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Delhi Pandit Vs BJP AAP; Arvind Kejriwal Granthi Yojana Vs Maulvi | Election 2025 | क्या 29000 मंदिरों से निकलेगा BJP की जीत का रास्ता: पुजारी बोले- केजरीवाल को मौलवी प्यारे, राम वालों को जिताएंगे


‘कौए को कितना भी रंग दो, वो हंस नहीं बन सकता है। जैसे चोर अपनी प्रवृत्ति नहीं छोड़ता, वैसे ही केजरीवाल जी की झूठ बोलने की आदत है। हमें BJP ने मंदिर प्रकोष्ठ के नाम पर जोड़ा। पहले किसी के भी साथ रहे हों, लेकिन अब हम BJP के साथ हैं।’

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चुनाव का जिक्र आते ही दिल्ली के केशवपुरम में सनातन धर्म मंदिर के पुजारी आचार्य शिव तिवारी अपनी नाराजगी रोक नहीं पाते। वे इस बात पर गुस्सा हैं कि दिल्ली सरकार मौलवियों को कई साल से सैलरी दे रही है, तब पुजारियों की याद नहीं आई। अब चुनाव से पहले पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना का ऐलान कर रहे हैं। वो भरोसा दिलाते हुए कहते हैं, ‘इस बार BJP ही आएगी।’

दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने हैं। करीब 29 हजार मंदिर और उनके पुजारी चर्चा में हैं। BJP और AAP दोनों ही इन्हें साधने का मौका नहीं छोड़ रहीं। BJP ने 2022 की शुरुआत में मंदिर प्रकोष्ठ बनाया था। ये प्रकोष्ठ अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद लोगों को दर्शन के लिए ले जाने का इंतजाम कर रहा था। अब यही संगठन दिल्ली चुनाव में पुजारियों को एकजुट कर रहा है।

AAP भी ये वोट बैंक हाथ से नहीं निकलने देना चाहती है। लिहाजा चुनाव से ऐन पहले पार्टी ने पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना का ऐलान किया है। BJP और AAP की प्लानिंग का जमीन पर कितना असर है और पुजारियों-ग्रंथियों को इसमें क्या फायदा नजर आता है, पढ़िए ये रिपोर्ट…

फोटो 31 दिसंबर की है, जब अरविंद केजरीवाल पत्नी सुनीता के साथ कश्मीरी गेट के मरघट वाले बाबा के मंदिर गए। उन्होंने पुजारी-ग्रंथी योजना के तहत पुजारी का पहला रजिस्ट्रेशन खुद किया था।

फोटो 31 दिसंबर की है, जब अरविंद केजरीवाल पत्नी सुनीता के साथ कश्मीरी गेट के मरघट वाले बाबा के मंदिर गए। उन्होंने पुजारी-ग्रंथी योजना के तहत पुजारी का पहला रजिस्ट्रेशन खुद किया था।

दिल्ली चुनाव में मंदिर प्रकोष्ठ BJP का पायलट प्रोजेक्ट दिल्ली में 6 जनवरी को प्रदेश BJP दफ्तर में पुजारियों की भीड़ जुटी। पार्टी के मंदिर प्रकोष्ठ की बैठक हुई, जिसमें 250 से ज्यादा पुजारी शामिल हुए। मकसद था- दिल्ली चुनाव में पंडित पुजारियों को एकजुट करना।

प्रकोष्ठ के संयोजक करनैल सिंह बैठक के बारे में बात करने से बचते हैं। हालांकि, उन्होंने इतना जरूर बताया, ‘ये इंटरनल मीटिंग थी। इसमें चुनाव को लेकर योजना बनाई गई।’

प्रकोष्ठ के सहसंयोजक आचार्य राकेश शुक्ला कहते हैं, ‘मंदिर में भगवान को प्रणाम करने हर कोई जाता है। बड़ी संख्या में लोग पंडित-पुजारियों से जुड़े होते हैं। इनकी बातों का बहुत असर होता है।’

