Naradsamvad

ब्रेकिंग न्यूज़
खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने फाल्गुनी मेले में निरीक्षण कर दिए खान पान व मिठाई के दुकानदारों को कड़े निर्देश फाल्गुनी मेला के प्रथम सोमवार को लोधेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने पहुँचें हजारों श्रद्धालुओं ने लगाए बम भोले के जयकारे-उमड़ी आस्था की भीड़ रामनगर के बडनपुर डीपो के पास अवैध रूप से चल रही मिट्टी बालू खनन तहसील प्रशासन बेखबर एमएलसी अंगद सिंह ने 60 ट्राई साइकिल, 10 व्हील चेयर और 5 जोड़ी बैसाखी दिव्यांगों को किये वितरण जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देवा का किया औचक निरीक्षण-खामियों को देखकर लगाई फटकार,खराब पड़ी डेंटल मशीन को सही कराने के दिये निर्देश.. डीएम की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई डी0सी0डी0सी0 कमेटी की बैठक
[post-views]

Electoral bonds Plea seeks review of SC order | राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड से मिला फंड जब्त हो: सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका लगाई, BJP को सबसे ज्यादा ₹6,060 करोड़ चंदा मिला था


नई दिल्ली3 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
केंद्र सरकार ने 2 जनवरी 2018 को चुनावी बॉन्ड स्कीम को नोटिफाई किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अवैध बताया था। - Dainik Bhaskar

केंद्र सरकार ने 2 जनवरी 2018 को चुनावी बॉन्ड स्कीम को नोटिफाई किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अवैध बताया था।

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक याचिका दाखिल की गई। इसमें 2 अगस्त 2024 के उस फैसले की समीक्षा करने की मांग की गई है, जिसमें चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को मिले 16,518 करोड़ रुपए जब्त करने की मांग खारिज की गई थी।

पुनर्विचार याचिका में कोर्ट से मामले पर नए सिरे से सुनवाई करने की मांग की गई है। साथ ही उस फैसले को वापस लेने और समीक्षा का आग्रह किया गया है। एडवोकेट जयेश के उन्नीकृष्णन और एडवोकेट विजय हंसारिया ने समीक्षा याचिका लगाई है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 2 अगस्त को खेम सिंह भाटी द्वारा दायर याचिका सहित कई याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिन्होंने चुनावी बॉन्ड योजना (ईबीएस) की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई थी।

याचिका में कहा गया कि ADR मामले में दिए गए फैसले ने चुनावी बॉन्ड को शुरू से ही अमान्य माना है। इसलिए राजनीतिक दलों को मिली फंडिंग को जब्त करने वाली याचिका खारिज नहीं की जा सकती है।

पूर्व सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने 15 फरवरी 2024 को भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई राजनीतिक फंडिंग की चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया था।

चुनावी बॉन्ड स्कीम क्या है?

चुनावी या इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 2017 के बजट में उस वक्त के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश की थी। 2 जनवरी 2018 को केंद्र सरकार ने इसे नोटिफाई किया। ये एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है। इसे बैंक नोट भी कहते हैं। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है।

चुनाव आयोग ने 14 मार्च को डेटा जारी किया था

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने 12 मार्च 2024 को सुप्रीम कोर्ट में डेटा सबमिट किया था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को 15 मार्च तक डेटा सार्वजनिक करने का आदेश दिया था।

चुनाव आयोग ने 14 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर जारी किया था। भाजपा सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी है। 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक पार्टी को सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ रुपए मिले हैं।

लिस्ट में दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस (1,609 करोड़) और तीसरे पर कांग्रेस पार्टी (1,421 करोड़) है। हालांकि किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है, इसका लिस्ट में जिक्र नहीं किया गया है। चुनाव आयोग ने वेबसाइट पर 763 पेजों की 2 लिस्ट अपलोड की हैं। एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी है।

चुनावी बॉन्ड इनकैश कराने वाली पार्टियों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, AIADMK, बीआरएस, शिवसेना, TDP, YSR कांग्रेस, डीएमके, JDS, एनसीपी, जेडीयू और राजद भी शामिल हैं।

विवादों में क्यों आई चुनावी बॉन्ड स्कीम?

