रिपब्लिक डे पर सेना की परेड तो आपने जरूर देखी होगी, लेकिन क्या कभी मंगल, शुक्र, पृथ्वी जैसे ग्रहों की परेड देखी है। आज शाम सूर्यास्त के बाद सोलर सिस्टम के ग्रह एक कतार में आकर परेड करेंगे। अंतरिक्ष में सभी 7 ग्रहों की परेड बेहद दुर्लभ है। दावे किए जा
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प्लैनेट परेड कैसे होती है, क्या ये पहली बार हो रही, भारत में इसे कैसे देखा जा सकता है; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…
सवाल-1: प्लैनेट परेड क्या होती है? जवाब: हमारे सौरमंडल के सभी ग्रह सूर्य के चारों तरफ घूमते हैं। जब कुछ ग्रह थोड़े वक्त के लिए सूरज की एक तरफ इकट्ठा हो जाते हैं, तो ऐसा लगता है कि वो एक दूसरे के आसपास हैं। जब कुछ ग्रह एक सीधी लाइन में नजर आते हैं, तो इसे प्लैनेट परेड या प्लैनेटरी अलाइनमेंट कहते हैं।
आसान भाषा में समझें तो सोलर सिस्टम में 8 ग्रह सूरज का चक्कर लगाते हैं। इनमें से एक पृथ्वी भी है। यह ग्रह हमेशा एक दूसरे से अलाइन होते हैं। सोलर सिस्टम ऐसा ग्रुप नहीं है, जहां ग्रह इधर-उधर भाग रहे होते हैं। बल्कि सोलर सिस्टम एक ऑमलेट की तरह है। ग्रह इसके चारों ओर सर्किल शेप में चक्कर लगाते रहते हैं।
हर एक ग्रह किसी दूसरे ग्रह से दूर होता है, इसलिए इन ग्रहों का चक्कर लगाने का समय भी अलग-अलग होता है। ऐसे में जब सभी ग्रह सूरज का चक्कर लगाते हुए एक सीधी लाइन में आ जाते हैं, तो उसे प्लैनेट परेड कहते हैं।
जब दो या इससे ज्यादा ग्रह एक लाइन में आ जाते हैं तो इन्हें पृथ्वी से सामान्य आखों से देखा जा सकता है। इसमें बृहस्पति, शुक्र और मंगल जैसे ग्रह दिख जाते हैं, लेकिन यूरेनस और नेपच्यून जैसे ग्रहों को देखने के लिए टेलिस्कोप की जरूरत होती है। ऐसी दुर्लभ घटना कई सालों में एक बार होती है। आमतौर पर इतने सारे ग्रहों को एक साथ देख पाना मुमकिन नहीं होता।
सवाल-2: यह परेड कब शुरू होगी और इसमें क्या-क्या होगा? जवाब: अमेरिकी स्पेस रिसर्च वेबसाइट स्टारवॉक के मुताबिक, 21 जनवरी को यह परेड सूरज ढलने के तुरंत बाद शुरू हो जाएगी। जब शुक्र, शनि, बृहस्पति, मंगल, नेपच्यून और यूरेनस एक लाइन में आ जाएंगे।
हालांकि ये बिल्कुल सीधी लाइन नहीं होगी, क्योंकि सभी ग्रहों की स्थिति एक-दूसरे से कुछ डिग्री ऊपर और नीचे है। फ्लोरिडा में बिशप म्यूजियम ऑफ साइंस एंड नेचर में प्लेनेटेरियम सुपरवाइजर हन्ना स्पार्क्स ने कहा, ‘वे (ग्रह) एक सीधी रेखा में नहीं हैं, लेकिन वे सूर्य के एक तरफ एक दूसरे के काफी करीब हैं।’
यूरेनस और नेपच्यून को टेलिस्कोप की मदद से देखा जा सकेगा, क्योंकि ये दोनों ग्रह धरती से ज्यादा दूरी पर हैं। शुक्र और शनि पश्चिम दिशा में दिखाई देंगे, जबकि बृहस्पति और मंगल पूर्व दिशा में दिखेंगे। इस परेड को देखने का सबसे अच्छा समय सूर्यास्त के लगभग 45 मिनट बाद का है। इस परेड में सिर्फ 6 ग्रह ही दिखाई देंगे।
इसके बाद यह परेड 25 जनवरी को भी होगी। 20 फरवरी को होने वाली परेड में बुध भी शामिल हो जाएगा। इससे यह पृथ्वी के अलावा सोलर सिस्टम के सभी 7 ग्रहों की परेड बन जाएगी। हालांकि, उस समय सभी ग्रहों को देखना मुश्किल होगा क्योंकि तब शनि, शुक्र और नेपच्यून सूर्य के काफी करीब होंगे।
