघवेन्द्र मिश्रा नारद संवाद समाचार बाराबंकी
बाराबंकी जनपद की आदर्श नगर पंचायत सुबेहा में भीषण गर्मी के बीच राहगीरों और आम नागरिकों के लिए पानी की बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। जून की पहली तारीख़ को तापमान 43°C तक पहुंच गया, लेकिन नगर पंचायत प्रशासन ने न तो किसी चौराहे पर पानी के मटके रखवाए, न ही प्याऊ की कोई व्यवस्था की।
बाराबंकी जनपद की आदर्श नगर पंचायत सुबेहा में भीषण गर्मी के बीच राहगीरों और आम नागरिकों के लिए पानी की बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। जून की पहली तारीख़ को तापमान 43°C तक पहुंच गया, लेकिन नगर पंचायत प्रशासन ने न तो किसी चौराहे पर पानी के मटके रखवाए, न ही प्याऊ की कोई व्यवस्था की।
सड़कों पर गुजरते राहगीर प्यास से बेहाल दिखे, लेकिन प्रशासन की तरफ़ से कोई कदम नहीं उठाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल गर्मी आती है, लेकिन नगर पंचायत की नींद तभी टूटती है जब मीडिया सवाल उठाता है।
जब इस विषय में नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी अशोक कुमार खरवार से बात की गई तो उन्होंने कहा,
“आज रविवार है, सोमवार को मटके लगवा दिए जाएंगे।”
अब सवाल उठता है कि — क्या जनता की प्यास को भी सप्ताह के दिन देखकर बुझाया जाएगा? क्या जन सेवा सिर्फ सोमवार से शुक्रवार तक सीमित हो गई है?
इतना ही नहीं, जब नगर पंचायत के अध्यक्ष देवी दिन से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने पत्रकारों का फोन उठाना तक ज़रूरी नहीं समझा। इसके बाद जब उनके प्रतिनिधि अदनान चौधरी से बात की गई तो उन्होंने कहा,
“नगर में नल कनेक्शन हैं, लोग वहीं से पानी पी रहे हैं।”
जबकि हकीकत यह है कि सुबेहा थाने से लेकर यूको बैंक तक कोई सरकारी नल नही है जिसकी बजह से स्थानीय नागरिकों जैसे दुकानदार, राहगीर, मजदूरों और आटो चालको को पानी की काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। लेकिन इन प्रतिनिधि को क्या सिर्फ बोलने से मतलब है पानी मिले या नही, जब पत्रकार ने कड़ाई से पूंछा तो प्रतिनिधि ने बोल दिया कि टैंकर लगबा देंगे। जनता का कहना है कि नेता और प्रतिनिधि सिर्फ वोट के समय ही दिखाई देते हैं।
यह जवाब न सिर्फ असंवेदनशील है, बल्कि स्थानीय प्रशासन की जमीनी हकीकत से दूरी को भी उजागर करता है। हर घर में नल हो सकता है, लेकिन राहगीरों, दुकानदारों, ऑटो चालकों और मजदूरों के लिए सार्वजनिक प्याऊ की व्यवस्था करना प्रशासनिक जिम्मेदारी है, जिससे नगर पंचायत मुँह मोड़ रही है।
जनता का कहना है कि चुनावों के समय नेता घर-घर जाकर वोट मांगते हैं, लेकिन गर्मी, बारिश और संकट के समय कोई दिखाई नहीं देता।
📣 नारद संवाद न्यूज़ एजेंसी की अपील
प्रशासन को चाहिए कि बिना देर किए नगर के भीड़भाड़ वाले इलाकों, बाजारों और बस स्टॉप जैसे स्थलों पर पानी के मटके, छायादार टीन शेड और बैठने की अस्थायी व्यवस्था कराई जाए।
प्रशासन को चाहिए कि बिना देर किए नगर के भीड़भाड़ वाले इलाकों, बाजारों और बस स्टॉप जैसे स्थलों पर पानी के मटके, छायादार टीन शेड और बैठने की अस्थायी व्यवस्था कराई जाए।
जनता की बुनियादी जरूरतों की अनदेखी करना लोकतंत्र और जनसेवा दोनों का अपमान है।आप क्या सोचते हैं इस व्यवस्था पर? क्या आपके नगर में है पानी की व्यवस्था?
