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Siliguri Chicken Neck Corridor; India Vs Bangladesh | Nepal Bhutan | क्या है ‘चिकन नेक’ जिस पर है चीन की नजर: बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद भारत नुकसान में; टूरिस्ट घटे, बिजनेस चौपट


‘हम 10 साल से सिलीगुड़ी में टैक्सी चला रहे हैं। बांग्लादेश में सत्ता बदलने के बाद से बहुत घाटा हुआ है। पहले रोज बांग्लादेश से 1000-1200 टूरिस्ट आ जाते थे। अब सिर्फ 100-150 ही आते हैं। वहां हालात और भी बिगड़ रहे हैं। ऐसा रहा तो हमें रोजी-रोटी तक की दि

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अब्दुल पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी कॉरिडोर में टैक्सी चलाते हैं। महज 22 किलोमीटर चौड़े इस कॉरिडोर में बांग्लादेश, नेपाल और भूटान की सीमाएं मिलती हैं। सुरक्षा के लिहाज से ये इलाका काफी संवेदनशील है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर को चिकन नेक कॉरिडोर भी कहा जाता है।

अब्दुल बताते हैं कि अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार जाने के बाद से सिलीगुड़ी में बांग्लादेशी टूरिस्ट आने कम हो गए हैं। लिहाजा, यहां के लोगों का काम-धंधा चौपट हो गया है। सिलीगुड़ी में लोगों को बांग्लादेश के हालिया रुख से हालात और बिगड़ने का डर है।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस पिछले महीने चीन दौरे पर पहुंचे। वहां उन्होंने बांग्लादेश में आर्थिक निवेश बढ़ाने को कहा और चिकन नेक का जिक्र किया। इसके बाद से कॉरिडोर की सुरक्षा को लेकर नई बहस छिड़ गई है।

यूनुस के बयान के क्या मायने हैं? बांग्लादेश की चीन से करीबी सिलीगुड़ी कॉरिडोर के लिए कितना बड़ा खतरा है। बांग्लादेश से बिगड़े रिश्तों का कॉरिडोर में रहने वाले लोगों पर क्या असर हुआ? पढ़िए इस रिपोर्ट में…

सिलीगुड़ी के लोग बोले… हालात बिगड़ने से टूरिस्ट घटे, काम-धंधा चौपट हुआ भारत और बांग्लादेश के रिश्ते फिलहाल बुरे दौर से गुजर रहे हैं। सिलीगुड़ी कॉरिडोर के लोग भी ये बात अच्छी तरह समझते हैं। अब्दुल कहते हैं, ‘पहले बांग्लादेश से आने वाले टूरिस्ट भारत को दोस्त मानते थे, लेकिन अब वे चीन की ज्यादा तारीफ करते हैं। अगर दोनों देशों के रिश्ते और बिगड़े तो रोजी-रोटी की दिक्कत हो जाएगी।‘

सिलीगुड़ी में अब्दुल अकेले नहीं हैं, जिन्हें बांग्लादेशी टूरिस्ट्स घटने से नुकसान हुआ है। सुशील शाह 20 साल से फुलबारी में छोटा सा रेस्टोरेंट चलाते हैं। ये इलाका बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है। वे बताते हैं, ‘अगस्त से पहले तक रोज 1,500 से 2,000 रुपए तक की कमाई हो जाती थी, लेकिन अब हम घाटे में हैं।‘

मनी एक्सचेंज का काम करने वाले संतो राय भी कुछ इसी दौर से गुजर रहे हैं। वे कहते हैं, ‘कोरोना में कामकाज पटरी से उतर गया था। अभी हम थोड़ा संभले ही थे कि तभी बांग्लादेश में सरकार गिर गई। फिर संकट खड़ा हो गया है। अब बांग्लादेश से मेडिकल इमरजेंसी में इलाज कराने के लिए ही लोग आते हैं। घूमने-फिरने नहीं आते। सभी लोग चाहते हैं कि बांग्लादेश के साथ रिश्तों में सुधार हो।‘

ब्रज किशोर प्रसाद पिछले 30 साल से बांग्लादेश को फल और मसाले एक्सपोर्ट कर रहे हैं। वे पूर्वी बंगाल एक्सपोर्ट एसोसिएशन के सेक्रेटरी भी हैं। वे बताते हैं, ‘बांग्लादेश में तख्तापलट से दो-तीन महीने पहले से ही हालात बिगड़ने लगे थे। पहले मैं रोज 100 गाड़ी भेजता था, लेकिन अब 1 या 2 ही भेजता हूं।‘

ब्रज आगे कहते हैं, ‘यहां से पूर्वोत्तर के राज्यों में भी बिजनेस होता है। ऐसे में हालात बिगड़े तो पूर्वोत्तर के लिए भी मुश्किलें बढ़ेंगी।‘