आमतौर पर ग्रह सूर्यास्त के कुछ घंटों बाद दिखाई देते हैं। जब सूर्य की बची हुई रोशनी खत्म हो जाती है। प्लैनेट परेड को देखने के लिए शहर से दूर या किसी अंधेरे वाली जगह पर जाना चाहिए। जहां आसमान साफ नजर आता हो।
सवाल-3: क्या इसे सामान्य आंखों से देखा जा सकता है? जवाबः हां। शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि ग्रहों को रात के अंधेरे में बिना टेलिस्कोप की मदद से सामान्य आंखों से देख सकते हैं। नेपच्यून और यूरेनस को देखने के लिए टेलिस्कोप की मदद लेनी पड़ेगी। इस बार प्लैनेट परेड के दौरान शुक्र ग्रह सबसे ज्यादा चमकता हुआ दिखेगा। वहीं, मंगल ग्रह दूर से देखने पर लाल रंग के बिंदु जैसा दिखेगा। इसके अलावा शनि धुंधले बिंदु जैसा और बृहस्पति ग्रह सफेद बिंदु की तरह दूर से दिखाई देगा।
खास बात ये है कि सारे ग्रह एक साथ आसमान में नजर आएंगे। इन्हें आंखों से देखने में कोई समस्या नहीं होगी, क्योंकि ग्रहों से आने वाली रोशनी सूर्य की तरह तेज या हानिकारक नहीं होती।
सामान्य तौर पर खुली आंखों से ग्रह बेहद छोटे नजर आते हैं। यह तारे से अलग छोटे-छोटे चमकदार बिंदुओं की तरह दिखाई देते हैं। इन्हें देख पाना ग्रह की चमक, स्थिति और मौसम पर निर्भर करता है। ग्रह तारों की तरह नहीं टिमटिमाते। इनकी चमक स्थिर रहती है। ग्रहों को देखने के लिए जरूरी है कि आसमान में बादल और वायु प्रदूषण कम हो, जिससे इसे आसानी से देखा जा सके।
जनवरी 2025 में पृथ्वी से 4 ग्रह दिखाई दिए। सोर्स- NASA
सवाल-4: क्या ये परेड भारत में देखी जा सकेगी? जवाब: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस परेड को भारत में 21 जनवरी से 13 फरवरी तक देखा जा सकेगा। इस दौरान परेड में ग्रह बढ़ते-घटते रहेंगे।
बेंगलुरु एस्ट्रोनॉमी क्लब के फाउंडर विजय कपूर का कहना है कि 21 जनवरी को शाम 7.30 बजे खासतौर पर इन ग्रहों का अद्भुत नजारा दिखेगा। इसे घरों की छत, ऊंची बिल्डिंग और किसी ऊंचे स्थान से भी देख सकते हैं।
शुक्र, शनि और नेपच्यून को कई जगहों पर रात 11.30 बजे तक देख सकते हैं। इसके बाद मंगल, बृहस्पति और यूरेनस देर रात तक दिखाई दे सकते हैं। हालांकि, मंगल सूर्योदय से ठीक पहले दिखना बंद हो जाएगा।
इन ग्रहों की सही दिशा का पता लगाने के लिए फोन में स्टार वॉक, स्टेलेरियम और स्काई पोर्टल ऐप की मदद ले सकते हैं। साथ ही टेलिस्कोप की मदद से बृहस्पति के चारों चंद्रमाओं को भी देखा जा सकता है। ये आसमान में दक्षिण-पश्चिम की ओर दिखाई देगा।
सवाल-5: यह प्लैनेट परेड कब और कैसे खत्म होगी? जवाबः फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 8 मार्च को यह परेड खत्म हो जाएगी। इस आखिरी परेड में मंगल, बृहस्पति, शुक्र, यूरेनस, नेपच्यून और बुध ग्रह शामिल रहेंगे। इस दौरान आसमान में आधा चांद भी दिखाई देगा। जो इस अद्भुत नजारे को और खास बना देगा। आमतौर पर यह परेड कुछ दिनों तक चलती है, लेकिन इस बार यह 21 जनवरी से 8 मार्च तक चलेगी।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्लैनेट परेड एक अस्थायी घटना होती है और यह ग्रहों की स्थिति बदलने पर खत्म हो जाती है। ग्रहों के ऑर्बिट स्थिर होती हैं, लेकिन वे समय के साथ धीमी गति से बदलते रहते हैं। जैसे ही सभी ग्रह अपने-अपने ऑर्बिट पर चले जाते हैं, तो परेड भी खत्म हो जाती है। हालांकि, सूरज का चक्कर लगाने में इन ग्रहों की स्पीड, रास्ता और लगने वाला समय अलग-अलग होता है।
