2 मार्च को गुजरात ATS की टीम हरियाणा के पाली गांव पहुंची। ये गांव दिल्ली से सटे फरीदाबाद जिले में है। ATS ने फरीदाबाद STF की मदद से 19 साल के अब्दुल रहमान को पकड़ लिया। उसकी निशानदेही पर जमीन में गड़ाकर रखे 2 हैंड ग्रेनेड बरामद हुए। जांच एजेंसियों का द
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जांच आगे बढ़ी और जांच एजेंसियों ने कड़ियां जोड़नी शुरू कीं, तो अब्दुल का नाम भारत की दो सबसे बड़ी आतंकी घटनाओं से जुड़े टेरर नेटवर्क से कनेक्ट हो गया। पहली घटना 24 दिसंबर, 1999 को इंडियन एयरलाइंस का प्लेन हाईजैक है और दूसरी मुंबई में 26/11 अटैक। दोनों घटनाओं का लिंक ओडिशा के रहने वाले मौलाना अब्दुल रहमान से है।
फरीदाबाद से अरेस्ट अब्दुल रहमान को आतंक की ट्रेनिंग देने वाला अबू सूफियान, मोहम्मद सामी नाम के आतंकी के जरिए मौलाना अब्दुल रहमान से जुड़ा था।

दैनिक भास्कर ने यूपी ATS, गुजरात ATS और हरियाणा STF में अपने सोर्स के जरिए चारों के लिंक को समझा। पढ़िए ये चारों किरदार कैसे एक-दूसरे से जुड़े हैं।

प्लेन हाईजैक करने वालों की मदद की, भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों का करीबी आतंकियों की चेन की सबसे अहम कड़ी मौलाना अब्दुल रहमान ही है। उसने इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 हाईजैक की साजिश में शामिल तीन आतंकियों के लिए भारत में रहने का इंतजाम किया था।

मौलाना अब्दुल रहमान का कनेक्शन यूपी में संभल के टेरर नेटवर्क से रहा है। संभल का रहने वाला और अल कायदा इन द इंडियन सबकॉन्टिनेंट यानी AQIS का चीफ रहा सनाउल हक उर्फ आसिम उमर, मौलाना अब्दुल रहमान के साथ देवबंद के मदरसे में पढ़ा था। सनाउल हक 23 सितंबर, 2019 को अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के हमले में मारा गया था।

पुलिस को मौलाना अब्दुल रहमान के बारे में सनाउल हक के करीबी संभल के मोहम्मद आसिफ से पता चला था। आसिफ को 14 दिसंबर, 2015 को अरेस्ट किया गया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 16 दिसंबर, 2015 को मौलाना अब्दुल रहमान को अरेस्ट कर लिया।
मौलाना अब्दुल रहमान का इकबालिया बयान
प्लेन हाईजैक करने वालों से देवबंद में, 26/11 अटैक करने वालों से पाकिस्तान में मिला मौलाना अब्दुल रहमान ने पुलिस को दिए बयान में बताया, ‘मैं 1999 में जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े सलीम से मिला था। हमारी मुलाकात यूपी के देवबंद में हुई थी। सलीम पाकिस्तानी था और इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 हाईजैकिंग की साजिश में शामिल रहा था। मैंने सलीम के साथ मंसूर और सज्जाद को भारत में ठहराने के इंतजाम किए थे। 18 अप्रैल, 2001 को लखनऊ के गोमतीनगर में हुए शूटआउट में ये तीनों मारे गए थे।’
लखनऊ एनकाउंटर पर हमने 2001 में यूपी STF के चीफ रहे पूर्व DGP विक्रम सिंह से बात की। वे बताते हैं, ‘अप्रैल 2001 में गोमती नगर के एनकाउंटर में तीन आतंकी मारे गए थे। तीनों अजहर मसूद से जुड़े थे। उन्हें ISI ने ट्रेंड किया था। वे भारत इसलिए आए थे कि कोई बड़ी वारदात करके जेल में बंद आतंकियों को छुड़ा सकें।’
‘तीनों का मकसद अयोध्या में राम मंदिर और काशी में बड़ा अटैक करने का था। उससे पहले ही तीनों मारे गए।’

