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बाराबंकी में खाद एवं रसद मंत्री के होते हुए भी फर्जी धान खरीद पर नहीं लग रही पा रही रोक,हैदरगढ़ सहित कई तहसीलों में हो रही फ़र्ज़ी धान खरीद…

राघवेन्द्र मिश्रा(एडिटर-नारद संवाद)

 

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राघवेन्द्र मिश्रा(एडिटर-नारद संवाद) क्या नवागत जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी लगा पाएंगे फर्जी धान खरीद पर रोक??हैदरगढ़।फर्जी खतौनियों के जरिए हैदरगढ़ की FCS /FCI सहित अन्य भी कई क्रय केन्द्रों पर हो रही कागजों में फ़र्ज़ी धान खरीद। इस जनपद में सत्ता के मंत्री भी रहते है जिनका नाम है सतीश शर्मा,लेकिन उनके नाम का कोई भी डर जनपद के अधिकारियों में देखने को मिल रहा है। जबकि प्रदेश भर में हो रही धान खरीद में मंत्री द्वारा औचक निरीक्षण भी किया गया। लेकिन अपने ही जनपद में फर्जीवाड़ा पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। जिले में लगभग सभी तहसीलों पर धान की फर्जी खरीद की जा रही है और इसमें ऐसा नहीं है कि अधिकारियों तक यह बात है नहीं बल्कि हिस्से का आदान-प्रदान होना ही अधिकारियों की पहुंच से नाकाम साबित होता है हम बात कर रहे हैं जनपद की मशहूर एवं चर्चित और हॉट तहसील हैदरगढ़ की जहां पर चाहे राजनीतिक मामला हो या फिर अन्य बहुचर्चित कोई मामला हो, यहां रायता फैलना ही फैलना रहता हैं दरअसल धान खरीद में सबसे बड़ा फ़र्ज़ी या तो हैदरगढ़ में हुआ है या फिर ज़िले में नबाबगंज और सफदरगंज मंडी में हुआ है। जनपद में तैनात कुछ भ्रस्ट अफसरों की बजह से ही फ़र्ज़ी धान खरीद का किंग बाराबंकी बनने जा रहा है, यहां SDM हैदरगढ़ के डोंगल से हुए फर्जी किसानों के सत्यापन कर उनसे धान की खरीद भी फ़र्ज़ी की गई है। बाराबंकी राजस्व ग्राम की फर्जी खतौनी तथा चकबंदी वाले गांवो के सहारे केंद्र प्रभारी धान माफिया और मील मालिकों से सांठ-गांठ कर कागजों पर धान की खरीद जम कर रहे है। धान माफियाओं द्वारा फर्जी किसानो का आधार कार्ड तथा बैंक पासबुक लेकर जनसेवा केन्द्रों के माध्यम से तहसील के राजस्व ग्रामों से अन्य किसानो की जमीनों के खतौनी खाता संख्या से पंजीकरण करवा देते है और इस पंजीकरण में अंकित जमीन के रकबा का सत्यापन लेखपाल करता है रकबा सत्यापन के बाद उपजिलाधिकारी के डोंगल द्वारा सत्यापित किया जाता है धान माफियाओं द्वारा सत्यापन के नाम पर मोटा रुपया खर्च किया जाता है।सत्यापन करने वाले अधिकारियों का पासवर्ड तहसील के सम्बिदा कर्मी अथवा लेखपाल कर्मचारियों के पास होता है।इसी बात का फायदा उठाकर कम्प्यूटर सम्बिदा कर्मी अथवा लेखपाल ने /द्वारा राजस्व ग्राम के उन किसानों का भी सत्यापन कर दिया जिनके नाम जमीन ही नहीं है इन फर्जी किसानों ने ग्राम के अन्य किसानों की खतौनी खाता संख्या चुराकर पंजीकरण करवाए ,पंजीकरण के बाद लेखपाल द्वारा रकवा सत्यापित किया जाता है इसके बाद एसडीएम के पोर्टल से पंजीकरण सत्यापित किया जाता है।जो कि कंप्यूटर विभाग के कर्मचारियों द्वारा की जाती है। यदि हैदरगढ़ तहसील से सम्बिदा कर्मी अथवा लेखपाल द्वारा किसानों के पंजीकरण सत्यापन को चेक कर लिया जाय तो जिले मे धान खरीद के नाम पर हो रहे बड़े घोटाले का खुलासा हो सकता है। हैदरगढ़ तहसील और मंडी सहित अन्य कई जगहों पर सेन्टरों जैसे एफसीएस /पीसीआई सहित अन्य कई क्रय केंद्र संचालित है इन क्रय केन्द्रों पर किस तरह फर्जी किसानों से खरीद की गई है, यह जांच में सत्यापित हो जाएगा साथ ही नारद संवाद एजेंसी के पास भी कई फ़र्ज़ी किसानों का डेटा उपलब्ध हैं वहीं ये भी सवाल उठता है कि,खाद्य एवं रसद मन्त्री का यह मुख्य जनपद हैं जहां एक ओर मंत्री सतीश शर्मा प्रदेश के कई धान खरीद सेन्टरों के औचक निरीक्षण कर चुके हैं वहीं एक तरफ उन्ही के जनपद में फ़र्ज़ी किसानों से धान खरीद कर जनपद अपने सिर ताज पहनने की कोशिश कर रहा है। जनपद की हैदरगढ़ तहसील सहित जिले में कई अन्य सेन्टरों पर धान खरीद में जमकर गोलमाल किया जा रहा है। नारद संवाद एजेंसी के पास सभी तरीके के सटीक सबूत होने के तत्पश्चात खबर प्रसारण किया जा रहा है । तो वहीं दुसरीं ओर खाद्य एवं रसद मंत्री के जनपद में हो रहे धान खरीद फर्जीबाड़े को लेकर जनता मंत्री सहित भाजपा को कोष रही है। हैदरगढ़ की FCS शाखा हैदरगढ़ ऐट हुसैनाबाद प्रथम में 8 फरवरी को सुहागा नाम की महिला किसान से लगभग 100 कुंतल की फ़र्ज़ी धान खरीद की। जिसका तथ्य नारद संवाद एजेंसी के पास हैं ऐसे कई तथ्य नारद संवाद एजेंसी के पास उपलब्ध हैं लेकिन सत्ता पक्ष में अधिकारियों द्वारा जिले में फ़र्ज़ी किसानों से धान खरीद कर जिले का ताज बनना आसान समझते हैं जल्द होगा कई अन्य सेन्टरों एवं फ़र्ज़ी किसानों का खुलासा। जबकि मंत्री सतीश शर्मा द्वारा प्रदेश के कई अन्य सेन्टरों का औचक निरीक्षण कर जांच की गई, बाबजूद इसके उनके द्वारा अपने ही जिले के अफसर सम्भाले नही जाते।