सवाल-6: क्या यह परेड 396 अरब साल में पहली बार हो रही है? जवाब: फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्स को बने हुए 13.8 अरब साल हुए हैं। इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता कि यह 396 अरब साल में एक बार होने वाली खगोलीय घटना है। 1997 में जीन मीयस की किताब ‘मैथमेटिकल एस्ट्रोनॉमी मोर्सल्स’ में ‘396 अरब साल’ का दावा किया गया था। जिसे पूरी तरह से गलत साबित कर दिया है, क्योंकि प्लैनेट परेड यूनिवर्स से पुरानी नहीं हो सकती है।
फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रहों का एक साथ आना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। न ही यह कोई अनियमित या अजीब घटना है। हालांकि, ये कई सालों में होने वाली एक दुर्लभ घटना जरूर है।
इससे पहले यह घटना 28 अगस्त 2024 को सुबह 5.20 बजे हुई थी। जब बुध, मंगल, यूरेनस, नेपच्यून और शनि ग्रह एक सीधी लाइन में नजर आए थे। हालांकि, यह घटना केवल लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और यूरोप के कुछ हिस्सों में ही दिखाई दी थी। भारत में इसे रात में देखा गया था।
28 अगस्त 2024 को सुबह 5.20 बजे प्लैनेट परेड हुई थी।
28 मार्च 2023 को भी 5 ग्रह एक कतार में नजर आए थे। शुक्र, मंगल, बृहस्पति, मर्करी और यूरेनस एक सीध में नजर आए थे। भारत समेत दुनियाभर के कई देशों में लोगों ने सामान्य आखों से यह नजारा देखा था। इन 5 ग्रहों में शुक्र सबसे चमकीला नजर आ रहा था। यह शुक्र और बुध के ऊपर दिखाई दे रहा था।
सवाल-7: क्या इस परेड से पृथ्वी को नुकसान होगा? जवाब: एक्सपर्ट्स के मुताबिक, प्लैनेट परेड से सोलर सिस्टम को कोई नुकसान नहीं होगा। यह एक अस्थायी घटना है, जो ग्रहों के एक साथ आने पर होती है। इससे ग्रहों की पोजिशन में बदलाव जरूर दिखता है, लेकिन यह सोलर सिस्टम को प्रभावित नहीं करती।
सोलर सिस्टम में ग्रहों के ऑर्बिट बहुत स्थिर होते हैं और इनमें ग्रहों की स्पीड अलग-अलग होती है। सभी ग्रहों के एक साथ आने पर इनकी ग्रेविटेशनल फोर्स यानी गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी ज्यादा नहीं होती कि एक-दूसरे को नुकसान पहुंचा दें। सभी ग्रहों के ऑर्बिट एक-दूसरे से अरबों किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
सवाल-8: अगली प्लैनेट परेड कब होगी? जवाब: इस साल आसमान में ग्रहों की 2 और परेड देखने को मिलेंगी। वहीं अगले 151 सालों में 4 और प्लैनेट परेड होंगी…
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रिसर्च सहयोग- गंधर्व झा
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8 अप्रैल 2024। अमेरिका में घड़ी 2:04 PM बजाएगी और आसमान में सूरज छिपना शुरू हो जाएगा। करीब 74 मिनट बाद आसमान से सूरज लगभग गायब हो जाएगा। 4 मिनट 28 सेकेंड तक ऐसी ही स्थिति रहेगी। इस दौरान सूर्य 88% ढंक जाएगा और करीब 5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान भी गिर जाएगा। पूरी खबर पढ़ें…