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Gold Rate Today; Gold Investment Right Time Explained | आज का एक्सप्लेनर: क्या अभी सोना खरीदना सही, 94 दिनों में बनाए कई नए रिकॉर्ड, कहां तक जाएगा; एक्सपर्ट से जानें खरीदें या इंतजार करें


पिछले कुछ वक्त से सोना रोलर कोस्टर पर सवार है। 2025 के शुरुआती 94 दिनों में 14,852 रुपए बढ़कर 91,014 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। फिर दो दिनों में ही करीब ढाई हजार घट गया। 9 अप्रैल से फिर बढ़ना शुरू हुआ और अब 93,353 रुपए प्रति 10 ग्राम के ऑल टाइ

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सोने में क्यों मची है इतनी उथल-पुथल, क्या गोल्ड खरीदने का ये सही वक्त है या कुछ दिन इंतजार करना चाहिए; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…

सवाल-1: 2025 के शुरुआती 94 दिन सोने की कीमतों का ट्रेंड क्या रहा? जवाब: इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन यानी IBJA के मुताबिक, 1 जनवरी 2025 को 24 कैरेट सोने की कीमत 76,162 रुपए प्रति 10 ग्राम थी।

सवाल-2: फिर सोने की कीमतें करीब ढाई हजार रुपए प्रति 10 ग्राम कैसे गिर गईं? जवाब: 5 और 6 अप्रैल को बाजार बंद रहा, लेकिन 7 अप्रैल को बाजार खुलते ही सोने की कीमतें करीब 2 हजार रुपए गिर गईं। IBJA के मुताबिक, इस दिन सोना 89,085 रुपए प्रति 10 ग्राम बिका।

अगले दिन यानी 8 अप्रैल को भी सोने की कीमतों में गिरावट जारी रही। 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का दाम 88,550 पर आ गया। सिर्फ दो कारोबारी दिनों में ही सोने के दाम में 2,464 रुपए की गिरावट आई।

केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक, ‘इन दो दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीन के बीच टैरिफ के घमासान ने सोने पर दबाव बढ़ा दिया। ट्रम्प ने टैरिफ को लेकर स्थिति साफ नहीं की, जिससे कीमतें कम हो गईं।

सभी इसी असमंजस में थे कि 9 अप्रैल से टैरिफ को लेकर क्या होगा। इस दौरान शेयर मार्केट में भारी गिरावट आई, जिससे निवेशकों ने सोने की जगह शेयर्स में इन्वेस्ट किया। इसके अलावा डॉलर की मजबूती की वजह से भी सोने की कीमतों में गिरावट आई।’

सवाल-3: अब दोबारा सोना अपने ऑल टाइम हाई पर कैसे पहुंचा? जवाब: 9 अप्रैल को सोने की कीमतें 1,611 रुपए बढ़ गईं। 24 कैरेट प्रति 10 ग्राम सोना 90,161 रुपए पर पहुंच गया। एक्सपर्ट्स इसके 2 प्रमुख कारण बताते हैं-

  1. अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी के कारण ट्रेड वॉर का खतरा बढ़ गया। इससे इकोनॉमी के बढ़ने की रफ्तार धीमी होने की आशंका बढ़ने लगी। ग्लोबल मंदी की आशंका भी बढ़ी। ऐसे में लोगों ने सोने में अपना निवेश बढ़ा दिया क्योंकि मंदी के समय सोने को सुरक्षित निवेश माना जाता है।
  2. डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने से सोने की कीमतों में तेजी आई। ऐसा इसलिए क्योंकि जब रुपया कमजोर होता है तो इसे इम्पोर्ट करने में ज्यादा पैसे खर्च होते हैं। इस साल रुपए में लगभग 4% की गिरावट आई है, जिससे सोने की कीमतों में उछाल आया।

10 अप्रैल को मार्केट बंद रहा। 11 अप्रैल को सोने के दामों ने नया ऑल टाइम हाई बनाया। IBJA के अनुसार 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का दाम ₹3,192 बढ़कर ₹93,353 पर पहुंच गया। 12 अप्रैल को 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 93,353 रुपए रही।

अजय केडिया ने कहा,

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डोनाल्ड ट्रम्प ने ऊंचे टैरिफ का ऐलान करके पूरी दुनिया के बाजारों में खलबली मचा दी है। कारोबारी नीतियों के लिहाज से इसे सदी का बदलाव कहा जा रहा है। टैरिफ और ट्रेड वॉर ने दुनियाभर में जो चिंता पैदा की है, उससे सोने की कीमतों ने इस साल कई बार नया रिकॉर्ड बनाया। जब भी अर्थव्यवस्था में अस्थिरता आती है तो सोने की कीमतों को पंख लग जाते हैं।