उस समय भारत में पहली बार एके-56 राइफल इनके पास से बरामद हुई थी। साथ में एके-47, 9MM पिस्टल और 10 हैंड ग्रेनेड मिले थे। इन्हीं के साथी नेपाल से प्लेन हाईजैक करके कंधार ले गए थे।
मौलाना रहमान के बयान में आगे लिखा है, ‘मैं 8 जनवरी, 2015 को सऊदी अरब गया था। वहां 28 फरवरी तक रुकना था, लेकिन इसी दौरान पाकिस्तान चला गया। वहां रावलपिंडी जेल में लश्कर-ए-तैयबा के चीफ जकी-उर-रहमान लखवी से मिला। लाहौर में जमात-उद-दावा के चीफ हाफिज सईद से मिला। भारत का मोस्ट वॉन्टेड आतंकी हाफिज सईद मुंबई 26/11 अटैक में आरोपी है।’

जांच एजेंसियों से जुड़े आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान से लौटने के बाद मौलाना अब्दुल रहमान सितंबर, 2015 में बेंगलुरु गया। वहां सनाउल हक के साथी मोहम्मद आसिफ से मिला। मौलाना रहमान और मोहम्मद आसिफ ने कबूल किया था कि सनाउल हक ने उनसे इंडिया में नौजवानों को अपने साथ जोड़ने के लिए कहा था।
इसके बाद से ही दोनों युवाओं का ब्रेनवॉश कर रहे थे। नवंबर, 2023 में यूपी ATS ने संभल से ऐसे 4 लड़कों मोहम्मद नाजिम, मोहम्मद नोमान, अब्दुल समद और नावेद सिद्दीकी को पकड़ा था। अभी चारों जेल में हैं। उन्हें वीडियो दिखाकर उकसाया गया था। ये सभी भड़काऊ वीडियो पोस्ट करते थे।

मौलाना अब्दुल रहमान का करीबी, पाकिस्तान में ट्रेनिंग ली मौलाना अब्दुल रहमान से पूछताछ के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 18 जनवरी, 2016 को मोहम्मद अब्दुल सामी को अरेस्ट किया। सामी झारखंड के जमशेदपुर का रहने वाला है। सामी ने पुलिस को बताया, ‘साल 2000-01 में मैं जमशेदपुर में मुहाजिर अंसार मस्जिद गया था। वहां एक मौलाना से बात हुई थी। यहीं से मौलाना अब्दुल रहमान के कॉन्टैक्ट में आया।’
‘वहां मदरसे में पढ़ाई के दौरान मुझे जैश-ए-मोहम्मद के मौलाना मसूद अजहर और जमात के चीफ हाफिज सईद के वीडियो दिखाए जाते थे। वीडियो दिखाकर हमें जिहाद के लिए तैयार किया जाता था। जून, 2012 में मैं अबू सूफियान से मिला। वो पाकिस्तान जाकर जिहाद की ट्रेनिंग लेना चाहता था।’
‘मैंने अबू सूफियान की पहचान मौलाना अब्दुल रहमान से कराई। उनके जरिए अबू सूफियान ने पाकिस्तान में मौजूद सलमान से बात की। इसके बाद अबू सूफियान, मोहम्मद उमर और मुझे ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान भेजा गया।’
‘हम भारत से वीजा लेकर पहले दुबई गए थे। फिर पाकिस्तान पहुंचे। पाकिस्तान में हमें सलमान मिला। उसका असली नाम मोहम्मद शाहिद फैजल था। वो भारत के हैदराबाद का रहने वाला था। हम तीनों को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद में ट्रेनिंग दी गई थी। हमने हैंड ग्रेनेड, IED, हथियार इस्तेमाल करना सीखा।’