यानी इस बार चुनाव में BJP पंडित-पुजारियों के जरिए वोटरों तक पहुंचने के प्लान पर काम कर रही है। BJP में हमारे सोर्स ने बताया, ‘दिल्ली चुनाव को ध्यान में रखकर 2022 में PM मोदी के निर्देश पर ये प्रकोष्ठ बनाया गया। देश में अभी सिर्फ दिल्ली में ही इसकी नींव रखी गई है। यानी पुजारी पॉलिटिक्स के लिए ये BJP का पायलट प्रोजेक्ट है। चुनाव में असर दिखा तो देश के बाकी हिस्सों में भी ऐसे प्रकोष्ठ बनेंगे।’

ये प्रकोष्ठ कितना अहम है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि प्रकोष्ठ के संयोजक करनैल सिंह शकूर बस्ती से पार्टी के उम्मीदवार भी हैं। उनके सामने AAP के सीनियर लीडर सत्येंद्र जैन हैं।

दिल्ली के पुजारियों की बात… हम किसी पार्टी से नहीं, लेकिन मंदिर बनेंगे तो फायदा पुजारियों को होगा BJP के मंदिर प्रकोष्ठ का जमीन पर कितना असर है, ये समझने के लिए हम दिल्ली के कुछ मंदिरों में पहुंचे। मयूर विहार फेज-2 के नीलम माता वैष्णो मंदिर में पुजारी राहुल तिवारी से मिले। चुनावी घोषणा का जिक्र करते हुए पुजारी नाराजगी रोक नहीं पाए।

वे कहते हैं, ‘चुनाव के वक्त ही हमारी याद क्यों आई। क्या इससे पहले मंदिर में पुजारी नहीं थे। मौलवियों को सैलरी दी जा रही थी, तब इन्हें (AAP) हमारे सम्मान की याद क्यों नहीं आई। जब चुनाव आता है, तब इन्हें सबके सम्मान की याद आ जाती है। वोट बैंक बनाने के लिए ये कुछ भी वादे कर सकते हैं।’

हालांकि, BJP के मंदिर प्रकोष्ठ की चर्चा पर वे साफ कहते हैं, ‘मैं किसी पार्टी से नहीं जुड़ा हूं। पार्टी कोई भी हो वो वोट बैंक की राजनीति करती है।’ आगे ये भी कहते हैं, ‘जहां-जहां मंदिर बने हैं वहां पुजारी भी रखे गए हैं। अगर वहां पुजारी हैं, तो उनका जीवन यापन भी हो ही रहा है। मतलब साफ है कि जितने मंदिर बनेंगे, उससे फायदा पुजारियों को ही होगा।’

इसके बाद हम त्रिनगर विधानसभा सीट के राजनगर में श्रीराम मंदिर पहुंचे। यहां के पुजारी रामदास शास्त्री आम आदमी पार्टी की पुजारियों को सम्मान देने की योजना की प्लानिंग पर ही सवाल उठा देते हैं। वे कहते हैं, ‘एक मंदिर में एक पुजारी नहीं होता। इसी मंदिर में 3 पुजारी और 7 सेवादार हैं। हम कुल मिलाकर 10 लोग हैं। फिर ये कैसे तय करेंगे कि किस पुजारी को वेतन देंगे।’

पुजारी संदेश दे रहे- राम नाम ही सत्य है, जय श्रीराम बोलो, हिंदू हमारा जोड़ो दिल्ली के नरेला में खेड़ा खुर्द के प्रसिद्ध पंचमुखी मंदिर के पुजारी श्रीभगवान भगत कहते हैं, ‘हमने 3 साल पहले केजरीवाल के घर के बाहर धरना दिया था और पुजारियों के लिए सुविधाओं की मांग की थी। तब हमारी एक नहीं सुनी गई। चुनाव आया तो पुजारी याद आ गए। वो हमारे लिए कुछ नहीं करेंगे। हिंदुओं के लिए प्रधानमंत्री मोदी और हमारे हनुमान योगी ही सही हैं।’

भक्तों से क्या कह रहे हैं? इसके जवाब में पुजारी भगत कहते हैं, ‘हम भक्तों को बोलते हैं- जय श्रीराम का नारा बोलो, हिंदू हमारा जोड़ो।’