ये तस्वीर सिलीगुड़ी के विधान मार्केट की है। बांग्लादेश से भारत के रिश्ते बिगड़ने का असर यहां के लोगों के बिजनेस पर पड़ा है।

ये तस्वीर सिलीगुड़ी के विधान मार्केट की है। बांग्लादेश से भारत के रिश्ते बिगड़ने का असर यहां के लोगों के बिजनेस पर पड़ा है।

अब जानिए एक्सपर्ट क्या कह रहे… चिकन नेक पर खतरा नहीं, बांग्लादेश भारत के पास ही आएगा हमने सिलीगुड़ी कॉरिडोर को करीब से समझने वाले सीनियर जर्नलिस्ट मानस बनर्जी से बात की। वे कहते हैं, ‘बांग्लादेश अभी चाहे कितना भी चीन के करीब जाता दिखे, लेकिन भारत के पास ही लौटेगा। हाल की घटनाओं से सिलीगुड़ी के लोगों को परेशान नहीं होना चाहिए।‘

‘नेपाल और बांग्लादेश में चीन का दखल बढ़ा है, लेकिन भारत के पास भी इससे निपटने का प्लान है। भारत अभी बांग्लादेश में स्थायी सरकार का इंतजार कर रहा है।‘

पाकिस्तान के कंट्रोल में अंतरिम सरकार, यूनुस इस खेल में सिर्फ मोहरा चीन दौरे पर चिकन नेक का जिक्र करने वाले मोहम्मद यूनुस के बयान के क्या मायने हैं? बांग्लादेश की चीन से करीबी को लेकर हमने बांग्लादेश में भारत की राजनयिक रहीं वीना सीकरी से बात की। वीना मानती हैं कि मोहम्मद यूनुस लगातार भारत विरोधी बयानबाजी कर रहे हैं।

वीना अंतरिम सरकार की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहती हैं, ‘बांग्लादेश में अभी अंतरिम सरकार है, जिसकी कोई संवैधानिक वैधता नहीं है। ये बात खुद इस सरकार से जुड़े लोग मानते हैं। इसीलिए मोहम्मद यूनुस को ऐसे बयान देने का हक ही नहीं है। ये जानबूझकर उकसाने वाले बयान हैं। भारत सरकार भी इसका कड़ा जवाब देगी।‘

वीना इसमें पाकिस्तान की भूमिका का भी जिक्र करती हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (रि) भी इसमें पाकिस्तान का हाथ मानते हैं। वे कहते हैं, ‘बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतें और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI मिलकर माहौल कंट्रोल कर रही हैं। मोहम्मद यूनुस इस खेल में सिर्फ एक मोहरा हैं, जिसका मकसद भारत के पूर्वी हिस्से, खासकर पूर्वोत्तर राज्यों में शांति खत्म करना है। वे इसे पाकिस्तान की पुरानी आदत बताते हैं, जिसमें वो सामाजिक हिंसा और अस्थिरता को बढ़ावा देकर भारत को परेशान करता है।‘

भारत विरोधी दिखना मोहम्मद यूनुस की मजबूरी दिल्ली विश्वविद्यालय में चायना स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजीव रंजन मानते हैं कि यूनुस अभी कूटनीति के मंझे खिलाड़ी नहीं हैं। वो भावनाओं में बहकर बांग्लादेश को बंगाल की खाड़ी का इकलौता संरक्षक बता गए। आज भी बांग्लादेश की निर्भरता भारत पर सबसे ज्यादा है, यूनुस को ये ध्यान रखना चाहिए।

राजीव मानते हैं, ‘चीन को आर्थिक निवेश के लिए आकर्षित करने के लिए यूनुस ये बयानबाजी कर रहे हैं। सत्ता बदलने के बाद से बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। निवेश के लिए बांग्लादेश चीन पर निर्भर हो गया है। चीन ये बात अच्छी तरह समझता है। इसीलिए चीन ने बांग्लादेश में तेजी से निवेश बढ़ाया है।‘

चिकन नेक कॉरिडोर भारत की कमजोरी नहीं, पड़ोसी देशों को भरोसे में लेना जरूरी मोहम्मद यूनुस ने चीन से बांग्लादेश के लालमोनिरहाट में एयरबेस बनाने में मदद मांगी है। ये एयरबेस चिकन नेक इलाके के काफी पास है। इस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी। 4 अप्रैल को बैंकॉक में PM मोदी और मोहम्मद यूनुस मिले। ये एयरबेस चिकन नेक कॉरिडोर के लिए कितना बड़ा खतरा है? बांग्लादेश में चीन की रणनीति क्या है?