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यूके की बेलफास्ट यूनिवर्सिटी के आर्थिक इतिहासकार डॉ. फिलिप फ्लायर्स कहते हैं, ‘बड़ी तादाद में लोग अब शेयर जैसे इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स छोड़कर गोल्ड में इन्वेस्ट करने लगे हैं। सरकारें, रिटेल इन्वेस्टर्स और आम लोग भी सोना खरीद रहे हैं। यही वजह है कि गोल्ड की कीमतों में इतनी तेजी आ गई।’

2024 में गोल्ड ने इन्वेस्टर्स को करीब 20% का रिटर्न दिया।

2024 में गोल्ड ने इन्वेस्टर्स को करीब 20% का रिटर्न दिया।

सवाल-4: क्या इस उथल-पुथल के बीच सोना खरीदना सुरक्षित है? जवाब: अजय केडिया कहते हैं, ‘भले ही ग्लोबल मार्केट में हालात बदलते रहें, लेकिन यह भी याद रखना चाहिए कि गोल्ड में कोई भी बड़ा निवेश वित्तीय बाजार के बड़े खिलाड़ियों के रहमो-करम पर टिका होता है। बड़े खिलाड़ी जो करते हैं, उनका असर सोने की कीमतों पर दिखता है। इसलिए सोने में सोच-समझकर इन्वेस्ट करना चाहिए।’

2020 में कोविड महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आई थी तो गोल्ड के दाम तेजी से आसमान छूने लगे थे। हालांकि ऐसी अस्थिरता गोल्ड की कीमतों को चोट भी पहुंचा सकती है। इस कारण सुरक्षित निवेश का मतलब ये नहीं है कि इसमें जोखिम नहीं है।

अजय केडिया ने कहा, ‘बाजार में उतार-चढ़ाव को देखते हुए केंद्रीय बैंक इक्विटी मार्केट में अपना निवेश घटाकर थोक के भाव सोना खरीदते हैं। उनका मकसद अपना गोल्ड रिजर्व बढ़ाना होता है। इस स्थिति में आम लोगों के लिए सोना खरीदना जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन फिर भी सोने में इन्वेस्टमेंट एक लिहाज से सुरक्षित भी है, क्योंकि यह कभी न कभी फायदा जरूर देता है।’

हालांकि डॉ. फिलिप फ्लायर्स के मुताबिक,

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गोल्ड के दाम जिस तरह से लगातार बढ़ते जा रहे हैं, इस पर दांव लगाना जोखिम भरा हो सकता है। जैसे ही बाजार स्थिर होगा और सरकारें सोच-समझकर फैसला लेने लगेंगी, लोग फिर से गोल्ड में निवेश कम कर देंगे। गोल्ड में इन्वेस्ट करना है तो ज्यादा समय के लिए करें।

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2024 में भारत में सोने की खपत लगभग 850 मीट्रिक टन रही।

2024 में भारत में सोने की खपत लगभग 850 मीट्रिक टन रही।

सवाल-5: सोने की कीमतों में उथल-पुथल भारत में ही है या ग्लोबल मार्केट में भी यही ट्रेंड है? जवाब: किसी भी देश में सोने के दाम इसके इंटरनेशनल रेट के आधार पर तय होते हैं। इंटरनेशनल लेवल पर लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) सोने के दाम तय और रेगुलेट करता है। यह बाकी देशों के साथ मिलकर काम करता है। 24 कैरेट शुद्धता वाले सोने का प्रति औंस रेट डॉलर में तय होता है। एक औंस 28.3 ग्राम का होता है।

LBMA के मुताबिक, जनवरी में सोने की कीमत 2633 डॉलर प्रति औंस थी, जो अप्रैल तक बढ़कर 3230 डॉलर प्रति औंस हो गई। इस दौरान भी सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिले। फरवरी में जहां सोने का हाईएस्ट प्राइस 2936 डॉलर प्रति औंस पहुंच गया था, वहीं मार्च में लोएस्ट 2880 डॉलर प्रति औंस तक गिर गया। हालांकि मार्च के आखिर और अप्रैल में इसमें फिर बढ़ोतरी देखी गई।

सवाल-6: सोने की मौजूदा बढ़ोतरी के पीछे क्या-क्या फैक्टर्स हैं? जवाब: सोने की मौजूदा बढ़ोतरी के पीछे 4 बड़े फैक्टर्स हो सकते हैं…

1. डॉलर के गिरने से सोने की मजबूती डोनाल्ड ट्रम्प के फैसलों का असर सबसे ज्यादा अमेरिकी बाजारों पर पड़ रहा। ट्रम्प की नीतियों की वजह से सोना बीते 10 सालों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। 12 अप्रैल को डॉलर के इंडेक्स में 9% गिरावट आई। जिससे यह 99.50 अंक लुढ़क गया। इस कारण सोने की कीमतें लगातार बढ़ने लगी।

