नई दिल्ली6 घंटे पहले
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ताहिर हुसैन पर दिल्ली दंगों को लेकर 11 FIR दर्ज हैं। ताहिर UAPA और मनी लॉन्ड्रिंग केस में भी हिरासत में है।
दिल्ली दंगों के आरोपी और विधानसभा चुनाव में AIMIM कैंडिडेट ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच में सहमति नहीं बन सकी।
बुधवार को हुई सुनवाई में जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ताहिर को जमानत देने के पक्ष में थे, जबकि जस्टिस पंकज मित्तल ने याचिका खारिज कर दी। CJI संजीव खन्ना 3 जज की नई बेंच बनाएंगे।
जस्टिस मित्तल ने कहा कि अगर चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम जमानत देने से भानुमती का पिटारा खुल जाएगा। पूरे साल चुनाव होते हैं। हर कैदी दलील लेकर आएगा कि उसे चुनाव लड़ने के लिए जमानत दी जाए।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि आरोपी मार्च 2020 से जेल में है। उसे प्रचार के लिए जमानत देनी चाहिए। यह जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ा मामला है, इसलिए रोज सुनवाई की जा रही है।
कोर्ट रूम लाइव-
ताहिर हुसैन की जमानत पर जस्टिस मित्तल, जस्टिस अमानुल्लाह ने दलीलें सुनीं। दिल्ली पुलिस की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू और ताहिर की ओर से एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल पेश हुए।
- जस्टिल मित्तल: चार्जशीट में ताहिर पर गंभीर आरोप हैं। उसके घर और ऑफिस की छत को दंगों में इस्तेमाल किया गया था। चुनाव के लिए 10-15 दिनों का प्रचार काफी नहीं है। विधानसभा में लंबे समय तक काम करना पड़ता है। जबकि आरोपी 4 सालों से जेल में था। उसे रिहा करने का कोई कारण नहीं है।
- जस्टिस अमानुल्लाह: आरोप गंभीर और संगीन हैं लेकिन वे केवल आरोप ही हैं। आरोपी ने जेल में करीब 5 साल गुजारे हैं। धारा 482 और 484 BNSS 2023 के तहत 4 फरवरी तक अंतरिम जमानत दी जा सकती है। इसके बाद ताहिर सरेंडर कर देगा।
- जस्टिस मित्तल: आरोपी को अंतरिम जमानत नहीं दी जा सकती। रिहाई के बाद आरोपी प्रचार करने उस इलाके में जाएगा जहां दंगे हुए और गवाह रहते हैं। उसकी गवाहों से मिलने की संभावना है।
- एसवी राजू: एक जमानत याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में है। ताहिर पहले आम आदमी पार्टी में था और अब AIMIM ने उन्हें टिकट दिया है। चुनाव में प्रचार सिर्फ अंतरिम जमानत लेने का बहाना है। इसके बाद रेपिस्ट भी बेल मांगेंगे।
- जस्टिस अमानुल्लाह: हाईकोर्ट ने माना कि नामांकन भरने के लिए पैरोल दी जा सकती है। चुनाव आयोग ने भी कहा है कि हुसैन चुनाव के लिए अयोग्य नहीं है।
- एसवी राजू: उसे नामांकन भरने की परमिशन देने का चुनाव प्रचार करने की अनुमति देने से कोई लेना-देना नहीं है। नामांकन से प्रचार करने का अधिकार नहीं मिलता।
- एसवी राजू: ताहिर UAPA और मनी लॉन्ड्रिंग में भी आरोपी है। भले ही इस मामले में जमानत मिल जाए लेकिन उसे जेल में ही रहना होगा। क्योंकि UAPA केस में चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं मिलती है।
- एडवोकेट सिद्धार्थ: UAPA और PMLA मामलों में नियमित और अंतरिम जमानत की याचिकाएं लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने PMLA मामले में CBI केस लंबित होने के बावजूद अरविंद केजरीवाल को जमानत दी है।
- एसवी राजू: ताहिर के लिए पार्टी प्रचार कर सकती है। हुसैन के एजेंट अभी भी उनके लिए प्रचार कर सकते हैं।
- जस्टिस अमानुल्लाह: जमानत देने के बाद चुनाव बराबरी का होगा। 5 साल में केस आगे क्यों नहीं बढ़ा है। हम अपनी आंखें बंद नहीं कर सकते।
चुनाव लड़ने के लिए जमानत मांगी
4 साल 9 महीने से जेल में बंद ताहिर हुसैन को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए ओवैसी की पार्टी AIMIM ने मुस्तफाबाद से कैंडिडेट बनाया है। उन्होंने दिल्ली चुनाव लड़ने के लिए ही सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका लगाई है।
