Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान भारी लापरवाही बरती गई है. बीते 22 अक्टूबर को अस्पताल में मरीजों के लिए मोतियाबिंद ऑपरेशन का कैंप लगाया गया था. इस दौरान जिस ऑपरेशन थिएटर में ऑपरेशन किया गया वह कमरा कई दिनों से बंद था. यहां तक कि उसे सैनीटाइज भी नहीं किया गया था. आरोप है कि ऑपरेशन थियेटर में फंगस वाला वायरस फैलने के कारण मोतियाबिंद ऑपरेशन किए जाने के बाद कई मरीजों की आंखों में संक्रमण फैल गया. इससे कई मरीजों को दिखना भी बंद हो गया.
वहीं, घटना की जानकारी लगते ही स्वास्थ्य विभाग ने रायपुर से नेत्र विशेषज्ञों की जांच टीम गठित कर दंतेवाड़ा भेजी. इसके बाद जांच हुई तो पता चला कि में ऑपरेशन के दौरान निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया था. साथ ही ऑपरेशन थिएटर को सैनीटाइज नहीं किया गया था, इस वजह से ओटी में फंगस इंफेक्शन वाला वायरस फैल गया. जिससे मरीजों के को दिखना बंद हो गया.
स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ निधि अग्रवाल ने कहा, ऑपरेशन के दौरान हुई लापरवाही से या फिर आंखों में डालने वाली दवाईयां के कारण इंफेक्शन हुआ है, इन कारणों का पता लगाया जा रहा है. हालांकि, जिला अस्पताल में चार माइक्रोबायोलॉजिस्ट होने के बावजूद मोतियाबिंद ऑपरेशन के ओटी में फंगस इंफेक्शन फैल गया ये भी जांच का विषय है.
फिलहाल, दंतेवाड़ा अस्पताल पहुंची स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम ने अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर को सील कर दिया है. इसके साथ ही घटना के बाद से स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से लगातार अपडेट ले रहे हैं. वहीं घटना की जानकारी लगते ही सीएम विष्णु देव साय ने स्वास्थ्य मंत्री को देर रात सीएम ने हाउस में तलब किया. स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने पूरे घटना की जानकारी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को दे दी है. सीएम ने इस मामले के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
कांग्रेस ने बोला हमला
इस घटना के बाद कांग्रेस ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय ठाकुर ने कहा कि “इलाज के अभाव में लगातार लोगों की मौत हो रही है. कांग्रेस का आरोप है कि राज्य में पहले भी आंखफोड़वा कांड जैसी घटनाएं हो चुकी हैं. इसके बाद भी लापरवाही क्यों बरती जाती है?”
उन्होंने कहा, “अस्पतालों में लापरवाही की तस्वीरें देखने को मिल रही है. स्वास्थ्य मंत्री गैर जिम्मेदाराना बयान देकर घटना पर पर्दा डालते रहते हैं. तत्काल घटना की जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. मंत्री को विभाग की व्यवस्थाओं को जल्द सुधारना चाहिए और जिन मरीजों की आंखे खराब हुई हैं, उनका बेहतर इलाज किया जाए उन्हें उचित मुआवजा भी दिया जाए.”
छत्तीसगढ़ में 22 सितंबर 2011 को सरकारी महकमे की लापरवाही की वजह से 50 से ज्यादा लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. सितंबर 2011 में छत्तीसगढ़ के बालोद बागबाहरा और राजनांदगांव में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कैंप लगाया गया था, जहां इसी तरह से फंगस वाला इन्फेक्शन ऑपरेशन थिएटर में फैल गया. इसके बाद 50 से ज्यादा मरीजों की आंखों में दिखाना बंद हो गया था.
उस दौरान भी सरकार ने जांच में दोषी पाए गए डॉक्टर पर सख्त कार्रवाई की थी. उस घटना के बाद सियासत भी जमकर हुई थी. विपक्ष ने पूरे मामले को उछाला था. तत्कालीन रमन सिंह सरकार की उस आंखफोड़वा कांड में खूब किरकिरी भी हुई थी.