Naradsamvad

पीत पत्रकारिता में जातिवाद के साथ पत्रकार मठाधीस बन कर रहे मुखबिरी-खबरों से नही है दूर दूर तक सम्बन्ध

सच्चाई की घटनाओं से भटकाने का अधिकारियों को करते हैं प्रयास- पत्रकारों के पीठ पीछे बकलोली कर अधिकारियों की करते हैं तेल मालिश

 

राघवेन्द्र मिश्रा- (नारद संवाद न्यूज़ एजेंसी)

सुबेहा। क्षेत्र में आये दिन अपने आप को बड़ा ब्रांड कह जनता के बीच गुप् चुप तरीके से फोटो वगैरा चुराकर तहरीर बगैरह भेज कर किसी एक अखबार के नाम पर पुलिस की मुखवरि करने के साथ साथ अपने आप को पत्रकारों का मठाधीस समझने वाले ,,,,,दो कौड़ी के चाटुकार एवम नए नए पट्टलकारों के मसीहा बन कर उनका शोषण करने वाले दलालों के आका,हम राघवेन्द्र मिश्रा है शाहजहांपुर हुए तो क्या हुआ?? पत्रकारिता हमारी शौक है न कि पेशा- ये पत्रकारिता को पेशा तो तुम जैसे धूर्त पट्टलकार ने सुबेहा में बनाया है। सौ और दो पाने वाले तुम जैसे चाटुकार पत्तलकार हमारा या हमारे संस्थान नारद संवाद का कुछ नही बिगाड़ सकते??? बाराबंकी में हम नए नही है,हर घाट का पानी पीने के बाद माँ गोमती के आशीर्वाद से इनके ही किनारे निवास करते हैं। पत्रकारिता जगत के स्वामी कहे जाने वाले नारद जी के नाम नारद संवाद की नींव रखते ही मुझे पता चल गया था कि इस जोखिम भरे रास्ते मे राघवेन्द्र मिश्रा आप को अकेले ही चलना पड़ेगा है। हार मानते या फिर दलाली का चोला ओढ़ लेते ,लेकिन ये दोनों हमसे नही हुए और न ही होंगे ? कर्तव्य पथ पर जो भी बुरी घड़ी आती रही हम उसका सामना करते रहे, हर परिस्थिति में रहकर उत्तर प्रदेश के 17 जिलों के काम किया है। माना कि तुम अपने यहां के सबसे दलाल हो लेकिन मुखवरी कर हमारे नाम से दलाली या बुराई करना उचित नही है , जिस जिले में रहे जहां भी रहे पर प्रशासन के साथ जनता और जनप्रतिनिधियों के बीच भरपूर प्यार में जिये। यहाँ तक आज तक कोई दाग नही लगा मेरी पत्रकारिता में और अब तू मुझे बतायेगा कि कैसे पत्रकारिता करनी हैं अरे दल्ले और भगौड़े की तरह मुखविरी करके ही अपनी डाल रोटी चलाओ वही ठीक रहेगा, हमको मत सिखाओ कब क्या लिखना है, तेरे जैसे दल्ले सिर्फ पुलिस को गुमराह कर सकते हैं लेकिन मेरी कलम को नही।अन्तोगत्वा कुछ भी समझो फिलहाल अब बाराबंकी के सुबेहा में हमे रहना भी है और काफी दिन रहना है। इस लिए इस सुबेहा जैसे परिवार में हम किसी भी अधिकारी और कर्मचारियों की चापलूसी न करते हुए सच्चाई ही लिखते रहेंगे। तुम शाशन प्रशासन के अधिकारियों को तेल मालिश कर हमारी बुराई करो साथ ही क्षेत्र में हो रही छोटी मोटी घटनाओं में ग़ुमराह कर अपने घर की सब्ज़ी चलाओ।।
हम खोजी पत्रकारिता करने का शौक रखते हैं तुम मुखविरी कर अधिकारियों को गुमराह करने में दलाली करते हो? बस ये चेतवानी ही समझ लो भगौड़े पत्तलकार अगली वार नाम और फोटो भी लगा देंगे- होंगे तुम आने जहां के सबसे बड़े ब्रांड के दलाल लेकिन हमारी कलम को इस वात का विल्कुल फर्क नही पड़ता,।
सुबेहा पुलिस प्रशासन से मेरी कोई दुश्मनी नही है लेकिन जब क्षेत्र की जनता शिकायत नही सुनी जाती हम अपने खबर के माध्यम से ध्यान दिलाने की कोशिश करते हैं फिलहाल हाल में ही भू माफियाओं पर सुबेहा पुलिस ने कार्यवाही भी है अच्छे कार्य होंगे तो तारीफें भी होंगी लेकिन जब पत्तलकार के कहने में पुलिस आये तो गलत है न फिर,,, किरकिरी होना बनता है।

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