केशवपुरम के सनातन धर्म मंदिर के पुजारी आचार्य शिव तिवारी कहते हैं, ‘हमें BJP ने मंदिर प्रकोष्ठ के नाम पर जोड़ा। पहले किसी के भी साथ रहे हों, लेकिन अब हम BJP के साथ हैं।’

क्या कथा-पूजा में आप भक्तों से BJP को वोट देने के लिए कहते हैं, ‘कथा तो क्या, हम क्रिया में भी बोलते हैं- राम नाम सत्य है। इस बार BJP ही आएगी। मंदिर के पुजारी, सेवादार और यहां आने वाले भक्त सब इनके साथ हैं। सारे ब्राह्मण BJP के साथ हैं, राम के साथ हैं।’

मौलवियों का वोट खिसकता दिखा, तब पुजारी याद आए इसके बाद हम घोंडा विधानसभा में आने वाले दुर्गा फकीरी मंदिर पहुंचे। यहां के सेवादार विजय कुमार भगत कहते हैं, ‘2020 के दंगों के दौरान मंदिर लूटा गया था। पुजारी को मार दिया गया था। केजरीवाल तब कहां थे। अब उन्हें पुजारियों के सम्मान की याद आई है।’

वो केजरीवाल को चैलेंज देते हुए कहते हैं, ‘अगर पुजारी प्रिय हैं तो एक नोटिफिकेशन जारी करें कि 12-13 साल से मौलवियों को जितना वेतन दिया गया है, पुजारियों को पहले वो सारा एरियर देंगे। पुजारियों का बिजली और पानी कनेक्शन फ्री करें। तब हम समझेंगे कि केजरीवाल सनातनी बनने लायक हैं। अब जब मौलवियों का वोट कांग्रेस की ओर खिसकता दिख रहा है, तब उन्हें पुजारियों की याद आ रही है।’

वो आगे कहते हैं, ‘चाहे वाल्मीकि मंदिर हो, रैदासपंथी हो या फिर कोई और मंदिर, उनके पुजारी बैठक कर रहे हैं। उनकी BJP को लाने की तैयारी है।’

कोंडली विधानसभा के सिद्ध हनुमान मंदिर के पुजारी राहुल दीक्षित हंसते हुए कहते हैं, ‘केजरीवाल को डाउट हो रहा है कि इस बार कुछ गड़बड़ हो सकती है, तो पुजारियों को भी जोड़ो। हम उनके बहकावे में नहीं आएंगे। हम सनातन धर्म की बात करने वाली पार्टी के साथ हैं। ये सबको पता है कि कौन सी पार्टी सनातन और हिंदुत्व को जागृत करने का काम कर रही है।’

वे आगे कहते हैं, ‘मंदिर में हनुमान चालीसा और सुंदरकांड हमेशा होता है। ये BJP के कहने पर नहीं हो रहा, लेकिन ये बात सही है कि हम लोगों से बोलते हैं कि जहां सनातन की बात आए वहां खुलकर खड़े रहना है। पब्लिक भी जानती है कि सनातन के साथ कौन है।’

त्रिलोकपुरी के खाटू श्याम मंदिर के पुजारी भागवत प्रसाद शर्मा का मानना है कि BJP अपना काम कर रही है। हालांकि, वो मंदिर में आने वाले लोगों को चुनावी संदेश देने की बात से इनकार करते हैं। वे कहते हैं, ‘भक्तों को पता है कि मुहर किसे लगानी है। राम मंदिर किसके राज में बना।’

पॉलिटिकल पार्टियों का दावा… BJP ने मंदिर और पुजारियों का कैलकुलेशन कर पूछा, इतना बजट है क्या BJP मंदिर प्रकोष्ठ के संयोजक करनैल सिंह का दावा है, ‘दिल्ली में 29 हजार रजिस्टर्ड मंदिर हैं। इसमें से 14,780 मंदिर प्रकोष्ठ से जुड़े हैं। इन मंदिरों में प्रकोष्ठ की कार्यशाला चलती है। इसमें 252 वाल्मीकि मंदिर हैं और 180 रैदासपंथी मंदिर हैं।’

