{“_id”:”6729188c90bb89dd940d7a14″,”slug”:”the-great-festival-of-chhath-will-start-from-today-with-nahay-khay-amethi-news-c-96-1-ame1002-128797-2024-11-05″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”Amethi News: नहाय-खाय के साथ आज से शुरू होगा छठ का महापर्व”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
गौरीगंज बाजार में सूप व टोकरी खरीदती महिलाएं।
अमेठी सिटी। सूर्य देव की उपासना का महापर्व छठ मंगलवार को नहाय खाय के साथ शुरू होगा। सोमवार को पर्व की तैयारियों के लिए खरीदारी में जुटी व्रती महिलाओं की भीड़ से बाजारों में काफी रौनक रही। महिलाओं ने पूजन सामग्री सहित महापर्व में उपयोग आने वाले फलों के साथ अन्य सामग्री के साथ गन्नों की खरीदारी भी की। पूजन के लिए नदियों व तालाबों के घाटों की साफ-सफाई का काम भी पूरा हो गया है।
महापर्व के आयोजन को लेकर उत्साही परिवारों ने एकजुट होकर सोमवार को घरों की साफ-सफाई भी की। छठ पर्व पर व्रती महिलाएं गौरीगंज के लोदी धाम घाट व संग्रामपुर के कालिकन धाम स्थित सगरा व अमेठी के फायर स्टेशन के सामने अस्थाई घाट पर एकत्र होंगी। गौरीगंज के चौक बाजार के दुकानदार रामधनी ने बताया कि छठ पूजा को लेकर नारियल 40 से 50 रुपये में बिक रहा है।
वहीं, सूखे नारियल का भाव तीन सौ रुपये प्रति किग्रा है। सुथनी दस रुपये की एक पीस, कपूर की छोटी डब्बी 20 रुपये व बड़ी डिब्बी 40 रुपये में उपलब्ध है। छोटी टोकरी 60 रुपये, बड़ी टोकरी सौ रुपये, छाज 50 रुपये में बिक रहा है। फलों में सेब 80 से 160 रुपये, सिंघाड़ा 60 रुपये , संतरा 80 रुपये प्रति किग्रा की दर से तो केला 80 से 100 रुपये दर्जन के भाव से बिका।
चार दिन तक चलेगा महापर्व, होगी पूजा
नहाय खाय के साथ शुरू होने वाले महापर्व चार दिनों तक चलेगा। इसके पहले दिन मंगलवार को व्रती महिलाएं सुबह स्नान के बाद लौकी की सब्जी व चावल खाती हैं। व्रती महिलाओं के साथ ही पूरे परिवार के लिए मसाले के साथ ही लहसुन-प्याज का उपयोग वर्जित होता है। शाम को सामान्य भोजन के बाद महापर्व के दूसरे दिन खरना होता है।
इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रहकर शाम को मीठी खीर के साथ रोटी का सेवन करती हैं। महापर्व के तीसरे दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रहकर शाम के समय नदी के किनारे डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद बिना भोजन किए सो जाती हैं।
महापर्व के चौथे व अंतिम दिन व्रती महिलाएं भोर में उठकर स्नान आदि के बाद सीधे नदी के किनारे पहुंचकर विधि विधान से पूजन अर्चन के बाद उगते सूर्य को अर्घ्य देकर प्रसाद का सेवन कर अपना कठिन निर्जला व्रत तोड़ती हैं।