कभी अरेस्ट नहीं हुआ, अभी आतंकी संगठन AQIS का काम संभाल रहा फरीदाबाद से अरेस्ट अब्दुल रहमान का सीधा कनेक्शन अबू सूफियान से जुड़ा है। जांच में पता चला है कि अब्दुल का ब्रेनवॉश कर उसे आतंकी बनाने वाला अबू सूफियान ही है। वो झारखंड के चतरा का रहने वाला है।
उसके बारे में 2015-16 में पकड़े गए आतंकियों के कबूलनामे से जुड़े डॉक्युमेंट्स मिले। इनसे पता चला कि अबू सूफियान पहली बार 2012 में आतंकी ट्रेनिंग के लिए जमशेदपुर के एक मदरसे में गया था।
PoK में ट्रेनिंग के बाद अबू सूफियान जनवरी 2015 में दुबई पहुंचा था। वो अवैध तरीके से पाकिस्तान गया था। इसलिए उसके पासपोर्ट पर पाकिस्तान का कोई स्टांप नहीं था। वो दुबई से नेपाल आया और फिर मार्च 2015 में भारत आ गया। यहां मौलाना अब्दुल रहमान से मिला। अबू सूफियान के पासपोर्ट में पाकिस्तान आने-जाने का स्टांप नहीं था। इसलिए खुफिया एजेंसियों को उस पर शक नहीं हुआ।
अबू सूफियान कभी अरेस्ट नहीं हुआ। माना जाता है कि वो अभी अफगानिस्तान या PoK में है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, सनाउल हक के मारे जाने के बाद AQIS को अबू सूफियान ही संभाल रहा है। वो भारत में नौजवानों को स्लीपर सेल जैसी एक्टिविटी के लिए ट्रेनिंग दे रहा है।

सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करता था, आतंकी नेटवर्क से जुड़ा यूपी के फैजाबाद के मजनई गांव में अब्दुल रहमान सोशल मीडिया के जरिए टेरर नेटवर्क से जुड़ा था। उसकी गिरफ्तारी फरीदाबाद के पाली गांव से हुई है। हम दिल्ली से करीब 30 किमी दूर पाली पहुंचे।
ये गांव फरीदाबाद के डबुआ थाना एरिया में आता है। पाली के पेट्रोल पंप के सामने से एक कच्ची सड़क खेतों तक जाती है। एक खेत में पुराना टीनशेड वाला कमरा बना है। आरोप है कि अब्दुल रहमान ने इसी कमरे में 2 हैंड ग्रेनेड छिपाए थे।
गुजरात ATS काफी समय से अब्दुल रहमान को ट्रैक कर रही थी। इसी दौरान उसकी लोकेशन पाली गांव में मिली। इसके बाद फरीदाबाद STF और लोकल पुलिस के साथ मिलकर अब्दुल रहमान को अरेस्ट कर लिया गया।
पाली गांव में हमें प्रवीण मिले। अब्दुल की अरेस्टिंग के वक्त वे मौके पर थे। हमने उनसे पूछा कि क्या गांव में पहले भी संदिग्ध लोग आए हैं? प्रवीण कहते हैं, ‘जिस जगह हैंड ग्रेनेड छिपाया गया था, उसका एक साल से इस्तेमाल नहीं हो रहा है। खेत भी कई साल से बंजर पड़े हैं। यहां कभी पशु बांधे जाते थे। ये जगह पाली के मेन रोड से पास में है। हो सकता है कि पकड़े गए आतंकी के साथी ने इसी जगह का इस्तेमाल किया हो।’