खाद्य एवं रसद मंत्री के जनपद में चकबंदी वाले गाँवों की फर्जी खतौनी लगाकर धान खरीद का किंग ताज बन रहा बाराबंकी

क्या नवागत जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी लगा पाएंगे फर्जी धान खरीद पर रोक??

 

हैदरगढ़।फर्जी खतौनियों के जरिए हैदरगढ़ की FCS /FCI सहित अन्य भी कई क्रय केन्द्रों पर हो रही कागजों में फ़र्ज़ी धान खरीद। इस जनपद में सत्ता के मंत्री भी रहते है जिनका नाम है सतीश शर्मा,लेकिन उनके नाम का कोई भी डर जनपद के अधिकारियों में देखने को मिल रहा है। जबकि प्रदेश भर में हो रही धान खरीद में मंत्री द्वारा औचक निरीक्षण भी किया गया। लेकिन अपने ही जनपद में फर्जीवाड़ा पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रहे हैं।
जिले में लगभग सभी तहसीलों पर धान की फर्जी खरीद की जा रही है और इसमें ऐसा नहीं है कि अधिकारियों तक यह बात है नहीं बल्कि हिस्से का आदान-प्रदान होना ही अधिकारियों की पहुंच से नाकाम साबित होता है हम बात कर रहे हैं जनपद की मशहूर एवं चर्चित और हॉट तहसील हैदरगढ़ की जहां पर चाहे राजनीतिक मामला हो या फिर अन्य बहुचर्चित कोई मामला हो, यहां रायता फैलना ही फैलना रहता हैं दरअसल धान खरीद में सबसे बड़ा फ़र्ज़ी या तो हैदरगढ़ में हुआ है या फिर ज़िले में नबाबगंज और सफदरगंज मंडी में हुआ है। जनपद में तैनात कुछ भ्रस्ट अफसरों की बजह से ही फ़र्ज़ी धान खरीद का किंग बाराबंकी बनने जा रहा है, यहां SDM हैदरगढ़ के डोंगल से हुए फर्जी किसानों के सत्यापन कर उनसे धान की खरीद भी फ़र्ज़ी की गई है।
बाराबंकी राजस्व ग्राम की फर्जी खतौनी तथा चकबंदी वाले गांवो के सहारे केंद्र प्रभारी धान माफिया और मील मालिकों से सांठ-गांठ कर कागजों पर धान की खरीद जम कर रहे है।