मामले पर 20 जनवरी को भी सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जेल में बंद सभी लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए।
ताहिर की ओर से पेश एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने 21 जनवरी को कोर्ट से सुनवाई का अनुरोध किया था। तब जस्टिस मित्तल ने कहा था-
अब तो जेल में बैठकर चुनाव लड़ते हैं। जेल में बैठकर चुनाव जीतना आसान है। इन सभी को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए।
ताहिर 4 साल 9 महीने से ज्यादा समय से न्यायिक हिरासत में है।
हाईकोर्ट ने नामांकन के लिए कस्टडी पैरोल दी थी
ताहिर पर दिल्ली दंगों के दौरान 25 फरवरी 2020 को IB अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या करने का आरोप है। ताहिर ने चुनाव प्रचार के लिए हाईकोर्ट से 14 जनवरी से 9 फरवरी तक अंतरिम जमानत मांगी थी। 13 जनवरी को हाईकोर्ट ने कहा था कि नामांकन जेल से भी भरा जा सकता है।
इस पर ताहिर की वकील तारा नरूला ने तर्क दिया कि इंजीनियर रशीद को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। उनके खिलाफ टेरर फंडिंग का भी मामला चल रहा है।
ताहिर को एक राष्ट्रीय पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। वे अपनी सभी संपत्तियों का विवरण देने को तैयार हैं। उन्हें अपने लिए एक प्रस्तावक भी खोजना है और दिल्ली में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
मामले में ट्रायल शुरू हो चुका है और अब तक 114 गवाहों में से 20 गवाहों से पूछताछ हो चुकी है। ऐसे में ट्रायल जल्द पूरी होने की उम्मीद नहीं है। ताहिर 4 साल 9 महीने से ज्यादा समय से हिरासत में है।
हाईकोर्ट ने 14 जनवरी को ताहिर की कस्टडी पेरोल मंजूर की थी। 16 जनवरी को कड़ी सुरक्षा के बीच ताहिर तिहाड़ जेल से बाहर आए और नामांकन भरने के बाद वापस जेल चले गए थे। इसके बाद ताहिर जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 250 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
जानें क्या है दिल्ली दंगा
दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को शुरू हुआ दंगा 25 फरवरी को जाकर रुका था। नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुए इस दंगे में 53 लोगों की जान चली गई थी।
दिल्ली के जाफराबाद, सीलमपुर, भजनपुरा, ज्योति नगर, करावल नगर, खजूरी खास, गोकुलपुरी, दयालपुर और न्यू उस्मानपुर समेत 11 पुलिस स्टेशन के इलाकों में दंगाइयों ने जमकर उत्पात मचाया था। इस दंगे में कुल 520 लोगों पर FIR दर्ज की गईं थीं
दंगों में लाइसेंसी पिस्टल का इस्तेमाल का आरोप
दिल्ली दंगा मामले में क्राइम ब्रांच ने कड़कड़डूमा कोर्ट में दो चार्जशीट दाखिल की थीं। पहला केस चांद बाग हिंसा और दूसरा मामला जाफराबाद दंगे से जुड़ा था। पुलिस ने चांद बाग हिंसा मामले में ताहिर हुसैन को मास्टरमाइंड बताया था।
ताहिर के अलावा उनके भाई शाह आलम समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया था। चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि हिंसा के वक्त ताहिर हुसैन अपने घर की छत पर था और उसकी वजह से ही हिंसा भड़की थी।
ताहिर ने दंगे में अपनी लाइसेंसी पिस्टल का इस्तेमाल किया था। पुलिस के मुताबिक हुसैन ने दंगे से ठीक एक दिन पहले खजूरी खास पुलिस स्टेशन में जमा अपनी पिस्टल निकलवाई थी। जांच के दौरान पुलिस ने पिस्टल जब्त कर ली थी।
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पार्षद रह चुकीं इशरत जहां 2020 के दिल्ली दंगे में हिंसा भड़काने की आरोपी हैं। आरोप तय हो गए हैं, लेकिन अभी जमानत पर हैं। इशरत से जुड़ा मामला 26 फरवरी, 2020 का है। तब दिल्ली के खजूरी खास में लोग प्रोटेस्ट के लिए जुटे थे। तभी हिंसा भड़क गई। पूरी खबर पढ़ें…