राजीव रंजन चिकन नेक कॉरिडोर को भारत की कमजोरी नहीं मानते हैं। वे कहते हैं,

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ये नेचुरल कॉरिडोर नहीं है। इसे 1947 में ही बनाया गया था। अगर कभी बांग्लादेश ने चीन को सैन्य तौर पर चिकन नेक के पास आने दिया, तो भारत भी ऐसा कर सकता है। भारत के पास भी कॉरिडोर की सीमा बढ़ाने का विकल्प है।

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राजीव का मानना है कि चीन लालमोनिरहाट में सेना नहीं लाएगा। वे कहते हैं, ‘चीन इसका सैन्य इस्तेमाल करे, इसकी आशंका बहुत कम है। चीन इस जगह का इस्तेमाल सर्विलांस और जासूसी के लिए जरूर कर सकता है। भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों में कई वजहों से अस्थिरता रही है। चीन भी बांग्लादेश के सहारे वहां अस्थिरता बढ़ाने की कोशिश करेगा।‘

‘भारत भी इस स्थिति से निपटने लिए पहले से तैयार है। भारत को भी लालमोनिरहाट का सैन्य इस्तेमाल ना होने देने के लिए कूटनीतिक मुहिम चलानी चाहिए।‘

राजीव बताते हैं, ‘डोकलाम और गलवान के बाद से चीन की रणनीति बदली है। वो भारत के पड़ोस में पांव पसारने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में भारत को भी पड़ोसी देशों को भरोसे में लेना होगा। वे मानते हैं कि बांग्लादेश की आम जनता को ये भरोसा दिलाना जरूरी है कि भारत आज भी उनका सबसे अच्छा दोस्त है।‘

वीना सीकरी भी लालमोनिरहाट में एयरबेस को चिकन नेक के लिए सीधा खतरा मानती हैं। वे कहती हैं,

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अंतरिम सरकार के पास नए प्रोजेक्ट लाने का हक ही नहीं है। शेख हसीना ने जो प्रोजेक्ट भारत को दिए थे, मौजूदा सरकार अभी वही चीन को दे रही है।

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वीना चीन को अब भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा मानती हैं। वे कहती हैं, ‘चीन हर हाल में बांग्लादेश में अपना कंट्रोल चाहता है, ताकि वह भारत विरोधी रणनीति पर काम कर सके। हालांकि, वीना मानती हैं कि चीन की रणनीति सफल नहीं होगी। अमेरिका के राजनयिक भी ढाका में हैं और वे भी यूनुस सरकार से बात कर रहे हैं। अमेरिका भी क्षेत्र में चीन को मजबूत नहीं होने देना चाहता।

क्या बांग्लादेश में चीन की सक्रियता ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति का हिस्सा है? इस पर जनरल हसनैन बताते हैं, ‘चीन ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति पर आज भी काम कर रहा है, हालांकि अब ये बदलकर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का हिस्सा बन गई है। इसमें बांग्लादेश एक अहम हिस्सा है। इसीलिए चीन चटगांव बंदरगाह और बांग्लादेश में निवेश कर रहा है। हालांकि, बांग्लादेश हमेशा सावधानी से चलता रहा है और किसी एक पक्ष के साथ पूरी तरह से खड़ा नहीं होता।’

वे कहते हैं, ’भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ अच्छे रिश्ते रखता है। भारत सरकार की ’एक्ट ईस्ट’ नीति भी यही है।’ जनरल हसनैन मानते हैं कि भारत फिलहाल बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति को अस्थायी मानते हुए फिर से रिश्ते मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।

कूटनीति और गैर सैन्य तरीकों से तय हो सुरक्षा जनरल हसनैन मानते हैं कि चिकन नेक कॉरिडोर पर खतरा बढ़ गया है। हालांकि, वे सेना का इस्तेमाल करके कॉरिडोर के इलाके को बढ़ाने की जरूरत से इनकार करते हैं। इसकी बजाय वे कूटनीति और गैर-सैन्य तरीकों से इसकी सुरक्षा पर जोर देते हैं।

वे मानते हैं, ‘भारतीय सेना किसी भी खतरे के लिए तैयार है। भारतीय सुरक्षा बल और सभी संबंधित एजेंसियां हमेशा सतर्क रहती हैं। सशस्त्र बल और केंद्रीय पुलिस बल सभी चुनौतियों से वाकिफ हैं और उनके लिए पूरी तरह तैयार हैं। सीमा पर ऐसा कोई खतरा नहीं है, जिसके लिए सरकार को जल्दबाजी में कोई कदम उठाना पड़े। सरकार इस बात से पूरी तरह वाकिफ है।‘

वीना भी मानती हैं कि भारत फिलहाल बांग्लादेश में स्थिर सरकार का इंतजार कर रहा है। वे बांग्लादेश में जल्द चुनाव कराने पर जोर देते हुए कहती हैं, ‘भारत-बांग्लादेश के रिश्तों का भविष्य चुनी हुई सरकार ही तय करेगी। अंतरिम सरकार का काम होता है कि तीन महीने के अंदर चुनाव करा दिए जाएं। बांग्लादेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की जरूरत है। मुझे लगता है कि दिसंबर से पहले वहां चुनाव हो जाएंगे।‘

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