2. ट्रेड वॉर की वजह से सोना महंगा डोनाल्ड ट्रम्प ने रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिनों की रोक लगा दी पर चीन पर ये बढ़ाकर 145% कर दिया है। वहीं चीन ने भी अमेरिका पर टैरिफ बढ़ाकर 125% कर दिया है। दोनों देशों के बीच जारी ट्रेड वॉर के चलते अभी भी वर्ल्ड मार्केट में अस्थिरता की संभावना है। आर्थिक अस्थिरता के दौर में सोने के दाम में बढ़ोतरी होती है।

3. जियोपॉलिटिकल इश्यूज का सोने पर असर ट्रम्प ने इजराइल और हमास युद्ध तो रुकवा दिया, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध पर लगाम नहीं लगी। इसी के साथ चीन-म्यामांर जैसे कई देशों में युद्ध शुरू होने की खबरें आ रही हैं। चीन भी चुप बैठने को तैयार नहीं है। दुनियाभर में युद्ध की स्थिति बनी रही है, जिस वजह से सोने के भाव तेजी से बढ़ रहे हैं।

4. रिटेल डिमांड में बढ़ोतरी भारत में सोने की मांग में लगातार बढ़ोतरी की एक वजह बढ़ती रिटेल डिमांड है। भारत में शादियों, त्योहारों और अन्य उत्सवों में लोग सोना खरीदते हैं। ऐसे में शादियों और त्योहारों के सीजन में यहां सोने के दाम में बढ़ोतरी दर्ज की जाती है।

सवाल-7: सोने की कीमतों का 2025 में क्या प्रोजेक्शन है? जवाब: अजय केडिया कहते हैं कि 2025 में सोने की कीमतें लगातार बढ़ेंगी। इसी साल सोना 99 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच सकता है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमत 3,000 डॉलर प्रति औंस हो सकती है। इसकी 4 बड़ी वजहें हैं…

1. केंद्रीय बैंक की खरीद में उछाल दुनियाभर के केंद्रीय बैंक सोने की खरीद बढ़ा रहे हैं। यह खरीदारी रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद शुरू हुई। सोने की खरीदारी अब 2022 से पहले के स्तर से लगभग 3 गुना बढ़ गई है, जो लगातार जारी है। जब सोने की खरीद बढ़ती है, तो कीमतों में भी उछाल आता है।

2. फेडरल रिजर्व के इंट्रेस्ट रेट में कटौती अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक इंट्रेस्ट रेट में कटौती कर सकता है, जिससे आने वाले समय में सोने की कीमतें और बढ़ेंगी। इंट्रेस्ट रेट बढ़ने से सोने की खरीदारी कम हो जाती है, क्योंकि इससे फायदा कम मिलता है। अभी अमेरिकी फेडरल रिजर्व का लक्ष्य 4.25% से 4.50% के बीच बना हुआ है।

3. रेसिप्रोकल टैरिफ की बढ़ोतरी अजय केडिया का मानना है, ‘डोनाल्ड ट्रम्प ने फिलहाल टैरिफ पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी है। लेकिन फिर भी 10% टैरिफ लग रहा है। इससे सोने की कीमतों पर भी असर पड़ा है। अगर 90 दिन बाद ट्रम्प ने टैरिफ को बढ़ाकर दोबारा शुरू कर दिया, तो सोने की कीमतें भी तेजी से बढ़ सकती हैं।’

ट्रम्प ने 2 अप्रैल को रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की थी।

ट्रम्प ने 2 अप्रैल को रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की थी।

सवाल-8: चांदी की कीमतों का ट्रेंड और अगले 1 साल का प्रोजेक्शन क्या है? जवाब: इस साल चांदी की कीमतों में अब तक 8% की बढ़ोतरी देखी गई है। साल की शुरुआत में चांदी की कीमत 86,017 रुपए प्रति किलो थी जो कि 12 अप्रैल तक 6,912 रुपए बढ़कर 92,929 रुपए प्रति किलो पर पहुंच चुकी है। इसी बीच 28 मार्च को चांदी ने 1,00,934 रुपए का ऑल टाइम हाई बनाया था।

सोने और चांदी के प्रोजेक्शन के लिए दोनों का रेश्यो कम्पैरिजन किया जाता है। यह रेश्यो आमतौर पर 30% से 90% के बीच बना रहता है। जनवरी 2025 में सोने और चांदी का रेश्यो 89.3% पर बना हुआ है।

अजय केडिया का मानना है कि आने वाले समय में रेश्यो नीचे गिरेगा, जिससे चांदी की कीमतों में उछाल आ सकता है। 2025 में चांदी भारतीय बाजार में 1 लाख 30 हजार रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है।

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नोट- यह सामग्री केवल जानकारी के लिए है। निवेश से जुड़ा फैसला सोच-समझकर लें। बाजार जोखिमों के अधीन है।

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रिसर्च सहयोग- श्रेया नाकाड़े

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