फरीदाबाद के पाली गांव में इसी जगह से अब्दुल रहमान की गिरफ्तारी की गई है। ये एरिया वीरान ही रहता है।
अब्दुल रहमान के बारे में जानने के लिए हमने यूपी ATS, गुजरात ATS और हरियाणा STF के सूत्रों से बात की। उन्होंने बताया कि अब्दुल रहमान 2 साल से सोशल मीडिया पर भड़काऊ वीडियो पोस्ट कर रहा था। पहले वो टिकटॉक पर एक्टिव था। टिकटॉक बंद होने पर इंस्टाग्राम पर एक्टिव हो गया। उसके कुछ वीडियो ब्लॉक भी किए गए थे। इन्हीं वीडियो पोस्ट की वजह से उस पर आतंकी नेटवर्क की नजर पड़ी। फिर वो अबू सूफियान के हैंडलर के कॉन्टैक्ट में आया।
मां बोलीं- दिल्ली गया था, पुलिस घर आई तो गिरफ्तारी का पता चला अब्दुल की मां आसमीन बताती हैं ‘अब्दुल 1 मार्च को घर से निकला था। बोला था कि निजामुद्दीन में मरकज में जा रहा हूं, 3 दिन में लौट आऊंगा। रात में पुलिसवाले आए और बताया कि अब्दुल को अरेस्ट कर लिया है। पुलिस ने 2 घंटे घर की तलाशी ली और उसकी बैंक पासबुक लेकर चली गई।’
परिवार के मुताबिक, अब्दुल 10वीं तक पढ़ा है, फिर पढ़ाई छोड़ दी। इसके बाद उसका झुकाव धर्म की ओर हो गया। 7 महीने पहले भी उसने दिल्ली के निजामुद्दीन में मरकज में जाने की जिद की थी। पिता अबू बकर से 20 हजार रुपए लेकर वो दिल्ली गया। यहां करीब 4 महीने रुका। दिल्ली से विशाखापट्टनम भी गया। हरियाणा STF में हमारे सूत्र बताते हैं कि उसके घर से हथियारों के डमी मॉडल मिले हैं। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
10वीं तक पढ़ा, स्कूल की फीस नहीं दे पाया अब्दुल रहमान मजनई के मनिराम यादव इंटर कॉलेज से पढ़ा है। उसके मैनेजर रविंद्र यादव बताते हैं, ’वो बहुत शांत रहता था। पढ़ाई में साधारण ही था। किसी तरह पास हो जाता था। 6 साल पहले हाईस्कूल किया था। फिर पढ़ाई छोड़ दी। स्कूल की फीस 200-250 रुपए महीना है, लेकिन अब्दुल वो भी नहीं दे पाता था। उसकी कुछ महीनों की फीस रिकॉर्ड में बाकी है।’
अब्दुल के परिवार की चिकन शॉप है। वो ई-रिक्शा चलाता था। मां आसमीन के मुताबिक, रोज 400-500 रुपए कमा लेता था। अब्दुल के बैंक खाते से करीब 7 हजार रुपए मिले हैं। मां के बैंक अकाउंट में 1.6 लाख रुपए और पिता अबू बकर के खाते में करीब 15 हजार रुपए हैं। जांच एजेंसियां इनके सोर्स की पड़ताल कर रही हैं।

फरीदाबाद से गिरफ्तार अब्दुल रहमान को 3 मार्च को STF ने कोर्ट में पेश किया था। उसे 14 दिन के लिए जेल भेज दिया गया है।
आखिरी किरदार पीके यानी परवेज खान आतंकियों का फाइनेंसर, लश्कर और अल कायदा से कनेक्शन जांच एजेंसियों के मुताबिक, अब्दुल रहमान बीते 6 महीने के दौरान परवेज अहमद खान उर्फ पीके के कॉन्टैक्ट में आया था। परवेज खान आतंकी संगठनों का फाइनेंस नेटवर्क संभालता है। उसके तार जम्मू में लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और अल कायदा इन इंडियन सब कॉन्टिनेंट से जुड़े हैं।
गुजरात ATS ने 27 फरवरी को परवेज को अरेस्ट किया था। पूछताछ में अब्दुल रहमान और इसके साथी की जानकारी मिली। अब्दुल रहमान की लोकेशन फरीदाबाद में मिली। इसके बाद गुजरात ATS ने फरीदाबाद पुलिस से संपर्क कर 2 मार्च को अब्दुल को अरेस्ट कर लिया। अब्दुल तक हैंड ग्रेनेड पहुंचाने वाले की तलाश की जा रही है।
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सिंधुदुर्ग के रहने वाले 15 साल के सलमान पर आरोप है कि उसने चैंपियंस ट्रॉफी में भारत पाकिस्तान मैच के दौरान पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए। इस पर भीड़ ने सलमान को पीटा, फिर घर जाकर उसके पिता से मारपीट की। भीड़ पूरे परिवार को पुलिस स्टेशन ले गई और केस दर्ज करा दिया। अगले दिन नगर पालिका ने सलमान के पिता और चाचा की कबाड़ की दुकान पर बुलडोजर चलवा दिया। पढ़िए पूरी खबर…