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Garment Business; Go Devil Founder Vinish Arya Success Story | Gurugram News | पॉजिटिव स्टोरी- घर बेचकर फैशन ब्रांड शुरू किया: अब 7 करोड़ का सालाना बिजनेस; 12वीं में पिता की मौत, तो कॉलेज छोड़ना पड़ा


दिल्ली से सटे हरियाणा के मानेसर की एक फैक्ट्री में हूं। यहां अलग-अलग डिजाइन, स्टाइल में टीशर्ट, शर्ट, हुडीज जैसे गारमेंट्स बनते हैं। बिल्डिंग के हर एक फ्लोर पर कपड़ों के ढेर लगे हुए हैं। दर्जनों स्टाफ कपड़े की कटाई-छंटाई कर रहे हैं।

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नए-नए डिजाइन में ड्रेसेज तैयार कर रहे हैं। ये कपड़े काफी कलरफुल हैं।

मैं फैशन ब्रांड ‘GO DEVIL’ के फाउंडर विनीश आर्या से मिलने और उनकी कहानी जानने के लिए आया हूं। विनीश कहते हैं, ‘अभी की जनरेशन हिपहॉप कल्चर को फॉलो करती है।

हर कोई कूल और न्यू ट्रेंड के मुताबिक दिखना चाहता है। 20 साल एक्सपोर्ट का बिजनेस करने के बाद 2022 में लगा कि अपना ब्रांड शुरू करूं, तब मैंने ये कंपनी शुरू की।’

विनीश मुझे कुछ टीशर्ट और कपड़ों के कलर और फैब्रिक की क्वालिटी को दिखा रहे हैं। उनका दावा है कि इन कपड़ों की यूनीकनेस इनका फैब्रिक है।

विनीश ने फैशन ब्रांड GO DEVIL 2022 में शुरू किया था। तीन साल बाद वह सालाना 7 करोड़ का बिजनेस कर रहे हैं।

विनीश ने फैशन ब्रांड GO DEVIL 2022 में शुरू किया था। तीन साल बाद वह सालाना 7 करोड़ का बिजनेस कर रहे हैं।

विनीश जिस बारीकी से कपड़े दिखा रहे हैं, ऐसा लग रहा है उन्होंने फैशन डिजाइनिंग या फैशन टेक्नोलॉजी की पढ़ाई की है।

आपने फैशन की पढ़ाई की है? मैं विनीश से पूछता हूं।

वह कहते हैं, ‘कॉलेज ड्रॉप आउट हूं। 12वीं तक ही पढ़ाई की है। घर की स्थिति ही ऐसी थी, क्या करता। मुझे भी पता था कि किताबी ज्ञान से कुछ नहीं होने वाला है। हरियाणा के करनाल का रहने वाला हूं। हमारे पास घर छोड़कर कोई जमीन-जायदाद नहीं थी।

पापा प्राइवेट जॉब करते थे। एक बार पूरा परिवार रिश्तेदारी में गया था। लौटते वक्त अचानक पापा को हार्ट अटैक आ गया। कुछ देर बाद ही उनकी मौत हो गई। मैं तो उस वक्त 12वीं में था।’

इन बातों को दोहराते-दोहराते विनीश का चेहरा उतर जाता है। बोल पड़ते हैं, ‘बहुत लंबे संघर्ष के बाद यहां तक पहुंचा हूं। यदि उस दिन रिस्क नहीं लिया होता, तो आपसे बात नहीं कर रहा होता।’

विनीश कहते हैं कि पिता की मौत के बाद उनके लिए सबसे बड़ा चैलेंज घर को संभालना था। साथ में उनके भाई हैं।

विनीश कहते हैं कि पिता की मौत के बाद उनके लिए सबसे बड़ा चैलेंज घर को संभालना था। साथ में उनके भाई हैं।

पिता की मौत के बाद?

‘उस वक्त घर को संभालना, मां को संभालना बहुत मुश्किल था। मैं घर का बड़ा बेटा हूं। पापा के गुजर जाने के बाद पूरी जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई। कॉलेज में एडमिशन भी ले चुका था, लेकिन जब लगा कि इससे कुछ नहीं होने वाला है। पैसे भी लगेंगे, तब पढ़ाई छोड़ दी।

मन ही मन सोचने लगा कि नॉर्मल ग्रेजुएशन करने के बाद भी किसी के यहां 10-12 हजार महीने पर नौकरी करनी पड़ेगी। इससे तो पैसों की तंगी नहीं दूर हो सकती है। ये सारी बातें 1995 के आसपास की हैं।

करनाल शहर लेदर शूज इंडस्ट्री के लिए जाना जाता है। अपने आसपास के लोगों को देखता था कि जो बिजनेस कर रहे हैं, उनकी लाइफ बड़ी अच्छी चल रही है। मैंने सोच लिया कि अब पढ़ाई नहीं, कुछ धंधा करूंगा।

