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जातिगत जनगणना होगी या नहीं? सेंसस कराए जाने की आई खबर तो कांग्रेस ने पूछे 2 बड़े सवाल



<p><strong>Jairam Ramesh:</strong> भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त के रूप में कार्यरत मृत्युंजय कुमार नारायण केंद्रीय प्रतिनियुक्ति अगस्त 2026 तक बढ़ा दी गई है. इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि अरसे से लंबित दशकीय जनगणना की कवायद को पूरा करने के लिए टीम का नेतृत्व करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है.&nbsp;</p>
<p>इसी बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि अगर सरकार जनगणना करनी चाहती हैं तो उन्हें एक सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए.</p>
<p><strong>कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कही ये बात</strong></p>
<p>कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा, रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यकाल के एक्सटेंशन को अभी-अभी अधिसूचित किया गया है. इसका मतलब है कि 2021 में होने वाली जनगणना, जो लंबे समय से विलंबित है, अब आख़िरकार जल्द ही करवाई जाएगी. &nbsp; लेकिन दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है.</p>
<p>1. 1951 से हर जनगणना में होती आ रही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की गणना के अलावा क्या इस नई जनगणना में देश की सभी जातियों की विस्तृत गणना शामिल होगी? भारत के संविधान के अनुसार ऐसी जाति जनगणना केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी है.</p>
<p>2. क्या इस जनगणना का इस्तेमाल लोकसभा में प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों की संख्या निर्धारित करने के लिए किया जाएगा जैसा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 में प्रावधान है (जो कहता है कि ऐसे किसी पुनर्गठन का वर्ष 2026 के बाद की गई पहली जनगणना और उसके रिजल्ट का प्रकाशन आधार होगा)? क्या इससे उन राज्यों को नुक़सान होगा जो परिवार नियोजन में अग्रणी रहे हैं? ऐसे में सबसे सही यही होगा कि इन दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्पष्टता के लिए जल्द ही एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए.</p>
<p><strong>2020 तक होनी थी जनगणना</strong></p>
<p>गौरतलब है कि देश में जनगणना का मकान सूचीकरण चरण और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) एक अप्रैल से 30 सितंबर, 2020 तक की जानी थी. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से स्थगित कर दिया गया था. तब से जनगणना का काम अब भी रुका है. सरकार ने फिलहाल नए कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है.&nbsp;</p>



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