Naradsamvad

ब्रेकिंग न्यूज़
Panchayat Faisal Malik Struggle Story; Prahlad Cha | Prayagraj | संडे जज्बात- मोटा, काला और बदसूरत आदमी चाहिए तो बताएं: पंचायत सीरीज के उपप्रधान फैसल मलिक बोले-6 दिन सोया नहीं तब फूट-फूटकर रो सका In Lucknow, dowry-greedy husband gave triple talaq over the phone | लखनऊ में दहेज लोभी पति ने फोन पर दिया तीन-तलाक: दहेज की मांग न पूरी होने पर करता पिटाई, ससुर की बुरी नजर – Lucknow News *जहां ज्यादा बिजली चोरी, वहां आर्मर्ड केबल के साथ लगेंगे स्मार्ट मीटर- अधीक्षण अभियंता जागेश कुमार* किसानों के हक की लड़ाई में उतरे विराट मिश्रा, बाराबंकी जिला उपाध्यक्ष नियुक्त! मनरेगा में फर्जीवाड़े की फैक्ट्री! हैदरगढ़ ब्लॉक में खुलेआम गरीबों का हक लूटा जा रहा है?! BDO संजीव गुप्ता की चुप्पी संदेह के घेरे में, क्या भ्रष्टाचार में भी साझेदारी करते हैं BDO हैं? गौशाला भी नहीं बची मनरेगा भ्रष्टाचार से! घर्कुइया ग्राम पंचायत में मास्टर रोल बना फोटोशॉप का खेल!
[post-views]

Baba Vishwanath Maa Gauri smeared turmeric tribal community offered gulal to Baba Naga sadhus  | बाबा विश्वनाथ-मां गौरा को लगी हल्दी: वनवासी समाज ने बाबा को गुलाल अर्पित किया, नागा साधु-सन्यासी भी पहुंचे – Varanasi News


काशी विश्वनाथ मंदिर में रंगभरी एकादशी त्रिदिवसीय लोक उत्सव की शुरुआत हो गई है। आज मंदिर प्रांगण में माता गौरा को हल्दी लगी। इस दौरान फूलों की वर्षा की गई। भक्त झूमते दिखाई दिए।

.

बाबा विश्वनाथ और मां गौरा की चल प्रतिमा शास्त्रीय अर्चना के साथ मंदिर चौक में शिवार्चनम मंच के निकट तीन दिन के लिए विराजमान की गई।

इस दौरान पंचकोसी परिक्रमा पूरी करके भोले बाबा और माता गौरा की हल्दी रस्म में महानिर्वाणी अखाड़ा के नागा साधुओं और संतों ने बाबा को “हल्दी” चढ़ाई और संकल्प के पश्चात काशी विश्वनाथ के दर्शन किए।

पहले देखिए चार तस्वीरें

हल्दी लगने से पहले मां गौरा का किया गया श्रृंगार

हल्दी लगने से पहले मां गौरा का किया गया श्रृंगार

हल्दी लगने के बाद मां गौरा का रूप देखते ही बन रहा है

हल्दी लगने के बाद मां गौरा का रूप देखते ही बन रहा है

माता की हल्दी लेकर गीत गाते पहुंची महिलाएं

माता की हल्दी लेकर गीत गाते पहुंची महिलाएं

मंदिर में झूमते दिखे श्रद्धालु।

मंदिर में झूमते दिखे श्रद्धालु।

माता गौरा को मंदिर में लगी हल्दी मंदिर के सीईओ विश्व भूषण मिश्र और डिप्टी कलेक्टर शम्भू शरण ने विधि-विधानपूर्वक श्री विश्वेश्वर का पूजन किया और हर्बल गुलाल अर्पित किया। इसके पश्चात बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा की पालकी मंदिर चौक से निकाली गई।

यह यात्रा श्रद्धालुओं और स्थानीय काशीवाशियों के बीच एक विशेष आकर्षण का केंद्र बनी। हजारों श्रद्धालुओं ने इस यात्रा में भाग लिया और बाबा विश्वनाथ और मां गौरा की प्रतिमा पर हल्दी लगाने की प्रथा का निर्वहन किया।

बाबा विश्वनाथ के हल्दी समारोह में विशेष रूप से मथुरा से आए भक्तगण, श्री कृष्ण जन्मस्थली से बाबा विश्वनाथ हेतु उपहार सामग्री लेकर आए भक्त, प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक विक्रम सम्पत, वनवासी समाज के भक्तों ने अपनी सहभागिता की।

माता गौरा को हल्दी चढ़ाने की क्या है कहानी

रंगभरी एकादशी को मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ माता गौरा का गौना कराकर अपने धाम आते हैं। उससे पहले हल्दी की रश्म होती है जिस परम्परा का निर्वहन मंदिर में किया गया।