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राघवेन्द्र मिश्रा नारद संवाद समाचार बाराबंकी
बाराबंकी जनपद की आदर्श नगर पंचायत सुबेहा में भीषण गर्मी के बीच राहगीरों और आम नागरिकों के लिए पानी की बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। जून की पहली तारीख़ को तापमान 43°C तक पहुंच गया, लेकिन नगर पंचायत प्रशासन ने न तो किसी चौराहे पर पानी के मटके रखवाए, न ही प्याऊ की कोई व्यवस्था की।सड़कों पर गुजरते राहगीर प्यास से बेहाल दिखे, लेकिन प्रशासन की तरफ़ से कोई कदम नहीं उठाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल गर्मी आती है, लेकिन नगर पंचायत की नींद तभी टूटती है जब मीडिया सवाल उठाता है।जब इस विषय में नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी अशोक कुमार खरवार से बात की गई तो उन्होंने कहा,“आज रविवार है, सोमवार को मटके लगवा दिए जाएंगे।”अब सवाल उठता है कि — क्या जनता की प्यास को भी सप्ताह के दिन देखकर बुझाया जाएगा? क्या जन सेवा सिर्फ सोमवार से शुक्रवार तक सीमित हो गई है?इतना ही नहीं, जब नगर पंचायत के अध्यक्ष देवी दिन से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने पत्रकारों का फोन उठाना तक ज़रूरी नहीं समझा। इसके बाद जब उनके प्रतिनिधि अदनान चौधरी से बात की गई तो उन्होंने कहा,“नगर में नल कनेक्शन हैं, लोग वहीं से पानी पी रहे हैं।”जबकि हकीकत यह है कि सुबेहा थाने से लेकर यूको बैंक तक कोई सरकारी नल नही है जिसकी बजह से स्थानीय नागरिकों जैसे दुकानदार, राहगीर, मजदूरों और आटो चालको को पानी की काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। लेकिन इन प्रतिनिधि को क्या सिर्फ बोलने से मतलब है पानी मिले या नही, जब पत्रकार ने कड़ाई से पूंछा तो प्रतिनिधि ने बोल दिया कि टैंकर लगबा देंगे। जनता का कहना है कि नेता और प्रतिनिधि सिर्फ वोट के समय ही दिखाई देते हैं।यह जवाब न सिर्फ असंवेदनशील है, बल्कि स्थानीय प्रशासन की जमीनी हकीकत से दूरी को भी उजागर करता है। हर घर में नल हो सकता है, लेकिन राहगीरों, दुकानदारों, ऑटो चालकों और मजदूरों के लिए सार्वजनिक प्याऊ की व्यवस्था करना प्रशासनिक जिम्मेदारी है, जिससे नगर पंचायत मुँह मोड़ रही है।जनता का कहना है कि चुनावों के समय नेता घर-घर जाकर वोट मांगते हैं, लेकिन गर्मी, बारिश और संकट के समय कोई दिखाई नहीं देता।📣 नारद संवाद न्यूज़ एजेंसी की अपील
प्रशासन को चाहिए कि बिना देर किए नगर के भीड़भाड़ वाले इलाकों, बाजारों और बस स्टॉप जैसे स्थलों पर पानी के मटके, छायादार टीन शेड और बैठने की अस्थायी व्यवस्था कराई जाए।जनता की बुनियादी जरूरतों की अनदेखी करना लोकतंत्र और जनसेवा दोनों का अपमान है।आप क्या सोचते हैं इस व्यवस्था पर? क्या आपके नगर में है पानी की व्यवस्था?
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