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मिनी पंजाब” बंडा मंडी बनी “राजस्थान”, धान खरीद घोटाले में अफसरों का काला खेल! किसान सड़कों पर, आत्महत्या के कगार पर, योगी सरकार की नींद टूटी या नहीं?

अनुराग राजू मिश्रा(यूपी हेड)

जब दिन भर डिप्टी आर एम ओ साहब अपने बड़े बड़े क्षेत्रीय विपरण अधिकारियों के साथ बंडा/पुवायां मंडी में ही डेरा डाले रहते है इसके बाबजूद बंडा मंडी में खरीद की दुर्दशा क्यों है

खाद्य एवं रसद राज्य मंत्री जी बिहार का चुनाव के साथ साथ अपने प्रदेश के किसानों की भी सुध ले लो

  • शाहजहांपुर( 28 अक्टूबर 2025)उत्तर प्रदे श के शाहजहांपुर जिले की पुवायां तहसील को “मिनी पंजाब” कहा जाता था, जहां धान की लहलहाती फसलें और मंडियां धान से लबालब रहती थीं। लेकिन आज यह “मिनी राजस्थान” बन चुकी है – सूनी, वीरान और किसानों के आंसुओं से भीगी! बंडा मंडी, जो कभी धान का गढ़ मानी जाती थी, अब भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। 4 अक्टूबर से शुरू हुई धान खरीद में अब तक कई क्रय केंद्रों पर महज 1500 कुंतल या उससे भी कम धान ही खरीदा गया, जबकि मंडी धान से इतनी भरी पड़ी है कि हाथ रखने की जगह नहीं! किसान धरने पर उतर आए हैं, मौसम खराब होने से फसल सड़ रही है, और ऊपर से अफसरों का काला कारोबार – आढ़तियों का धान चुपके-चुपके खरीदकर “खरीद शुरू” का ड्रामा चला रहे हैं। क्या यह योगी सरकार का किसान-विरोधी चेहरा है?

  • प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बंडा मंडी में धान की भारी आवक के बावजूद केंद्र प्रभारी, जो खुद को “किसान हितैषी” बताते हैं, प्रतिदिन महज 60 कुंतल धान ही खरीद रहे हैं – वो भी आढ़तियों का! एक सेंटर की क्षमता 300 कुंतल प्रतिदिन है, लेकिन ये “होशियार” अफसर इंतजार कर रहे हैं कि आवक खत्म हो जाए, मिल अटैच हो जाएं, और फिर कागजों पर जादू चलाकर 500-600 कुंतल प्रतिदिन की खरीद दिखा दें। “जब धान रहेगा नहीं, तब 600 कुंतल के लिए जगह और लेबर कहां से आएगा?” – यह सवाल हर किसान के दिल में चुभ रहा है। जिला खाद्य विपरण अधिकारी सब जानते हैं, लेकिन कुम्भकरणी नींद में हैं। सहकारिता विभाग के 120 से ज्यादा क्रय केंद्रों पर तो खरीद नाममात्र की है – सिर्फ कागजों पर! ये केंद्र सत्ता के संरक्षण में चल रहे हैं, जहां किसानों का धान नहीं, बल्कि सत्ताधारियों के चहेतों का फायदा हो रहा है।और इनपर जिलाधिकारी या डिप्टी आर एम ओ कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते।
    पब्लिक का कहना है कि “नैतिकता मर चुकी है, जमीर बिक चुका है! हमारी फसल सड़ रही है, कर्ज चढ़ रहा है, बच्चे भूखे हैं – और ये अफसर आढ़तियों के साथ मिलकर लूट रहे हैं। क्या सरकार हमें आत्महत्या के लिए मजबूर कर देगी?” RFC केंद्रों पर निर्भर किसान सबसे ज्यादा पीड़ित हैं, क्योंकि सहकारिता वाले केंद्रों पर जिलाधिकारी या खाद्य अधिकारी का दबाव नहीं, उल्टा केंद्रों का दबाव अधिकारियों पर है। सत्ता का दबाव इतना कि मंत्री भी कुछ न कह सकें!
    #मंत्री_सतीश_शर्मा_जागिए_बिहार चुनाव के साथ साथ प्रदेश के किसानों की भी कुछ सुध ले लो
    खाद्य एवं रसद राज्य मंत्री सतीश शर्मा जी, आपके निरीक्षण की शाहजहांपुर को तत्काल जरूरत है। ईमानदार जिलाधिकारी महोदय से अपील है – 28 अक्टूबर से 28 नवंबर तक के धान खरीद आंकड़ों पर नजर रखें। देखिएगा, जब धान था तब 60 कुंतल प्रतिदिन, जब धान खत्म हो जाएगा तब 500-600 कुंतल कैसे हो जाएगा? यह घोटाला कागजों पर “मिनी पंजाब” को फिर से जन्म दे देगा, लेकिन किसान मर जाएंगे! योगी सरकार का वादा था किसान कल्याण का, लेकिन यह तो किसान विनाश का षड्यंत्र लग रहा है। अगर अब भी चुप्पी रही, तो किसानों का गुस्सा आग बन सकता है – और जिम्मेदारों को इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा!

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