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पूजा-आरती और जय माता दी के जयकारों के साथ दुर्गा जी की प्रतिमाओं का हुआ विसर्जन

सुबेहा के राजघाट गोमती नदी पर 45 मूर्तियों का हुआ विसर्जन

राघवेन्द्र मिश्रा (नारद संवाद न्यूज़ एजेंसी)
सुबेहा। प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी दुर्गा की मूर्तियाँ कस्वे एवम गाँव मे रखीं गयी हैं सुबेहा थाना क्षेत्र में कुल 47 मूर्ति रखीं गयी थी जिनमे से रविवार को दोपहर तीन बजे से लेकर देर रात 45 मूर्तियों का विसर्जन सुबेहा के राजघाट स्थित गोमती नदी पर किया गया।दुर्गा विसर्जन का सबसे महत्वपूर्ण दिन आज है, जब भक्त देवी दुर्गा की मूर्ति की पूजा करते हैं और अंतिम दिन उन्हें विदाई देते हैं। विसर्जन के दिन, भक्त जुलूस निकालेंगे और मूर्ति को नदियों, तालाबों में विसर्जित करते हैं। भक्त विभिन्न पूजा अनुष्ठान करते हैं और देवी का आशीर्वाद लेते हैं। दुर्गा पूजा का त्यौहार मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, कोलकाता, ओडिशा, असम और त्रिपुरा में मनाया जाता है इसके साथ साथ विहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में भी दुर्गा पूजा का त्योहार मनाया जाता है। और दुर्गा विसर्जन भी बहुत भव्यता के साथ किया जाता है।आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि और एकादशी को दुर्गा विसर्जन मनाया गया और भक्तों ने विसर्जन करके देवी दुर्गा को विदाई किया है। माँ दुर्गा, दिव्य स्त्री शक्ति को कहना विदाई देना इतना आसान नहीं है। माँ शक्ति वह है, जो अत्यंत दयालु है, सबसे बड़ी दाता है, और इस ब्रह्मांड की माँ है, जो सभी मनुष्यों और जीवित प्राणियों का पालन-पोषण करती है। लेकिन, अनुष्ठानों के अनुसार, माँ को अपने निवास (कैलाश पर्वत) पर वापस जाना पड़ता है जहाँ भगवान शिव रहते हैं। वह अपने भक्तों और बच्चों की देखभाल करने के लिए धरती पर आती है, जो नौ दिनों तक अपार भक्ति और पवित्रता के साथ उनकी पूजा करते हैं।कैलाश पर्वत पर वापस जाने से पहले माँ सभी भक्तों को उनकी मनोकामना पूर्ण करती हैं। लोग बड़ी धूमधाम से दुर्गा विसर्जन मनाते हैं और ढोल के साथ जुलूस निकालते हैं और भक्ति गीत गाते हैं।


सुबेहा थाना क्षेत्र के राजघाट में मूर्ति विसर्जन की कमान थानाध्यक्ष संजीव कुमार यादव ने अपनी पुलिस टीम के साथ रहकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शांतिपूर्ण ढंग से दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन कराया। इस दौरान क्षेत्र की जनता और नगर पंचायत के कर्मचारियों के साथ साथ गोताखोर भी मौजूद रहे।

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