रिपोर्ट/रिशु गुप्ता

रामसनेहीघाट (बाराबंकी)।शादी-ब्याह में लोग जहां हजारों रुपये खर्च कर आकर्षक कागज कार्ड छपवाते हैं, वहीं झोलामैन के नाम से प्रसिद्ध अजीत प्रताप सिंह ने पर्यावरण संरक्षण का अद्भुत उदाहरण पेश किया है। उन्होंने अपने भतीजे की शादी में कागज़ के कार्ड की जगह कपड़े पर लिखा हुआ न्यौता बांटकर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया।अजीत प्रताप सिंह का कहना है कि “शादी के कार्ड पढ़ने के बाद लोग फेंक देते हैं। इन कार्डों पर भगवान गणेश की तस्वीरें और मंत्र के साथ पूर्वजों के नाम छपे होते हैं, जो बाद में कूड़े में मिल जाना अत्यंत दुखद है। इतना ही नहीं, इन कागज कार्डों के लिए कागज़ बनाते समय असंख्य पेड़ काटे जाते हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है।”उन्होंने बताया कि कपड़े के न्यौते से न केवल पर्यावरण की रक्षा होती है, बल्कि यह उपयोगी और टिकाऊ भी होता है। “कपड़े का न्यौता धोने पर उसका लिखा मिट जाता है, और वह रूमाल के रूप में काम आता है। यानी कोई बर्बादी नहीं होती, बल्कि यह याद के रूप में भी बचा रहता है,” अजीत प्रताप सिंह ने मुस्कराते हुए कहा।इसका प्रचलन अभी उत्तर भारत में बिल्कुल नहीं है यहां इस तरह की छपाई भी नहीं हो सकती है अतः बहुत प्रयास के बाद महाराष्ट्र राज्य के जिले पुणे में एक प्रिंटिंग प्रेस मिला जहां से उन्होंने इसे छपवाया है यह एक धुलाई के बाद बिल्कुल साफ हो जाता है रुमाल की तरह सालों साल प्रयोग किया जा सकता है।इस अनोखी पहल की चर्चा अब पूरे क्षेत्र में हो रही है। जिन लोगों को कपड़े का न्यौता मिला, वे भी अजीत प्रताप सिंह की सोच की तारीफ करते नहीं थक रहे। उनका कहना है कि “अगर हर शादी में इस तरह के पर्यावरण हितैषी न्यौते दिए जाएं तो न केवल परंपरा जीवित रहेगी बल्कि धरती भी मुस्कुराएगी।”अजीत प्रताप सिंह पहले भी प्लास्टिक मुक्त अभियान चलाकर लोगों को कपड़े के झोले इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित कर चुके हैं, जिससे उन्हें “झोलामैन” नाम मिला। अब उनके कपड़े के कार्ड की पहल ने उन्हें फिर से चर्चा में ला दिया है।अजीत सिंह का संदेश:“पेड़ काटकर रिश्ते मत जोड़िए,कपड़े से भी प्यार के रिश्ते खूब निभते हैं।”बीजेपी पूर्व जिलाध्यक्ष अवधेश श्रीवास्तव, प्रमोद गुप्ता मुन्ना, गोविंद गुप्ता सहित अन्य लोगो ने कहा — ऐसी सोच अगर हर घर में आ जाए, तो प्रकृति का आशीर्वाद सदा बना रहेगा।