मंदिर के चौक क्षेत्र में माता गौरा और बाबा विश्वनाथ की चल प्रतिमा को विराजमान करके पूजा-पाठ के साथ रंग गुलाल लगाया गया। काशी में रंगभरी एकादशी 10 मार्च को धूमधाम से मनाई जायेगी और इसी दिन से होली उत्सव की शुरुआत काशी से शुरू हो जाती है।

मथुरा से पहुंचा बाबा के लिए गुलाल

मथुरा से पहुंचा बाबा के लिए गुलाल

मथुरा के अबीर गुलाल को बाबा को किया भेट यह विशेष आयोजन भक्तों और श्रद्धालुओं के बीच गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के उद्देश्य से किया गया। रंगभरी उत्सव की इसी श्रृंखला में रविवार की सुबह मथुरा श्री कृष्ण जन्मस्थल से बाबा विश्वनाथ के लिए भेंट की गई।

अबीर और उपहार सामग्री तथा सोनभद्र से श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे वनवासी समाज के भक्तों द्वारा राजकीय फूल पलाश से निर्मित हर्बल गुलाल को बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह में अर्पित किया गया।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान से काशी विश्वनाथ धाम के लिए होली के रंग, गुलाल, बाबा के वस्त्र, प्रसाद आदि सामग्री भेजा गया। मंदिर प्रशासन ने इसी स्वीकार किया और बाबा को अर्पित किया। बाबा को रंगभरी एकादशी के दिन मथुरा से आया गुलाल सबसे पहले लगाया जायेगा।

नागा साधु सन्यासी पंचकोसी परिक्रमा पूरी कर पहुंचे मंदिर

नागा साधु सन्यासी पंचकोसी परिक्रमा पूरी कर पहुंचे मंदिर

नागा साधु सन्यासी पंचकोसी परिक्रमा पूरी कर पहुंचे मंदिर

नागा साधु सन्यासी अपनी पंचकोसी परिक्रमा 5 दिन में पूरी करके बाबा विश्वनाथ के धाम पहुंचे। उन्होंने बाबा विश्वनाथ को हल्दी अर्पित की उन्हें गुलाल लगाया और पुष्प वर्षा की गई।

बाद में सभी ने बाबा विश्वनाथ धाम में दर्शन पूजन किया। नागा साधु संन्यासियों ने कहा कि इस बार होली हम बाबा विश्वनाथ के साथ मनाएंगे। उन्होंने कहा हमारी परिक्रमा सफलतापूर्वक पूरी हुई।

नागा संतों ने भी खेली बाबा के साथ मथुरा से आए गुलाल की होली

नागा संतों ने भी खेली बाबा के साथ मथुरा से आए गुलाल की होली

कैसे हुई इस परंपरा की शुरुआत?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती से विवाह के बाद भगवान शिव ने काशी में आकर गृहस्थ जीवन की शुरुआत की थी।

काशीवासियों ने भगवान शिव और माता पार्वती के स्वागत में पूरे नगर को फूलों, रंगों और दीपों से सजाया था। इस अवसर पर भक्तों ने रंग और अबीर उड़ाकर खुशी जताई थी।

तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि रंगभरी एकादशी पर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है और श्रद्धालु रंग-गुलाल के साथ इस पर्व को होली की शुरुआत के रूप में मनाते हैं।

यह जरूरी खबर भी पढ़िए

चेहरे पर घूंघट, हाथ में लट्‌ठ…निशाने पर हुरियारे:10 क्विंटल गुलाल उड़ा, हेलिकॉप्टर से फूलों की बारिश; बरसाना की लट्‌ठमार होली का VIDEO

चेहरे पर घूंघट, हाथ में लट्‌ठ…सामने ढाल लिए नंदगांव के हुरियारे। बरसाना में लट्‌ठमार होली का कुछ ऐसा ही नजारा रहा। शनिवार को नंदगांव से आए श्रीकृष्ण के सखाओं पर बरसाना की हुरियारनों ने लाठी बरसाईं।

देश-दुनिया के 10 लाख टूरिस्ट इसको देखने पहुंचे। रंगीली गली और कुंज गलियों में 10 क्विंटल गुलाल उड़ाया गया। हेलिकाप्टर से फूलों की बारिश की गई। VIDEO में देखिए बरसाना की लट्‌ठमार होली… पूरी खबर पढ़िए



Source link

Loading

अन्य खबरे

गोल्ड एंड सिल्वर

Our Visitors

2061979
Total Visitors
error: Content is protected !!