धान माफियाओं द्वारा फर्जी किसानो का आधार कार्ड तथा बैंक पासबुक लेकर जनसेवा केन्द्रों के माध्यम से तहसील के राजस्व ग्रामों से अन्य किसानो की जमीनों के खतौनी खाता संख्या से पंजीकरण करवा देते है और इस पंजीकरण में अंकित जमीन के रकबा का सत्यापन लेखपाल करता है रकबा सत्यापन के बाद उपजिलाधिकारी के डोंगल द्वारा सत्यापित किया जाता है


धान माफियाओं द्वारा सत्यापन के नाम पर मोटा रुपया खर्च किया जाता है।सत्यापन करने वाले अधिकारियों का पासवर्ड तहसील के सम्बिदा कर्मी अथवा लेखपाल कर्मचारियों के पास होता है।इसी बात का फायदा उठाकर कम्प्यूटर सम्बिदा कर्मी अथवा लेखपाल ने /द्वारा राजस्व ग्राम के उन किसानों का भी सत्यापन कर दिया जिनके नाम जमीन ही नहीं है इन फर्जी किसानों ने ग्राम के अन्य किसानों की खतौनी खाता संख्या चुराकर पंजीकरण करवाए ,पंजीकरण के बाद लेखपाल द्वारा रकवा सत्यापित किया जाता है इसके बाद एसडीएम के पोर्टल से पंजीकरण सत्यापित किया जाता है।जो कि कंप्यूटर विभाग के कर्मचारियों द्वारा की जाती है।
यदि हैदरगढ़ तहसील से सम्बिदा कर्मी अथवा लेखपाल द्वारा किसानों के पंजीकरण सत्यापन को चेक कर लिया जाय तो जिले मे धान खरीद के नाम पर हो रहे बड़े घोटाले का खुलासा हो सकता है।
हैदरगढ़ तहसील और मंडी सहित अन्य कई जगहों पर सेन्टरों जैसे एफसीएस /पीसीआई सहित अन्य कई क्रय केंद्र संचालित है इन क्रय केन्द्रों पर किस तरह फर्जी किसानों से खरीद की गई है, यह जांच में सत्यापित हो जाएगा साथ ही नारद संवाद एजेंसी के पास भी कई फ़र्ज़ी किसानों का डेटा उपलब्ध हैं वहीं ये भी सवाल उठता है कि,खाद्य एवं रसद मन्त्री का यह मुख्य जनपद हैं जहां एक ओर मंत्री सतीश शर्मा प्रदेश के कई धान खरीद सेन्टरों के औचक निरीक्षण कर चुके हैं वहीं एक तरफ उन्ही के जनपद में फ़र्ज़ी किसानों से धान खरीद कर जनपद अपने सिर ताज पहनने की कोशिश कर रहा है।
जनपद की हैदरगढ़ तहसील सहित जिले में कई अन्य सेन्टरों पर धान खरीद में जमकर गोलमाल किया जा रहा है। नारद संवाद एजेंसी के पास सभी तरीके के सटीक सबूत होने के तत्पश्चात खबर प्रसारण किया जा रहा है । तो वहीं दुसरीं ओर खाद्य एवं रसद मंत्री के जनपद में हो रहे धान खरीद फर्जीबाड़े को लेकर जनता मंत्री सहित भाजपा को कोष रही है। हैदरगढ़ की FCS शाखा हैदरगढ़ ऐट हुसैनाबाद प्रथम में 8 फरवरी को सुहागा नाम की महिला किसान से लगभग 100 कुंतल की फ़र्ज़ी धान खरीद की। जिसका तथ्य नारद संवाद एजेंसी के पास हैं ऐसे कई तथ्य नारद संवाद एजेंसी के पास उपलब्ध हैं लेकिन सत्ता पक्ष में अधिकारियों द्वारा जिले में फ़र्ज़ी किसानों से धान खरीद कर जिले का ताज बनना आसान समझते हैं जल्द होगा कई अन्य सेन्टरों एवं फ़र्ज़ी किसानों का खुलासा। जबकि मंत्री सतीश शर्मा द्वारा प्रदेश के कई अन्य सेन्टरों का औचक निरीक्षण कर जांच की गई, बाबजूद इसके उनके द्वारा अपने ही जिले के अफसर सम्भाले नही जाते।

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