2017 में अरुण जेटली ने इसे पेश करते वक्त दावा किया था कि इससे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग और चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। ब्लैक मनी पर अंकुश लगेगा। वहीं, विरोध करने वालों का कहना था कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान जाहिर नहीं की जाती है, इससे ये चुनावों में काले धन के इस्तेमाल का जरिया बन सकते हैं।

बाद में योजना को 2017 में ही चुनौती दी गई, लेकिन सुनवाई 2019 में शुरू हुई। 12 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पॉलिटिकल पार्टियों को निर्देश दिया कि वे 30 मई, 2019 तक एक लिफाफे में चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी चुनाव आयोग को दें। हालांकि कोर्ट ने इस योजना पर रोक नहीं लगाई।

बाद में दिसंबर 2019 में याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इस योजना पर रोक लगाने के लिए एक आवेदन दिया। इसमें मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया गया कि किस तरह चुनावी बॉन्ड योजना पर चुनाव आयोग और रिजर्व बैंक की चिंताओं को केंद्र सरकार ने दरकिनार किया था।

कांग्रेस ने कहा- इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम में भ्रष्टाचार

इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा जारी होने के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि भाजपा ने स्कीम के जरिए करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया है। उन्होंने इसके 4 कारण बताए। उन्होंने कहा कि हम यूनीक बॉन्ड ID नंबर मांगेंगे, जिससे पुख्ता तौर पर पता चलेगा कि किसने किसको कितना चंदा दिया है।

कोई भी इंडियन खरीद सकता था, 15 दिन की वैलिडिटी सुप्रीम कोर्ट के तत्काल रोक लगाने से पहले चुनावी बॉन्ड स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चुनी हुई 29 ब्रांच में मिल रहे थे। इसे खरीदने वाला इस बॉन्ड को अपनी पसंद की पार्टी को डोनेट कर सकता था। बशर्ते बॉन्ड पाने वाली पार्टी इसके काबिल हो।

खरीदने वाला हजार से लेकर 1 करोड़ रुपए तक का बॉन्ड खरीद सकता था। इसके लिए उसे बैंक को अपनी पूरी KYC देनी होती थी। जिस पार्टी को ये बॉन्ड डोनेट किया जाता, उसे पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम 1% वोट मिलना अनिवार्य था।

डोनर के बॉन्ड डोनेट करने के 15 दिन के अंदर, बॉन्ड पाने वाला राजनीतिक दल इसे चुनाव आयोग से वैरिफाइड बैंक अकाउंट से कैश करवा लेता था। नियमानुसार कोई भी भारतीय इसे खरीद सकता है। बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान गुप्त रहती है। इसे खरीदने वाले व्यक्ति को टैक्स में रिबेट भी मिलती है। ये बॉन्ड जारी करने के बाद 15 दिन तक वैलिड रहते हैं।

—————————————–

ये खबर भी पढ़ें…

चुनावी बॉन्ड नए अवतार में लाने की तैयारी में सरकार

सुप्रीम कोर्ट से इलेक्टोरल बॉन्ड अवैध घोषित होने के बाद चुनावी फंडिंग के तौर-तरीकों को लेकर सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड जैसी नई स्कीम ला सकती है। वित्त मंत्रालय में इसके इनोवेटिव मॉडल पर दो बैठकें हो चुकी हैं। इसमें चर्चा हुई कि वह कौन सा तरीका हो, जो संविधान के मानकों पर खरा उतरे और सुप्रीम कोर्ट की समीक्षा की कसौटी की बाधा पार कर सके। पूरी खबर पढ़ें…

खबरें और भी हैं…



Source link

Loading

अन्य खबरे

गोल्ड एंड सिल्वर

Our Visitors

1251664
Total Visitors
error: Content is protected !!