पढ़ाई छोड़कर इधर-उधर हाथ-पैर मारना शुरू कर दिया। तब घरवाले, रिश्तेदार सब यही कहते- यह तो आवारा बन गया। पढ़ाई-लिखाई भी छोड़ दी। पता नहीं, क्या करेगा अब।’

विनीश ने 12वीं तक ही पढ़ाई की है। उसके बाद उन्होंने एक्सपोर्ट के बिजनेस में किस्मत आजमानी शुरू कर दी थी।

विनीश ने 12वीं तक ही पढ़ाई की है। उसके बाद उन्होंने एक्सपोर्ट के बिजनेस में किस्मत आजमानी शुरू कर दी थी।

एक्सपोर्ट बिजनेस कैसे शुरू किया?

‘पहले दिन से मैंने सोच लिया था कि लेदर शूज नहीं बेचूंगा। दिल्ली का एक एक्सपोर्टर मिला, जो लेदर से बने गारमेंट्स एक्सपोर्ट करता था। दिल्ली में हम दोनों मिले। मैं भी काम खोज रहा था।

उसने पहली बार में ही करीब एक हजार पीस के ऑर्डर दे दिए। मैंने सोर्स करके मार्केट से कम रेट में प्रोडक्ट सप्लाई कर दिया। यहां से मेरा एक्सपोर्ट का बिजनेस शुरू हो गया।

दो-तीन साल में करीब 10 लाख का बिजनेस कर लिया। मुझे याद है- 1999 आते-आते मैंने एक कार भी खरीद ली थी। धीरे-धीरे देश-विदेश में एक्सपोर्ट से जुड़े इंटरनेशनल मार्केट के लोगों से कॉन्टैक्ट होने लगा।

सब कुछ अच्छा चल रहा था, तभी 2008 में ग्लोबल मंदी आ गई। कई दूसरी कंपनियां लेदर इंडस्ट्री में आ चुकी थीं। तब मैंने गारमेंट्स के बिजनेस को एक्सप्लोर करना शुरू किया।’

विनीश की टीम में 50 से ज्यादा लोग काम करते हैं। उनकी बेटी डिजाइन, मार्केटिंग और कलेक्शन सेग्मेंट को संभालती है।

विनीश की टीम में 50 से ज्यादा लोग काम करते हैं। उनकी बेटी डिजाइन, मार्केटिंग और कलेक्शन सेग्मेंट को संभालती है।

खुद की फैक्ट्री थी?

‘नहीं, डिमांड के मुताबिक दूसरों से कपड़े लेकर एक्सपोर्ट करता था। 2014 में मैंने अपनी फैक्ट्री लगाई थी। 2020 में जब कोरोना आया, तब एक्सपोर्ट का बिजनेस डाउन हो गया। कई सारी ई-कॉमर्स कंपनियां और डायरेक्ट टू कंज्यूमर ब्रांड D 2 C मार्केट में आ रहे थे।

मेरी बेटी मुंबई की एक फैशन इंस्टीट्यूट से पढ़ाई कर रही थी। मैंने भी खुद का ब्रांड बनाने का सोचा। 2022 में इस कंपनी की शुरुआत की। कपड़ों का स्टॉक बड़ा इन्वेस्टमेंट होता है। करीब डेढ़ करोड़ रुपए लगे थे।

पैसे के लिए अपना घर तक बेच दिया। मेरा मानना है कि धंधे से 10 घर बना सकते हैं, खरीद सकते हैं, लेकिन घर से धंधा नहीं बन सकता है। हम लोग आज भी रेंट पर रहते हैं।’

पहले विनीश की फैक्ट्री फरीदाबाद में थी। उसके बाद गुड़गांव में उन्होंने सेटअप किया।

पहले विनीश की फैक्ट्री फरीदाबाद में थी। उसके बाद गुड़गांव में उन्होंने सेटअप किया।

विनीश मुझे पूरी फैक्ट्री दिखा रहे हैं। कहते हैं, ‘जब ऑनलाइन बिजनेस शुरू किया था, तब पहले महीने ही 5 लाख का बिजनेस कर लिया था। आज हर महीने करीब एक करोड़ की सेल है।

इस साल 7 करोड़ का बिजनेस किया है। अगले साल 21 करोड़ के बिजनेस का प्रोजेक्शन है। कपड़ा का थान लुधियाना से मंगवाते हैं। इसके बाद स्टाइल और डिजाइन के मुताबिक प्रोडक्ट फैक्ट्री में तैयार होते हैं। हर दिन 300 के करीब ऑनलाइन ऑर्डर डिलीवर कर रहे हैं।

कभी जो लोग मजाक उड़ाते थे, वह कहते हैं- मैंने तो पहले ही कहा था कि विनीश अच्छा कर रहा है। सक्सेस होने के बाद लोग ऐसे ही कहते हैं।’



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