प्रकोष्ठ के सह संयोजक आचार्य राकेश इस गणित को और बड़ा करके बताते हैं। वे कहते हैं, ‘प्रकोष्ठ के नेटवर्क में करीब 1 लाख 47 हजार पुजारी आते हैं।’

केजरीवाल ने योजना का ऐलान करते हुए कहा था कि पुजारी सम्मान रोका, तो पाप लगेगा। इस पर प्रकोष्ठ के सह संयोजक आचार्य राकेश सवाल करते हुए कहते हैं, ’30 हजार मंदिर के पुजारियों और 15 हजार गुरुद्वारों के ग्रंथियों के लिए क्या दिल्ली सरकार के पास बजट है। हर एक मंदिर में औसतन 4-4 पुजारी और हर गुरुद्वारे में 4-4 ग्रंथी जोड़िए, कितने हुए? क्या दिल्ली सरकार के पास इतना बजट है?’

AAP: आंकड़े नहीं याद, लेकिन सैलरी का पक्का प्लान दिल्ली सरकार में कानून मंत्री और AAP के प्रदेश उपाध्यक्ष जितेंद्र सिंह तोमर इस कैलकुलेशन पर बहुत गंभीर नहीं होते। BJP के सवाल पर वो कहते हैं, ‘मुझे अभी कैलकुलेशन तो नहीं पता है, लेकिन बजट जरूर बना होगा। मेरे पास अभी इसकी सटीक जानकारी नहीं है। केजरीवाल बिना पक्की प्लानिंग के कुछ नहीं करते। केजरीवाल की नकल हर पार्टी करती है।’

वे कहते हैं, ‘सभी राजनीतिक पार्टियों को राजनीति करना अरविंद केजरीवाल ने सिखाया। केजरीवाल जैसी योजना लाते हैं, सब उसकी नकल करते हैं।’

चुनाव में पुजारियों की याद क्यों आई, AAP क्या BJP की मंदिर प्रकोष्ठ पॉलिटिक्स से डर गई? इस पर जितेंद्र सिंह कहते हैं, ‘हमें किसी का डर नहीं। केजरीवाल ने हर वर्ग को सम्मान देने का काम किया।’

एक्सपर्ट बोले- BJP की पुजारियों को जोड़ने की रणनीति का जवाब AAP की योजना हमने BJP और AAP की स्ट्रैटजी समझने के लिए सीनियर जर्नलिस्ट अनंत मित्तल से बात की। वे कहते हैं, ‘BJP को मंदिर मुद्दा तो लाना ही था। BJP अगर यहां से भटकेगी, तो उनके कोर वोटर के लिए क्या बचेगा।’

वे आगे कहते हैं, ‘BJP केजरीवाल के उस बयान को भी प्रमोट कर रही है, जिसमें उन्होंने राम मंदिर की जगह अस्पताल बनाने की बात कही थी। BJP के लिए पुजारी सिर्फ एक वोटर नहीं हैं, उससे एक बहुत बड़ा वर्ग जुड़ा है। पुजारियों के सहारे BJP उसे अपनी ओर लाने की कोशिश कर रही है।’

‘मंदिर प्रकोष्ठ के जरिए BJP की पुजारियों को जोड़ने की रणनीति ने AAP को डिफेंसिव किया। इसी वजह से अरविंद केजरीवाल को पुजारियों के लिए सैलरी का ऐलान करना पड़ा। इससे पहले केजरीवाल मौलवियों के बीच जाते रहे हैं, लेकिन इस बार नहीं गए। अभी वक्फ बोर्ड का इतना बड़ा मुद्दा उठा, लेकिन उन्होंने एक बयान नहीं दिया।‘

‘BJP ने केजरीवाल के फ्रीबीज मॉडल का तोड़ भी निकाल लिया है। उन्होंने अपने मैनिफेस्टो में इसे और बड़ा करके दिखाया। AAP महिलाओं को 2100 रुपए दे रही है, तो BJP ने 2500 देने का वादा किया है।‘ अनंत के मुताबिक, कुल मिलाकर BJP को इस स्ट्रैटजी का फायदा मिलेगा और AAP को नुकसान उठाना पड़ेगा।

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स्टोरी में सहयोग: श्रेया नाकाड़े, भास्कर फेलो …………………………..

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