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जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान गणेशपुर बाराबंकी में पांच दिवसीय प्रशिक्षण का हुआ समापन

राघवेन्द्र मिश्रा/के के शुक्ला (नारद संवाद एजेंसी)
बाराबंकी। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डायट गणेशपुर बाराबंकी में उच्च प्राथमिक एवं कॉम्पोजिट विद्यालयों के विज्ञान शिक्षकों का 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में शिक्षकों को डिजिटल लिट्रेसी, कोडिंग, और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग जैसे आधुनिक विषयों पर प्रशिक्षण प्राचार्य के द्वारा दिया गया।समापन समारोह में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। प्रमाण पत्र वितरण प्राचार्य राजेश कुमार आर्या द्वारा किया गया। इस अवसर पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य नें सभी प्रतिभागियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं।

उन्होंने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर चर्चा करते हुए बताया कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य शिक्षकों को तकनीकी कौशल और आधुनिक शिक्षा विधियों से परिचित कराना है। उन्होंने आगे कहा कि आज के युग में तकनीकी ज्ञान और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है और इस प्रशिक्षण के माध्यम से शिक्षकों को इसे अपने छात्रों तक पहुँचाने का अवसर प्राप्त होगा।
इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में नोडल प्रवक्ता अमित कुमार राय प्रवक्ता सुकेश रंजन श्रीवास्तव ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।अमित कुमार राय ने कोडिंग और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि यह कौशल न केवल छात्रों की समस्या सुलझाने की क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि तार्किक सोच और रचनात्मकता को भी प्रोत्साहित करता है। सुकेश रंजन श्रीवास्तव ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के महत्व और इसके शिक्षा, उद्योग, स्वास्थ्य, और अन्य क्षेत्रों में प्रभाव पर चर्चा की। उन्होंने भारत सरकार द्वारा AI के क्षेत्र में उठाए गए कदमों और नीतियों पर प्रकाश डाला और शिक्षकों को प्रेरित किया कि वे अपने छात्रों को इस क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों से परिचित कराएं। कार्यक्रम के अवसर पर संदर्भदाताओं में नीरज अग्निहोत्री, उपेन्द्र कुमार सिंह, वेद प्रकाश, अमरजीत सिंह, महिमा सिंह, दिनेश वर्मा, अनुज श्रीवास्तव, अनूप चर्तुवेदी, चेतन दीक्षित और अमरीश कुमार सिंह ने भी अपने अनुभव साझा किए और कार्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामनाएँ दीं।
इस कार्यक्रम में प्रतिभागी शिक्षकों ने गहन रुचि दिखाई और विभिन्न सत्रों में सक्रियता के साथ भाग लिया। उन्होंने सत्रों के दौरान पूछे गए प्रश्नों और चर्चाओं में उत्साहपूर्वक भाग लिया।प्रशिक्षण के समापन पर शिक्षकों ने इस कार्यक्रम को अत्यंत लाभदायक और प्रेरणादायक बताया। सभी प्रतिभागियों ने इसे अपनी शिक्षण पद्धतियों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में सराहा।

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